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Saturday 17 March 2018

चाची को चाचा के सामने चोदा-1


Chachi Ko Choda Chacha Ke Samne- Part 1

दोस्तो, मेरा नाम रुद्र ठाकुर है, और मैं भोपाल में रहता हूँ। मैं अपने आप को बहुत बड़ा इनसेस्ट आदमी समझता हूँ। इनसेस्ट वो इंसान होता है जो अपने ही घर की औरतों के साथ सेक्स करता है। मैंने भी अपने ही घर की बहुत सी औरतों से सेक्स किया है, मगर मैं शुरू से ऐसा नहीं था, पहले तो मैं बहुत ही शर्मिला सा लड़का था, मगर जो किस्मत में लिखा होता है, वो तो होता ही है, और ऐसे ही एक बार एक ऐसी घटना घटी जिसने मेरे जीवन की दिशा ही बदल दी। मगर ये सब कैसे हुआ, कब हुआ, आज मैं आपको उसकी ही बात बताने जा रहा हूँ।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं अपने परिवार के साथ में भोपाल में रहता हूँ, घर माँ पिताजी, बड़ी बहन और मैं हम चार ही लोग है। कुछ ही दूरी पर हमारा चाचा जी का घर है, चाचा फौज में हैं। घर में चाची और उनके बच्चे ही रहते हैं। उनका घर पास होने की वजह से हमारा हर वक़्त का उनके घर आना जाना है। हमें कभी यह पता नहीं चला कि हमारे और चाचा के घर में क्या फर्क है, बस यही लगता था कि हमारे दो घर हैं।
जब तक मैं छोटा था, बच्चा था, मैंने न तो कभी इन बातों पे ध्यान दिया, और न कभी मुझे ऐसा कुछ नज़र आया, क्योंकि चाची को भी मैं अपनी माँ ही समझता था, बस कहता चाची था।
मगर ज्यों ज्यों मैं बड़ा होता गया, मुझे कुछ कुछ समझ आने लगा कि मेरी चाची जो है वो कोई ठीक औरत नहीं है, तब मैं 12वीं क्लास में था, जब मुझे पहली बार यह पता चला।

माँ पिताजी को बता रही थी कि अंजलि का बाहर कहीं चक्कर चल रहा था। अंजलि मेरी चाची का नाम है। मुझे बड़ा अजीब लगा कि यार चाचा इतने हैंडसम आदमी है, इतनी अच्छी सेहत है, शक्ल से ही हट्टे कट्टे मर्द लगते हैं तो चाची को बाहर किसी और की तरफ देखने की क्या ज़रूरत है। मुझे ये बात तब समझ नहीं आई थी।
मगर ये जो नाजायज रिश्ते होते हैं न, कभी छुपते नहीं हैं।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
एक बार चाची छुट्टी पर घर आए हुये थे, एक मिलिट्री ऑपरेशन में उनकी टांग ज़ख्मी हो गई थी, तो इलाज के बाद उनको आराम करने के लिए 2 महीने की छुट्टी पर भेज दिया गया। इसी दौरान एक दिन चाची के चक्कर का चाचा को भी पता चल गया, दोनों में बहुत झगड़ा हुआ, चाचा उठ नहीं सकते थे, वरना उस दिन चाची की खूब पिटाई हो जाती।
मैं कुदरती उस वक़्त उनके घर गया, तो अंदर से शोर सुन कर मैं बाहर ही रुक गया। अंदर चाचा के चीखने की और चाची के रोने की आवाज़ आ रही थी।
मैं रुक गया और सुनने लगा कि आखिर झगड़ा किस बात पर हो रहा है।
चाचा बोले- तो अब तुम्हें इतनी आग लग रही है कि अगर मैं घर में नहीं हूँ, तो तू किसी और के नीचे लेट जाएगी, मादरचोद, मेरे से पेट नहीं भरता तेरा?
चाची भी रोते रोते बोली- आप चार दिन के लिए आते हो, और फिर सारा साल मुझे अकेली को मरना पड़ता है, आप क्या जानो, अकेले रहने की तकलीफ क्या होती है।
चाचा गरजे- क्यों, मैं वहाँ अकेला नहीं रहता क्या?
चाची फिर बोली- आपके साथ तो बहुत से आपके साथी होंगे, मेरे पास कौन है जिस से मैं अपने दिल की बात करूँ, मेरा भी दिल है, मेरे भी अरमान हैं।
चाचा फिर बोले- तो इसका मतलब ये कि अगर पति घर में नहीं है तो किसी और से यारी कर लो, किस और से अपनी माँ चुदवा लो। हैं? हरामजादी, कितने समय से उसका लंड खा रही है, कुतिया, बता मुझे।

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मैंने देखा चाची भी पूरी बेशर्मी पर उतरी हुई थी, बोली- एक साल हो गया।
चाचा कुछ चुप से हो गए, बोले- शादी करेगा तुझसे?
चाची बोली- नहीं, वो शादीशुदा है, बाल बच्चेदार है।
चाचा फिर भड़के- तो हवस का नंगा नाच खेलने के लिए वो तुम्हारा इस्तेमाल कर रहा है, समझ में नहीं आता, क्या करूँ, दिल तो कर रहा है कि तुम्हें गोली मार दूँ।
चाची डर गई और जा कर चाचा के पाँव में पड़ गई- नहीं, मुझे माफ कर दो, मैं बहक गई थी, अपनी मजबूरी के हाथों विवश हो कर मैंने ऐसा काम किया.
और चाची रोने लगी।
चाची अब चाचा के पास थी तो चाचा ने उसके बाल पकड़ लिए और उसके मुँह पर तड़ातड़ कई चांटे मारे और बालों से पकड़ कर उसकी चोटी खींच दी, मुझे भी बाहर से ये सब देखते हुये डर सा लगा कहीं चाचा चाची को मार ही न दें, तो मैं भी आगे को बढ़ कर उनके सामने हो गया।
चाचा ने मुझे देखा और रोआब से पूछा- तू यहाँ कब आया?
मैंने चाचा से डरते डरते कहा- जी थोड़ी देर हुई।
तो चाचा ने चाची से कहा- ले देख ले, अब तेरी काली करतूत का बच्चों को भी पता चल गया, छिनाल, अब बोल क्या कहती है?
और चाचा की जो टांग ठीक थी, वही उन्होंने चाची को दे मारी और चाची दर्द से बिलबिला उठी, मैंने जा कर चाची को संभाला। चाची को शायद मैं ही उनके दर्द का सहारा मिला तो वो मुझसे ही लिपट कर रोने लगी। बेशक चाची मुझसे लिपटी थी, मगर उनके नर्म और बड़े बड़े मम्में जो मेरे कंधे से सटे थे मुझे बड़ा आनन्द दे रहे थे। बेशक वो मेरी चाची थी, और मैंने कभी उन्हें पहले गंदी नज़र से न कभी देखा, न छुआ था, मगर आज तो वो मुझसे लिपटी पड़ी थी।
मैं भी 18 साल का जवान हो गया था और अब मेरी सेक्स के प्रति चाहत बढ़ रही थी। मगर चाची का मुझसे यूं लिपट कर रोना तो मुझे इतना अच्छा लगा कि उसने तो मेरी चाची के प्रति सारी सोच ही बदल दी।
चाचा ने गुस्से से कहा- जानता है रुद्र, ये तेरी चाची, किसी और से अपनी माँ चुदवा रही है।
चाची भी एकदम से पलटी- चुप रहो, बच्चों को इन सब बातों में मत लाओ।
चाचा चीखे- क्यों न लाऊं, अब बच्चे बड़े हो गए हैं, उन्हें भी तो सब पता चले कि उनके घर वाले क्या कर रहे हैं। कुत्ती, छिनाल, अपने यार से भी ऐसे ही लिपटी होगी।
चाची ने एकदम से मुझे छोड़ा, और चाचा पर गरजी- हाँ लिपटी हूँ, और इससे भी ज़्यादा लिपटी हूँ, और आगे भी लिपटूँगी, कर ले जो तुझसे होता है, जा मर जा कहीं जा कर, अब मैंने भी सोच लिया, जो करना है, खुल कर करूंगी, तेरे सामने करूंगी, तेरे से जो उखाड़ होता है, उखाड़ ले।
चाची का ये रूप देख कर मैं और चाचा दोनों सहम गए।
अब चाचा को भी समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करें, मेरी तो क्या समझ में आना था। फिर चाचा जो पहले गरज रहे थे, थोड़ा धीमे स्वर में बोले- सुन अंजलि, ऐसा नहीं हो सकता कि तू घर के बाहर मेरी इज्ज़त को मिट्टी में मत मिला।
उनका नर्म सा स्वर सुन कर चाची भी नर्म पड़ गई और जाकर उनका घुटना पकड़ कर बैठ गई- मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ, आपको कभी धोखा नहीं देना चाहती थी, पता नहीं क्यों मेरे भाग फूटे कि मैं उसकी चिकनी चुपड़ी बातों में आ गई।
चाची रोने लगी तो चाचा उसका सर सहलाने लगे, फिर बोले- तू ऐसा कुछ क्यों नहीं करती के जिस से घर से बाहर न जाना पड़े तुम्हें।
चाची बोली- ऐसा क्या है, जिस से मैं घर से बाहर न जाऊँ?
चाचा बोले तो कुछ नहीं पर उन्होंने मेरी तरफ देखा, उनके देखने का अर्थ तो मैं नहीं समझा, मगर मेरे दिमाग में जैसे एक खतरे की घंटी बजी हो।

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चाची ने पहले चाचा की ओर देखा और फिर मेरी ओर, फिर बड़ी हैरानी से बोली- रुद्र?!? आप पागल तो नहीं हो गए हो?
चाचा बोले- नहीं, मैं पागल नहीं हूँ, अब अपना रुद्र भी जवान हो गया है, ये तुम्हारा अच्छे से ख्याल रखेगा।
फिर मुझसे बोले- क्यों रुद्र, अपनी चाची का ख्याल रखेगा न?
मैं क्या कहता बस हल्के से सर हिला दिया।
चाचा बोले- चल जा घर जा, कल मैं जब बुलाऊँ तब आना।
मैं चुपचाप अपने घर आ गया.
उस दिन मैंने पहली बार चाची को सोच कर अपना लंड हिलाया, मैं बार उस नर्म एहसास को महसूस कर रहा था, जब चाची का मोटा मम्मा मेरे कंधे को छू रहा था। मैं सोच रहा था कि अगर मुझे चाची की चुत चुदाई करनी पड़ी तो मैं कैसे चोदूँगा, बाथरूम में खड़ा मैं कई तरह से अपनी कमर हिला हिला कर प्रेक्टिस करता रहा।
अभी तक मैंने चूत चोदनी तो क्या, देखी तक नहीं थी कि होती कैसी है।
अगले दिन दोपहर बाद चाचा का फोन आया कि रुद्र इधर आ।
मैं अपने बाल मन में सैकड़ों अरमान लिए चाचा के घर जा पहुंचा। चाचा ने मुझे अपने पास बैठाया, इतने में चाची चाय लेकर आ गई, उसने बहुत सुंदर साड़ी पहनी थी, पूरा मेक अप किया था। खूबसूरत लग रही थी। गहरे हरे रंग की साड़ी, सफ़ेद ब्लाउज़, ब्रा में कसे हुए उसके मम्मे, और थोड़ा सा बाहर झाँकता उसका क्लीवेज, जिसमें उसके गले की चेन का पेंडेंट फंसा हुआ था।
चाय पीते पीते चाचा बोले- रुद्र, कल जो हमारा झगड़ा हुआ, वो तुमने सुना, तुम्हें पता लग ही गया होगा के तुम्हारी चाची का किसी और मर्द से चक्कर है। मगर मैं चाहता हूँ कि हमारे घर की कोई भी औरत बाहर ना जाए, अगर उसको ज़रूरत है, तो अपने घर में ही ढूँढे, बाहर किसी का क्या पता, कौन है कौन नहीं, अपने का ये है कि घर की बात घर में ही रह जाएगी, काम भी बन जाएगा, और किसी को पता भी नहीं चलेगा, और बदनामी भी नहीं होगी।
मैंने चुपचाप चाचा की बातें सुनता रहा।
वो आगे बोले- कल तुम्हारे जाने के बाद हमने इस विषय पर बहुत सोचा, और फिर ये तय किया कि इस काम के लिए तुम सबसे सही बंदे हो। बोलो, अपनी चाची को संतुष्ट कर पाओगे?
अब मेरे पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं थी, तो मैं हकलाते हुये चाचा से कहा- चाचाजी मैं… मैं… चाची से कैसे…?
वो बोले- कल मैंने देखा था, जब वो तुमसे लिपटी हूई थी तो तब तो बड़े मज़े से उसके साथ तू भी चिपका पड़ा था, भोंसड़ी के अब मेरे सामने ड्रामें करता है।

