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Tuesday 7 November 2017

पड़ोसी ने मुझे फंसा कर मेरी चूत की पहली चुदाई की -Hindi Sex Stories

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फ्रेंड्स, मेरा नाम सरिता है, घर पर मुझे प्यार से सभी सोनी बुलाते हैं. मैं दिल्ली में रहती हूँ और एमबीए की पढ़ाई कर रही हूँ. मैं अभी 24 साल की हूँ. मेरे पापा एक अकाउंटेंट हैं और मॉम हाउस वाइफ हैं.
तो दोस्तो मैंने भी सोचा कि क्यों ना मैं भी अपनी सेक्स स्टोरी आपके साथ शेयर करूँ. तो चलिए दोस्तो मैं अपनी सेक्स स्टोरी पर आती हूँ.

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सबसे पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ कि मेरा बदन और मेरा फिगर काफ़ी सेक्सी और हॉट है, जो भी मुझे देखता है.. बस देखता ही रह जाता है.

मेरे चूचे 34 इंच के एकदम तने हुए हैं और मेरी कमर 28 इंच की है. मेरे चूतड़ों का नाप 36 इंच का है.. जब मैं चलती हूँ तो लोग मुझे पीछे से मेरी गांड को बहुत ही सेक्सी निगाहों से ऐसे घूर-घूर कर देखते हैं.. जैसे वो मेरा अभी रेप कर देंगे. ये सब देख कर मुझे गुस्सा तो बहुत आता है, पर इसमें उनकी भी ग़लती क्या है. जब इतना सेक्सी और हॉट माल जा रहा हो.. तो किसी की भी निगाहें क्यों नहीं फिसलेंगी.

दोस्तो, ये बात तब की है, जब मैं बीबीए के फर्स्ट ईयर में पढ़ती थी. मेरे पड़ोस में एक लड़का रेंट पर नया-नया ही आया था, उसका नाम विवेक था और वो दिखने में काफ़ी हैंडसम था.

एक दिन मैं अपने कपड़े सुखाने के लिए अपनी छत पर गई तो वो भी अपनी छत पर ही अकेले खड़ा फोन पर बात कर रहा था. मैं जब अपने कपड़े सुखाने के लिए हैंगर पर डाल रही थी, तो वो मुझे बहुत घूर कर देख रहा था.

मैंने उसे देखा कि वो मेरी चूचियों को देख रहा है, मैंने अपने दुपट्टे से अपने मम्मों को ढक लिया और उस पर ध्यान नहीं दिया और मैं नीचे अपने कमरे में आ गई.

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उसके बाद मुझे कॉलेज जाना था तो मैं रेडी होने लगी और कॉलेज के लिए निकल पड़ी. रास्ते में मैंने देखा कि विवेक अपनी बाइक से जा रहा था. वो मुझे देख कर थोड़ा आगे जाकर रुक गया और मेरा वेट करने लगा.

जब मैं उसके पास से निकल रही थी तो उसने मुझे कहा- हैलो.. एक्सक्यूज मी..
मैंने कहा- जी बोलिए?
तो उसने कहा- मैं आपके पड़ोस में ही रहता हूँ, रेंट पर.. अभी नया ही आया हूँ. क्या मैं आपको कुछ दूर तक ड्रॉप कर दूँ?
मैंने कहा- नहीं, मैं चली जाऊंगी.

तो उसने काफ़ी फोर्स किया- मैं आपको कुछ करूँगा नहीं.. डरो मत.
मैंने कहा- मतलब क्या है आपका?
उसने कहा- कुछ आप डर सी रही हो.. ऐसा क्यों..? प्लीज़ आओ ना, अगर आप साथ चल लोगी तो दूरी का पता भी नहीं चलेगा.

उसके इतना फोर्स करने की वजह से मैं उसके साथ बाइक पर बैठ गई.

उसने बाइक आगे बढ़ाते हुए मुझसे पूछा- आपका नाम क्या है.. और कहाँ जा रही हो?
मैंने बताया- मेरा नाम सरिता है और मैं कॉलेज जा रही हूँ.
विवेक ने कहा- अरे वाह मैं भी कॉलेज जा रहा हूँ. आपका कॉलेज कहाँ है?
मैंने कॉलेज का नाम बताया.

विवेक ने कहा- मैं भी दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ता हूँ. हमारा कॉलेज तो पास-पास में ही है. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें रोज ड्रॉप कर दिया करूँगा.
विवेक बाइक काफ़ी तेज चला रहा था, मुझे डर लग रहा था. कई बार वो ब्रेक लगाता तो मेरे चूचे उसकी पीठ से लग जाते.

मैं महसूस कर रही थी कि विवेक इसे काफ़ी एंजाय कर रहा है. हमारी रास्ते में काफ़ी बातें हुईं और मेरा कॉलेज आ गया. मैं अपने कॉलेज के गेट से अन्दर जाने लगी, तभी विवेक ने मुझे आवाज़ दी.
मैंने घूम कर उसे देखा तो उसने कहा- मैं शाम को आऊंगा, साथ में घर चलेंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
तो विवेक ने कहा- अपना मोबाइल नंबर तो दे दो, मैं तुम्हें कॉल कर लूँगा.
मैंने उसे अपना नंबर दे दिया और कॉलेज के अन्दर चली गई.

उस दिन उसने मुझे कई रोमाँटिक मैसेज किए और कॉल भी किया. शाम को उसने मेरे कॉलेज के बाहर आकर मुझे कॉल किया और बोला- हेए सरिता.. कहाँ हो यार.. मैं तुम्हारे कॉलेज के बाहर तुम्हारा वेट कर रहा हूँ.
मैंने कहा- बस मैं आ रही हूँ.. थोड़ा और वेट करो.
‘ओके मैडम जी वेट करता हूँ.’

उसके बाद हम साथ में घर आने लगे. मैं उसके बाइक पर बैठी थी और वही सिलसिला फिर शुरू हो गया. मेरे चूचे उसकी कामोत्तेजना को बढ़ा रहे थे.

रास्ते में उसने बाइक एक रेस्तरां के सामने रोकी और कहा- चलो यार कुछ खा लेते हैं. मैंने मना किया.. पर उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- चलो ना यार..
तो मैं मान गई और हम दोनों ने साथ में डिनर किया और फिर घर आ गए.

अब ये सिलसिला रोज चलने लगा था, वो मुझे कॉलेज छोड़ता और रोज लाता था. हम दोनों एक-दूसरे के साथ काफ़ी घुल-मिल गए थे और अच्छे दोस्त बन गए थे. वो मुझे कभी-कभी मज़ाक-मज़ाक में गालों पर किस भी कर लिया करता था. वो कहता कि ये सब दोस्ती में चलता है. मुझे भी वो अच्छा लगने लगा था.

फिर 2-3 महीनों में उसने हमारे घर से अच्छे रिलेशन बना लिए थे और हमारे घर कभी भी आ जाया करता था. पापा और उसकी काफ़ी अच्छी बनने लगी थी.

एक दिन हमारी पूरी फैमिली को 2-3 दिनों के लिए एक शादी में जाना था, पर मैंने मॉम से मना कर दिया कि मैं नहीं जा पाऊंगी, मेरे एग्जाम पास में है और मुझे कई सारे नोट्स भी तैयार करने हैं.

इसके बाद मेरी पूरी फैमिली शाम को चली गई. अब मैं अपने घर में अकेली थी.. और काफ़ी बोर हो रही थी.
तभी विवेक का कॉल आया, मैंने कॉल पिक किया. विवेक ने कहा- हेए सरिता बेबी.. क्या हो रहा है? आज तो तुम्हारी फैमिली बाहर गई है.. बोर हो रही होगी?
मैंने कहा- हाँ थोड़ा बोर तो हो रही हूँ.
तो उसने कहा- मैं आ जाऊं.. साथ बैठकर चैस खेलेंगे.
मैंने कहा- ठीक है आ जाओ.

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दोस्तो मैं आपको बता दूँ कि मुझे शतरंज बहुत पसंद है.

थोड़ी देर के बाद दरवाजे की वेल बजी और मैंने दरवाजा खोला तो विवेक सामने था. विवेक ने ट्राउज़र और टी-शर्ट पहनी थी. मैंने भी उस दिन जीन्स और टॉप पहना था. वो मुझे आँख मारते हुए अन्दर आया. मैंने दरवाजा बंद किया और चैस खेलने बैठ गए. एक गेम खेलने के बाद विवेक ने कहा- यार मुझे प्यास लगी है, थोड़ा पानी मिलेगा.
मैंने कहा- मैं अभी लाती हूँ.

मैं किचन की ओर चली गई, मैं रेफ्रिजरेटर से पानी की बॉटल निकालने के लिए थोड़ा सा झुकी ही थी कि तभी किसी ने मुझे पीछे से जोर से पकड़ लिया. मैं तेज से चिल्लाई, लेकिन उसने मेरा मुँह अपने हाथों से बंद कर दिया. मैं अपने आपको छुड़ाने लगी. मैंने पीछे देखा तो वो कोई और नहीं विवेक था.

विवेक ने कहा- चिल्लाओ मत मेरी जान.. चुप रहो कोई सुन लेगा तो तुम्हें ही प्राब्लम होगी.
विवेक ने मेरे मुँह से हाथ हटाया, मैंने विवेक से कहा- विवेक ये तुम क्या कर रहे हो.. छोड़ो मुझे?
उसने कहा- सरिता मैं तुमसे प्यार करता हूँ और तुम्हें बहुत चाहता हूँ.
मैंने कहा- अगर तुम मुझे नहीं छोड़ोगे.. तो मैं चिल्लाऊँगी.
विवेक ने कहा- ठीक है चिल्लाओ.. मैं भी कह दूँगा इसने मुझे खुद ही बुलाया था और वैसे भी तुम लड़की हो बदनामी तुम्हारी ही होगी.

मुझे भी लगा कि ये बात तो ठीक कह रहा है. मैं पूरी तरह से फंस चुकी थी.
अब उसने कहा- मैं जैसा कहता हूँ, वैसा ही करो.. वरना अच्छा नहीं होगा.
मैंने विवेक से कहा- देखो विवेक, ये तुम ठीक नहीं कर रहे हो.

विवेक ने मेरे होंठों को अपने होंठों से मिला दिया और पागलों की तरह किस करने लगा. उसने मुझे 5 मिनट तक किस किया.

फिर विवेक ने मुझे अपनी गोद में उठाया और मेरे रूम में लेकर आ गया. अब वो मेरे कपड़े उतारने लगा.

मैंने विवेक को मना किया- विवेक रुक जाओ क्या कर रहे हो तुम? ये सब ग़लत कर रहे हो.

मैं अपने आपको विवेक से छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी, पर विवेक नहीं रुका. उसने एक-एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मैं अब उसके सामने बस ब्रा और पैंटी में थी.

उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए. पहली बार मैंने लाइव अपने सामने किसी मर्द का लंड देखा था. उसका लंड लगभग 8 इंच का था.

मुझे बहुत डर लग रहा था और ये अनुभव मेरे लिए बिल्कुल नया था. दोस्तो मैं आपको बता दूँ इससे पहले मैं अभी तक किसी लंड से नहीं चुदी थी. इससे आप लोग अंदाज़ा लगा सकते हैं कि मेरा क्या हाल हो रहा होगा.

