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Monday 8 January 2018

एयरहोस्टेस की चुदाई देसी xxx कहानी


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एक दिन मे अपने कोंचिग जा रहा था..और मे गाने सुन रहा था अपने मोबाइल पर की अचानक एक लड़की से मेरी टक्कर हो गई तो उसकी बुक्स सारी गिर गई… तो मेने उसको देखा तो देखता ही रह गया… वो बहुत ब्यूटीफुल दिख रही थी. तो मेने उसकी बुक्स उठाने मे हेल्प की और उससे सॉरी बोला तो उसने भी मुझे सॉरी कहा…और वो मुस्कुराई और चली गई।फिर अगले दिन वही लड़की फिर मुझे आती दिखी तो मेने भी उसे स्माइल की और उसने भी स्माईल की..और चली गई. इस तरह कई दिनो तक यही चलता रहा..तो मेने एक दिन हिम्मत करके उससे बात की…तो मेने पूछा की आप रोज स्माइल क्यों करती हो..तो वो कुछ नही बोली…तो मेने उससे उस दिन टक्कर पर फिर से सॉरी बोला… तो यारो यकीन नही मानोगे की उसकी आवाज इतनी प्यारी थी की मे सुनता ही रह गया. उसने कहा की इट्स ओके… फिर मे हिम्मत करके उससे बात करनी स्टार्ट की।

मेने पूछा की तुम यहा क्या करती हो तो उसने कहा की वो एक एयरहोस्टेस है और यहा साउथ दिल्ली के एक एयरहोस्टेस कम्पनी से कोर्स कर रही है तो फिर मेने अपनी पहचान दी कि मे भी संस्कृत कोर्स कर रहा हूँ… फिर हम चलते चलते बात करने लगे. मेने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम दिव्या बताया. इस तरह हम काफ़ी दिन तक मिलते रहे और हम दोनो ने अपना मोबाइल नम्बर एक दूसरे को दे दिया…और काफ़ी देर तक बाते करते रहते और काफ़ी जगह घूमने जाते।एक दिन उसने मुझे कॉल कर और कहा की..आज मेरी क्लास जल्दी खत्म हो गई है तो तुम आ जाओ घूमने चलते है…तो मेने अपनी बाइक ली और चला गया…तो उसकी कम्पनी के बाहर उसका वेट कर रहा था की मेने देखा की वो एयरहोस्टेस की ड्रेस मे बाहर.. मे देखता ही रह गया. उसने एयरहोस्टेस की हाफ स्कर्ट पहन रखी थी और उसकी गोरी गोरी टांगे दिख रही थी. मे तो उन्हे देखता ही रह गया. वो बहुत ब्यूटीफुल लग रही थी…तो मेरी बाइक पर बेठ गई और मेने पूछा कहा चलना है तो वो बोली कही मॉल मे चलते है.. तो मे उसे अंसल प्लाज़ा मे ले गया. हमे वहा पहुचने मे कीब 25 मिनिट लगे. वो बाइक पर मुझे कस के पकड़ के बेठी थी. मुझे मझा आ रहा था….मे बार बार ब्रेक मार रहा था. हम पहुँच गये वहा पर…और हम घूमने लगे…तो मेने देखा की वहा पर काफ़ी कपल्स घूम रहे थे…और वो हमे बार बार देख रहे थे क्युकी वो देखेगे ही वो लग ही रही थी सेक्सी….मे भी इस बात को नोट कर रहा था…शायद उसे भी यह बात पता होगी…और फिर लास्ट मे हम अंसल के गार्डन मे गये।

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वहा काफ़ी कपल बेठे थे और एक दूसरे के किस कर रहे थे और हम उन सब को देख कर आगे चले गये तो उसने आगे जा कर कहा की यह सब क्या कर रहे है तो मेने कहा की एक दूसरे को प्यार कर रहे है..तो मेने सही टाइम का फ़ायदा उठा कर उससे प्रफोज कर दिया मेने कहा की दिव्या i love u मे तुम से यह बात काफ़ी दिन से कहना चाहता था लेकिन कह नही पाया…तो वो कुछ देर चुप रही और बोली अब हमे चलना चाहिए… तो हम बाइक पर बेठे और अपने अपने घर आ गये।मुझे तो काफ़ी डर लग रहा था की उसने बुरा तो नही मान लिया मेने उसे कॉल भी नही करा की वो और बुरा ना मान जाए. फिर नाइट मे 1:30 बजे उसका कॉल आया. मे तो देखता ही रह गया मेने कॉल अटेंड की और हेलो बोला तो उसने कुछ नही बोला फिर मेने उसे सॉरी कहा और साफ़ कह दिया की जो मेरे दिल मे बात है मेने वो कह दी थी… मेने फिर उससे पूछा की u love me..???? तो कुछ देर बाद वो बोली की तुम्हे क्या लगता है की एक लड़की इतनी रात को 1:30 पर कॉल क्यू करेगी.. तो मे समझ गया. बात क्या है तो उसने मुझे i love u कह दिया…और मे इतना खुश हुवा की क्या बताऊ यारो की जैसे मुझे कोई परी मिल गई हो अरे वो भी तो परी है एयरहोस्टेस की…आख़िर मे हम दोनो ने कीब 2 घंटे तक बाते की और फिर सो गये।
और अगले दिन मिलने का प्रोग्राम बनाया. अगले दिन हम मिले. तो उसकी आँखे कुछ झुकी हुई थी तो मेने कहा की इसमे शरमाने की क्या बात है.. तो वो कुछ नही बोली बाइक पर बेठी हम वहा से अंसल प्लाज़ा की और निकल गये. वहा पहुचते ही मेने बाइक पार्क की और उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर चलने लगा. उसे भी काफ़ी अच्छा लग रहा था.