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मैंने समझ लिया के चाचा ने मेरी चोरी पकड़ ली थी, अब किसी भी ड्रामे की कोई गुंजाइश नहीं थी, मगर शर्म अभी भी बाकी थी।
चाचा बोले- अंजलि से मैंने बात कर ली है, और वो तुमसे संबंध बनाने को मान गई है, अब तुम्हारी भी मंजूरी चाहिए, बोलो, करोगे अपनी चाची के साथ?
मैंने सोचा, अब अगर चुप रहा तो कहीं ये मौका मेरे हाथ से न चला जाए, सो मैंने हल्के से सर हिला कर हाँ कर दी।
मगर मुझे शरमाता देख चाची ने मेरे सर को सहला दिया और बोली- ये तो बहुत शरमाता है।
चाचा बोले- रुद्र सुन, पहले कभी किया है?
मैंने ना में सर हिलाया।
तो चाचा बोले- अबे चूतिये, अब तक क्या हाथ से हिला हिला कर ही जी रहा है।
चाची ने चाचा को मीठी झिड़की थी- चलिये न आप भी, एक तो वो पहले से नर्वस है, दूसरा आप उसे और डरा रहे हो।
फिर चाची मुझसे बोली- देखो रुद्र, एक न एक दिन तुमको ये सब करना ही है, इस लिए डरो मत, शर्माओ मत, मैं और तुम्हारे चाचा है, हम तुम सब सिखाएँगे, ठीक है.
मैंने हाँ में सर हिला दिया मगर अंदर से मेरी फटी पड़ी थी कि पता नहीं कुछ हो भी पाएगा मुझसे या नहीं।
फिर चाचा बोले- तो चलो फिर शुरू करो, मैं भी देखूंगा.
मैं तो वैसे ही बैठा रहा, मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूँ।
पर चाची उठ कर आई, और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बिस्तर पर ले गई, चाचा भी सामने ही सोफ़े पर अधलेटे से बैठे थे, एक टांग पर प्लास्टर और वो टांग उन्होंने सामने मेज़ पर रख रखी थी। मैं और चाची बेड पर थे, हम दोनों ने अपनी टाँगें नीचे लटका रखी थी।
चाची ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी जांघ पर रख लिया, साड़ी के अंदर से भी मुझे उनकी गुदाज़ जांघ का एहसास हुआ, मेरे चेहरे पर अपना हाथ फिरा कर बोली- इतना डर क्यों रहे हो?
बड़ी मुश्किल से मैं बोल पाया- नहीं चाची।
वो बोली- अब मैं तुम्हारी चाची नहीं हूँ, मुझे मेरे नाम से पुकारो, अंजलि कहो।
मैंने थोड़ा सा हिचकिचाते हुये कहा- अंजलि।
सच में बड़ा अच्छा लगा मन को।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
चाची उठ खड़ी हुई और बिल्कुल मेरे सामने उन्होंने अपने कंधे से अपनी साड़ी का आँचल उतारा और नीचे फर्श पर गिरा दिया।
आज पहली बार चाची को ब्लाउज़ में देखा था, सफ़ेद ब्लाउज़ में उनके उठे हुये चूचे बहुत मस्त लग रहे थे।
देखते देखते चाची ने अपनी साड़ी खोल दी, सिर्फ एक सफ़ेद ब्लाउज़ और हरे रंग के पेटीकोट में वो मेरे सामने खड़ी थी। पेटीकोट का नाड़ा अपने पेट पर सामने बांध रखा था।
चाची ब्लाउज़ पेटीकोट में चल कर मेरे पास आई, उनके मम्में बिल्कुल मेरे चेहरे के सामने थे, दो बड़े ही उन्नत, भरपूर, मोटे, गोरे और नर्म मम्मे, जो मेरे मन में हलचल मचा रहे थे।
मैं मन ही मन सोच रहा था, क्या आज मुझे इन मम्मों से खेलने का मौका मिलेगा।
चाची ने मेरा चेहरा ऊपर उठाया और अपने सीने से लगा लिया। चाची के दोनों मम्में अब मेरी गाल और मेरे चेहरे पर दबा कर लगे हुये थे, मुझे तो जन्नत का नज़ारा आ रहा था। मैंने भी चाची की कमर पर अपनी बाहें कस दी।
चाची ने मेरा मुँह सीधा किया तो मैंने ब्लाउज़ के ऊपर से ही चाची के मम्मे पर किस किया, चाची मुस्कुरा उठी और बोली- पिएगा लल्ला?
मैंने भी हां में सर हिलाया।
चाची थोड़ा सा पीछे को हटी और अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी, अपने ब्लाउज़ के हुक खोल कर उसने अपना ब्लाउज़ सारा ही उतार दिया।
वाह… क्या मस्त लग रही थी चाची सफ़ेद ब्रा और पेटीकोट में… मेरी तो आँखें चौंधिया गई, उसकी सेक्सी फिगर देख कर।
चाची ने अपनी भवें उचका कर पूछा- कैसा लगा?
मैंने भी बड़ी सारी स्माइल दे कर कहा- मस्त, चाची आप तो कोई अप्सरा हो।
उधर से चाचाजी बोले- और आज से ये तेरे ही दरबार में नाचेगी, अगर तूने इसकी तसल्ली करवा दी तो।
मैं चुपचाप बैठा आगे होने वाली घटना का इंतज़ार कर रहा था। इतना तो तय था कि कि चाची की चुत मेरे लिए चाचा का उपहार थी.
writermastram@gmail.com
कहानी का अगला भाग : चाची को चाचा के सामने चोदा-2



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चाची को चाचा के सामने चोदा-2

Chachi Ko Choda Chacha Ke Samne- Part 2

मेरी नोन वेज स्टोरी के पिछले भाग
चाची को चाचा के सामने चोदा-1
में आपने पढ़ा कि कैसे चाची की बदचलनी के बारे में जान कर चाचा ने चाची को डांटा और फिर मुझे मेरी चाची की कामुकता का इलाज करने को यानि चाची की चुदाई करने को कहा.
अब आगे:

फिर चाची ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और पेटीकोट नीचे गिर गया, नीचे चाची ने हल्के गुलाबी से रंग की चड्डी पहनी थी। मगर चड्डी से बाहर चाची की लंबी गुदाज़, मांसल जांघें, तो बस जैसे कहर ही बरपा कर रही थी। मुझे नहीं पता था कि चाची की टाँगे इतनी सेक्सी भी हो सकती हैं।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

तब चाची मेरे पास आई और मेरे कमीज़ के बटन खोलने लगी, मेरी कमीज़ उतारी, फिर बनियान, उसके बाद मेरे जूते उतारने के लिए नीचे बैठी। ब्रा में कैद चाची के मोटे मम्में और गांड की चौड़ाई देख कर मेरा तो जैसे लंड मेरी पैन्ट के अंदर ही हिलने लगा।
बूट जुराब उतार कर चाची खड़ी हुई और फिर मेरी बेल्ट और पैन्ट खोल दी। मैं भी बड़े आराम से चाची के हाथों से नंगा हो रहा था।

चड्डी में मेरा तना हुआ लंड देख कर चाची मुस्कुरा उठी और उस पर अपने हाथ की नर्म उँगलियाँ फिरा कर बोली- अरे ये तो तैयार हो गया, तो शुरू करें?
चाची ने मुझे बेड पे लेटा दिया और खुद भी मेरे साथ ही लेट गई। बगल के बल लेटे होने के कारण उसका बहुत बड़ा सारा क्लीवेज, उसकी ब्रा से बन कर बाहर आ रहा था। मैं उस क्लीवेज को ही घूर रहा था।
चाची ने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपने सीने पर रख लिया और धीरे से बोली- अब दबाओ।

अब तो मुझे खुली छूट मिल गई थी, मैंने न सिर्फ चाची का मम्मा दबाया, बल्कि उसके बड़े सारे क्लीवेज पर चूम भी लिया। चाची खुश हो गई और उसने अपने मम्में मेरे चेहरे से सटा दिये और चड्डी के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी।
अब तो मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी, मैंने अपना हाथ अंजलि चाची की कमर पर रखा और उसकी कमर को सहलाया, फिर ऊपर की तरफ आते हुये, उसके क्लीवेज को छू कर देखा। दोनों मम्मों की बीच में बन रही बड़ी सी वक्ष रेखा यानि क्लीवेज में अपनी उंगलियाँ घुसा कर देखी।

चाची ने अपनी ब्रा की हुक खोल दी। मैंने चाची के कंधे से उसके ब्रा का स्ट्रैप निकाला और चाची का ब्रा उतारने लगा। सबसे पहले चाची का एक मम्मा बाहर आया, बेहद गोरा, गोल, भूरे रंग का निप्पल। मैंने उसका निप्पल पकड़ा और मसला, चाची ने हल्की सी सिसकी भरी।

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अब ये न जाने क्या चक्कर है कि जब भी कोई मर्द एक शानदार मम्मा देखता है, उसकी पहली इच्छा उसे पकड़ कर दबाने की और दूसरी इच्छा उसको चूसने की होती है। मैंने भी वही किया, पहले उसके बड़े सारे मम्मे को अपने हाथ से पकड़ कर दबाया, और फिर उसका मम्मा अपनी तरफ खींचा तो चाची भी खुद को आगे हुई, शायद वो जान गई थी कि मैं उसका मम्मा चूसना चाहता हूँ। उसने खुद आगे हो कर अपना निप्पल मेरे मुँह में दे दिया।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने अपने होंटों में उसका निप्पल पकड़ा और चूसा।

मजा आ गया यार… कितना टेस्टी होता है औरत का मम्मा!
मैंने बहुत चूसा, खूब दबाया।

चाची अब सीधी हो कर लेट गई और उसने अपनी ब्रा उतार कर रख ड़ी और दोनों मम्में निकाल कर मेरे हवाले कर दिये। कभी मैं ये मम्मा चूसता और दूसरा दबाता, और कभी वो मम्मा चूसता और ये दबाता।
मैं चाची के मम्मों से खेल रहा था और चाची मेरे लंड से, जो उसके नर्म हाथों की छूने से पत्थर की तरह सख्त हो गया था।

अब मेरे दिल में विचार आया, अगर चाची मेरे लंड को छू सकती है, तो मैं इसकी चूत को क्यों नहीं छू सकता… मैंने भी पैन्टी के ऊपर से ही चाची की चूत को छू कर देखा, तो चाची बोली- अरे ऊपर से क्या हाथ लगाता है, अंदर हाथ डाल!
मैंने चाची के पैन्टी के अंदर हाथ डाला, अंदर पहले चाची की चूत के आस आस के झांट जो शायद चाची ने दो चार दिन पहले शेव किए होंगे, वो हल्के से चुभे, और उसके बाद मेरी उंगलियों को जैसे कोई मांस का उभरा हुआ टुकड़ा सा लगा। ये चाची की भगनासा थी।
मैंने उसको भी अपनी उँगलियों में पकड़ कर मसला, तो चाची ने बड़े ज़ोर से सिसकी भरी- आह सी… क्या करता है ज़ालिम, अभी से तड़पाने लगा है।

मैंने फिर से उसकी भागनासा को मसला तो चाची ने अपनी चड्डी भी उतार दी और अपनी टाँगें हिला हिला कर चड्डी बिल्कुल ही उतार कर फेंक दी। मेरे दिल में चाची की चूत देखने की इच्छा हुई, और मैं उठ कर बैठ गया, बिल्कुल छोटे छोटे बालों वाली झांट के बीच लंबी सी गहरी लकीर और उसी लकीर में से थोड़ा सा काला सा मांस बाहर को निकला हुआ।
मुझे देख कर चाची ने अपनी टाँगें मेरी तरफ घुमा दी और पूरी खोल दी तो चाची की चूत भी खुल गई।
ऊपर से थोड़ी काली सी थी मगर अंदर से बिल्कुल गुलाबी!