मेरी साँसें जोर-जोर से चल रही थीं. विवेक मेरे पास आया और लंड की तरफ इशारा करके बोला- चल पकड़ इसे और इसको सहला.. मेरी जान आज से ये तेरी चुत का पति है.
अब मैं समझ चुकी थी कि आज मैं चुदने वाली हूँ.

विवेक ने मुझे किस करते हुए बोला- सरिता प्लीज़, मैं तुम्हारी मर्जी के खिलाफ तुम्हें कुछ नहीं करूँगा.
फिर विवेक ने मेरी ब्रा को ऊपर उठाया और मेरे मम्मों को चूसने लगा.

क्या बताऊं दोस्तो.. मम्मे चुसवाने का मस्त क्या एहसास था.. सच में मुझे बहुत अच्छा लगा और गुदगुदी भी हो रही थी. विवेक मेरे दोनों मम्मों को दबाने लगा. इस तरह वो लगभग 15 मिनट तक मेरे मम्मों के साथ खेलता रहा.
फिर उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरी पैंटी उतार दी.. और मेरी चूत पर हाथ फेरने लगा.

थोड़ी देर हाथ फेरने के बाद मेरी चुत को अपनी जीभ से चाटने लगा. मेरे मुँह से गरम सिसकारियां निकलने लगीं और मैं उसने मुँह को अपनी दोनों टांगों के बीच दबाने लगी. विवेक की तरफ से छूटने की कोशिश करने लगी, पर अब विवेक मुझे छोड़ने वाला नहीं था.

उसने मेरी चुत को खूब चाटा और चूसा. अब मुझे भी मज़ा आ रहा था. थोड़ी देर बाद मेरी चुत ने अपना पानी छोड़ दिया. विवेक मेरी चुत का सारा पानी पी गया.

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थोड़ी देर बाद विवेक उठा और बोला- अब तुम मेरे लंड को मुँह में लो.
मैंने कहा- छी: विवेक मैं ऐसा नहीं करूँगी.

उसने मुझे काफ़ी रिक्वेस्ट की, पर मैंने मना कर दिया- ये मुझे बहुत गंदा लगता है.
विवेक ने कहा- कोई बात नहीं.

अब उसने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और सहलाने लगा. फिर मेरी चुत पर अपने लंड को रख कर सहलाने लगा, मैंने विवेक को मना किया- विवेक रहने दो.. ऐसा मत करो मैं मर जाऊंगी.

पर विवेक पर तो कामदेव आ चुके थे, वो अब रुकने वाला नहीं था. मैं बिस्तर पर चित लेटी हुई थी. विवेक ने मेरी दोनों टाँगें फैलाईं और अपना लंड मेरी चुत पर रखकर एक हल्का सा धक्का मारा.
मेरी तो जान ही निकल गई और मैं दर्द के मारे जोर से चिल्लाई- अऔच.. ओह गॉड.. प्लीज़ विवेक इसे निकाल लो, मुझे दर्द हो रहा है.
पर विवेक ने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी और मुझे किस करने लगा.

मैं रोने लगी, मेरी आंखों से आँसू निकल रहे थे. सच में मुझे बहुत दर्द हो रहा था. थोड़ी देर के बाद विवेक ने धीरे-धीरे धक्के लगाकर अपने लंड को थोड़ा और अन्दर करते हुए मेरी चुत में डालने लगा. मैं सहमी सी पड़ी थी, तभी उसने एक और धक्का दे दिया. अब उसका आधा लंड मेरी चुत में घुस चुका था.

थोड़ी देर बाद उसने एक और धक्के के साथ पूरा लंड मेरी चुत में घुसेड़ दिया. थोड़ी देर रुकने के बाद विवेक मेरी चुत में धक्के पर धक्के देने लगा और मेरी चुदाई करने लगा.

अब उसने अपनी स्पीड थोड़ा बढ़ाकर मुझे चोदने लगा. वो बोले जा रहा था- सरिता तू कितनी सेक्सी है.. अह.. कितनी हॉट है.. तेरे जैसे माल के लिए तो कोई भी कुछ भी कर जाए.
मैं भी खूब चीख रही थी, चिल्ला रही थी. मेरी चीख और सिसकारियों की वजह से वो और उत्तेजित हो रहा था.
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मैं इस तरह से आवाजें कर रही थी.

लगभग 20 मिनट के बाद उसने एक जोरदार धक्का मेरी चुत में मारकर अपने लंड से पिचकारी छोड़ दिया. मेरी चुत में ही झड़ गया, उसने अपना सारा पानी मेरी चुत में छोड़ दिया.

हम ऐसे ही एक-दूसरे की बांहों में थोड़ी देर तक लेटे रहे. मैं अभी भी थोड़ा रो रही थी.

तो विवेक ने कहा- आई’म सॉरी मेरी जान.. मुझे माफ़ कर दो, मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया.. देखो तुम जो चाहो मुझे कर सकती हो, लेकिन मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ.. ये सच है.

मैंने कुछ नहीं कहा, मैं बस लेटी रही. थोड़ी देर बाद मैं बाथरूम में फ्रेश होने चली गई. इसके बाद हम दोनों ने साथ में खाना खाया.

दोस्तो जब भी मौका मिलता था, विवेक मुझे ऐसे ही चोद लेता था.

फ्रेंड्स आपको मेरी पहली बार चुदाई की कहानी कैसी लगी.. मुझे मेल ज़रूर कीजिए.

अगर आपका रेस्पॉन्स अच्छा रहा तो मेरी विवेक के साथ और भी चुदाई की कहानियां हैं.. वो मैं आपको अगली चुदाई की कहानी मैं बताऊंगी कि अब मैं विवेक का लंड भी चूसने लगी हूँ और लंड चूसने में एक्सपर्ट भी हो चुकी हूँ. बाय..a

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दोस्त की माँ की मस्त चुदाई -Hindi Sex Stories

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बात तब की है जब मैं पढ़ता था. हमारे ही अपार्टमेन्ट में हमारे फ्लैट के ऊपर मेरा दोस्त रहता था जिसका नाम रोहित था. हम साथ साथ एक ही क्लास में पढ़ते थे और एग्जाम टाइम में उसके घर ही पूरी रात रहता था.
उसकी माँ का नाम भावना है जो दिखने में एकदम सेक्सी थी उनके बूब्स की तो क्या बात.. खरबूजे जैसे बड़े थे. वो रात को हमेशा नाईटी में रहती थी और वो ब्रा पहनती नहीं तो उनके बूब्स साफ़ दिखाई देते थे.

एक बार की बात है जब मैं और रोहित उसके घर पर स्टडी कर रहे थे तब वो पौंछा लगाने आई, वो झुक कर पौंछा लगाने लगी, उनके पूरे बूब्स नंगे दिख रहे थे, मेरा तो लंड पूरा खड़ा हो गया.
मैं छुप कर देख रहा था, तभी भावना ने मुझे और मेरे खड़े लंड को देख लिया और तुरंत वहां से चली गयी.

अगले दिन जब मैं उसके घर गया तो वो घर पर अकेली थी और सो रही थी.
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मैंने देखा रोहित घर पर नहीं था, मैंने उसे फ़ोन किया तो उसने कहा कि वो और उसके पापा आउट ऑफ़ स्टेशन हैं और रात को घर आयेंगे.

मेरी तो लॉटरी निकल गयी मानो… मैं भावना के पास गया और देखा तो वो गहरी नींद सो रही थी, मैंने हिम्मत करके उनके बूब्स को टच किया, उन्होंने कुछ किया नहीं.
तो मैंने उनके लिप्स पर मेरे लिप्स लगा दिए, तब भी वो सो रही थी और मैं किस करने लगा.

अचानक उनके हाथ मेरे सर पर आ गए और वो भी मुझे किस करने लगी, मैंने देखा कि वो पूरी तरह जग चुकी थी.
मैं डर गया और मैं हट गया.
उन्होंने कहा कि उन्हें पता था कि मैं जरूर आऊंगा.

भावना ने मुझे बताया कि वो कबसे तड़प रही थी चुदवाने के लिए, उनके पति ने उन्हें एक साल से छुआ भी नहीं है. वो रोने लगी.
मैंने उनको कहा- आंटी, आज आपकी प्यास में बुझाऊंगा.
और उनको किस करने लगा, बूब्स दबाने लगा. मैंने उनकी साड़ी निकाल दी और उनका ब्लाउज भी निकाल दिया, अब वो सिर्फ ब्रा में थी, उनका पेटीकोट भी मैंने निकाल दिया.

अब वो ब्रा और पेंटी में थी, उनके सिर्फ आधे बूब्स ही ब्रा में समा रहे थे. मैं तो पागल हो गया और बूब्स को चूसने लगा.
वो अहह.. अह्ह्ह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… चुसो…. अह्ह्ह्ह… जैसी आवाज निकल रही थी.

बाद में मैंने आंटी को पूरी नंगी कर दिया और मैं भी पूरा नंगा हो गया, वो मेरा लंड देख कर पागल हो गयी और चूसने लगी और हम 69 पोजीशन में आ गए.

मैंने उनकी चूत को देखा बिल्कुल क्लीन शेव, एक भी बाल नहीं था, मैं चूत को चूसने लगा, आंटी को बहुत मजा आ रहा था, वो मेरा लंड भी अच्छी तरह चूस रही थी. 5 मिनट के बाद आंटी झड़ गयी और पूरा पानी मेरे मुख पर छोड़ दिया, मैं सारा पानी चाट गया.
आंटी ने कहा- अब रहा नहीं जाता, मेरी चूत को चोद डालो!
मैंने आंटी को कहा- मेरा पहली बार है.
तो वो और भी ज्यादा खुश हो गयी.

वो बेड पर लेट गयी और मैंने उनकी चूत उंगली में डाल दी, बहुत ही टाइट चूत थी, उंगली भी मुश्किल से जा रही थी.
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आंटी सिसकारियां भरने लगी. अह्ह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह्ह…
फिर मैंने लंड उनकी चूत के सेण्टर पर रखा और थोड़ा रगड़ने के बाद एक जोर का झटका मारा और मेरा 2 इंच तक अन्दर चला गया.

मेरा पहली बार था इसलिए मुझे भी दर्द हुआ और भावना की आँखों से आंसू आ गए, उन्होंने कहा- निकालो इसे… फाड़ दी मेरी चूत भोसड़ी के!
मैं थोड़ी देर रुका और बाद में जब आंटी का दर्द कम हुआ तो मैं लंड आगे पीछे करने लगा और वो भी गांड उछाल कर चुदवा रही थी. मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया और वो अह्ह्ह… अह्ह्ह्ह… अह्ह्ह्ह… चोदो… अह्ह्ह.. जैसी आवाजें निकाल रही थी और पूरे रूम मे फ़च्छ.. फच… की आवाज आ रही थी.

10 मिनट के बाद वो झड़ गयी पर मैं अभी झड़ा नहीं था, मैं लगातार शॉट लगा रहा था. बाद में मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से लंड डालकर चोदने लगा और फट.. फट्ट… शॉट लगाने लगा थोड़ी देर में मैं झड़ गया और सारा वीर्य मैंने उनकी चूत में डाल दिया और वो आहें भरने लगी और वीर्य उनकी टाईट चूत के बाहर टपक रहा था.