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फिर हमने वहा बर्गर खाया और कोक पी.. फिर बातें करने लगे… उसने कहा की चलो गार्डन मे चलते है तो मेने कहा ठीक है… हम गार्डन मे गये. वहा फिर से वही सीन था की कपल्स एक दूसरे को किस कर रहे थे तो हम एक अच्छी सी जगह जाकर बेठ गये और बातें करने लगे. बाते करते उसने पूछा की तुमने उस दिन क्या कहा था तो मेने पूछा की क्या.. उसने कहा फिर मेने कहा की सही तो है.. तो उसने कहा की तुम कुछ नही करोगे मेंने यह बात सुनते ही रह गया. मे जोश मे आ गया मेने उसे खड़ा करा और किस करने लगा और उसने भी मुझे कस के पकड़ लिया और अब मेने फ़िल्मी स्टाइल मे उसके चेहरे को अपने हाथ से जोर से पकड़ लिया और किस करने लगा और वो भी मुझे किस करने लगी. 10 मिनिट तक किस करते रहे. फिर में थोड़ी हिम्मत करके अपना हाथ धीरे धीरे नीचे उसके बोब्स पर ले गया और बिल्कुल आराम से दबाने लगा और वो कुछ नही बोली और आ..अहा.. निकाल रही थी और गर्म भी हो गई थी. इतने मे वहा एक लेडिस गार्ड जो गार्डन मे आ गई और हम अलग हो गये. और फिर हम वहा से चले गये. आखिर कई दिन तक यही चलता रहा हम कभी अंसल गार्डन मे या बुद्धा गार्डन जाकर किस करते और काफ़ी टाइम तक मोबाइल पर बातें करते. इस तरह से काफ़ी दिन गुजर गये. मुझे मोका मिल नही रहा था।आख़िर मे मुझे एक मोका मिल गया उसका रात को फोन आया और बोली राहुल कल मेरे मम्मी पापा जयपुर जा रहे है और 2दिन बाद आएगे… मे तो खुश हो गया मुझे तो इसी टाइम का इंतज़ार था. फिर अगले दिन उसने फोन किया और कहा की राहुल तुम 11 बजे मेरे घर आ जाना क्योंकि मेरे मम्मी पापा 9 बजे निकल जायेंगे. तो मेने कहा ठीक है… फिर मे तेयार हो कर ठीक 11बजे उसके घर पहुँच गया।

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दरवाजा खोलते ही जब मेने उसको देखा तो यारो देखता ही रह गया. उसने पिंक कलर का टॉप और स्कर्ट पहन रखी थी. जिसमे वो बिल्कुल सेक्सी ओर हॉट लग रही थी।फिर उसने मुझे अंदर बुलाया और मे अंदर जाकर सोफे पर जाकर बेठ गया और वो मेरे लिए वॉटर लेकर आई और झुक कर मुझे जैसे ही वॉटर देनी लगी तो उसके बोब्स वो बहुत मोटे दिख रहे थे. मे उनको देख कर पागल वो गया. किसी तरह मेने कंट्रोल किया और मेने वॉटर पिया और हम दोनो बाते करने लगे….. बाते करते करते वो मुझे अपने रूम मे ले गई. जैसे ही रूम मे पहुचे की उसने मुझे किस करना स्टार्ट कर दिया और मेने भी उसे… इस तरह कीब 20 मिनिट तक हम किस करते रहे और 20 मिनिट बाद वो बोली की सिर्फ़ किस ही करते रहोगे या कुछ और भी करोगे.. ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। यह सुनते ही मे गर्म हो गया और किस करते हुए उसके बोब्स दबाने लगा. बोब्स दबाते हुआ मेरा हाथ अब धीरे धीरे नीचे जाने लगा।मेने अपना हाथ एयरहोस्टेस की स्कर्ट मे डालते हुए उसकी चूत पर पहुच गया..वो पूरी तरह मदहोश हो गई थी और उसकी चूत पूरी गीली हो गई थी. अब मे अपनी उंगली उसकी चूत मे धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहा था और एक हाथ से उसके बोब्स और किस करे जा रहा था और वो पागल हुई जा रही थी. अब उसके कपडे धीरे धीरे सारे उतार दिए और वो बिल्कुल नंगी हो गई थी. क्या बताऊ यार नंगी मे वो बिल्कुल सेक्सी और हॉट लग रही थी और उसका गोरा बदन तो मानो एक दम मिल्क जैसा हो… अब मुझे कंट्रोल नही हो रहा था… मेने उसे उठाया और बेड पर ले गया. बेड ले जाते ही मेने अपना लंड उसे दिखाया तो वो डर गई और कहने लगी की इतना बड़ा और मोटा कैसे झेलेगी.. और कहने लगी की उसकी चूत तो इतना मोटा लंड नही सह पाएगी और फट जाएगी.. तो मेने कहा डरो मत पहली बार मे थोडा दर्द होगा बाद मे नही होगा… लेकिन वो मना कर रही थी मेने कुछ नही देखा और अपना लंड उसके मुह मे डाल दिया और कहने लगा की चुसो और वह मना कर रही थी लेकिन किसी तरह उसे मनाया और वो मान गई. चूसने लगी।