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चाची ने अपने हाथ की उंगलियों से अपनी चूत के होंठ और खोल दिये और अंदर से पूरी गुलाबी चूत को खोल कर दिखाया।

मैं अभी चाची की गुलाबी चूत देख ही रहा था कि चाची ने अपने पाँव की एड़ी मेरे सर के पीछे लगाई, मेरे चेहरे को खींच कर अपनी चूत तक लाई और मेरे मुँह को अपनी चूत से लगा दिया। मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था तो मैंने चाची की चूत को अपने मुँह में ले लिया।
चाची बोली- अरे, ये खाने की चीज़ नहीं है जो मुँह में लेकर बैठा है, चाटने की चीज़ है, चाट इसे!

मैंने अपनी जीभ से चाची की भग्नासा को चाट कर देखा, नमकीन सा स्वाद आया जो मुझे अच्छा लगा, थोड़ा थोड़ा करके मैं उसकी भगनासा पर अपनी जीभ फेरता रहा, और जितनी जीभ फेरता रहा, उतना मुझे अच्छा लगता गया, पहले तो सिर्फ उसकी चूत को बाहर बाहर से चाट रहा था, मगर फिर मेरा स्वाद बढ़ता गया और मैं उसकी चूत के और अंदर तक जीभ फेरने लगा।

जब मैंने चाची की चूत के अंदर तक अपनी जीभ घुमाई तो चाची ने मेरे सर के बाल पकड़ कर मेरा सर और अपनी चूत से चिपका लिया। मैं अपने दोनों हाथों से कभी चाची मोटी मोटी जांघें सहलाता तो कभी उसके गोल गोल मम्में दबाता, चाची खुद भी अपने पाँव से मेरी पीठ और टाँगों को रगड़ रही थी, सिसकारियाँ और चीत्कार बार बार उसके मुँह से फूट रहे थे। अपनी कमर वो वो हल्का हल्का हिला रही थी, जैसे मेरे मुँह पर रगड़ रही हो।

अब तो मुझे चाची की चूत इतनी टेस्टी लग रही थी कि मैं उसे बिना रुके बहुत लंबे समय तक चाट सकता था। मगर मेरी चटाई से चाची की तड़प बढ़ती जा रही थी। वो अपने दोनों हाथों से अपने मम्में दबा रही थी, दोनों एड़ियों से उसने मेरे चूतड़ और जांघें जैसे छील कर रख दिये। मेरे चेहरे को अपनी जांघों में बड़ी मजबूती से जकड़ लिया ताकि मैं उसकी चूत को चाटना छोड़ न दूँ।
मगर मैं क्यों छोड़ता… मुझे तो खुद मजा आ रहा था। मैं चाटता रहा और चाची तड़पती रही।

फिर चाची बोली- खा इसे मेरे राजा, अपने दाँतों से काट ले, बहुत तंग करती है, ये मुझे! चबा जा इसे ताकि मैं झड़ जाऊँ, खा इस मेरी जान, आह… काट इसे…
और फिर चाची ने बहुत ज़ोर से अपनी कमर चलानी शुरू कर दी। वो कभी उठ कर मुझे देखती, कभी तड़पती हुई, फिर लेट जाती, मगर उसकी बेचैनी, उसकी तड़प देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं उसकी भगनासा अपनी मुँह में खींच खींच कर चूस रहा था, बहुत बार मैंने उसकी भगनासा को अपने दाँतों से काटा भी, जो उसे बहुत तड़पा देता था।

फिर चाची ने मेरे सर के बाल अपने दोनों हाथों से पकड़ लिए- मर गई मैं, मेरे राजा… आ…ह मर गई आई… आह… ऊई… काट… खा… इसे कुत्ते… आह… खा जा, खा जा, खा जा, आह…
और चाची ने अपनी कमर ऊपर को उठा ली, जितना ऊपर वो उठा सकती थी, मैं फिर भी चाटता रहा!
और फिर चाची धाड़ से नीचे गिरी बेड पर… उसकी टाँगें खुल गई, मेरा चेहरा आज़ाद हो गया, मैंने देखा कि उसकी चूत का सुराख अंदर बाहर को हो रहा था, जैसे मछली पानी पीती हो।
वो बड़े प्यार से मुझे देख रही थी।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

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कुछ देर वैसे ही देखते रहने के बाद वो बोली- बता मेरे राजा, अब मैं तेरी क्या सेवा करूँ?
मैं उठ कर खड़ा हो गया, बिल्कुल नंगा, तना हुआ लंड… मैंने कहा- अब मेरा लंड चूसो।

चाची उठ कर बैठ गई और मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा, उसका टोपा बाहर निकाला और अपने मुँह में लेकर ऐसे चूसने लगी, जैसे कोई मिठाई हो।

पहले जब मैं पॉर्न वीडियोज़ देखता था तो सोचता था, लोग कैसे एक दूसरे की पेशाब करने की गंदी सी जगह को मुँह लगा कर चूस चाट लेते हैं। मगर आज मुझे समझ आया कि जब काम दिमाग में चढ़ता है, तो यही सबसे लज़ीज़ शै (चीज) लगती है।

चाची ने खूब अच्छे से मेरे लंड को चूसा, जितना हो सकता था, अपने मुँह के अंदर लिया। मैं भी अपनी कमर हिला कर उसके मुँह को चोद रहा था.

उधर मेरे चाचा सोफ़े पर अपना लंड निकाल कर अपने हाथ में पकड़े बैठे थे और उसको सहला रहे थे, मगर उनका लंड पूरा तना हुआ नहीं था, थोड़ा सा ढीला था, शायद इसी वजह से चाची को बाहर किसी और से चुदवाना पड़ा हो।
मैंने भी चाची के सर के बाल पकड़ कर उसके मुँह की चुदाई की क्योंकि अब मेरी बारी थी।
मैंने भी जोश में आकर चाची को कहा- चूस मेरी जान, अपने यार का लंड चूस, खा इसे साली, मादरचोद चूस इसे!
मैंने चाची को गाली दी, उसके सर के बाल खींचे, उसके मुँह को बेदर्द तरीके से चोदा, मगर चाची खुश थी।

फिर मैंने चाची के मुँह से अपना लंड निकाल लिया, मैंने उसके कंधे को पीछे को धकेला तो चाची बेड पे लेट गई और उसने अपनी दोनों टाँगें खोल कर अपने पाँव के पंजे अपने हाथों में पकड़ लिए। पूरी तरह से अपने बदन को खोल कर मेरे सामने रख दिया कि आओ पिया अपनी प्रिय की काम पिपासा को शांत करो, इसके सुंदर बदन का भोग लगाओ।

मैं चाची के ऊपर लेट गया और मेरा लंड बिना कोई सेटिंग किए खुद ब खुद ही चाची की चूत में घुस गया। बिल्कुल वैसे ही एहसास जैसा चाची के मुँह में अपना लंड डाल कर आया था, नर्म, गर्म, गीला गीला।
बस इसमें कोई दाँत नहीं था चुभने को…
बहुत ही कोमल और प्यारा एहसास।

मैंने अपनी कमर चलाई तो चाची ने अपने पाँव छोड़ दिये और मेरी कमर के दोनों और अपने हाथ रखे, फिर बोली- अरे ऐसे नहीं, आराम से ऐसे कमर हिलाओ!
और चाची ने अपने हाथों से मुझे कमर चलाने का तरीका बताया।
मैंने वैसे ही कमर चलाई तो फिर चाची ने मेरी कमर छोड़ दी और अपने हाथों से मेरी पीठ, मेरा सीना, कंधे, और मेरे निप्पल सहलाने लगी।

जब वो मेरे निप्पल को छूती तो मुझे बड़ी सनसनी होती।
वो बोली- इस से मजा आता है तुझे?
मैंने कहा- हाँ, बहुत सनसनी सी होती है।
वो बोली- तो ये देख फिर!
और चाची ने अपना सर थोड़ा सा ऊपर उठाया, और मेरे निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूस लिया, अरे यार, जैसे सारे बदन में करंट सा लग गया हो, मेरे मुँह से बड़े ज़ोर से ‘आह…’ निकली।
चाची बोली- मजा आया?
मैंने कहा- बहुत ज़्यादा!

उसके बाद चाची ने कई बार मेरे निप्पल चूसे और मुझे बहुत मजा दिया। आज मुझे पता चला अगर मर्द को औरत की छाती चूस कर मजा आता है, तो औरत को उस से भी ज़्यादा मजा अपनी छाती चुसवा कर आता है।
कुछ देर की चुदाई के बाद चाचा बोले- अबे अब ऐसे ही चोदे जाएगा, इसको घोड़ी बना कर चोद हरामजादी को।
मैंने चाची की आँखों में देखा तो चाची ने मुझे पीछे को किया, मैं पीछे हटा, मेरा लंड चाची की चूत से बाहर निकल आया, जो गीला था और उसकी चूत से निकलने वाली झाग से कहीं कहीं से सना हुआ था।

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चाची खुद उठी कर मेरे सामने घोड़ी बन गई, इस बार मैंने अपना लंड पकड़ कर उसकी चूत पे रखा और चाची जैसे ही थोड़ा सा पीछे को हुई, मेरा लंड फिर से उसकी चूत में घुस गया। यह अंदाज़ मुझे भी बहुत पसंद आया, चाची की गोरी चिकनी मांसल पीठ, जिसके बीच में से रीढ़ के ऊपर लंबी सी नाली बनी थी, और नीचे दो खुले हुये चूतड़। बहुत ही सुंदर आकार की सुराही जैसे आकार का सेक्सी बदन, मोटी गांड… चाची को पीछे से चोदने में भी मजा आ गया।