मैं उनके ऊपर करीब 15 मिनट तक पड़ा रहा.

मैंने उनकी गांड को देखा तो मैंने उनको गांड मारने को कहा, वो मान गयी और मैंने लंड उनकी गांड पर रखा, धक्का मारा, पर अन्दर नहीं गया तो मैंने लंड पर तेल लगाया, उनकी गांड पर भी तेल लगाया और एक जोर का झटका मारा और आधा लंड आंटी की गांड में!
वो चिल्लाई और रोने लगी.
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मैं थोड़ी देर रुक कर उनके बूब्स दबाने लगा और बाद में एक जोर का झटका मारा तो पूरा लंड उनकी गांड में! मैं लंड आगे पीछे हिलाने लगा, उन्हें भी मजा आने लगा. कुछ मिनट के बाद मैं झड़ गया और सारा माल उनकी गांड में गिर गया.
मैंने भावना की तरफ देखा तो वो बहुत खुश थी, आंटी मुझे किस करने लगी.

बाद में जब हम खड़े हुए तो मैंने उनकी टाईट चूत और गांड की तरफ देखा तो चूत का मुख तो बहुत बड़ा हो गया था और सूज गयी थी, गांड का मुख भी खुल गया था.
फिर हम दोनों ने साथ में शावर लिया और एक दूसरे को अच्छी तरह साफ़ किया और कपड़े पहन लिए और मैंने घड़ी में देखा तो करीब 4 बज रहे थे.

और मेरा लंड अब शांत नहीं हो रहा था तो मैंने उनको फिर से चोदने को कहा तो उन्होंने कहा कि वो थक चुकी हैं पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उन्हें बेड पर पटका और किस करने लगा और बूब्स दबाने लगा, निप्पल को काटने लगा, चूसने लगा.
इसके बाद मैंने आंटी की चूत चुदाई की!

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पति के साथ गोवा में हनीमून का मजा -Hindi Sex Stories

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हैल्लो दोस्तों, में भोपाल की रहने वाली हूँ और मेरी उम्र 26 साल है। दोस्तों मेरे पति और मैंने हमारी सुहागरात के बाद तो अब हर दिन बहुत मज़े मस्ती और बहुत बार सेक्स भी किया, लेकिन सुहागरात के बाद जब में अपने पति के साथ हनिमून पर गोवा गये तो मैंने वहां पर भरपूर मज़ा लिया और उनको भी बड़ा मज़ा दिया। फिर हम दोनों गोवा पहुंच गए और फिर उसके बाद हमने एक होटल में जाकर वहां पर एक रूम ले लिया और बस में सफर करते समय पहले से ही सुनील ने मुझसे कहा था कि अब में तुम्हे हनिमून का असली मज़ा दूँगा, में उनकी वो बात सुनकर मन ही मन बहुत खुश हुई और उसके बाद होटल पहुंचकर अब हम दोनों हमारे रूम में पहुंचे। उन्होंने वहां के उस वेटर को जो हमारा सामान लेकर आया उसको 50 रूपये टिप में दे दिया और उससे उन्होंने थोड़ा बहुत खाने पीने के लिए कोल्ड ड्रिंक और कुछ स्नेक्स और चिकन लाने के लिए कहा और थोड़ी ही देर में वो वेटर सब कुछ लेकर आ गया।
फिर सुनील ने उससे कहा कि अगर हमें कुछ ऑर्डर करना होगा तो हम फोन कर देंगे, ठीक है, अब तुम जाओ और हमें बिल्कुल भी परेशान ना करना और मेरे पति की वो बातें सुनने के बाद वो वेटर चला गया। अब हम दोनों कपड़े बदलकर थोड़ी देर के लिए बेड पर लेट गये। फिर करीब दो घंटो के बाद सुनील उठा और उसने मुझसे कहा कि में फ्रेश होकर आता हूँ और फिर उसके बाद तुम भी फ्रेश हो जाना, तो मैंने कहा कि हाँ ठीक है और फिर उसके बाद सुनील बाथरूम में चला गया और थोड़ी देर के बाद वो फ्रेश होकर वापस भी आ गया। उस समय सुनील ने सिर्फ टावल ही पहना हुआ था, वैसे भी हमेशा रात को वो सिर्फ़ टावल ही पहनते है, जिससे मुझे पता चल जाता है कि वो आज मूड में है और गाड़ी चलाने वाले है, गाड़ी चलाने का मतलब एक कोड वर्ड है गाड़ी मतलब मेरी चूत और ड्राइवर मतलब उनका लंड और वो हर कभी घर पर मुझसे उसी कोड वर्ड में ही पूछते है क्यों आज हम गाड़ी चलाए जानेमन? थोड़ी देर के बाद वो बाथरूम से बाहर आ गए। में उस समय बेड पर लेटी हुई थी और वो भी मेरे पास आकर बेड पर बैठ गये और उन्होंने मुझसे कहा कि जाओ अब तुम फ्रेश होकर आओ, तब तक में दो तीन पेग लगा लेता हूँ और हाँ बेग में तुम्हारे लिए एक तोफा है तुम उसको जरुर पहनकर आना।
में : वो क्या है?

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सुनील : तुम उसको खोलकर देखो तो सही तुम्हे अपने आप पता चल जाएगा।
में : हाँ ठीक है तब मैंने उसको खोलकर देखा वाह मज़ा आ गया और में बहुत खुश थी, क्योंकि उन्होंने मुझे एक ब्रा और पेंटी लाकर दी थी, वो भी काले रंग की थी, क्योंकि उन्हे पहले से ही पता था कि मैंने आज तक काले रंग की ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी और इसलिए वो उस रंग की मेरे लिए ब्रा, पेंटी लेकर आए थे।
सुनील : क्यों मेरा यह तोफा कैसा है?
में : उम्म्म अच्छा है, लेकिन पहले देखते है कि यह मुझे फिट भी है या नहीं?
सुनील : फिट तो जरुर होगी, क्योंकि तुमने जो साइज़ मुझे बताया था में वही साईज़ लेकर आया हूँ और यह पहनने के बाद तुम्हे बहुत सूट करेगी। वैसे भी तुम इतनी गोरी हो और काले रंग में तो यह तुम्हे ज़्यादा अच्छी लगेगी, ज़रा अब तुम जल्दी से इसको पहनकर भी आ जाओ और तुम फ्रेश होने के बाद सिर्फ़ इन दोनों को ही पहनकर अंदर आना, क्यों ठीक है ना?
में : हाँ ठीक है आप जैसा कहोगे में भी ठीक वैसा ही करूंगी।
दोस्तों उस समय मैंने मेक्सी पहनी हुई थी और जो ब्रा वो अपने साथ लेकर आए थे वो ऊपर के हिस्से में जालीदार ब्रा थी और पेंटी में भी चूत के हिस्से पर जाली लगी हुई थी जिसमे मेरा वो गोरा जिस्म नजर आ जाता। फिर में वो ब्रा पेंटी को अपने साथ लेकर बाथरूम में फ्रेश होने चली गयी और मेरे जाते ही वो एक बोतल को लेकर बेड पर बैठकर पीने लगे और थोड़ी देर के बाद में बाथरूम से बाहर निकल आई। उस समय में उनके कहने पर अब सिर्फ़ उस काले रंग की ब्रा और पेंटी में थी और फिर वहीं से खड़े होकर मैंने उनसे पूछा क्यों में आपको कैसी लग रही हूँ?

सुनील : वाउ।
दोस्तों उन्होंने बस एक शब्द कहा उसके अलावा वो मुझसे कुछ भी नहीं बोले, बस वो मुझे लगातार घूरते ही जा रहे थे, जैसे भूखा शेर किसी हिरण को देख रहा हो जो उसका शिकार हो और सबसे पहले कुछ देर तक उनकी वो खा जाने वाली नज़र मेरी गोरी उभरी हुई छाती पर अटकी रही, क्योंकि ब्रा उस पर ऊपर थोड़ी सी जाली लगी हुई थी उसकी वजह से थोड़े से मेरे निप्पल बाहर नजर आ रहे थे और मेरे गोरे जिस्म को देखते हुए उनका एक हाथ उनके लंड को सहलाकर बड़ा रहा था। फिर उनकी नज़र मेरी पेंटी पर चली गई और वो उसको भी थोड़ी देर तक देखते रहे। फिर मैंने मज़ाक में अपनी चूत पर अपने दोनों हाथ रख लिए और कहा कि सुनील इसको मत देखो ना।
सुनील : अभी तो सिर्फ़ में देख ही रहा हूँ इसके बाद में क्या क्या करूँगा तुम्हे अच्छी तरह से पता है, वैसे तुम इस काले रंग में बहुत ग़ज़ब की दिख रही हो, ऐसे तुम्हे कोई देख ले चाहे वो 15 साल का हो या फिर 50 का अपने आप पर काबू नहीं कर सकेगा, अगर शादी के पहले मैंने तुम्हे ऐसे देखा होता तो में तुम्हारी चूत की सील को कब की तोड़ चुका होता और मैंने तुम्हे बहुत बार चोद दिया होता। वैसे भी तुम्हारा फिगर तो एकदम कयामत है बिल्कुल हॉट सेक्सी बड़ी चिकनी हो और तुम्हारे बूब्स भी हमेशा टाइट ही रहते है, तुम्हारे बूब्स अभी तक ज़रा भी लटके नहीं है और जबकि हमारी शादी के पहले भी मैंने इसको बहुत बार दबाया था।
में : अच्छा आज तुम बड़े सेक्सी हो रहे हो, शायद तुम पर अब शराब का नशा चड़ गया है और मुझे ऐसा लग रहा है इसलिए तुम इसी बातें कर रहे हो।
सुनील : हाँ, आज तुम्हे मेरे साथ बहुत ज़्यादा मज़ा आएगा, क्योंकि आज शराब, शबाब और कबाब तीनों ही मेरे पास है और यह तीनों ही बहुत कमाल के है और अब देखो तुम हनिमून का मज़ा तुम्हे कितना आता है, बाकि सभी मज़े इसके सामने फीके पड़ जाएगें।
में : बाप रे तुमने इतनी जल्दी आधी बोतल को खत्म कर दिया है।
फिर में उनके पास आई और अपने दोनों पैरों को उनकी जांघो के दोनों तरफ रखकर में उनकी जांघो पर बैठ गयी और कहा अब आपको शराब का बहुत नशा हो गया है और अब आप मेरा भी तो कर लो, उन्हे हमेशा सेक्स के टाइम पर ऐसी ही बातें करना सुनना पसंद है, क्योंकि इससे सेक्स का जोश और भी बढ़ता है। फिर उन्होंने मेरी कमर पर अपना एक हाथ रख दिया और में थोड़ा उनके होंठो की तरफ बड़ गई और अब हम दोनों फ्रेंच क़िस करने लगे। उसी के साथ साथ में उनके तनकर खड़े टाइट लंड पर अपनी चूत को रगड़ने लगी थी और उनको क़िस भी कर रही थी आआहहहह उफ्फ्फ फिर उन्होंने मेरी ब्रा के बटन को खोल दिया जो आगे की तरफ था और उसके बाद उन्होंने मेरी ब्रा को उतार दिया और अब वो अपने दोनों हाथों से मेरे बूब्स को मसलने और उनको ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे थे, जिसकी वजह से मेरे मुहं से उम्म्म्मम अहहहहहह की आवाज आने लगी और वो इतना जोश में इसलिए थे, क्योंकि दो दिन बाद आज हम सेक्स कर रहे थे।
सुनील : लाओ, अब तुम मुझे दूध पीने दो, तुम्हारे निप्पल बहुत मज़ेदार है और जब तुम गरम होती हो तब यह निप्पल कड़क हो जाते है तब यह और भी अच्छे लगते है।
अब में अपने दोनों घुटनों पर खड़ी हो गयी थी, जिससे मेरे दूध उनके मुहं तक पहुंच गये और अब वो मेरे निप्पल चूसने लगे, जिसकी वजह से में उम्म्म्म अहहह्ह्ह्ह करने लगी, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था कभी वो मेरे निप्पल को काटने लगते तो कभी जीभ से चाटने, जिससे मुझे बहुत आनंद मिल रहा था और अब मेरे हल्के भूरे रंग के निप्पल खड़े होने लगे थे। फिर करीब दस मिनट तक मेरे दोनों बूब्स को एक एक करके चूसने के बाद उन्होंने मुझे लेटा दिया और उसके बाद उन्होंने मेरी नाभि को किस किया। उसके बाद वो अपनी जीभ से चाटने भी लगे थे और में सिसकियाँ लेने लगी अहहहह उफफ्फ्फ्फ़ सुनील अहहह्ह्ह उस समय मेरी जांघे उनकी जांघों पर थी। फिर वो नाभि से नीचे मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगे और उसके बाद उन्होंने पेंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को चूम लिया अहहह ऊहहहह, फिर उन्होंने मेरी पेंटी को उतार दिया और उसके बाद मेरी गांड के नीचे हाथ लगाकर उन्होंने मुझे थोड़ा सा ऊपर उठाया और अब वो मेरी चूत को किस करने लगे। उसके बाद वो उसको चाटने भी लगे थे उफफफफ्फ़ अहह्ह्ह्ह सुनील तुम यह क्या कर रहे हो सुनील अहहह्ह्ह, क्योंकि पहले कभी भी उन्होंने ऐसा नहीं किया था। मुझे इस तरह से सिसकियाँ भरते देख वो और ज़ोर ज़ोर से चूत को भी चाटने लगे अहहह्ह्ह्ह अहहहहह और जीभ को भी अंदर डालने लगे थे। दोस्तों ये कहानी आप ahindisexstories डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