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दोस्तों आप को यकीन नही होगा की वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी की मानो जैसे लोलीपॉप हो और उसे भी मजा आ रहा था. अब मे झड़ गया और सारा माल उसके मुहँ पर डाल दिया और वो उसे चाटने लगी और कहा की अब मेरा लंड उसकी चूत मे जाएगा…. अब मेने अपना मोटा लंड उसकी चूत मे डाला तो वो चिल्लाई तो मेने उसके होंठ पर अपना होंठ रख दिया और एक जोर का झटका मारा और उसके आँखों मे से पानी आने लगा और वो कहने लगी की छोड़ दो मुझे तो…ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मे कहने लगा की अभी कुछ देर दर्द होगा बाद मे नही… इस तरह मे और जोर से झटके मारने लगा. अब उसकी चूत मे से ब्लड आ रहा था. लेकिन उसे भी मजा आ रहा था. करीब 1 घंटे तक मेने उसे लगातार चोदा और बाद मे उसकी गांड भी बहुत मारी और हमे काफ़ी मजा आ रहा था।इस तरह मेने उसको 2 दिन तक नॉन स्टॉप चोदा और उसकी चूत और गांड फाड़ डाली. उसे भी मुझसे चुदवाने का शौक हो गया और इस तरह मे उसे जब भी मोका मिलता उससे खूब चोदता

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Friday 29 December 2017

बिना कंडोम बाँझ चाची की चुदाई का मजा xxx कहानी


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चाची और चाचा के बच्चे नहीं है और वो इसको लेकर हमेशा ही चिंतित रहते थे. चाची की मेरिज की ४ साल बीत चुके थे, पर अभी तक उनको कोई बच्चा नहीं था. मेरी चाची का नाम अलका है और वो बहुत ही हॉट फिगर वाली औरत है. वो भी एक पारंपरिक रिवाज वाले परिवार से है और बहुत ही ट्रेडिशनल लुक वाली है. चाची हमेशा से ही पारंपरिक श्रृंगार, जिसमे लाल बिंदी, लिपस्टिक, शाइनिंग फेस और रंगीन साड़ी पहने हुए रहती थी. वो पैरो में पायल पहनती थी और उनकी पायल की छन – छन से मेरा दिल धड़कने लगता था. वो घर पर भी श्रृंगार में रहती थी. उनकी अदाए और चाल मदमस्त कर देने वाली थी. उनका फिगर भी बहुत हॉट था और मेंगो जैसे बूब्स को देख कर कोई भी अपना लंड पकड़ ले. मैं १२थ के बाद, इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया है.
अब मैं आपको अपनी रियल बात बता रहा हु. दोस्तों, बात उन दिनों की है, जब मैं १२थ में था और विंटर हॉलीडेज चल रहे थे. एकदिन मैं अपने स्टडी रूम में पढ़ रहा था. मेरा स्टडी रूम किचन के बाजु में है. उस दिन घर में चाची और उनकी फ्रेंड सोनाली थी. सोनाली बहुत ही सेक्सी एंड हॉट बम थी. वो अक्सर चाची से मिलने हमारे घर आया करती थी. वो दोनों किचन में बैठे हुए थे. चाची का मूड ऑफ देख कर उसने पूछा, कि अलका रानी तुम इस तरह उदास क्यों हो? इस पर अलका चाची ने कहा – कैसे उदास ना रहू, हमारी शादी को ३ साल हो गये. हमारे एक भी बच्चा नहीं है. हमे लोग क्या – क्या नहीं कहते. मैं ये बात चुपचाप सुन रहा था. सोनाली ने कहा – मेरी बस्ती में एक बाबा है, तो उसकी पूजा से सब प्रॉब्लम ठीक कर देता है. मैं तुझे उसके पास ले चलती हु. चाची ने कहा – ठीक है. कल शाम को ही चलते है. मैं भी घुमने के लिए बाहर निकल गया.फिर वापस आकर मैं फ्रेश हो गया और चाची बहुत अच्छी सी स्माइल लिए मेरे कमरे में आई और हम खाना खा कर सो गये और अगले दिन मैं फ्रेश हुआ और चाची को मैंने उठ कर गुड मोर्निंग बोला. ऊन्होने मुझे बहुत अच्छी स्माइल दी और बाथरूम में घुस गयी. वो तैयार हो कर मेरे पास आई और बोली – मैं अपनी फ्रेंड सोनाली के यहाँ जहाँ रही हु और शाम को मैं लेट हो जाउंगी. मैं भी तैयार होकर कोचिंग क्लास निकल गया. चाचा भी उसी दिन बाहर से आये थे. ५ बजे मैं क्लास से वापस आया और देखा, कि चाची एक वंडर स्माइल लेकर चाचा के कमरे में शरबत लेकर जा रही है. मैं भी चुपचाप से उनके पीछे चला गया. वो चाचा के पास एक मीठी सी मुस्कान के साथ किस कर आलिंगन कर एक्साइट हो गयी और चाचा से कहा – मैं आज एक बाबा से मिल कर आई हु मुझे देख कर चाची चुप हो गयी और दुसरे टॉपिक पर बात करने लगी. फिर चाचा मेरी पढाई के बारे में पूछने लगे और मैं समझ गया, कि चाची चाचा को कोई राज की बात बताने वाली थी.