अगर मैं आगे को धक्के मार रहा था, तो चाची भी पीछे को अपनी मस्त गांड से धक्के मार रही थी। सारे कमरे में हम दोनों के बदन के टकराने से होने वाली आवाज़ गूंज रही थी। सच में चाची बहुत चुदक्कड़ थी, मुझसे ज़्यादा वो इस चुदाई का मजा ले रही थी। मैंने चाची की कमर का गोल नर्म मांस अपने दोनों हाथों में बड़ी मजबूती से पकड़ रखा था और उन्हीं मांस के लोथड़ों को पकड़ कर मैं चाची की कमर आगे पीछे कर रहा था और मेरे हाथों की उंगलियाँ उसकी कमर में गड़ी पड़ी थी।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उधर चाचा अपना लंड फेंट रहे थे, तभी उनका लंड पिचकारी मार गया। मैंने देखा चाचा के लंड से लेस के फव्वारे छूट पड़े, ऊपर को।
चाची ने भी देख लिया, बोली- बस क्या मेजर साब, इतनी जल्दी हार मान गए, इस लौंडे को देखो, कैसे ज़बरदस्त लड़ रहा है।
चाचा बोले- अरे मेरा ही बच्चा है, शाबाश नौजवान, दुश्मन की हार तक रुकना नहीं, आज माँ चोद देना दुश्मनों की।

मुझमें और जोश आ गया, मैंने और ज़ोर से चाची की चोदा।
एक बार फिर चाची तड़पी- हाये रे ज़ालिम, मार दिया!
और चाची एकदम से ढीली सी पड़ गई, मगर अब मैं भी अपने चरमोत्कर्ष पर था, मैं भी किसी भी पल झड़ सकता था, तो मैंने चाची को ढलने नहीं दिया, बल्कि उसकी कमर और ज़ोर से पकड़ कर कुत्ते की तरह उस से चिपक कर उसे चोदने लगा।

और फिर मैं भी खुद को रोक नहीं पाया और चाची की चूत में झड़ गया।
जब मैं झड़ा तो चाची बोली- हाये रे कमीने ने अंदर ही भर दिया मेरे!
मगर मुझे क्या खबर थी, मैं तो अपने जीवन की पहली चुदाई के आनन्द में इतना डूब गया कि मुझे तो कोई सुध ही न रही। झड़ कर मैं भी चाची के पास ही लेट गया, चाची उल्टी लेटी थी, मगर मैं सीधा लेटा था।
मेरे लंड में अब भी ताव था और उसके मुँह से अभी भी कोई कोई बूंद वीर्य की बाहर को टपक रही थी।

चाची मुझे और मैं चाची को देख रहा था, आज मुझे सच में चाची से प्रेम हो गया था।

तभी चाचा बड़ी मुश्किल से उठ कर आए और चाची के नंगे चूतड़ पर मार कर बोले- सुन, आज के बाद बाहर मत चुदवाना, जब भी चुदवाना, इस से ही चुदवाना, क्योंकि ये मेरा खून है, मैं नहीं चाहता कि तू बाहर किसी से अपनी माँ चुदवाए, जब भी चाहे इस का लंड ले, मगर बाहर मत जाना किसी भी मादरचोद के पास।
चाची कुछ नहीं बोली, सिर्फ मुस्कुरा दी। मगर उनकी आँखों में चाची की बात का जवाब ज़रूर था कि जी बिल्कुल, आज के बाद अगर किसी से चुदवाऊँगी, तो सिर्फ इस से।

हम दोनों को वैसे ही नंगा छोड़ कर चाचा बाहर को चले गए और हम दोनों अपने प्रेम के रस में भीगे वैसे ही लेटे एक दूसरे को देखते रहे।

writermastram@gmail.com

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Tuesday 27 February 2018

बीवी की बहन की मोटी गांड चोदी | Biwi ki Behan ki Moti Gand Chodi : Hindi Sex Story


बीवी की बहन की मोटी गांड चोदी | Biwi ki Behan ki Moti Gand Chodi : Hindi Sex Story


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प्रेषक : रिंकू …
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रिंकू है, में पटियाला का रहने वाला हूँ। अभी पिछले मुझे अपने बिजनेस के सिलसिले में दिल्ली जाना पड़ा। मेरी वाईफ की बड़ी सिस्टर इन लॉ मतलब मेरी बड़ी साली वहाँ रहती है, मालविया नगर में। अब में उनके यहाँ जाकर रुका था। मेरी साली का नाम रश्मि है, उनके पति का मोटर पार्ट्स का बिजनेस है। फिर में वहाँ पहुँचा और रात को गपशप करने के बाद हम सब सो गये। उनके फ्लेट में जो गेस्टरूम है, वो मेरी साली के बेडरूम से अटेच्ड है यानी कि एक दरवाजे से गेस्टरूम में और उनके बेडरूम में जाया जा सकता है, जनरली वो लॉक रहता है और उस दरवाजे में एक बड़ा सा पोस्टर लगा हुआ है। आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। अब रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी तो में अपने रूम में टहल रहा था। तभी अचानक से जब में उस कॉमन दरवाजे के पास पहुँचा तो तब मुझे कुछ आवाज़ें सुनाई दी। तब मैंने दरवाजे पर कान लगाया तो ऐसा लगा कि मेरी साली और उसका पति कुछ बातें कर रहे है, लेकिन थोड़ी देर के बाद उनकी बातों से लगा कि वो लोग सेक्स करने के लिए तैयार हो रहे है।

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अब में कुछ उत्तेजित सा हो गया था और उस नज़ारे को देखने का मौका खोजने लगा था। फिर मैंने उस दरवाजे पर धीरे से अपना एक हाथ फैरा तो ऐसा लगा कि उसमें एक लॉक है। तब मैंने सोचा कि इसमें चाबी का छेद भी जरूर होगा, लेकिन पूरे दरवाजे में पोस्टर लगा था। तब मैंने टेबल से पेन उठाया और चाबी का छेद ढूँढने लगा तो मुझे चाबी का छेद मिल गया। फिर मैंने पेन से धीरे से पोस्टर में एक छेद किया, तो चाबी का छेद सामने दिखा। अब मेरी आँखों में चमक आ गयी थी और उत्तेजना से मेरा लंड खड़ा हो गया था। फिर मैंने अपने रूम की लाईट ऑफ की और चाबी के छेद से अंदर देखने लगा तो सामने का जो नज़ारा था, वो देखते ही मेरा बुरा हाल हो गया था।

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अब मेरी साली और साडू बिल्कुल नंगे थे और मेरा साडू अपनी बीवी के ऊपर चढ़कर उसको चोद रहा था। अब मेरी साली सिसकियाँ भर रही थी और अपने पति से चुदवाने का मज़ा ले रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद उसने अपना लंड अपनी बीवी की चूत में से बाहर निकाला और बेड पर खड़ा हो गया। अब मेरी साली अपने घुटनों के बल बैठ गयी थी और अपने पति का लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थी। अब वो दोनों उत्तेजना में आह, उहहह, आह कर रहे थे। अब मेरा लंड बिल्कुल तन चुका था और फिर मैंने भी अपनी शॉर्ट्स उतार दी और नंगा हो गया था। फिर मैंने अपने लंड को हिलाना शुरू किया। फिर थोड़ी देर के बाद मैंने देखा कि मेरी साली उठी और बगल में ड्रेसिंग टेबल पर झुककर खड़ी हो गयी थी। अब उसके पति ने अपना मुँह उसकी गांड में घुसा दिया था और उसकी गांड को चाटने लगा था।

अब रश्मि बड़े मज़े ले रही थी और आह, उहहहह कर रही थी। अब उन दोनों को बिल्कुल भी नहीं पता था कि कोई उनकी इस हरकत को देख रहा है। फिर थोड़ी ही देर में राजीव (रश्मि के पति) ने अपना लंड रश्मि की गांड में घुसा दिया और उसकी गांड मारने लगा था। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। तब मैंने मुठ मारना शुरू किया, ये सोचकर कि में अपनी साली की गांड मार रहा हूँ और फिर थोड़ी ही देर के बाद मैंने अपना वीर्य वहीं गिरा दिया और फिर मेरे साडू ने भी अपना वीर्य रश्मि की गांड में निकाल दिया था। फिर अगले दिन सुबह मुझे पता चला कि राजीव को बिजनेस के सिलसिले में जयपुर जाना है और वो अगले दिन वापस आएँगे, यानी उस रात घर में सिर्फ़ में और मेरी साली ही रहने वाले थे। फिर कुछ देर के बाद राजीव अपनी कार से जयपुर के लिए निकल गये। अब मुझे भी काम के लिए करोलबाग जाना था।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। अब मेरी साली नहाने गयी हुई थी और फिर जब वो तैयार होकर मेरे सामने आई तो तब उसको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। उसके बड़े-बड़े बूब्स और मस्त गांड को देखकर में मदहोश हो रहा था, लेकिन फिर खुद पर कंट्रोल करके में भी तैयार होने के लिए बाथरूम में चला गया।



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अब मुझे और पागल बनाने के लिए मैंने देखा कि रश्मि के अंडरगार्मेंट वहाँ रखे हुए थे। तब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और फिर में उसकी ब्रा को उठाकर उसे चूसने लगा। तब मुझे ऐसा लगा कि जैसे में रश्मि के बूब्स चूस रहा हूँ। फिर मैंने उसकी पेंटी उठाई और उसे स्मेल करने लगा। अब मुझे एक अजीब सा नशा छा रहा था। फिर मैंने उसकी ब्रा के कप को अपने लंड पर लगाया और मुठ मारने लगा और फिर थोड़ी ही देर में मैंने अपना वीर्य उसकी ब्रा में निकाल दिया और फिर उसकी ब्रा को मैंने पानी से भीगा दिया, ताकि उसे पता ना चले। फिर में नहाकर ब्रेकफास्ट करके काम के लिए निकल गया तो रास्ते में मुझे एक मेडिसिन की शॉप मिली। वहाँ एक पोस्टर लगा हुआ देखा।

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फिर मैंने दुकानदार से उसके बारे में पूछा तो तब उसने बताया कि इसकी एक गोली खाने के बाद कोई भी लड़की पर आधे घंटे में सेक्स का नशा चढ़ जाता है। तब मेरे दिमाग में एक प्लान आया और फिर मैंने वो गोली खरीद ली। फिर रात 9 बजे में अपना काम करके अपनी साली के घर पहुँचा। फिर उसने मुझे डिनर सर्व किया और फिर हम चेंज करके गप्पे मारने लगे। उसने बड़ी पतली सी नाइटी पहन रखी थी। अब में शॉर्ट्स और टी-शर्ट में था। अब हम ड्रॉईग रूम में सोफे पर बैठकर गप्पे मार रहे थे। फिर थोड़ी देर के बाद वो कुछ लेने के लिए उठी और असंतुलन होकर वापस सोफे पर बैठ गयी। तब मैंने पूछा कि क्या हुआ? तो तब रश्मि ने कहा कि मुझे अचानक से कमर में बहुत दर्द होता है, में इस दर्द से बहुत परेशान रहती हूँ। तब तुरंत ही मेरे दिमाग में एक आइडिया आया। फिर मैंने उनसे कहा कि मेरे पास एक आयुर्वेदिक गोली है, उसको खाने से तुरंत असर पड़ेगा और फिर मैंने वो गोली उनको दे दी। तो उसने तुरंत ही पानी के साथ उसे ले लिया। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