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अब में तो यह सब होने की वजह से बहुत गरम हो चुकी थी, जिससे मेरी चूत भी गीली हो गयी थी और अब उन्होंने अपना टावल निकाल लिया। तब मैंने देखा कि उनका लंड एकदम टाइट होकर खड़ा था और उनका टोपा बिल्कुल गुलाबी नजर आ रहा था, जिसको देखकर मेरा भी मन उसको चूसने का हुआ, लेकिन उन्होंने चूसने के लिए नहीं कहा और अब वो मेरे दोनों पैरों के बीच में बैठ गये। उसके बाद उन्होंने अपना गुलाबी रंग का टोपा मेरी चूत पर रख दिया और उसके बाद ऊपर से नीचे तक रगड़ने लगे और फिर मेरी चूत में डाल दिया। मेरे मुहं से आहहहह्ह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़ की आवाज निकल गई। अब वो मेरे ऊपर लेट गये और उसके बाद वो अपनी गाड़ी को चलाने लगे। पहले उन्होंने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर किया और वो मुझे किस करते गये। फिर वो उठे और बैठकर गाड़ी चलाने लगे। अब में अहहहह अहहह प्लीज सुनील उफ्फ्फ वो बहुत ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे थे।
दोस्तों वो उस समय शराब के नशे में थे, इसलिए उन्हे कुछ भी नहीं लग रहा था, लेकिन मुझे बीच बीच में थोड़ा सा दर्द हुआ और में कसकर उनके दोनों हाथों को पकड़े हुए थी और वो बस धक्के पे धक्के मारे जा रहे थे। में तो एकदम पागल हो गयी। फिर वो थोड़ा रूके, मुझे लगा हो गया होगा, लेकिन नहीं वो फिर से चालू हो गये और जम जमकर अपने लंड को डालने लगे अहहहहहहह सुनील धीरे धीरे प्लीज अहहह सुनील, मेरा रस आ चुका था, इसलिए फच फच की आवाज़े आने लगी थी, लेकिन यह अभी तक चालू थे इस तरह करीब 15 मिनट तक लगातार धक्के मारने के बाद इनका भी रस आ गया और वो मेरे ऊपर लेट गये। फिर मैंने उन्हे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया। उनका लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था, लेकिन मैंने महसूस किया कि वो धीरे धीरे छोटा हो रहा था।
फिर सुनील ने मुझे किस किया और पूछा क्यों मज़ा आया मेरी जान? मैंने कहा कि हाँ बहुत पीने के बाद तो तुम बहुत तेज़ गाड़ी चलते हो और फिर सुनील ने मेरी चूत से अपने लंड को बाहर निकाला तब एक आवाज़ आई पच्चह, क्योंकि दोनों के कामरस से वो थोड़ा सा चिपक गया था। फिर सुनील ने टावल से अपने लंड को साफ किया और उसके बाद वो दोबारा टावल पहनकर बैठ गये और अब वो पेग बनाने लगे। फिर में उठकर बाथरूम में चली गयी मैंने अपनी चूत को साफ किया और उसके बाद में वापस चली आई तो मैंने देखा कि अब सुनील पेग पी रहे थे। मैंने भी अब सिर्फ़ टावल पहना हुआ था वो भी सिर्फ़ नीचे चूत पर और मेरे बूब्स तो पूरे खुले ही थे। यह देखकर वो मुझसे बोले अरे वाह तुम्हारे बूब्स तो पहले से भी ज्यादा बड़े हो गये है।
में : हाँ तुमने इनको इतना बड़ा कर दिया है और हाँ यह ब्रा भी मुझे थोड़ी टाइट लग रही थी।
सुनील : चलो ठीक है में तुम्हे दूसरी लाकर दे दूँगा।
अब में जाकर सुनील की छाती पर अपना सर रखकर लेट गयी और मैंने अपने एक पैर को उनके पैरों के ऊपर रख दिया और में उनसे एकदम चिपककर लेट गयी। वो अब भी शराब पी रहे थे और अपने एक हाथ से वो मेरे बूब्स को भी दबा रहे थे। फिर थोड़ी देर बाद मैंने उठकर कुछ खाया और सुनील को भी खाने के लिए कहा, लेकिन उन्हे भूख नहीं थी, क्योंकि पहले से ही स्नेक्स वो बहुत सारे खा चुके थे और अब वो बहुत ही नशे में थे और उनकी आँखें बंद सी हो रही थी और उन्होंने उस पूरी बोतल को खत्म कर दिया था। मुझे उससे पहले नहीं पता था कि सुनील इतना पीता है, क्योंकि इससे पहले मैंने उसको पीते हुए कभी नहीं देखा था, सिर्फ़ उन्होंने मुझे बताया ही था, लेकिन आज पता चला कि पीने के बाद यह तो घोड़े की तरह मस्त मजेदार चुदाई भी करते है, लेकिन बहुत मज़ा आया। में तो बहुत जोश में आ गयी थी। जितना हम सेक्स करते जा रहे थे उतना ही मेरा जोश बढ़ता जा रहा था। मुझे और भी सेक्स करने की इच्छा होने लगी थी।
फिर एकदम सुनील की आवाज़ आई अरे एक सिगरेट तो जलाना मुझे मिल नहीं रही है वो कहाँ गयी और मैंने टेबल पर देखा वो वहां भी नहीं थी में उठी और सब साफ किया तब देखा कि सिगरेट का पेकेट नीचे गिरा हुआ था मैंने उनको एक सिगरेट दे दी और सुनील पीने लगा। तो में बाथरूम में चली गयी और तुरंत ही वापस भी आ गई तब मैंने देखा कि सुनील अब अपनी दोनों आंखे बंद करके बैठा हुआ है और सिगरेट भी जल रही थी मैंने वो सिगरेट उससे लेकर उसको बुझा दिया और उसके बाद में एक साइड में आकर लेट गयी और फिर मैंने उनकी छाती पर किस किया। फिर अचानक से मेरा हाथ उनके लंड पर लगा तो मैंने टावल हटाकर देखा वो थोड़ा सा कड़क हो रहा था मैंने हाथ में लेकर उसको में मसलने लगी। फिर करीब पांच दस मिनट तक में उनके लंड से खेलती रही और फिर मुझे उनका लंड चूसने का मन हुआ तो मैंने अपने गुलाबी होंठो को उनके गुलाबी टोपे पर रख दिया और में उसको चाटने लगी अहहह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ सुनील की आवाज़ आई मुझे बहुत अच्छा लगा।
में जोश में आकर और भी ज़ोर से पूरा लंड अपने मुहं में लेने लगी। फिर धीरे धीरे वो लंड थोड़ा बड़ा हो गया और उनके नीचे के आंड भी एकदम टाइट होने लगे थे, इसलिए मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था और उनके लंड से खेलते हुए मुझे अब बड़ा अच्छा लगने लगा था, क्योंकि अभी वो ज़्यादा होश में नहीं थे और मैंने जी भरकर उनके लंड को चूसा एकदम मैंने सुनील की तरह देखा। तो वो मुझे ही देख रहे थे, लेकिन वो उस समय नशे में थे और उसके बाद उन्होंने अपनी दोनों आँख बंद कर ली। में फिर से उनका लंड चूसने लगी उम्म्म्म अहह्ह्ह बहुत स्वादिष्ट मज़ेदार था और वो सिर्फ़ मेरे लिए ही बना था। वो अब एक बार फिर से टाइट हो गया और टोपा एकदम गुलाबी होकर चमकने लगा था। फिर तभी अचानक से उनका हाथ मेरे बूब्स पर आ गया और वो मेरे बूब्स को दबाने लगे। फिर मैंने देखा कि सुनील की दोनों आंखे अब भी बंद थी, लेकिन धीरे धीरे सुनील सिसकियाँ ले रहे थे और उसको भी मज़ा आ रहा था और अब लंड एकदम टाइट हो गया था।