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फिर मैं खेलने का बहाना लेकर नीचे जाने लगा और चाची ने झट से डोर बंद कर लिया और चाचा से कुछ कहने लगी. मैं डोर के पास जाकर कान लगाकर सुनने लगा. चाची कह रही थी, एक पूजा करने पर; हम जल्द ही संतान पैदा कर सकते है. चाचा ने पूछा, वो कैसे? चाची ने कहा – उन्होंने कहा है, कि आने वाली अमावस्या की रात को, तुझे लिंग योनी पूजा करनी होगी और मैं डिटेल में सब बताउंगी. मैंने नीचे खाना बनाने जा रही हु. मैं डोर से हटकर नीचे की तरफ चले गया. मैं लिंग योनी पूजा के बारे में सुनकर बहुत एक्साइट हो गया. २ दिनों बाद, अमावस्या आने वाली थी और कल मम्मी – पापा भी बाहर जाने की तैयारी कर रहे थे. मेरी कोचिंग क्लास के कारण, मैं नहीं जा पा रहा था. दुसरे ही दिन, शाम को उन्हें हम (चाचा, चाची और मैं) उनको स्टेशन पर छोड़कर आ गये. अब घर में, मैं चाचा और चाची ही थे. ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। घर आकर थक चुके थे, इसलिए खाना खा कर सो गये. फिर अगले ही दिन अमावस्या का दिन था.मैं सुबह ही फ्रेश होकर दोस्त के घर चले गया और दोपहर को आकर हमने एक साथ खाना खाया और फिर मैं अपनी कोचिंग क्लास के लिए निकल गया. जब मैं शाम को वापस आया, तो चाचा मार्किट गये थे और देखा, कि चाची अपने कमरे में श्रृंगार कर रही थी. अपने हाथो में मेहंदी लगा रखी थी. पेरो में सुंदर सा अलता है, मैंने पूछा, कि ये श्रृंगार आज किस लिए? तो वो बोली – ऐसे ही. मुझे तो श्रृंगार में रहना अच्छा लगता है और कह कर टाल दिया. फिर मैंने दिखा, कि चाचा मार्किट से आकर फ्रेश होने चले गये. बाहर कमरे में थाली में कुछ पूजन सामग्री लाये थे. उसमे रसमलाई का एक बड़ा डिब्बा था. मैंने उन्हें देख कर बाहर खेलने चले गया. फिर आकर देखा, कि चाची सोलह श्रृंगार पूरी दुल्हन की तरह सजी थी. जो देवी से कम नहीं लग रही थी. चाची ने कहा – तुम खाना खा लेना. हम काली मंदिर जा रहे है, देवी के दर्शन के लिए. मैंने समझ गया, कि चाची आज कुछ विशेष करने वाली है.

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मैं खाना खाकर जल्दी से ८ बजे ही सो गया और वो लोग थोड़ी देर बाद ही आ गये. मैंने डोर खोला और मैंने जब उन्हें दुल्हन रूप में देखा, तो मेरा फन से खड़ा हो गया. वो बहुत ही हॉट सेक्सी बम दिख रही थी. उन्होंने पूछा – ऐश्वर्या, तुमने खाना खा लिया. मैंने कहा – हाँ. चाची मुझे नीद लग रही है. मैं सोने जा रहा हु. वो एक अमस्वाया की रात थी. मुझे हलकी सी नीद भी लगी थी. चाचा – चाची ने प्यार से मिल कर खाना खाया और टेरेस पर टहलने चल दिए. बाद में, जब मेरी नीद कुछ १२ – १२:३० बीच खुली और मैं टॉयलेट करने जा रहा था. मेरी नज़र चाचा के कमरे पर पड़ी. उनके कमरे की लाइट जल रही थी. डोर और विंडो सब कुछ बंद किये हुआ था. ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। वहां कुछ धुआ हो रहा था. मैंने चुपचाप वहां जाकर खड़ा हुआ. अन्दर से सुंगधित खुशबु आ रही थी. मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. मुझे याद आया, कि चाची के कमरे में जो वेंटिलेटर है. वो टेरेस पर है और वहां से पूरा रूम दिखाई देता है. मैं वहां पहुच गया. मैंने वहां का जो नज़ारा देखा, तो मैं अमजेड रह गया.मैंने देखा, कि चाची पुरे श्रृंगार रूप में पूरी निवस्त्र बालो में कजरा, मांग में सिंदूर, हाथो में मेहंदी लग थी. पेरो में अलता लगा हुआ था और उनके बूब्स और अस में भी मेहंदी लगी थी. उनकी कमर पर वेस्ट चेन बंदी हुई थी. इस रूप में देख कर मैं तो एकदम से वंडर हो गया. पहले कभी ऐसे किसी को श्रृगार रूप में न्यूड नहीं देखा था. चाचा भी पुरे नंगे खड़े थे और टेबल में पूजा की थाली रखी थी. जिसमे पूजा का सामान रखा हुआ था. उस समय करीब १ बजा हुआ था. चाची ने पहले चाचा को तिलक लगाया. फिर उनके हांथो में एक मोली बाँधी और अक्षत – चावल से पूजा. चाचा का लंड खड़ा ही था. चाची ने लंड को दूध – दही आदि से पूजा और फिर एक साफ़ कपड़े से पोछने लगी. इसके बाद लंड पर कुमकुम लगाया.