फिर मैंने कहा कि अब आप बेडरूम में जाकर आराम करिए और अपने दिमाग में कुछ प्लान बनाने लगा, मुझे आज उसे चोदना ही था। फिर थोड़ी देर के बाद में उनके कमरे में गया तो मैंने देखा कि वो लेटी हुई थी। फिर में उनके पास गया और कहा कि मैंने थोड़ी बहुत मसाज की प्रेक्टीस की है। तो तब उन्होंने कहा कि हाँ यह ठीक रहेगा, मुझे कुछ आराम मिल जाएगा। तो तब मैंने कहा कि आप पेट के बल लेट जाइए और फिर में आपकी कमर पर अक्कुप्रेशर के फायदे देता हूँ। अब मेरा निशाना सही लग रहा था। अब वो पेट के बल लेट गयी थी और अब में अपने हाथ से उसकी कमर को सहलाने लगा था, जाहिर सी बात है उन्हें आराम तो मिल ही रहा था और वो सोच रही थी कि में अक्कुप्रेशर का बड़ा जानकार हूँ। फिर कुछ देर के बाद में उनकी कमर और पीठ को सहलाने और दबाने लगा, तो 10-15 मिनट के बाद वो थोड़ा मचलने लगी थी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

अब में समझ गया था कि गोली अपना काम कर रही है। फिर तब मैंने भी मौके का फ़ायदा उठाते हुए कहा कि आपको नाइटी उतारनी पड़ेगी, तभी मसाज का फायदा पूरा होगा। तब उसने तुरंत ही लेटे हुए ही अपनी नाइटी उतार दी, उसने ब्लेक कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी। अब मेरा लंड खड़ा हो गया था। फिर मैंने उनकी पीठ को सहलाते हुए उनकी ब्रा के हुक खोल दिए। अब उनकी गोरी और मदमस्त नंगी पीठ मेरे सामने थी। फिर में उनकी पीठ सहलाते हुए नीचे की तरफ आया और उनकी कमर सहलाने के बहाने उसकी पेंटी भी थोड़ी नीचे कर दी। अब गोली के असर से उन्हें भी मज़ा आने लगा था। फिर में खड़ा हुआ और अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट्स खोल दिया और नंगा होकर उनकी कमर को सहलाने लगा था। अब मेरा लंड रश्मि की चूत और गांड में घुसने के लिए मचलने लगा था। फिर मैंने उसकी पेंटी को और नीचे उतारा तो तब वो खुद ही डॉगी स्टाइल में झुक गयी और बड़े आराम से अपनी पेंटी उतरवा दी।


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अब उसे गोली लिए हुए 25 मिनट हो गये थे। अब में तैयार था और फिर मैंने उसकी पेंटी पूरी खोल दी और वो अब तक डॉगी पोज़िशन में थी। अब मुझसे कंट्रोल नही हो रहा था और फिर मैंने अपनी जीभ सीधी उसकी चूत पर लगाई और उसको चाटने लगा। रश्मि जो अब तक शांत थी ज़ोर-ज़ोर से आह, उउईई, उउन्न्ह, उउन्न्ह करने लगी थी। अब उन्हें बहुत मजा आने लगा था। अब में उनकी गांड को दबाता और ज़ोर-जोर से उसकी चूत को चाट रहा था। फिर मैंने उन्हें पीठ के बल लेटाया और उनकी चूत को चाटने लगा था। तब वो बोली कि हाँ हाँ रिंकू और चाटो और चाटो मेरी चूत को, बहुत मज़ा आ रहा है, आह। अब उनकी गुलाबी चूत का खट्टा और सेक्सी रस मुझे बड़ा मज़ा दे रहा था। फिर में उनके ऊपर लेट गया और उनके बूब्स को बारी-बारी से चूसने लगा था। अब उनके बड़े बूब्स में लाईट पिंक निप्पल एकदम खड़े हो चुके थे और मुझसे बूब्स चुसवाने में उन्हें बड़ा मज़ा आ रहा था और अब वो सिसकियाँ भर रही थी और चूसो, ज़ोर से चूसो मेरे बूब्स को, आह।

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फिर एक ही झटके में मैंने अपना लंड उनकी चूत में घुसा दिया और उन्हें चोदना शुरू किया। अब मेरा लंड उनकी चूत में अंदर बाहर होने लगा था। अब हम दोनों को खूब मज़ा आ रहा था और वो बोल रही थी हाँ रिंकू और और और चोदो, चोदते रहो, आह, आह, आआ, हाईईईई और चोदो और फिर उसने अपना रस मेरे लंड पर निकाल दिया और शांत हो गयी थी। फिर पिछली रात को उनकी चुदाई (अपने पति के साथ) की तरह में भी बेड पर खड़ा हो गया और रश्मि से कहा कि मेरा लंड चूसो। तब वो तुरंत ही अपने घुटनों के बल बैठ गयी और मेर लंड को अपने मुँह में घुसाकर चूसने लगी थी। अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अब में चिल्ला रहा था आहह, आहह रश्मि और चूसो और अंदर लो, ज़ोर से चूसो और फिर कुछ ही देर के बाद लंड चुसाई के बाद मैंने कहा कि अब में तुम्हारी गांड मारूँगा। तब वो तुरंत ही ड्रेसिंग टेबल के पास जाकर झुककर खड़ी हो गयी। तो तब में अपना मुँह उनकी मस्त गांड के बीच में घुसाकर उनके छेद को चाटने लगा।

अब मुझे उनकी गांड चाटने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था और अब वो भी आह, हाईई करने लगी थी। फिर मैंने अपना लंड उनकी गांड में घुसाया और ज़ोर ज़ोर से उनकी गांड मारने लगा था। फिर मैंने पीछे से उनके बूब्स को दबाया और उनकी गांड मारता रहा और वो आह, हाईईईईई करके चिल्लाने लगी। फिर कुछ ही देर के बाद मैंने अपना वीर्य उनकी गांड में निकाल दिया और फिर हम दोनों रात को नंगे ही एक दूसरे से चिपककर सो गये। फिर जब भी मुझे उससे मिलने का कोई मौका मिला तो तब मैंने उसकी खूब जमकर चुदाई की और बहुत मजा किया ।।

धन्यवाद …
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Thursday 15 February 2018

शादीशुदा बहन मेरे लंड पर फिदा | Shadishuda behan mere Lund par Fida - Hindi Sex Stories

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आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट  कॉम पर पढ़ रहे हैं।
प्रेषक : विजय …
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम विजय है और मेरी उम्र 24 साल, लम्बाई 5.8 है। में दिखने में ठीक लगता हूँ और में एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ। दोस्तों में भी आप सभी की तरह बहुत समय से एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर सेक्सी कहानियों को पढ़कर मज़े लेता आ रहा हूँ और मुझे सभी सेक्सी कहानियाँ बहुत पसंद आती है। फिर एक बार मैंने मन में विचार बनाया कि में भी अपनी उस सच्ची घटना जो मेरे साथ घटित हुई उसको आप सभी के लिए लिखकर पेश करूं और आज मैंने उसको लिख लिया है और भेज रहा हूँ उम्मीद करता हूँ कि सभी पढ़ने वालों को यह जरुर पसंद आएगी। दोस्तों यह कहानी तब की है जब में अपनी स्कूल की पढ़ाई कर रहा था और मेरे उन दिनों 10th के पेपर पूरे होने के बाद में अपनी मौसी के घर अपनी छुट्टियाँ बिताने के लिए गया था। दोस्तों मेरी मौसी एक गाँव में रहती है और उस गाँव में उनका एक बड़ा सा घर है और जब में वहां पर पहुंचा, तब घर में मेरी मौसी और मौसा जी थे। दोस्तों वैसे मेरी मौसी को दो बेटियाँ है और वो दोनों शादीशुदा है, जिसमे से एक का नाम वर्षा है और दूसरी बेटी का नाम नंदनी है दोनों बेटियों की शादी हो जाने की वजह से अब मेरी मौसी-मौसाजी उसके कोई भी लड़का ना होने की वजह से उस इतने बड़े घर में अलेके ही रहते है।

दोस्तों मेरी वर्षा दीदी की उम्र करीब 27 साल है और नंदनी दीदी की उम्र 24 साल है और मेरे साथ जो घटना घटी वो मेरी वर्षा दीदी के साथ घटी। दोस्तों जब में अपनी मौसी के घर गया था, उस समय मेरी वर्षा दीदी भी वहीं अपनी माँ के घर आई हुई थी। फिर मेरे वहां पर पहुंचते ही वो सभी लोग मुझे देखकर बहुत खुश हुए, क्योंकि पिछले तीन साल से में अपनी स्कूल की छुट्टियों में वहीं पर जाता था। फिर में भी मेरी वर्षा दीदी को वहां पर देखकर बहुत खुश था, क्योंकि वो मुझे उनके घर पहली बार मिली थी और उनके शादी हो जाने के बाद हम दोनों एक दूसरे को बहुत कमी से मिले थे। फिर में अपनी मौसी के घर पहुंचकर मुहं हाथ धोकर उस लंबे सफर की थकान को दूर करके हल्का हो गया और उसके बाद में टीवी देखने लगा था। फिर थोड़ी ही देर के बाद वर्षा दीदी ने मुझे आवाज देकर अपने पास बुला लिया और में हाँ में अभी आ रहा हूँ कहकर तुरंत ही उनके कमरे में चला गया, क्योंकि उनका वो कमरा ऊपर था और फिर उस कमरे में जाते समय मैंने देखा कि मेरी मौसी अपना कुछ सामान एक बेग में जमा रही थी।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट  कॉम पर पढ़ रहे हैं।

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अब में मन ही मन में सोचने लगा कि यह क्यों अपना सामान जमा रही है? फिर मैंने अपनी दीदी के पास जाकर उनसे पूछा कि मौसी बेग में सामान क्यों जमा रही है? तब वर्षा दीदी ने मुझे बताया कि वो दोनों एक सप्ताह के लिए यात्रा पर बाहर जा रहे है। दोस्तों माफ करना में अपनी दीदी के बारे में आप सभी को बताना तो भूल ही गया और अब बता देता हूँ। मेरी दीदी थोड़ी लंबी और गोरी है, उसके बूब्स आकार में इतने बड़े नहीं थे, लेकिन उनकी वो गांड बहुत मस्त उभरी हुई थी और उनको एक बेटी भी है और वो शादीशुदा और एक बच्चे की माँ होने के बाद भी किसी कुंवारी लड़की जैसी नजर आती थी। अब में अपनी दीदी के कमरे में जाकर उनकी बेटी के साथ खेलने लगा और वो कुछ देर बाद नीचे चली गयी, फिर वर्षा दीदी ने हम सभी के लिए खाना बनाया और खाना खाने के बाद हम सभी बैठे हुए बातें कर रहे थे। फिर उन सभी ने मेरे घर का हालचल मुझसे पूछा और फिर मौसी ने मुझसे कहा कि में अपनी दीदी के साथ यहीं पर ही रहूँ, क्योंकि जल्दी सुबह ही वो लोग ट्रेन से बाहर जाने वाले है तुम्हे यहाँ आया देखकर हमारी आधी चिंता खत्म हो गई और अब हम आराम से जा सकते है, क्योंकि घर की हमे पीछे से कोई भी चिंता अब नहीं होगी।