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अब मैंने अपने टावल को उतार दिया और में उल्टा होकर उसके ऊपर बैठ गयी। मेरी पीठ उनकी छाती पर थी और अपनी गांड को में दबाने लगी थी। इतने में सुनील ने अपने लंड को एक हाथ से पकड़ा और मेरी गांड के छेद पर रख दिया और अब में धीरे धीरे नीचे बैठने लगी, जिसकी वजह से उनका लंड पूरा अंदर चला गया अहह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ स्सीईईइ हम दोनों ही करने लगे। अब सुनील एक बार फिर से अपने दोनों होठों से मेरे बूब्स को दबाने लगे थे और वो बड़ी ही बेहरहमी से मसल रहे थे, मुझे पता था क्योंकि वो नशे में थे, लेकिन मुझे अच्छा लग रहा था, लेकिन थोड़ा दर्द भी हो रहा था। अब में धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी थी अहहहह उफफफ्फ़ मुझे उसमे भी बड़ा मज़ा आ रहा था। उसके बाद सुनील ने मेरी कमर पर हाथ रखा और उन्होंने मुझे उठाया और कहा कि ऐसे ज़्यादा मज़ा नहीं आएगा, तुम डोगी स्टाइल में हो जाओ।
फिर में उनके कहते ही उस पोज़िशन में आ गई और सुनील अपने दोनों घुटनों के बल खड़े हो गए और उन्होंने अपने लंड को मेरी गांड पर रखकर एक धक्का देकर उसको अंदर डाल दिया। उनके उस एक ही जोरदार झटके में वो पूरा लंड अंदर चला गया, क्योंकि वो बहुत टाइट हो चुका था और उस दर्द की वजह से मेरे मुहं से वो आवाज़ निकल गयी अहहह्ह्ह्हह उफफ्फ्फ्फ़ आईईईईई और मेरी कमर को पकड़कर फिर इतनी तेज़ धक्का दिया और लंड को मेरी चूत में डाल दिया। इधर तो लंड और ज़्यादा टाइट पहले से ज्यादा बड़ा लग रहा थ अहहहहह आईईइ और सुनील बहुत तेज धक्के मारने लगा। उसके बाद मुझे मेरे बूब्स को पकड़कर उन्होंने उठा लिया। अब हम दोनों ही जोश में थे और उनका एक हाथ मेरे बूब्स पर था और दूसरा मेरी चूत पर था, जिससे वो मुझे अपनी तरफ से सहारा दे रहे थे और अपने लंड को वो मेरी गांड में डाल रहे थे।

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अब उनके होंठो पर मेरे होंठ थे, वाह मज़ा आ गया अहहह्ह्ह और उसके बाद वो अब मुझे धकाधक धकाधक धक्के देकर चोदने लगे थे, उनके हर एक धक्के से मेरा पूरा जिस्म हिल जाता और में आगे पीछे हो जाती, क्योंकि उनके धक्के देने की गति अब धीरे धीरे पहले से तेज होती जा रही थी, जिसका मतलब साफ था कि वो अब किसी भी वक्त झड़ सकते थे। दोस्तों यह चुदाई करने का तरीका उन्होंने एक इंग्लीश सेक्सी फिल्म में देखा था, लेकिन इस तरफ से चुदाई के मज़े लेने में दर्द भी बहुत था क्योंकि यह बिल्कुल ऐसा था जैसे कोई किसी का जबरदस्ती बलत्कार कर रहा हो, लेकिन मज़ा भी इसमे बड़ा था इस तरह की चुदाई को ही तो वाइल्ड सेक्स कहते है और वैसे भी कुछ पाने के लिए कुछ दर्द तो झेलना ही पड़ता है और थोड़ी देर में उन्होंने अपने लंड को बाहर निकालकर अपने लंड से अपने वीर्य को छोड़ दिया।
फिर हम दोनों उस चुदाई की वजह से बहुत थक चुके थे, इसलिए हम दोनों वैसे ही सो गये और इस तरह से तीन दिन तक लगातार उन्होंने मेरी बहुत जमकर चुदाई की और हर एक अलग अलग तरह से उन्होंने मुझे चोदा। फिर उसके अगले दिन हम दोनों एक साथ जाकर फ्रेश हुए जहाँ पर सुनील ने मेरी खड़ा करके गांड मारी और इस तरह से सेक्स का हम दोनों ने बहुत मज़ा लिया और उसका भरपूर फायदा उठाया। हर तरह से चुदाई के मज़े लिए और मैंने सुनील का वाइल्ड सेक्स देखा जो कि वो पीने के बाद करते है। तीन दिन सुनील ने शराब, कबाब और शबाब से बहुत मज़ा लिया और उन्होंने भी मुझे एक लड़की से औरत बना दिया और सेक्स का सही मतलब समझाया ।।

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बहन की प्यासी सहेली की चुदाई -Hindi Sex Stories

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हैल्लो दोस्तों, में और मेरी बहन सेक्स का मस्त आनंद लेते है और हम दोनों को जब भी कोई अच्छा मौका मिलता है, तो हम हमारा वो समय बिल्कुल भी खराब नहीं करते और हम दोनों कम से भी कम दिन में एक बार तो चुदाई जरुर करते है, चाहे वो मज़े दस मिनट के लिए ही क्यों ना हो, में अपनी बहन को उसके महीने की माहवारी के दिनों में भी चोदता, जिसकी वजह से उसकी चूत के खून से मेरा पूरा लंड लाल हो जाता था और हम दोनों दिनों दिन अब गंदे सेक्स करने लगे थे, कभी कभी वो मेरा लंड चूसते हुए मेरा मूत भी पी जाती और कभी में उसका पेशाब पी लिया करता हूँ, यह सब करने में हम दोनों को बहुत मस्त मज़ा आता। फिर जब भी हम अपने घर में अकेले होते, तो बस हमारा एक यही काम होता, जिसको हम करने लगते और एक बार चुदाई करते समय मेरी बहन ने मुझसे पूछा क्या तुझे कोई लड़की पसंद है? तो मैंने उसकी चूत में बड़ी तेज धक्का देते हुए कहा, हाँ मुझे बहुत सारी लड़कियाँ पसंद है, लेकिन एक लड़की मुझे बहुत ज्यादा अच्छी लगती है और वो सभी लड़कियों से बिल्कुल अलग हटकर है, वो मेरे मन की रानी है।
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अब उसने मेरे मुहं से यह बात सुनकर मुझसे उस लड़की का नाम पता पूछा और पूछने लगी कि वो लड़की कौन है? तब मैंने उससे कहा कि अगर मैंने उसका नाम तुम्हारे सामने बोल दिया, तो तुम जानकर मुझसे गुस्सा हो जाओगी, इसलिए में बताना उचित नहीं समझता, तुम रहने दो, तुम जानकर वैसे भी क्या करोगी? अब मेरी बहन ने मुझसे गुस्सा ना करने का वादा करके मुझसे उसका नाम दोबारा पूछा और कहा कि तुम मुझे उस लड़की का नाम बताओ, में तुमसे कुछ भी नहीं कहूंगी, वो लड़की कौन है, बात जानकर मुझे बहुत ख़ुशी होगी प्लीज बताओ ना? तो मैंने उसके इतना पूछने पर “कृष्णा” नाम बता दिया। अब मेरी बहन ने वो नाम सुनकर एकदम चकित होकर मुझसे पूछा, क्या वो मेरी दोस्त कृष्णा तुम्हें पसंद है? फिर मैंने कहा कि हाँ वो मुझे बहुत पसंद है और अब वो यह सभी बातें सुनकर एकदम चकित होकर बड़ी शांत हो गयी। अब उसको कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। फिर मैंने उससे कहा कि मेरा मन है कि में एक बार उसको भी चोदकर उसकी जवानी के मज़े ले लूँ और अब मैंने अपनी बहन से पूछा क्या तुम उसके साथ चुदाई करने में मेरी मदद कर सकती हो? तो वो हंसने लगी और कहा कि हाँ में कोशिश जरुर कर सकती हूँ। उसके बाद तुम्हारी किस्मत है। अब मैंने उसको तेज धक्का देकर कहा हाँ ठीक है, लेकिन तुम थोड़ा जल्दी करना, क्योंकि मुझे अब उसकी भी ऐसी चुदाई करनी है। फिर वो बोली कि हाँ ठीक है मुझे पहले उसको प्यार से समझाते हुए बात बड़ेगी में देखती हूँ कि वो क्या जवाब देती है? मैंने कहा कि हाँ ठीक है, अभी बात करले आज घर में वैसे भी कोई नहीं है। फिर उसने बोला तू एक बार मुझे अच्छी तरह जमकर चुदाई के मज़े दे पहले। उसके बाद फिर में उससे बात करती हूँ।

फिर मैंने उसके मुहं से यह बात सुनकर खुश होकर पूरी तरह जोश में आकर करीब आधे घंटे तक लगातार धक्के देकर चोदा और अपने वीर्य को उसकी चूत की गहराइयों में ही निकालकर कुछ देर थककर उसके साथ लिपटकर लेटे रहने के बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए और उसके बाद हम दोनों उस कमरे से बाहर निकलकर हॉल में चले गए। फिर मेरी बहन ने अपनी सहेली से फोन पर बात करना शुरू किया और तब मैंने फोन का लाउडस्पिकर चालू कर दिया और बातों ही बातों में मेरी बहन उससे खुलकर बातें करने लगी, वो बोली कि आजकल मेरा चुदाई करने का बहुत मन करता है और इसलिए मेरी चूत में किसी के लंड को लेने के नाम की बहुत खुजली होने लगी है। फिर कृष्णा ने कहा कि हाँ ऐसी ही खुजली तो उसको भी अब बहुत ज्यादा होने लगी है और वो भी किसी मस्त दमदार लंड से अपनी चूत की चुदाई करवाकर इसको शांत करना चाहती हूँ, में अपनी इस चूत से बड़ी परेशान हो चुकी हूँ ना जाने वो दिन कब आएगा? दोस्तों में उन दोनों की वो सभी बातें सुनते हुए खुश होकर हंसने लगा और मुझे खुश देखकर मेरी बहन भी हंसने लगी। फिर मेरी बहन ने उससे कहा कि अब हम कर भी क्या सकते है, हम कहीं बाहर जाकर अगर अपनी चुदाई भी तो किसी से नहीं करवा सकते, अगर किसी को पता चल गया था तो हमारी और हमारे घर वालों की इज़्ज़त इस काम की वजह से खराब हो जाएगी।
फिर यह बात सुनकर उसने भी झट से हाँ कह दिया, लेकिन अब वो और भी ज्यादा जोश भरी बातें करने लगी और उसी समय मेरी बहन ने कहा कि घर में सिर्फ़ एक भाई है, जिससे में अपनी चुदाई करवा सकती हूँ, लेकिन हमारे समाज में ऐसा नहीं चलता। अब यह बात सुनते ही में अपनी बहन के पास गया और मैंने उसको अपनी गोद में बैठाकर उसकी चूत पर में अपने हाथ को फेरने लगा। अब मेरे बहन की दोस्त ने कहा कि यार ये समाज भी बड़ी हरामी चीज़ है और यदि तू अपने भाई से अपनी चुदाई करवा भी लेती है, तो समाज को क्या और कैसे पता चलेगा यार? और फिर थोड़ा सा उदास स्वर में कहा कि तेरा तो फिर भी एक भाई है जिसके साथ तू अपनी चुदाई करवाने की बात सोच तो सकती है, लेकिन तू मेरे बारे में सोच में अपने घर में एकदम अकेली लड़की हूँ। फिर मेरी बहन ने उससे कहा हाँ फिर भी यार भाई को कैसे चुदाई के लिए तैयार करे? तो उसकी दोस्त ने कहा अगर मेरा तेरी तरह कोई भाई होता ना तो अभी तक तो में उससे अपनी चुदाई के मज़े भी ले चुकी होती, लेकिन अब क्या कर सकते है, क्योंकि मेरा तो कोई भाई है ही नहीं, तू कितनी किस्मत वाली है यार जो तेरे पास इतना अच्छा सुंदर गठीले गोरे बदन वाला बड़ा ही सेक्सी भाई है, तू मेरी इन बातों का बिल्कुल भी बुरा मत मानना, लेकिन में सच कहूँ तो तेरे भाई को देखकर ही मेरा उसके साथ चुदाई करवाने का मन होने लगता है।