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फिर एक और मोली उनके लंड पर बाँधी और अक्षत चावल डाले. फिर थाल में दिया जलाकर उसकी आरती उतारी और उसके सामने कुछ मिठाई रखी. ये सब देख कर मैं बहुत एक्साइट हो गया और ऐसी लिंग पूजा मै पहली बार देख रहा था. कुछ देर बाद, चाचा ने थाल पकड़ा और चाची के बूब्स और योनी से को स्नान करवाया और उनके गुप्तांगो को पूजन किया. फिर चाचा ने उनकी चूत की आरती की उतारी. उसके बाद चाची ने चाचा के पेरो को छु कर आशीर्वाद लिया और चाचा ने उन्हें अपनी बाहों में ले लिया और उन्हें अपने आलिंगन में लेकर चूमना शुरू कर दिया. पूरा कमरा सुगंध से महक रहा था. एक सेक्स पूजा देख कर. चाची ने रसमलाई के डिब्बे में से, एक लेकर चाचा के मुह में डाल दिया.दोनों पान की तरह रसमलाई खाकर, एक दुसरे के होठो को चूमने लगे और चाचा ने मलाई रस अपने लंड पर डाल दिया. ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। फिर चाची लंड को चूसने लगी. ये देख कर मैं तो और एक्साइट हो रहा था. फिर दोनों एक कामसूत्र कपल की तरह उन्होंने चाची के दोनों बूब्स दबाने लगे. फिर चाची को बिस्तर पर लेटा दिया और अपना लंड चाची की योनी पर डाल दिया और दोनों सम्भोग का आनंद ले रहे थे. दोनों बहुत ही एक्साइट होकर चोद रहे थे. उन्होंने ६९ की पोजीशन भी लिया था. जब वो दोनों ६९ की पोजीशन में थे, तो मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया था और पेंट के अन्दर ही फनफना रहा था. चाचा ने चाची की चूत को रसमलाई के रस में लपेट कर मीठा कर लिया था और उसको चटकारे लेकर चाट रहे थे. चाची भी रस में लिपटे हुए चाचा के लंड को मस्ती में और जोर – जोर से चूस रही थी. चाचा अपनी गांड को मस्ती हिलाते हुए, चाची के मुह को चोद रहे थे. फिर पता नहीं क्या हुआ, चाचा ने उठकर रूम की लाइट बंद दी और उसके बाद मैं कुछ नहीं देख पा रहा था. मैं रूम में नीचे आकर सो गया और मेरे सोने के १ घंटे बाद ही मेरा नाईट फाल हो गया. मुझे नीद ही नहीं आ रही थी. मेरे दिमाग में वहीँ सेक्स पूजा का दृश्य चल रहा था.

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फिर सुबह उठ कर, मैंने देखा कि चाची फ्रेश होकर देवी पूजन की तैयारी कर रही थी और चाचा काम से निकल गये थे. मैंने चाची को पूछा, कल रात मुझे नीद नहीं आई और मैं छत पर घूम रहा था. चाची सन्न हो गयी और उनको अहसास हो गया, कि मैंने उनके गुप्तांगो की पूजा देख ली है. मैं मुस्कुरा रहा था और वो भी मुस्कुरायी और कहने लगी, तुमने क्या देखा? मैं मुस्कुरा रहा था और वो समझ गयी थी और मेरे फ़ोर्स करने पर, उसने कहा – ये गुप्त पूजा एक बाबा ने बताई थी. इसे लिंग योनी पूजा कहते है. जिससे संतान प्राप्ति जल्दी होती है. धीरे – धीरे, ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। हम अच्छे दोस्त बन गये और सेक्स की बातें करने लगे. उन्होंने बताया, कि ये पूजा करवाचौथ की रात को भी किया जाता है. और मैं भी करुँगी. उनकी उस पूजा को एक साल हो गया था, तो भी कुछ नहीं हो रहा था और वो दोनों इस बात से परेशान थे.फिर मैंने एक दिन चाची को बोला. अब एक पूजा मुझे करने दो और आप बहुत जल्दी प्रेग्नेंट हो जाओगी. वो बोली – मैं कुछ समझी नहीं. मैंने कहा – जब चाचा नहीं होंगे, तब समझाऊंगा. फिर एकदिन जब चाचा काम से बाहर गये हुए थे. उस रात मैं चाची के कमरे में गया और सुबह तक चाची को मस्त चोदा. चाची की काम वासना की तृप्ति पहली बार हुई थी. मैंने उनके मुह, उनकी चूत और उनके गांड के छेद की अच्छी ठुकाई की. फिर मैंने चाची को चाचा के वापस आने तक रोज़ चोदा और एक ही हफ्ते बाद, चाची ने घर में सबको खुशखबरी सुना दी. चाचा भी खुश थे, कि उन दोनों की पूजा सफल हो गयी. लेकिन ये तो सिर्फ मुझे और चाची को मालूम था, कि किसकी पूजा सफल हुई है

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Thursday 28 December 2017

Wednesday 27 December 2017

Kuwari chut ki pehli chudai se lund laal ho gya

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Yeh Chudai Kahani, Pooja ki gulabi chut chudai ki story hai,wo us waqt 12th ki student thi, kya kamal figure tha uska. tight boobs or tight hips. usay dekh kr too mara hosh udar jatay thay. khubsurat bhi boohat thi. unka hamara ghar boohat ana jana tha. aik din wo kisi kaam ssay hamara ghar aiye to maina dartay dartay usay dosti ka kaha, wo koi jawab diye baghair chali gai. main thodra ghabra gaya k pata nahi kya hoo ga. thodri dair guzarna k bade woo dobara aiee or mujhsa dosti krnay par maan gai. main boohat khush hooa. or uski ijazat say uska haat pakadr kr usay kis kr liya. phir din guzartay gaye aik din jb woo kisi kaam say hamaray ghar aiye too maiana usay pakadr kr kiss kr liya.