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फिर हम सभी लोग बातें खत्म करके सोने के लिए चले गये और उसी समय जब में जा रहा था, तभी दीदी ने मुझसे कहा कि में उनके साथ ही कमरे में सो जाऊं। अब मैंने उनको तुरंत हाँ कर दिया और में साथ ऊपर वाले उनके कमरे में सोने चला गया, रात को बहुत देर तक हम दोनों बैठकर इधर उधर की बातें कर रहे थे। फिर मैंने कुछ देर बाद दीदी से उनके पति के बारे पूछा, लेकिन वो मेरे मुहं से अपने पति के बारे में सुनते ही तुरंत ही उदास हो गयी और वो अब बिल्कुल चुप हो गयी जैसे उनको कोई सांप सूंघ गया हो, उनके चेहरे से वो मुझे थोड़ी सी नाराज़ भी लगी। फिर मैंने कहा कि मुझे माफ करे मेरा आपका दिल दुखाने का इरादा बिल्कुल भी नहीं था और अब में पलंग पर लेट गया, लेकिन वो तो अब रोने लगी थी और वो कहने लगी कि उन दोनों पति-पत्नी का झगड़ा हो गया है। अब वो मुझसे कहने लगी कि हमारे बीच यह झगड़ा उनको बेटी होने की वजह से हुआ है, क्योंकि उनके पति और सास को मुझसे एक बेटा चाहिए था, लेकिन पहली बार ही बेटी होने की वजह से हमारे बीच झगड़ा हुआ था और इस वजह से वो अपनी माँ के घर वापस चली आई। अब वो अपनी बात को खत्म करके दोबारा रोने लगी थी, उनको रोता देख मुझे उनके ऊपर दया आ गई।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट  कॉम पर पढ़ रहे हैं।

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फिर मैंने उनको पानी लाकर दे दिया और में उनको चुप करवाने लगा था, कुछ देर के बाद हम दोनों सो गये। फिर दूसरे दिन सुबह जब में उठा तब मैंने देखा कि मेरी मौसी और मौसाजी अब तक जा चुके थे और मेरी दीदी उस समय रसोई में काम कर रही थी। फिर कुछ देर बाद हम दोनों ने साथ में बैठकर नाश्ता किया और उसके बाद हम दोनों वापस ऊपर वाले कमरे में चले गये और तभी मुन्नी रोने लगी। अब में उसको चुप करवाने के लिए उसको अपनी गोद में उठाकर उसके साथ खेलने लगा, लेकिन वो चुप ना होकर अब और भी ज़ोर से रोने लगी थी। फिर दीदी ने उसको मेरे पास से अपनी गोद में ले लिया और उन्होंने मुझसे कहा कि मुन्नी को भूख लगी है इसलिए वो इतना रो रही है, उसका दूध पीने का समय हो चुका है, इसलिए उसको अब दूध पिलाना पड़ेगा और तब जाकर ही वो चुप होगी। दोस्तों उस समय मेरी दीदी ने गाउन पहना हुआ था और फिर दीदी ने तुरंत नीचे बैठकर मेरे ही सामने अपने गाउन के ऊपर के दो तीन बटन को खोलकर अपना एक बूब्स उस खुले हिस्से से बाहर निकालकर मुन्नी के मुहं में अपने एक निप्पल को दे दिया।

अब मुन्नी उस निप्पल को अपने मुहं में लेकर चूसने लगी थी और में बस वही सब बड़े ध्यान से देख रहा था, क्योंकि मैंने पहली बार किसी को इतना पास से बच्चे को दूध पिलाते हुए और किसी के गोरे गोल बूब्स को अपनी आँखों से देखा था, इसलिए में बड़ा चकित था। फिर कुछ देर बाद दीदी ने मेरी तरफ अपनी नजर को उठाकर देखा और दीदी ने मुझसे पूछा कि तुम ऐसे क्या घूरकर देख रहे हो? अब में उनके मुहं से यह सवाल सुनकर शरमा गया। फिर तुरंत ही मैंने अपनी नजर को नीचे झुका लिया था और में उनको कहने लगा कि कुछ नहीं और फिर में उस कमरे से बाहर जाने लगा था। फिर दीदी ने उसी समय मुझसे कहा कि तुम यहीं रहो, तुम्हे कहीं नहीं जाना और में उनकी यह बात सुनकर वापस बैठ गया और उस समय मैंने अपनी झुकी नजर से चोरी छिपे देखा कि दीदी ने आज अपने उस गाउन के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। अब मेरी दीदी के बूब्स को मुन्नी बड़े मज़े से चूस रही थी और कुछ देर दूध पीने के बाद मुन्नी बिल्कुल शांत हो गयी और शायद वो पेट भरने की वजह से चुप थी। फिर दीदी ने मुझसे कहा कि तुम बैठकर कुछ देर इसके साथ खेलो, तब तक में नहा लेती हूँ और फिर वो मुझे अपनी बेटी के पास छोड़कर नहाने चली गयी और में मुन्नी के साथ खेलने मस्ती करने लगा था।

फिर दीदी थोड़ी देर के बाद नहाकर बाथरूम से बाहर आ गई और फिर में बस उन्हे देखता ही रहा गया, क्योंकि दीदी ने उस समय अपने गोरे चिकने बदन पर सिर्फ़ टावल ही लपेटा हुआ था और उनके वो खुले हुए लंबे काले बाल बहुत सुंदर थे वो उस गोरे बदन की सुंदरता को कुछ ज्यादा ही बढ़ा रहे थे, इसलिए मेरी दीदी उस समय क्या मस्त लग रही थी। अब पहली बार अपनी दीदी का वो कामुक द्रश्य उनका आधा नंगा बदन देखकर मेरे अंदर एक झनझनाहट होने लगी थी और में बस उनके गोरे चिकने पैर और जांघो को ही देख रहा था, जिसके वजह से मेरे अंदर की जवानी अंगड़ाई लेने लगी थी।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट  कॉम पर पढ़ रहे हैं। दोस्तों उस द्रश्य को देखकर मेरा मुहं पूरा खुला ही रह गया और वो कब मुझे देखने लगी थी मुझे यह भी पता नहीं रहा, मेरी नजरे अपनी दीदी के बदन को अपनी खा जाने वाली नजरों से देख रही थी, क्योंकि मेरे साथ ऐसा सब पहली बार हो रहा था। फिर दीदी ने मुझे अपने पास बुलाया, तब जाकर मैंने उनकी आँखों में झांककर देखा और में शरमा सा गया और वो मेरी तरफ देखकर हंस रही थी। दोस्तों उसी समय मेरा लंड पूरा तनकर खड़ा हो चुका था और मेरी इच्छा हो रही थी कि में अभी अपनी दीदी की चुदाई कर दूँ और मेरे झटके देते हुए लंड ने मुझे बड़ा मजबूर किया, लेकिन मुझे बड़ा डर भी लग रहा था और इसलिए में चुप ही रहा।

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फिर में वापस कमरे से बाहर जाने लगा, लेकिन दीदी ने मुझे रोक दिया और वो मेरे लंड का उभार बहुत ध्यान से देखने लगी थी और वो मेरी हालत को एकदम ठीक तरह से समझकर अब हंसने लगी थी। अब वो बिल्कुल अंजान बनकर मुझसे पूछने लगी कि यह क्या है? मैंने कुछ भी नहीं बोला में चुप ही रहा और अब दीदी ने मुझे वहीं पर बैठने के लिए कहा। अब दीदी मेरे साथ मजाक करने लगी थी और वो मुझसे कहने लगी कि अब तो तुम बड़े हो गये हो और साथ ही तुम्हारा बहुत कुछ भी मुझे बड़ा नजर आ रहा है। अब में उनकी बात का मतलब समझकर शरमा रहा था और में वहीं पर बैठा था, तभी दीदी अब मेरे सामने ही अपने कपड़े पहनने लगी थी, दीदी ने वापस ही सिर्फ़ वहीं गाउन पहन लिया था और वो भी बिना ब्रा और पेंटी के, उसके बाद तैयार होकर मुन्नी को अपनी गोद में लेकर वो दोबारा उसको अपना दूध पिलाने लगी थी। अब में लगातार वो द्रश्य देख रहा था, जिसकी वजह से मेरा लंड तनकर खड़ा हो चुका था और पेंट के अंदर ही हल्के हल्के झटके भी देने लगा था। फिर दीदी ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझसे पूछा कि क्या हुआ? में इस बार भी कुछ बोल नहीं पा रहा था, लेकिन वो मेरे चेहरे की तरफ देखकर हंसने लगी थी।

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अब दीदी ने मुझसे कहा कि तुम तो मुझे बहुत देर से अपनी इन गंदी नज़रो से देख रहे हो। अब में डरते हुए उनको कहने लगा कि नहीं दीदी ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा आप समझ रही हो आप प्लीज मुझे माफ कर दे अगर आपको लगता है कि मैंने कोई भी गलती की है तो मेरी उस गलती को प्लीज नजरंदाज कर दो। फिर वो मुझसे कहने लगी कि अब तुम उसको बाहर निकालो जिसको तुम अपनी पेंट के अंदर छुपाए बैठे हो, में एक बार उसको देखना चाहती हूँ, उसी समय मैंने डरते हुए उनको ना बोल दिया। आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट  कॉम पर पढ़ रहे हैं। अब वो मेरे ना कहने की वजह से गुस्सा हो गयी और वो मुझसे कहने लगी कि में तुम्हारी मम्मी को यह सब बोल दूँगी कि तुमने मुझे कैसे देखा और हो सकता है कि उनको कुछ ज्यादा झूठ भी बोलकर तुम्हे फंसा सकती हूँ। फिर में उनके मुहं से यह बात सुनकर बहुत डर गया और जल्दी से मैंने अपना खड़ा लंड पेंट बाहर निकाल लिया और में उनके सामने अपना मुहं नीचे करके खड़ा हो गया और अब तक मुन्नी सो चुकी थी। अब दीदी उसी हालत में मुन्नी को बिस्तर पर लेटाकर उनका एक बूब्स बाहर ही लटके मेरे पास आकर मेरा लंड अपने एक हाथ में लेकर उसको सहलाने लगी थी और वो मुझसे कहने लगी कि वैभव वाह तेरा तो बहुत ही बड़ा लंड है। दूर से इसका आकार बहुत छोटा नजर आ रहा था। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

अब भी में चुप ही रहा और वो मुझसे बोली कि भोड़सी के इतने दिनों तक तूने इसको कहाँ छुपा रखा था? वो उनकी बातों से बहुत खुश लग रही थी। अब मेरा भी थोड़ा सा डर कम हो गया और में भी शांत हो गया। वो मुझे पलंग पर बैठाकर मेरे लंड से खेलने लगी थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मेरे देखते ही देखते दीदी ने मेरा लंड अपने मुहं में ले लिया और वो उसको चूसने लगी थी और लगातार मेरे लंड को कभी अंदर और कभी पूरा बाहर निकालकर टोपे पर अपनी जीभ को घुमाकर चाटने लगी थी वो यह सब किसी अनुभवी रंडी की तरह कर रही थी। दोस्तों में उनके ऐसा करने की वजह से बहुत गरम हो रहा था और जब वो मेरा लंड अपने मुहं के अंदर बाहर करने लगी। में मज़े मस्ती की दूसरी दुनियां में जा चुका था। फिर में भी उनका सर पकड़कर मज़े लेने लगा था और बस तीन चार मिनट में ही में उनके मुहं में झड़ गया, क्योंकि वो मेरा पहला अनुभव था और फिर झड़ने के बाद में पलंग पर वैसे ही लेट गया। अब दीदी चाटकर चूसकर मेरा सारा वीर्य पी गयी और मेरे लंड को दीदी ने लोलीपोप की तरह चूसकर एकदम साफ कर दिया, वो पूरी मेहनत से उस काम को कर रही थी।
फिर थोड़ी देर के बाद हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह प्यार कर रहे थे और फिर दीदी ने मुझे बताया कि पिछले पांच महीने से उन्होंने चुदाई के यह सब मज़े नहीं लिए है, इसलिए आज दीदी के सर पर अपनी चुदाई का भूत सवार हो गया था और अब उनको अपनी प्यासी चूत में मेरा लंड चाहिए था।