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अब अपनी बहन की सहेली के मुहं से यह बात सुनते ही में एक बार फिर से हंसने लगा और अपनी गोद में बैठी बहन के बूब्स और उसकी चूत को मसलने सहलाने लगा। फिर उसी समय मेरी बहन ने उससे कहा कि अगर तेरा मन है तो तू अपनी किस्मत को आजमाकर देख ले, हो सकता है कि शायद मेरा भाई तुझे चोद दे, यह सब मेरे भाई के ऊपर है, लेकिन आगे होकर कोशिश तुझे ही करनी होगी। अब उसने खुश होकर कहा कि मज़ा आ जाएगा, अगर एक बार ऐसा हो गया तो में उसके साथ जमकर अपनी चुदाई के मज़े लेकर अपनी प्यासी चूत को शांत कर सकती हूँ। अब मेरी बहन ने उससे बोला तू अपनी किस्मत को आजमाकर देख ले ना, तुझे किसने मना किया है? तभी उसने कहा कि मुझे बड़ी शरम आती है। अब मेरी बहन ने उससे कहा एक तो तुझे अपनी चुदाई भी करवानी है और तुझे यह काम करते हुए शरम भी आती है वाह रे चल तू एक काम कर कल तू मेरे घर आ। फिर हम दोनों बैठकर अच्छी तरह इस विषय पर आगे बात करेंगे। फिर उसने कहा कि हाँ ठीक है में कल दोपहर के समय तेरे घर आ जाती हूँ और फिर उन दोनों ने फोन रख दिया और उन दोनों की वो बातें सुनकर में एकदम गरम हो गया। मैंने अपनी बहन को गोद में उठाकर बेड पर लेटा दिया और उसके बाद मैंने तुरंत ही उसकी पेंट और पेंटी दोनों को ही एक साथ उतारकर में उसकी चुदाई करने लगा और कुछ देर उसकी मस्त मज़ेदार चुदाई करने के बाद हम दोनों ने कल का विचार बनाना शुरू किया। फिर कुछ देर बाद दरवाजे पर लगी घंटी बज गयी, जिसकी वजह से हमारा उस समय प्लान नहीं बन सका और वो अधूरा ही रह गया, उसी रात को हम दोनों एक ही साथ सोए और दोबारा कल का प्लान बना रहे थे।

फिर मेरी बहन ने मुझसे कहा कि कल दोपहर को मम्मी के चले जाने के बाद मेरी वो दोस्त आ जाएगी, उस समय तू भी घर में ही रहना और वो आएगी तो में उससे इसी विषय के बारे में बात करूँगी और में उससे कहूंगी कि वो तुम्हें थोड़ा सा गरम करे और तुम भी उसको गरम करना, जिसकी वजह से वो गरम हो जाएगी और उसके थोड़ी देर के बाद में उससे कहूंगी कि मुझे एक जरूरी काम से बाहर जाना है और में उससे झूठ बोलकर कि में बस अभी दस मिनट में आती हूँ और में चली जाउंगी। उसके बाद तुम उसके साथ जो भी तुम्हें करना है कर लेना। दोस्तों मुझे अपनी बहन का यह प्लान बहुत अच्छा लगा। तभी मैंने उससे कहा कि में उस रूम में एक माईक लगा दूँगा, जिसकी वजह से तुम दोनों की सभी बातें में दूसरे कमरे में बड़े आराम से सुन लूँगा और मुझे पूरा सब कुछ पता हो जाएगा। फिर उसने कहा कि हाँ ठीक है। उसके बाद मैंने खुश होकर उसके बूब्स और चूत को चूसा और उसके बाद ना जाने कब में खुश होता हुआ सो गया। फिर दूसरे में सुबह से ही बड़ा खुश था और मुझे देखकर मेरी बहन के चेहरे पर भी ख़ुशी थी, दोपहर के समय मेरी बहन की वो सहेली आ गई, उसने घंटी बजाई और मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया। दोस्तों ये कहानी आप GandiKhaniya डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

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फिर हमने एक दूसरे को देखकर मुस्कुराकर एक दूसरे का स्वागत किया। उसके बाद उसने मुझसे मेरी बहन के बारे में पूछा कि वो कहाँ है? तो मैंने हंसते हुए उसको जवाब देखकर कहा कि वो अपने रूम में है, तब वो भी उसी रूम में जाने लगी। उस समय में पीछे से उसकी मटकती हुई गांड को घूरने लगा, जो दिखने में बड़ी ही आकर्षक आकार में बहुत बड़ी गोलमटोल थी। दोस्तों मैंने उस रूम में उसके आने से पहले ही एक माईक लगा दिया था और में पास वाले कमरे में बैठकर हेड फोन से उन दोनों की वो बातें सुनने लगा। अब मेरी बहन ने अपनी सहेली से कहा अगर तुझे मेरे भाई के साथ चुदाई के मज़े चाहिए तो तू यह काम कर ले, मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा और मुझे इस बात की ख़ुशी होगी कि तुझे कम से कम अपने मन की संतुष्टि अपनी चुदाई की इस खुजली वाली परेशानी से कम से कम मुक्ति तो मिलेगी। अब वो कहने लगी कि में यह सभी बातें उसको कैसे कहूँ, वो मेरे मन की बात को कैसे समझेगा, में ऐसा क्या करूं? तो मेरी बहन ने उससे कहा कि तू उसको थोड़ा सा अपने अंग का प्रदर्शन करके गरम कर उसको अपनी तरफ आकर्षित कर हो सकता है कि शायद वो गरम हो जाए और वो अपने आप को तेरी चुदाई करने से रोक ना सके, वो तुझे चोद जिसकी वजह से तुझे उसको कुछ बोलना ही नहीं पड़ेगा, बस तुझे उसके साथ दिखाने का थोड़ा सा नाटक ही करना पड़ेगा। अब उसने मेरी बहन से पूछा कि में कैसे उसको गरम करूं, मुझे तो वो सब भी करना नहीं आता? तो बहन ने उससे बोला कि जैसे तू उसके सामने अपनी चूत, गांड, बूब्स पर अपने हाथ रख उसके सामने अपने इस गोरे हॉट सेक्सी बदन का थोड़ा सा अंग प्रदर्शन कर, जिसकी वजह से वो अपने होश खोकर तेरी चुदाई का यह काम जरुर खत्म करे। दोस्तों में उन दोनों की यह बातें सुनकर बहुत गरम हो गया और फिर कुछ देर बाद मेरी बहन ने उससे कहा कि उसको किसी काम से नीचे जाना है और वो बस दस मिनट में ही वापस आ जाएगी और उससे कहा कि यह इतना अच्छा मौका उसको दोबारा नहीं मिलने वाला, क्योंकि अब तुम दोनों ही पूरे घर में अकेले हो और बात उससे कहने के बाद वो झट से उठकर खड़ी हो गयी।

फिर में अपने कमरे से बाहर निकलकर हॉल में आकर बैठ गया और कुछ देर बाद भी मेरी बहन की वो दोस्त अभी भी उसी रूम में बैठी थी। अब मेरी बहन कमरे से बाहर आई और उसने जाते हुए मुझे मेरे उस काम के लिए शुभकामनाएँ देने के बाद उसने मुझसे धीमे स्वर में कहा कि वो अपने दूसरे दोस्त के पास जा रही है, वो करीब दो घंटे के बाद वापस आ जाएगी और मुझसे यह बात बोलकर वो चली गयी। फिर मैंने उठकर दरवाजा अंदर से बंद किया और अब में बेड पर आकर बैठकर उसके बाहर आकर मुझे गरम करने के बारे में सोच ही रहा था कि उसी समय वो बाहर आ गई और उसने मेरे सामने मुझे दिखाते हुए अपनी गांड पर थोड़ा सा हाथ घुमाया और मेरी तरफ देखकर मुस्कुराई और फिर वो किचन में चली गयी। फिर जब वो किचन से बाहर आई तो मैंने देखा कि उसने अपनी चूत पर अपने एक हाथ को रखा हुआ था, वो अपनी चूत को मेरे सामने सहला रही थी और में अपनी आखें फाड़ फाड़कर उसकी चूत की तरफ देख रहा था। अब उसने मुझसे पूछा कि बाथरूम कहाँ है, उसको बड़ी ज़ोर से पेशाब आ रहा है और उसका वो हाथ तब तक भी चूत के ऊपर ही रखा हुआ था। फिर मैंने उसको अपने साथ ही बाथरूम तक लेकर गया और उसको बाथरूम बता दिया और वो झट से बाथरूम के अंदर चली गयी और जाते समय वो मेरी तरफ मुस्कुरा रही थी।

फिर दो मिनट के बाद वो बाहर आ गई। तब उसने जानबूझ कर मेरे सामने चाबी को नीचे गिरा दिया और फिर वो उस चाबी को उठाने के लिए मेरे सामने झुक गई, जिसकी वजह से मुझे उसकी गोरी उभरती हुई छाती साफ साफ नजर आने लगी थी और में बड़ा ही चकित होकर उसके बूब्स को घूर घूरकर देख रहा था। फिर वो सीधी होकर किचन में जा रही थी, उसी समय मैंने बिना देर किए उसको पीछे से पकड़कर बहुत ज़ोर से अपनी बाहों में भरकर पीछे गर्दन पर चूमना शुरू किया। फिर कुछ देर बाद उसको मैंने अपनी तरफ घुमाया और उसको पीछे ले जाते हुए सामने वाली दीवार के सहारे खड़ा करके में उसके होंठो पर चूमने लगा था और उसके होंठो को चूमने चाटने के साथ साथ में उसके बूब्स को भी दबा रहा था, ऐसा करने में मुझे बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था, क्योंकि उसके बूब्स आकार में बड़े होने के साथ साथ बहुत ही मुलायम था, वो ऐसा अहसास मज़ा था, जिसको में किसी भी शब्दों में लिखकर नहीं बता सकता। फिर कुछ देर यह सब करके उसको गरम करने के बाद में उसको अपनी गोद में उठाकर अपने रूम में लेकर मैंने उसको बेड पर लेटा दिया। फिर मैंने बिना देर किए तुरंत ही अपनी टी-शर्ट और पेंट को खोल दिया और उसके बाद में उसकी शर्ट को खोलने लगा, जैसे ही मैंने उसकी शर्ट को खोला मुझे नजर आया कि उसने एक बड़ी ही सेक्सी गुलाबी रंग की आकर्षक ब्रा पहनी हुई थी। मैंने उसकी ब्रा को भी तुंरत ही उतार दिया और उसके बाद उसकी जींस उसी के साथ पेंटी को भी खोलकर मैंने उसको पूरा नंगा कर दिया।