woo kuch na boli maina or kiss krna shuru kr dien . maina kissing k doran uski bound par hath lagaya too woo itni naram thi k mujhe aisa laga k main koi naram rooi ko daba raha hoo. woo bhi mari kissing or apni bound koo dabanay ka maza lay rahi thi. thodri dair hi guzri thi k uski ammi nay usko awaz dai di or woo chali gai. is trhan kuch din guzartay chalay gaiye or hamari kissing barhti chali gai. aik din mara ghar walay kisi kaam say bair gaye hoye thay or main akela tha ghar main. ek din me collage jaldi wapis aa gea or by chance naima bhi us din collage say jaldi ghar wapis a gai. jis ka mujhe andaza na tha. woo kuch dair bade hamaray ghar koi cheez lainay aie too mujhe akela dekh kr wo mujay kiss krnay lagi. maina bhi kissing shuru kr di phir thodri dair bade kehna lagi k main thori dair main ati hoon. main uska intazar krnay laga. thodri dair bade woo aiee too maina us pakadr kr apni bahoon main lay liya, Virgin phudi chudai realhindisexstories.com pe padh rahe hai.or kissing krna shuru kr di, is kay bade maina uski shirt utar di us ne white balaoz pehan rakha tha. maina us kay mana krna k bawajood uska balaoz utar diya. main too pagal hoo gaya uskay white gool gool khubsurat mamoon koo dekh kr , main diwanoo ki tarhan unko choosnay laga or woo bhi garam hoti gai or aah aah ki awaz nekalny lagi. mera lun bhi khoob hard ho gaya or trouser me say wazeh toor pr nazar any lag gaya. phir maina uski shalwar main hath daala woo alastic pehanti thi.mara hath asani k sath andar chala gaya. main uski khoobsurat gand par hath phairnay lag padra. maina uski shalwar utar di or ab woo mara samnay bilkul naangi khadri thi. kaya khubsurat gora chita jism tha uska or kya figure thay. us ne aaj he undershave ki thi es waja sy us ki phudhi inthai khoobsurat lag rahi thi. me to us ki phudi dekh kr machal he gaya or main too jaisay pagal hoonay hi laga tha. maina usko diwanoo ki trahan kissing krna shuru kr di woo bhi hot ho gai or us ki phudi say pani nikalna shuru ho gaya. phir wo mary kapdray utarnay lagi . usnay mujhe naanga kr diya. maina uskoo apni mota Lun pakadrnay koo kaha too woo sharmai or phir thori dair bade usnay mara Lun pakadr liya. uskay naram garam hath lagtay he mara Lun mazeed tight hoo gaya, woo mara 6 inch ka mota Lun dekh kr kehnay lagi itna mota LUN tum ne kaisay kiya. maina kaha khud hi hoo gaya, phir maian uskay mamoon koo zor zor sya choosna shuru kr diya woo hot hoti chali gai. phir maian uski choot koo apni ungalion say sehlanay laga,