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अब दीदी ने बिल्कुल साफ शब्दों में मुझसे अपनी चुदाई करने के लिए कहा और में अपनी कामुक दीदी के मुहं से यह चुदाई के शब्द सुनकर बहुत खुश हो गया। अब में तुरंत उनके ऊपर चढ़कर उनके रसभरे गुलाबी होंठो को चूमने लगा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। उनको मेरे साथ यह सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मैंने कुछ देर मज़े लेने के बाद उनको बैठाकर उनका गाउन उतार दिया और आज पहली बार मैंने किसी लड़की की नंगी चूत को देखा था, जिसकी वजह से में बहुत चकित था और मेरा पूरा ध्यान उस समय बस दीदी की चूत पर ही था। दोस्तों मैंने देखा कि मेरी दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था, मानो बस अभी ही वो अपनी चूत को मेरे लिए साफ करके आई थी।

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फिर दीदी ने मेरा हाथ अपनी तरफ खींचा तब जाकर में होश में आकर उनके पास गया और अब में दीदी को चूमने प्यार करने लगा था। अब में उनके बूब्स को मसलने और एक बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा था और उस समय दीदी के बूब्स से दूध भी आ रहा था, इसलिए में उस दूध को बड़े मज़े से चूस चूसकर पी रहा था और दीदी बहुत गरम हो रही थी। अब मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो चुका था, कुछ देर बाद हम दोनों 69 आसन में हो गये और में अपना मुँह उनकी चूत पर ले गया और उनकी चूत की भीनी भीनी खुशबू से में मदहोश हो रहा था। अब अपनी जीभ को उनकी चूत के होंठो पर रगड़कर में चूत के दाने को चाटने लगा था, जिसकी वजह से दीदी की चूत गीली होने साथ ही चिपचिपी भी हो चुकी थी। अब वो जोश में आकर मेरा लंड अपने मुहं में लेकर चूस रही थी और मेरा लंड तनकर पूरा खड़ा हो चुका था। अब में आगे बढ़कर उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा था और वो मेरे सर के बाल पकड़कर मेरी जीभ को और भी अंदर डालने लगी थी। फिर मैंने कुछ देर बाद खड़ा होकर अपनी एक उंगली को उनकी चूत में डाल दिया। उस दर्द मस्त की वजह से वो आहह उह्ह्ह्ह करने लगी थी।

अब में अपनी उंगली को अपनी दीदी की गरम चूत में लगातार अंदर बाहर करने लगा था, जिसकी वजह से वो बहुत जोश में आ रही थी और अब वो मुझे गंदी गंदी गालियाँ देने लगी थी ऊफ्फ्फ्फ़ बहनचोद साले कुत्ते तू अब मुझे ज्यादा मत तड़पा, प्लीज मेरे अच्छे भाई अब तू डाल भी दे अपना लंड मेरी इस प्यासी चूत में आह्ह्ह्ह अब तू मुझे मत तड़पा। फिर में अपनी दूसरी उंगली को भी चूत के अंदर डालकर ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा था, ऐसा करने में मुझे बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था। अब वो और भी ज़ोर से चिल्लाने लगी थी, जिसकी वजह से मुझे बहुत जोश आ रहा था और फिर मैंने उनकी चूत से अपनी उंगली को बाहर निकला और अपने मुहं में लेकर उसको चूसकर साफ किया। अब मैंने दीदी के होंठो पर एक चुम्मा किया और उसी समय दीदी ने मुझसे कहा कि वैभव प्लीज अब तू मेरी चूत को ठंडी कर दे, नहीं तो में मर ही जाउंगी। फिर मैंने जाकर तेल लिया और अपने लंड पर और उनकी चूत पर थोड़ा सा तेल लगाकर एकदम चिकना कर दिया। अब में उनके ऊपर चढ़ गया और में उनकी चूत के मुहं के पास अपने लंड को रखकर धीरे धीरे रगड़ने लगा था, जिसकी वजह से उनकी चूत बहुत गरम हो चुकी थी।

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अब में अपने लंड का टोपा दीदी की गरम चूत में डालने के लिए तैयार करने लगा था और दीदी ने मेरे लंड को अपने एक हाथ से पकड़कर चूत के छेद के पास रख दिया और मैंने उनका वो इशारा समझकर तुरंत ही धीरे से धक्का लगा दिया। अब वो इतने महीनों के बाद अपनी कसी चूत में मेरे मोटे सख्त लंड को महसूस करके दर्द की वजह से आह्ह्ह ऊह्ह्ह्हह करके मुझे गाली देने लगी। वो कहने लगी साले कुत्ते कमीने धीरे से कर बहनचोद मुझे दर्द होता है, इतने दिनों बाद मेरी चूत को किसी का लंड नसीब हुआ है, लेकिन मैंने और भी ज़ोर से अपना अगला झटका लगा दिया। अब मेरे उस तेज धक्के की वजह से मेरा आधा लंड मेरी दीदी की गीली चूत के अंदर चला गया, जिसकी वजह से वो सकपका गई और काँपने भी लगी थी, लेकिन में अब धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा था और वो आहे भर रही थी, क्योंकि बड़ा तेज दर्द हुआ था। फिर कुछ देर बाद मैंने एक और ज़ोर का धक्का लगा दिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा लंड उनकी चूत के अंदर चला गया और में ऐसे ही अपने लंड को रखकर उनके ऊपर लेटकर उनके होंठो को चूसकर मैंने उनकी चीखने की आवाज को बंद किया, लेकिन उस दर्द की वजह से उनकी आँखों से आंसू निकलने लगे थे।

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फिर में धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा था और वो आहह्ह्ह ऊह्ह्ह की आवाज़ कर रही थी और कुछ देर बाद जब उनका दर्द कम हुआ, तब वो भी मज़ा लेकर मेरे हर एक धक्के के साथ उछल उछलकर अपनी चुदाई के मज़े लेने लगी थी। अब मैंने भी उनका वो जोश देखकर अपने धक्को की रफ्तार को बढ़ा दिया और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेते हुए चिल्लाने लगी आहहहह ऊह्ह्ह्ह हाँ और ज़ोर से धक्के मारो ऊह्ह्ह वाह मुझे अब बहुत मज़ा आ रहा है कहने लगी थी और थोड़ी ही देर के बाद वो झड़ गयी। अब मैंने भी अपनी रफ्तार को पहले से भी ज्यादा बढ़ा दिया और बस थोड़ी ही देर धक्के देने के बाद में भी उनकी चूत के अंदर ही झड़ गया और अब हम दोनों वैसे ही एक दूसरे से लिपटकर पड़े रहे और फिर एक दूसरे को चूमने चाटने लगे थे। फिर कुछ देर बाद दीदी ने मुझे अपने ऊपर से हटा दिया और वो उठकर खड़ी होकर वापस पलंग पर बैठ गयी और अब वो नीचे झुककर मेरे लंड को अपने मुहं में लेकर उसको चूसते हुए चाटकर साफ करने लगी थी। दोस्तों में पूरी तरह से थक चुका था और मेरा लंड अपनी जीभ से अच्छी तरह साफ करने के बाद दीदी ने अपनी चूत को मेरे मुहं के पास लाकर रख दिया और वो मुझसे उनकी चूत को चाटकर साफ करने के लिए कहने लगी।

फिर मैंने भी बिना देर किए दीदी की चूत का रस अपनी जीभ से चाटकर चूसकर साफ कर दिया और एकदम चमका दिया और अब हम दोनों थककर वहीं पर वैसे ही नंगे लेट गये। दोस्तों यह थी मेरी अपनी दीदी के साथ उनकी पहली बार चुदाई की सच्ची कहानी मुझे उम्मीद है कि सभी को यह जरुर पसंद आई होगी ।।
धन्यवाद …
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Monday 12 February 2018

Friday 26 January 2018

चाची के बूब्स का स्वादिष्ट दूध || Chachi ke boobs ka swadisht doodh || XXX Kahaniya

चाची के बूब्स का स्वादिष्ट दूध
प्रेषक : रवि

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रवि है और आज में आप सभी कामुकता डॉट कॉम के चाहने वालों के लिए अपनी उस घटना को लेकर आया हूँ जो मेरा सबसे पहला सेक्स अनुभव होने के साथ ही सबसे अच्छा अनुभव भी था। दोस्तों वैसे तो मुझे सेक्स की तरफ रूचि बचपन से ही बहुत है और अब में सेक्सी कहानियों को पिछले कुछ सालों से लगातार पढ़कर उनके मज़े लेने लगा हूँ। दोस्तों आज में जिस कहानी को आप सभी की सेवा में लेकर आया हूँ यह मेरी सच्ची घटना है कोई फेक कहानी नहीं है, जिसमें मैंने अपने पड़ोस में रहने वाली बड़े बूब्स की चाची के साथ पहली बार वो सब किया, जिसके बारे में मैंने कभी सोचा नहीं था और उसके बाद मेरी हिम्मत बहुत ज्यादा बढ़ गई। अब आप सभी को ज्यादा बोर ना करते हुए सीधे में अपनी आज की कहानी को सुनाना शुरू करता हूँ। दोस्तों में जब छोटा था, तब में अपने पड़ोस वाले एक घर में हमेशा जाता था और वहीं पर एक शादीशुदा औरत थी जिसको में हमेशा चाची कहता था। दोस्तों उसके बूब्स आकार में बहुत बड़े थे और वो अपने ब्लाउज के ऊपर वाले दो बटन हमेशा खुले रखती थी और अपने उस ब्लाउज के अंदर वो ब्रा भी नहीं पहनती थी और वो हर समय मुझे अपने बूब्स को दिखाती रहती थी।

दोस्तों उसके दो छोटे छोटे बच्चे थे, एक तीन साल का था और दूसरा लड़का एक साल का था और वो अपने दोनों लड़को को अपना दूध पिलाती थी और वो जब भी अपने बच्चो को अपना दूध पिलाती तो वो मेरे पास आ जाती और अपने दोनों बूब्स को खोलकर अपने दोनों बच्चो के मुहं में अपनी बड़ी आकार की उठी हुई निप्पल को डाल देती थी। दोस्तों उसके बूब्स बिल्कुल सफेद रंग के बूब्स थे और निप्पल गुलाबी रंग के थे और में अक्सर उसके घर जाया करता था और जब भी में उसके घर जाता था, तब मेरी वो चाची अपने किसी भी काम में कितना भी व्यस्त क्यों ना रहती हो वो तुरंत मुझे देखकर अपना वो काम वहीं छोड़ देती। फिर वो मेरे पास आकर बैठ जाती और उसके बाद अपने दोनों बच्चो को अपने पास बुलाती और फिर अपने ब्लाउज को झट से खोलकर अपने दोनों बूब्स को पकड़कर बाहर निकालती और अपने दोनों बच्चो के मुँह में दे देती और में पास बैठकर उसके बूब्स को चकित होकर देखता रहता। फिर वो भी मुझसे बातें करते रहती और अपने बच्चो को अपना दूध पिलाती रहती और वो यह भी देखती कि में उसके बूब्स को देखा रहा हूँ और इस तरह से में उसके गोरे बड़े आकार के बूब्स को देखते हुए बड़ा हो गया।