फिर मैंने उसके बाद अपनी अंडरवियर को भी खोल दिया, जैसे ही मैंने उसकी पेंटी को खोला तो उसके तुंरत ही नीचे बैठकर मेरे लंड को अपने हाथों में भरकर झट से पूरा का पूरा लंड अपने मुहं में ले लिया। उसके बाद वो पागलों की तरह मेरे लंड को चूसने लगी और उसके ऐसा करने की वजह से मुझे बहुत मस्त मज़ा आ रहा था और वो ख़ुशी से झूम उठी, वो किसी अनुभवी रंडी की तरह मेरा लंड चूसने में बहुत व्यस्त नजर आ रही थी और थोड़ी देर तक लंड को बड़े मज़े से चूसने लगी। अब तक में बहुत जोश में आकर पूरी तरह से गरम हो चुका था और अब मेरा झड़ने का समय पास आ चुका था और उसके चूसते हुए ही मैंने अपने लंड का सारा वीर्य उसके मुहं में छोड़ दिया, जिसको उसने अपनी जीभ से चाट चाटकर साफ कर दिया, वो बड़ी खुश नजर आ रही थी। अब में उसके ऊपर लेटकर उसके बूब्स को चूस रहा था और साथ ही उसकी चूत को भी अपने एक हाथ से छूकर सहला रहा था। फिर कुछ देर बूब्स को चूसने के बाद में अब उसकी नाभि को चाट रहा था, जो बड़ी गहरी गरम भी बहुत थी, यह काम करने में मुझे बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था और उसका जोश भी धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली को डालकर अंदर बाहर करने लगा और वो जोश में आकर आहह ऊफ्फ्फ्फ़ की आवाज़ करने लगी। फिर थोड़ी देर बाद उसने मुझसे बोला कि तुम अब अपना लंड इसके अंदर डाल दो और अब तुम मेरी चुदाई करो। फिर मैंने उसके मुहं से यह बात सुनकर खुश होकर तुरंत ही अलमारी से एक कंडोम निकाला और उसको अपने लंड पर लगाकर मैंने अब लंड को उसकी गीली कामुक चुदाई के लिए तरस रही चूत में अपने एक ही जोरदार धक्के के साथ पूरा अंदर डालकर मैंने अब उसको चोदना शुरू किया और मेरे हर एक धक्के से उसके मुहं से सिर्फ़ दर्द की वजह से आह्ह्ह्हह ऊउईईईईई माँ मर गई प्लीज धीरे करो, ऊउफ़्फ़्फ़ क्या तुम आज मुझे मार ही डालोगे, मुझे बड़ा तेज दर्द हो रहा है, अब बस भी करो बहुत हुआ आईईईइ माँ में मर गई, बचाओ मुझे की आवाज़ आ रही थी, लेकिन फिर भी मैंने उसके दर्द उन आवाजों की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया और में अपने काम में लगा रहा, उसको मैंने करीब आधे घंटे तक लगातार तेज गति के धक्के देकर चोदा।

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फिर उसके बाद जब में झड़कर शांत हुआ, तब जाकर मैंने उसकी चूत से अपने लंड को बाहर निकाला, जो धीरे धीरे छोटा होता चला गया और अब में उसके पास ही लेट गया और मैंने उससे पूछा क्यों मज़ा आ गया ना तुझे मेरे साथ अपनी चुदाई करवाने में? तो उसने भी हाँ कहा बोली मुझे अपनी इस पहली चुदाई इस सेक्स अनुभव में तुम्हारे साथ बड़ा मस्त मज़ा आया और मुझसे यह सभी बातें करने के बाद वो मेरे ऊपर लेटकर मुझे चूमने मेरी छाती को सहलाने लगी और कुछ देर बाद मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को अपनी चूत में डालकर वो खुद ही उछलने लगी, जब वो उछल रही थी, तब में उसके बूब्स को दबा रहा था। फिर मैंने कुछ देर बाद घड़ी की तरफ देखा तो अब मेरी मम्मी के वापस आने का समय होने वाला था, इसके बारे में मैंने उससे कहा, तब वो मेरे ऊपर से हटकर खड़ी हो गयी। फिर हम दोनों बाथरूम के तरफ गये और अपने को साफ करने लगे, लेकिन मुझे अब उसकी एक बार फिर से चुदाई करने का मन कर रहा था, इसलिए मैंने तुरंत ही उसको वहीं बाथरूम में लेटा दिया। उसके बाद उसके दोनों पैरों को पूरा खोलकर अपने लंड को चूत की गहराई में पहुंचाकर मैंने उसकी चुदाई करना शुरू किया और मैंने उसको बाथरूम में करीब बीस मिनट चुदाई के मज़े दिये। उसके बाद जब में झड़ने वाला था और तभी मैंने तुरंत ही अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकालकर अपने वीर्य को लंड को हाथ में लेकर मुठ मारते हुए पूरा नीचे फर्श पर निकाल दिया। फिर उसके बाद हम दोनों ने ठंडा होकर अपने अपने बदन को साफ किया और उसके बाद कपड़े पहन लिए और हम बाहर आ गए। उस समय मैंने उससे कहा कि अब उसको अपने घर चले जाना चाहिए, क्योंकि अब मेरी मम्मी आने वाली है, वो तुम्हें अकेले में मेरे साथ देखेगी तो उनको हम दोनों पर शक हो जाएगा।

फिर वो कहने लगी कि हाँ ठीक है और अब हम दोनों दरवाजे के पास खड़े हो गये और एक दूसरे को बाहों में भरकर हमने चूमना शुरू किया। उसके बाद मैंने उससे उसका मोबाईल नंबर माँगा। फिर उसने मुझे अपने फोन का नंबर तुरंत दे दिया और उसने भी मेरा फोन नंबर ले लिया और उसके बाद वो मुझसे बाय कहती हुई हंसकर अपने घर चली गयी। दोस्तों यह थी मेरी कहानी, लेकिन यह अभी अधूरी है, में बहुत जल्दी आप सभी को इसके आगे क्या क्या हुआ और हम तीनों ने मिलकर कैसे चुदाई की, वो मज़े लिए जरुर अपनी अगली कहानी इस कहानी के दूसरे हिस्से में बताऊंगा ।।

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जिंदगी का सबसे यादगार दिन -Hindi Sex Stories