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Friday 15 December 2017

Kamsin Umar me Choot Chudai - Hindi Sex Story

हैलो दोस्तो, मेरा नाम आरव है.. मैं आगरा (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हूँ।
मेरी उम्र 23 साल है.. कद 5 फीट 9 इंच.. रंग गोरा.. दिखने में स्मार्ट और आकर्षक हूँ। जिम जाने की वजह से मेरा जिस्म भी एकदम गठीला है। मेरे डोले 16 इंच.. मर्दाना छाती 42 इंच और लौंडियों के मतलब का लंड.. पूरा 6 इंच लम्बा और मस्त मोटा है।
अब आप मेरी शख्शियत का अंदाजा खुद ही लगा सकते हैं।
मैं अन्तर्वासना का 2007 से नियमित पाठक हूँ या ये कह सकते हैं कि मुझे अन्तर्वासना की लत लगी हुई है। मैंने अन्तर्वासना की 2007 से लेकर आज मेरी कहानी प्रकाशित होने तक एक भी कहानी नहीं छोड़ी है।
पहले तो मैं ऐसी साईट को जनलोकप्रिय बनाने के लिए इसके पाठकों का कोटि-कोटि धन्यवाद करता हूँ।
अब आप लोगों को ज्यादा न पकाते हुए मैं मुख्य कहानी पर आता हूँ। यह मेरे पहली चुदाई और अन्तर्वासना पर पहली कहानी है।
जब मेरी उम्र 19 साल थी.. मेरी गर्लफ्रेंड जिसका नाम देविका (नाम बदला हुआ है जिससे कि उसकी बदनामी न हो) जिसकी उम्र 18 साल थी।
उसकी फिगर क्या बताऊँ.. यारों उसका गोरा रंग और 32-26-34 का जिस्म.. जब वो चलती है तो हय.. दिल पर छुरियाँ चल जाती हैं और लौड़े पर तो मानो क़यामत आ जाती है। उसके उठे हुए मम्मे मानो ताजे पके आम.. लहराते बाल.. कटीली निगाहें.. मस्त उभरे हुए चूतड़ों से तो कलेजा हलक में आने को हो जाता है।
बाकी फालतू बातें तो आप और कहानियों में पढ़ ही लेते हैं। वो एक जूनियर स्कूल में पढ़ाती थी। उस स्कूल के 26 जनवरी के प्रोग्राम में मेरी और उसकी मुलाकात हुई थी। उस स्कूल में मेरी एक फ्रेंड जिसका नाम अंशिका है.. वो भी पढ़ाती थी।
उसकी वजह से ही हम दोनों की मुलाकात हुई।
जब भी में अपनी फ्रेंड अंशिका के घर जाता तो वो भी मुझे वहीं मिलती थी।
मेरी फ्रेंड के घर पर ही.. धीरे-धीरे हम दोनों की बातों का सिलसिला शुरू हो गया।
फिर हम दोनों ने अपने-अपने मोबाइल नंबर भी एक-दूसरे से ले लिए थे।
पहले तो हम दोनों की नार्मल बातें होती थीं.. पर धीरे-धीरे ये नार्मल बातें सेक्स की तरफ बढ़ने लगीं।
देर रात तक हम दोनों मैसेज से अश्लील बातें.. ‘जैसे तुम्हारे दूध पीने का मन हो रहा है.. चूत में लंड डालना है..’
हम दोनों ही एक-दूसरे में समाने को बेताब हो रहे थे और मेरे और उसके दिन अपना हाथ जगन्नाथ करते-करते कट रहे थे।
चुदाई की बातें करते-करते हम दोनों कब झड़ जाते.. पता ही नहीं चलता था।
करीब चार महीनों तक ऐसे ही चलता रहा।
हम दोनों को मिलने की कहीं कोई जगह नहीं मिल रही थी.. या ये कह सकते हैं कि छोटी उम्र होने के कारण हम दोनों की कहीं बाहर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
पर कहते है न कि जहाँ चाहत है.. वहाँ कोई न कोई रास्ता निकल ही आता है।
एक दिन मेरे घर कोई नहीं था.. मैंने उसे अपने घर बुलाने का प्रोग्राम बनाया और उसे घर में किसी के न होने के बारे में बताया।
वो मेरे घर आने के लिए तैयार हो गई। जितनी जल्दी मुझे उसे चोदने की थी.. उतनी ही जल्दी उसे भी चुदवाने की भी थी।
हम दोनों ही एक दूसरे में समाने को बेताब थे, मेरे घरवालों के जाने बाद मैंने उसे बुलाया।
वो गुलाबी रंग का सूट पहन कर आई थी। क्या माल लग रही थी वो…
पहले मैंने उसे अपना पूरा घर दिखाया.. फिर हम दोनों ने कोल्ड ड्रिंक पी। उसके बाद मैं उसे अपने कमरे में ले आया।
वहाँ हम दोनों 15 मिनट तक एक-दूसरे से चिपके रहे.. उससे चिपके हुए ही मैंने उसे चुम्बन करना शुरू कर दिया। मैं उसे उसके होंठों पर चुम्बन कर रहा था। वो भी चुम्बन करने में मेरा पूरा-पूरा साथ दे रही थी।
फिर मैंने उसकी गर्दन पर चुम्बन करना शुरू किया.. वो बहुत गर्म हो रही थी।
उसको चूमने के साथ-साथ मैं उसके दूध भी दबा रहा था। अब मैंने उसकी चुनरी हटाई.. फिर उसकी कुर्ती उतार कर वहीं फर्श पर ही डाल दी।
सफ़ेद ब्रा में कैद उसके चूचे क्या मस्त उठे और तने हुए लग रहे थे। उसके चूचों के गोरे रंग के सामने ब्रा का सफ़ेद रंग भी फीका लग रहा था।
मैं पागलों की तरह उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचे दबाने और चूसने-चाटने लगा। फिर मैंने उसकी ब्रा को भी अलग कर दिया।
अब मेरे लिए संयम करना बहुत मुश्किल हो रहा था।
ये सब करते करते मेरा लंड उत्तेजना की वजह से फटा जा रहा था। मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े निकाल दिए.. फिर उसके भी सारे कपड़े निकाल दिए।
अब हम दोनों ही नंगे थे.. वो बहुत शर्मा रही थी। उसने एक हाथ से अपने चूचे और एक हाथ से अपनी चूत छुपा रखी थी।
मैं उसे प्यार से अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर ले आया।
अब मैं उसे पागलों की तरह चूम रहा था। फिर मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा और उसे दबाने के लिए कहा।
वो भी पागलों की तरह मेरे लंड को दबाने और खींचने लगी और मैं उसके चूचे दबा और चूस रहा था।
उसके बाद वो बहुत ही उत्तेजक आवाजें निकाल रही थी। मैंने उसे लण्ड चूसने के लिए कहा.. पर उसने मना कर दिया।
ये सब मैंने ब्लू-फिल्म में देखा था और मैं उसके साथ भी वही सब करना चाहता था।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
वो ‘आह.. आह.. आह..’ की आवाजें निकाल रही थी।
फिर वो मुझसे लंड अन्दर डालने के लिए कहने लगी.. पर साथ में वो थोड़ा डर भी रही थी।