एक बार में उसके घर गया, तब मैंने देखा कि वो उस समय चारपाई पर सो रही थी, वो एकदम चित होकर लेटी हुई थी, उस समय उसने सिर्फ़ पेटिकोट पहना हुआ था और वो ऊपर से बिल्कुल नंगी थी उस के दोनों बड़े आकार के बूब्स बाहर बिल्कुल नंगे मेरी आँखों के सामने थे और उसका एक बच्चा दूध भी पी रहा था और दूसरा बच्चा सो चुका था। फिर में उनके पास पहुँचा और मैंने पास से बूब्स को देखा तो वो बहुत आकर्षक थे और उसके बिल्कुल गुलाबी निप्पल खड़े हुए थे और मैंने थोड़ा सा नीचे झुककर देखा तो वो उस समय गहरी नींद में सो रही थी। अब में उसके बूब्स देखकर अपने आपे से बाहर हो गया और अब में उसका एक बूब्स अपने हाथ में लेकर उसको दबाने लगा था और उसके निप्पल को खींचने भी लगा था, जिसकी वजह से अब उस निप्पल से दूध भी निकलकर बहने लगा। अब मैंने तुरंत ही अपने मुँह को नीचे झुकाकर मैंने उसका वो पूरा निप्पल और बूब्स अपने मुँह में भर लिया और में धीरे धीरे उसको चूसने लगा। फिर कुछ देर बाद मैंने अपनी आँखों को ऊपर उठाकर देखा तो वो अब भी सो रही थी, में ज़ोर ज़ोर से उसके ज़ूर को चूसने लगा था, जिसकी वजह से उसका गरम गरम दूध मेरे मुहं में भरने लगा में उसको पीने लगा था।

अब में उसके पूरे बड़े आकार के बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और उनका दूध पीने लगा था, मैंने अब करीब बहुत सारा दूध पी लिया और डरते हुए कि कहीं वो उठ ना जाए, मैंने उसके बूब्स को अब छोड़ दिया और में वहां से चला आया। दोस्तों अपने घर आकर मैंने देखा कि मेरा लंड जो अब एकदम तनकर खड़ा हो चुका था। फिर मैंने बाथरूम में जाकर मुठ मारना शुरू किया और फिर कुछ देर हिलाने के बाद मेरे लंड का पानी तेज गति के साथ दूर जाकर गिरा। फिर उस दिन के बाद मुझे चस्का लग चुका था, इसलिए में अब सुबह शाम अपनी चाची के घर जाने लगा था। एक बार शाम में उनके घर गया, तब मैंने देखा कि वो उस समय सिर्फ़ साड़ी पहनी हुई है और उसके दोनों बड़े आकार के बूब्स दोनों तरफ से लटक रहे है। फिर में गया तो मुझे देखकर तुरंत ही वो भी मेरे पास आकर बैठ गई और तुरंत ही उसके दोनों बच्चे भी उसके पास आ गये और उसकी साड़ी का पल्लू उन्होंने खींच खींचकर अलग कर दिया और वो दोनों बच्चे दोनों बूब्स को अपने मुहं में भरकर खींचकर उसका दूध पीने लगे और वो मुझसे इधर उधर की बातें कर रही थी। दोस्तों वो मुझसे इतना करीब थी कि उसके बूब्स और निप्पल को में साफ देख रहा था और फिर कुछ देर बाद बच्चे दूध पीते पीते सो गए।

अब उसने मुझसे कहा कि प्लीज रवि तुम एक बच्चे को ज़रा उठा लो और इसके मुँह से मेरा यह बूब्स बाहर निकाल दो। फिर मैंने उसके कहते ही तुरंत अपने हाथ से उसके एक बूब्स को पकड़कर उस निप्पल को खींचकर बच्चे के मुहं से बाहर निकाल दिया। दोस्तों उस काम को करने की वजह से मेरा लंड एकदम तनकर खड़ा हो गया और उसने भी मेरे खड़े लंड को देख लिया, तभी वो मुझसे कहने लगी कि यह दूसरा वाला बूब्स भी इसके मुहं से बाहर खींच लो प्लीज। अब मैंने उसके निप्पल को अपने दोनों हाथों से पकड़कर खींच लिया और अलग कर दिया और अपने दोनों बच्चो को सुला देने के बाद वो मुझसे कहने लगी कि मेरी छाती में बहुत सारा दूध भरा हुआ है, क्या इसको तुम पीना चाहते हो? अब मुझे उनके मुहं से यह बात सुनकर शरम आने लगी थी, इसलिए मैंने अपनी गर्दन को नीचे झुका लिया। अब वो मुझसे कहने लगी इसमे इतना शरमाने की क्या बात है? तुम आज भी पी लो जैसे उस दिन पी रहे थे। दोस्तों में तो अब उसके मुहं से यह बात सुनकर एकदम से घबरा गया और मन ही मन में सोचने लगा कि इसका मतलब यह था कि उस दिन भी यह जाग रही थी, जब में अपनी चाची के उस दिन बड़े आकार के बूब्स को अपने मुहं में भरकर बड़े मज़े से उनका सर चूस रहा था। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

अब उसने अपने सारे कपड़े खोल दिए और वो सिर्फ़ पेटीकोट पहने हुए थी। मैंने देखा कि उसके बड़े आकार के रस भरे बूब्स एकदम नीचे लटक रहे थे और वो द्रश्य देखकर मेरा लंड एकदम तनकर खड़ा हो गया था। अब उसने भी मेरे लंड को देख लिया था, वो तुरंत नीचे बैठ गई और मुझे उसने अपनी गोद में लेटने के लिए कहा और में तुरंत लेट गया और अब उसके 44 इंच के बड़े आकार के बूब्स मेरे मुँह से टकरा रहे थे। फिर मैंने तुरंत ही उसके बूब्स के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और में उसको ज़ोर ज़ोर से चूसते हुए उसका रस पीने लगा और में ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स को खींचकर दूध पीने लगा था। फिर उसी समय उसने अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर मेरा लंड पकड़ लिया। अब में और भी जोश में आ गया और में ज़ोर ज़ोर से खींचकर उसका दूध पीने लगा। अब उसने मुझसे कहा कि में भी तुम्हारा दूध पीना चाहती हूँ। फिर मैंने वो बात उसके मुहं से सुनकर एकदम चकित होकर उसको पूछा कि मेरा दूध कहाँ है, आप कौन से दूध की बात कर रही है, में समझा नहीं? अब उसने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़कर उसकी तरफ इशारा करके कहा कि यह है तुम्हारा वो दूध जिसको में अब पीना चाहती हूँ।

फिर मैंने कहा कि नहीं अभी में तुम्हारे बूब्स को नहीं छोड़ सकता, मुझे इसको चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा है और में कुछ इसको ऐसे ही पीता रहूँगा। अब उसने कहा कि हाँ ठीक है बाबा, तुम मेरे बूब्स को मत छोड़ना और पीते रहना, बस तुम ज़रा और ऊपर की तरफ सरक जाओ। फिर में ऊपर सरककर दूध पीने लगा और वो मेरे खड़े लंड को पकड़कर अपने दूसरे बूब्स की निप्पल से लगाकर दबाने लगी और उसके निप्पल का दूध मेरे लंड के टोपे पर गिरने लगा। फिर मैंने कुछ देर बाद अपने सर को उठाकर देखा तब वो अपने दूसरे बड़े आकार के बूब्स की निप्पल को जो दूध से भरी थी मेरे लंड के टोपे पर लाकर दबा रही थी और एक हाथ से मेरे दोनों आंड को दबा भी रही थी। दोस्तों कुछ भी कहो, लेकिन मुझे बहुत मस्त मज़ा आने लगा था और में अब पहले से भी ज्यादा ज़ोर ज़ोर से खींचकर उसका दूध पीने लगा था। अब वो मेरे आंड को दबा रही थी और अपने बड़े बूब्स से मेरे लंड को भी दबा रही थी। उसने अपने निप्पल से मेरे लंड पर और भी दूध गिराया और फिर तुरंत ही लपककर धीरे से मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थी। दोस्तों उसके यह सब करने की वजह से में तो जोश मस्ती की वजह से एकदम पागल हो चुका था और अब उसके बड़े आकार के दूध से भरे बूब्स मेरे मुँह में थे।

अब वो मेरे लंड की तरफ झुककर मेरा पूरा लंड अपने मुहं में लेकर उसको मज़े से चूसने लगी थी और अपने दोनों हाथों से मेरे आंड को दबाने भी लगी थी। दोस्तों इस तरह से हम दोनों अपने अपने काम में बहुत व्यस्त थे और जब से वो मेरा लंड अपने मुहं से भरकर चूस रही थी तो मेरे मुहं में उसके बूब्स और गरम गरम दूध देने लगा था और में गटागट उसके मस्त स्वादिष्ट दूध को पीने लगा था। अब वो भी ज़ोर से चीखकर मेरा लंड चूसने लगी थी और कुछ देर बाद उठकर उसने मुझसे कहा कि वाह क्या बात है? जितना मेरे यह बूब्स तुम्हे दूध पिला रहे है उतना ही तुम्हारा लंड मुझे अपना दूध पिला रहा है। मुझे ऐसा लगता है कि जैसे मेरे निप्पल का दूध तुम्हारे मुँह से होते हुए तुम्हारे लंड में आ रहा है, जो में धीरे धीरे पी रही हूँ। फिर यह सब कहकर वो एक बार फिर से मेरे लंड को अपने मुहं में लेकर चूसने लगी और मेरे आंड को भी हल्के हल्के दबाती जा रही थी, जिसकी वजह से मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था और अब मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई चीज़ मेरे आंड से निकलकर उसके मुहं में जा रही है। दोस्तों मुझे अब बिल्कुल ऐसा लग रहा था कि जैसे में भी एक गाय हूँ और में उसको अपना दूध पिला रहा हूँ।

अब वो धीरे धीरे खीच खींचकर मेरे दूध को पीने लगी और अपने बड़े आकार के रसभरे बूब्स से इतना ज्यादा दूध मेरे मुहं में निकालने लगी थी, जिसको में बड़े ही मज़े लेकर पीने लगा था। फिर कुछ देर बाद ही अचानक से वो अपने बूब्स को मेरे मुँह से बाहर खींचकर चिल्लाने लगी। अब मैंने उसको कहा कि अरे नहीं, तुम मुझे अपने रसभरे बूब्स दो, मुझे इनको चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा है। फिर उसने कहा कि बस एक मिनट ठहर जाओ और अपना मुँह मेरे मुँह से लगाकर मेरा मुहं खोलकर अपने मुहं में भरा पूरा गरम गरम दूध मेरे मुहं में डाल दिया और फिर मुझसे कहा कि तुम इसको गटक जाओ, यह वही दूध है जो में तुम्हारे लंड से पी रही हूँ। दोस्तों मुझे वो बहुत मज़ेदार लगा, गरम गरम नमकीन सा में तुरंत उसको पूरा पी गया। फिर उसके बाद उसने अपने बड़े बूब्स को दोबारा मेरे मुँह में घुसा दिया और दोबारा में उसका दूध पीने लगा जो कि इस बार और भी ज्यादा गरम मज़ेदार दूध था, जिसको वो मेरे मुहं में देने लगी और कुछ देर बाद उसने दोबारा नीचे झुककर एक बार फिर से मेरे लंड को अपने मुहं में भरकर उसका दूध पीना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से हम दोनों को बहुत मस्त मज़ा आ रहा था। अब में उसके बड़े ही मुलायम रसभरे बूब्स से दूध पी रहा था और वो मेरे लंड से एक ही वक़्त में दूध पी रही थी। हम दोनों के मुहं से चुप चुप चुप चुप की आवाज़ें आ रही थी और हम दोनों ही एक दूसरे के दूध को पीने में एकदम गुम थे। फिर कुछ देर उनके साथ मज़े लेकर वापस में हंसी खुशी अपने घर वापस चला आया, लेकिन उसके बाद भी हम दोनों ने कई बार बहुत कुछ किया ।।

धन्यवाद

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