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम कुसुम है। में कॉलेज में Ist ईयर में पढ़ती हूँ। मेरा फिगर 34-28-34 है और मेरे घर में मेरे मम्मी पापा और भैया है। मेरी उम्र 19 साल की है, रंग गोरा, चूची गोल है। मैंने पहले लिखा था कि कैसे कॉलेज टूर पर मेरी और हेमा की राजेश, संदीप और जितेन्द्र ने खूब चुदाई की। अब हम दोनों उन तीनों की बिना शादिशुदा वाईफ की तरह रह रही थी। अब हम दोनों उनसे पूरी तरह से खुल गयी थी और अब हम पूरी तरह से गंदी भाषा का उपयोग करते थे। उन तीनों ने पूरे टूर पर हम दोनों को नाम लेकर नहीं बुलाया था और वो गाली से ही बुलाते थे। अब हमें भी मज़ा आता था, अब हम टूर से वापस आ गये थे और अब हमारी कॉलेज में ही मुलाक़ते होती थी। अब जब भी उन तीनों में से किसी को मौका मिलता था, तो वो हमारी चुदाई कर लेते थे। अब जितेन्द्र भी हमारे ग्रूप में शामिल हो गया था, मुझे जितेन्द्र के साथ ही ज्यादा मज़ा आता था। अब एक बार हम पाँचो कैंटीन में बैठे थे, जब सर्दी बहुत थी।
राजेश : हरामजादियों तुम्हारी चूत मारे बहुत दिन हो गये है।
हेमा : कॉलेज में तो नाम लेकर बोला करो।
संदीप : रंडियों के नाम नहीं होते है।
में : हम तो तुम्हारी रंडिया है।
जितेन्द्र : कुसुम, जब तुम्हारी चूत में लंड होता है तो तब तो बड़ी बोलती है कि में रंडी हूँ, हरामजादी हूँ।
में : हाँ यार तब पता नहीं मुझे क्या हो जाता है? मेरा मन करता है कोई मुझे गालियां दे, मुझे मारे, मुझे सच में ही कुतिया बना दे।
जितेन्द्र : चलो आज तुम अपनी सेक्स की इच्छा बताओं।
हेमा : कोई खास नहीं, बस मेरी चूत चूसे और कुछ खास नहीं।
जितेन्द्र : तुम्हारी कुसुम?
में : यार वैसे तो कोई खास नहीं, लेकिन कभी–कभी में जब बहुत गर्म होती हूँ तो मेरी बड़ी इच्छा होती है कि 3-4 लंड मेरी खूब चुदाई करे, मुझको गालियाँ दे, जो में कहूँ उसका उल्टा करे, मुझे सेक्स में रुला दे।
हेमा : चाहे वो अंजान हो?
में : यार मुझे करना थोड़े ही है, में तो इच्छा बता रही हूँ।
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फिर हम बस ऐसे ही बातें करते रहे और वो तीनों हमें छेड़ते रहे और हम भी मज़े लेते रहे। फिर जितेन्द्र चला गया और हम भी क्लास में चले गये। फिर 3-4 दिन बीत गये और फिर जितेन्द्र की कॉल आई और बोला कि आज घर कोई नहीं है, तुम आ जाओ, तो मैंने कहा कि ठीक है में हेमा को लेकर आ जाऊंगी, तुम राजेश और संदीप को फोन कर दो। तो वो बोला कि नहीं आज तुम अकेली आओ और हाँ 2-3 घंटे के लिए घर पर बोलकर आना। फिर मैंने कहा कि क्या बात है? इरादा तो ठीक है ना। तो वो बोला कि 1 बजे में घर पर इंतजार करूँगा। तो तभी में ठीक 1 बजे अपनी स्कूटी से उसकी कोठी पर पहुँच गयी। फिर में अंदर चली गयी, उसकी कोठी बहुत बड़ी थी। फिर वो मुझे अपने बेडरूम में ले गया, उसका बेडरूम क्या था? इतना शानदार मैंने कभी सपने में भी नहीं देखा था, बहुत बड़ा बेड और चारो तरफ शीशे और बेड के बिल्कुल ऊपर गोल शीशा था।
फिर मैंने पूछा कि ये तुम्हारा बेडरूम है। तो वो बोला कि नहीं जान ये रंडीखाना है, इस बेड पर मेरे पापा से मेरी मम्मी चुदती है या मेरी गर्लफ्रेंड मुझसे और आज तुम्हारी बारी है। तो में मुस्कराने लगी और बोली कि ओके, आई एम रेडी जानू, आओं चले। तो तभी वो बोला कि अभी नहीं, अभी तुम्हारे लिए सर्प्राइज है। तो में चौक पड़ी क्या? तो उसने फोन मिलाया और बोला कि आ जाओ। तो में बोली कि कौन आ रहा है? तो वो बोला कि जान आज तुम्हारी इच्छा पूरी करनी है। फिर मैंने पूछा कि कौनसी इच्छा? तो वो बोला कि गाली वाली, तुम्हें रुलाने वाली। दोस्तों में डर गयी और बोली कि नहीं यार वो तो मैंने ऐसे ही कहा था। तभी वो बोला कि नहीं आज तो तुझे रंडी बना दूँगा। तभी इतने में डोरबेल बजी, तो उसने गेट खोला। अब 2 लड़के 32-33 साल के उसके साथ अंदर आ गये थे, उसने पहले ही उनको मेरी इच्छा के बारे में बता दिया था।
फिर वो बोला कि इनसे मिलो ये राज और दूसरा समीर है, वो दोनों लंबे और साँवले थे। फिर वो आते ही बोले कि तो ये है वो हरामजादी, ये तो बड़ी नाज़ुक सी है। तभी जितेन्द्र बोला कि ये बहुत दमदार है, ये हम तीनों दोस्तों की बीवी है, आज ये पांचाली बन जाएगी। तभी में बोली कि जितेन्द्र नहीं, में ऐसी लड़की नहीं हूँ, प्लीज मुझे जाने दो, में फिर आ जाऊंगी। तो तभी जितेन्द्र बोला कि इस कमरे से कोई भी लड़की चुदे बिना बाहर नहीं जा सकती है।
फिर में बोली कि लेकिन में इन्हें नहीं जानती यार नो-नो। फिर समीर ने चैन खोलकर अपना लंड बाहर निकाला और बोला कि रंडी इससे जान पहचान रखती है, उसका लंड 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा होगा। फिर जितेन्द्र बोला कि साली कुत्तियाँ नखरे करती है, टूर पर तो बड़े मज़े ले रही थी। फिर राज ने मुझे पकड़ा और किस करने लगा और मेरा मुँह खोलकर मेरी जीभ चूसने लगा। अब जितेन्द्र भी पीछे से मुझसे चिपक गया था और पीछे से मेरी चूची दबाने लगा था। अब समीर मेरी जांघे सहला रहा था। फिर राज ने मुझे छोड़ा और मेरी टी-शर्ट उतारने लगा। अब समीर मेरी जींस उतार रहा था। अब में पिंक ब्रा और रेड पेंटी में थी। अब जितेन्द्र ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया था। अब मेरी गोल मटोल चूचीयां नंगी हो गयी थी। तभी राज के मुँह से वाऊ निकला और उसने अपने लिप्स मेरी चूची पर रख दिए और जितेन्द्र ने मेरा दूसरा निप्पल अपने लिप्स में दबा लिया। मेरे मुँह से सिसकी निकली आआअ क्या कर रहे हो? अब समीर ने मेरी पेंटी उतार दी थी और मेरी चूत को अपने हाथों से मसलने लगा था। अब में एयाया, उूउउ कर रही थी।
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फिर जितेन्द्र ने मुझे गोदी में उठाया और बेड पर पटक दिया। अब वो तीनों बेड पर चढ़ गये थे। फिर समीर ने मेरे बाल पकड़कर मुझे घुटनों के बल बैठा दिया। अब जितेन्द्र और समीर के लंड मेरी आँखों के सामने थे। अब में चुपचाप देख रही थी। फिर समीर अपना लंड हिलाते हुए बोला कि हरामजादी, साली, कुतिया इनको क्या तेरी माँ आकर चूसेगी? तो मैंने कहा कि माँ की गाली मत दो। तो तभी जितेन्द्र बोला कि इसकी चूत में जब लंड जाता है तो तब इसकी चाहे माँ चोद लेना, ये खुद ही बोलेगी, ये पहले ऐसे ही बोलती है। अब में उनके लंड पर किस करने लग गयी थी। फिर मैंने अपना मुँह खोला और समीर का लंड अपने मुँह में ले लिया और जितेन्द्र का लंड अपने एक हाथ में पकड़कर हिला रही थी। तभी इतने में मेरी गांड पर एक ज़ोर का थप्पड़ पड़ा, तो तभी मेरे मुँह से उउई माँ निकला। तभी राज बोला कि बहनचोद अपनी टांगे खोल। फिर मैंने अपनी दोनों टांगे खोल दी, तो राज ने अपने होंठ मेरी चूत पर रख दिए और चूसने लगा। दोस्तों ये कहानी आप GandiKhaniya डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
अब मेरी चूत में चीटियाँ रेंगने लगी थी, अब वो कभी मेरी चूत की फाँको को अपने दातों से काटने लगता, तो मेरे मुँह से आआआअ और खा जाओ, बहुत तंग करती है ये निकलता। अब समीर मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह में धक्के दे रहा था। अब जितेन्द्र ने अपना लंड मेरे हाथों में दे रखा था और अपने हाथों से मेरी चूचीयाँ मसल रहा था। अब मेरा हाल बुरा था, अब मेरे अंदर आग लगी हुई थी। फिर जितेन्द्र बोला कि हरामजादी अपने आपको शीशे में देख, कितनी मस्त लग रही है? तो मैंने देखा तो में सही में सेक्स की भूखी लड़की लग रही थी। तभी राज बोला कि रंडी के सामने लंड होता है तो वो मस्त हो जाती है, इस कुत्तिया के सामने तो 3 लंड है। अब वो तीनों मुझे चूस रहे थे और गालियाँ दे रहे थे। अब मेरी चूत झड़ चुकी थी, अब में बेकाबू हो गयी थी।
फिर में उनसे बोली कि यार अब कर भी लो। तभी जितेन्द्र बोला कि साली को लंड चाहिए, बोल साली क्या चाहिए? अब में बहुत गर्म हो गयी थी। फिर में बोली कि लंड चाहिए। फिर जितेन्द्र बेड पर लेट गया, अब उसका 10 इंच का काला मोटा लंड छत की तरफ तना हुआ था। फिर समीर और राज ने मुझे उठाया और उसके लंड पर बैठा दिया, मेरी चूत गीली थी। फिर समीर बोला कि राज ये रंडी एक बार में पूरा लंड अपनी चूत में ले लेगी, बोल हरामजादी। अब में जोश में थी तो में बोली कि हाँ। तभी उन्होंने मेरे कंधे सख्ती से पकड़े और बोले कि रेडी। तभी में बोली कि हाँ, तो उन दोनों ने मेरी कमर ज़ोर से नीचे दबाई और नीचे से जितेन्द्र ने अपने चूतड़ ऊपर उछाले तो उसका पूरा लंड मेरी चूत में फंस गया। तभी मेरे मुँह से ज़ोर की चीख निकली आईईईईइ माँ, आआआआआआआ बचाओ, उउईईई में मर गइईईईई माँ, आआआ। अब वो दोनों ताली बजाने लगे थे और बोले कि वाह ये तो पूरा ले गयी, ये तो पूरी रंडी है। अब मेरी आँखों में आँसू आ गये थे।
फिर जितेन्द्र बोला कि देख तेरी इच्छा पूरी हुई ना, सेक्स में रुला दिया ना। अब राज मेरी चूची पर काट रहा था और समीर मेरे गालों पर अपना लंड घुमा रहा था। अब मुझे थोड़ा आराम आने लगा था। अब में धीरे-धीरे ऊपर नीचे होने लगी थी। अब मेरे मुँह से आअ, आह, उहहहहह निकल रहा था। अब समीर ने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया था और जितेन्द्र ने मुझे अपने ऊपर गिरा लिया था। अब मेरी चूची उसकी छाती से चिपक गयी थी। अब में समझ गयी थी कि ये मेरी गांड में अपना लंड डालेंगे। तभी में बोली कि नहीं गांड में नहीं और अब में उठने लगी थी। तो तभी जितेन्द्र ने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया। फिर राज ने मेरे चूतड़ अलग किए और मेरी गांड के छेद पर अपना लंड लगाया, तो में ना-ना करती रही।
फिर उसने कसकर एक धक्का मारा तो उसका आधा लंड मेरी गांड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। तो तभी में चीखी ओह माँ, आआअ तेरी बेटी मररर गईईईईई, हाईई प्लीज निकाल लो, लेकिन अब मेरी कौन सुनता? अब उसने एक और धक्के में अपना लंड अंदर जड़ तक पहुँचा दिया था। तभी में बोली कि आज बच्ची को मारोगे क्या? तो तभी समीर बोला कि बहन की लोड़ी 2-2 लंड खा गयी, तू कहाँ से बच्ची है? और अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया। अब मेरे तीनों छेदों में लंड था, अब मेरे चूतड़ों पर बीच- बीच में जितेन्द्र और राज थप्पड़ मारते और समीर मेरे बाल पकड़कर मेरे गले तक अपना लंड डाल देता था। फिर समीर ने अपने दोनों हाथों से मेरा सिर पकड़ा और मेरे मुँह में झड़ने लगा तो मैंने बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरे गाल पर थप्पड़ मारा और बोला कि रंडी पी इसे, तो में उसका पूरा रस पी गयी। अब मेरा गाल लाल हो गया था। अब वो मेरी गांड में और चूत में कस-कसकर चोद रहे थे। अब में 2 बार झड़ चुकी थी, लेकिन वो दोनों पता नहीं क्या खाकर आए थे? अभी तक लगे हुए थे।
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अब में फिर से झड़ने के करीब थी तो तभी में बोली कि ज़ोर-ज़ोर से करो ना और अब में सामने शीशे में खुद को देख रही थी। अब मेरे मुँह से एम्म, आआआअ, ज़ोर से, ज़ोर से चोदो निकल रहा था। तो तभी जितेन्द्र बोला कि एक बार वैसे ही बोल जैसे जयपुर में बोली थी बोल कुतिया। फिर में मस्ती में चीखने लगी कि इस रंडी की चूत फाड़ दो, अपनी हरामजादी को इतना चोदो कि बार-बार तुम्हारे लंड की हरामजादी बने, अपनी कुत्तिया की चूत पर कोई तरस मत खाओ, ये मुझे बहुत तंग करती है, इस मादरचोद रंडी को अपने बच्चे की कुँवारी माँ बना दो, जोर-जोर से चोदो, ज़ोर-ज़ोर से चोदो। अब वो अपनी पूरी स्पीड से लगे हुए थे और में अपने आपको गालियाँ दे रही थी, हाँ में हरामजादी हूँ। अब वो दोनों मेरे चूतडों पर थप्पड़ मार थे। अब में झड़ चुकी थी, तो तभी समीर ने अपना लंड बाहर निकाला और मुझे जितेन्द्र के ऊपर से खड़ा कर दिया और फिर मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरे ऊपर अपना वीर्य मेरे मुँह पर, बालों पर गिरा दिया।
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फिर समीर बोला कि मुझको इतना मज़ा पहली बार आया है, मज़ा आ गया। तभी जितेन्द्र बोला कि अभी और भी मजा आएगा। फिर में उठी और बोली कि में नहाकर आती हूँ। तभी जितेन्द्र ने मुझे गोदी में लिया और बाथरूम में बाथ टब में बैठा दिया और बोला कि दोस्तों इस रंडी को अपने पेशाब से नहलाओ। तो में चौक गयी और बोली कि ये क्या है? जितेन्द्र में सचमुच की रंडी नहीं हूँ, लेकिन अब वो तीनों मेरे आस पास खड़े हो गये थे और मुझ पर पेशाब करने लगे थे, उनका पेशाब नमकीन सा था। फिर उन तीनों ने पेशाब करके अपने लंड मुझे चुसाए और साफ करवाए और नहलाकर वापस लाए और फिर शाम के 6 बजे तक मुझे बदल-बदलकर चोदते रहे। फिर में अनगिनत बार झड़ी और फिर वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे यादगार दिन बन गया ।।

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