मैंने उसे समझाया.. पर मैं भी ज्यादा कुछ नहीं जानता था.. सिर्फ ब्लू-फिल्म देखने के कारण और दोस्तों से मुझे इन सबके बारे में कुछ-कुछ पता था।
गर्म तो वो भी बहुत हो चुकी थी.. फिर उसने कहा- तुम करो.. जो होगा मैं देख लूंगी।
मैंने पहले उसकी चूत में थूक लगाकर एक ऊँगली डाली.. उसकी चूत बहुत कसी हुई थी.. वो दर्द और मस्ती की मिश्रित आहों से कराहने लगी।
मैं साथ में उसके चूचे भी दबा रहा था।
वो ‘आह.. आह.. आह.. ऊह.. आह..’ जैसी सेक्सी आवाजें निकाल रही थी। इसके साथ ही वो लंड डालने के लिए भी कहने लगी।
फिर मैंने भी देर न करते हुए अपने लंड पर कंडोम चढ़ाया.. जो मैंने उसे चोदने के लिए पहले से ही लाकर रखा हुआ था.. पर अचानक ही उसने मुझे अपने नीचे कर लिया और मेरे बदन पर पागलों की तरह चुम्बन करने लगी और कहीं-कहीं तो वो मुझे काटने भी लगी थी।
वो बहुत ही ज्यादा चुदासी और उत्तेजित हो रही थी। फिर मैंने उसे अपने नीचे लिटाया और अपना लंड उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा।
उसकी चूत बहुत कसी हुई थी.. मतलब कि वो अनचुदी हुई थी।
मैंने उसकी चूत पर अपने लंड को पकड़ कर थोड़ा दबाया तो लंड ‘पक्क..’ की आवाज के साथ सुपारा थोड़ा अन्दर घुस गया।
‘आह.. मर गई.. प्लीज मुझे छोड़ो.. बहुत दर्द हो रहा है..’
यह कहते हुए वो दर्द से छटपटाने लगी। मैंने उसे कस कर जकड़ लिया और साथ में उसके होंठों को चुम्बन भी करने लगा। मैं उसके चूचों को भी दबाने लगा.. जब वो थोड़ी देर में कुछ सामान्य हुई.. तो मैंने नीचे से अपने लंड को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करना शुरू किया।
फिर जब उसे थोड़ा मजा आने लगा.. तो मैंने एक हल्का सा धक्का और मारा इस बार मेरा 3 इंच से ज्यादा लंड अन्दर घुस गया।
वो दर्द से बुरी तरह छटपटाने लगी.. पर मेरे होंठों से उसके होंठ बंद होने की वजह से उसकी आवाज नहीं निकल पाई।
साथ ही मैंने उसे पूरी तरह से अपने नीचे जकड़ा हुआ था.. जिससे वो हिल भी नहीं पा रही थी।
उसकी चूत से खून निकलने लगा था.. उसकी झिल्ली फट चुकी थी। मैं उसे इसी तरह चुम्बन करता रहा और उसके चूचे भी दबाता रहा।
फिर मैं उसके निप्पलों को अपनी उँगलियों से रगड़ने लगा।
अब उसका दर्द काफी कम हो चुका था। फिर थोड़ी देर बाद उसे अच्छा लगने लगा.. तो उसने मुझे उसने और आगे चुदाई करने का इशारा किया।
मैंने उसे थोड़ा ढीला छोड़ा और अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा। फिर मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को पूरा अन्दर तक घुस दिया।
अब मेरा 6 इंच का लवड़ा पूरा का पूरा उसकी चूत के अन्दर था।
अब वो ‘आह.. आह.. उह.. आह.. आह मर गई.. आह..’ की आवाजें निकालने लगी।
मैं अपने पूरे वेग से उसे चोदने लगा। मुझे बड़ा मजा आ रहा था.. कुछ ही देर में वो भी अपनी चूत उठा-उठा कर चुदाई करने में मेरा साथ देने लगी थी।
थोड़ी में ही हम दोनों साथ-साथ झड़े.. फिर मैं उसके ऊपर ही चिपक कर लेटा रहा और हम दोनों की साँसें हमारे काबू में नहीं थीं.. हम बुरी तरह हाँफ रहे थे।
थोड़ी देर बाद मैं उसके ऊपर से उठा.. पर उससे उठा नहीं जा रहा था। मैंने उसे उठाया और अपने साथ ही बाथरूम लेकर गया।
वहाँ उसने अपनी चूत और मैंने अपना लंड साफ़ किया.. पर अब भी उससे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। मैं उसे बिस्तर तक ले कर आया.. वहाँ उसने चादर पर खून देखा.. तो वो थोड़ा घबरा गई। फिर मैंने उसे समझाया.. और उसने वो चादर साफ़ की।
उसके बाद हमने खाना खाया। फिर थोड़ी देर आराम करने के बाद हमने दुबारा चुदाई शुरू की.. इस बार मेरा लंड आधा घंटे तक नहीं झड़ा.. पर वो तीन बार झड़ गई थी।
फिर उसके बाद हम दोनों फ्रेश हुए.. अपने कपड़े पहने और उसने कमरा और बिस्तर ठीक किया और मुझे चुम्बन करके बोली- आज मुझे बहुत मजा आया और आगे जब भी मौका मिलेगा हम चुदाई जरूर करेंगे।
फिर वो अपने घर चली गई। उसके जब भी हमें मौका मिलता.. हम चुदाई का ये खेल जरूर खेलते हैं.. कभी मेरे घर.. कभी उसके घर.. कभी मेरे दोस्तों के घर या कभी उसकी सहेलियों के घर.. और फिर एक बार तो मैंने उसकी गाण्ड भी मारी।
कैसे हुआ ये सब.. यह मैं अगली कहानी में आपकी प्रतिक्रिया मिलने के बाद लिखूँगा।
वैसे अब उसकी शादी हो चुकी है। उसके बाद तो मैंने कई लड़कियों.. भाभियों आंटियों की चुदाई भी की.. कई तो पैसे लेकर भी चुदाई की।
यह मेरी अन्तर्वासना पर पहली कहानी है.. अगर लिखने में कोई गलती हुई.. तो प्लीज उन्हें आप अपनी समझ के अनुसार सही कर लीजिएगा और मुझे अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव जरर दीजिएगा जिससे कि मैं आगे भी आपको अपनी और चुदाई के किस्से बता सकूँ।
aaravf.friend@gmail.com



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Wednesday 13 December 2017

Friday 8 December 2017

Choot Chod Kar Shadi ki - Hindi Sex Story

मेरा नाम सुदर्शन है.. मैं उत्तर-प्रदेश में रहता हूँ। मेरा लंड 17 सेंटीमीटर लम्बा है.. आप हंसिए मत मैंने नाप कर लिखा है।
वैसे तो यह घटना पुरानी है.. पर जब भी मैंने अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ीं तो मुझे भी लगता था कि मैं भी अपनी सत्य घटना आप सबसे साझा करूँ।
जब मेरी बड़ी बहन की शादी हुई तो मैं पहली बार उनको उनकी ससुराल लिवाने गया।
उस समय मेरी उम्र किशोर वय की थी।
बाद में बहन की ससुराल में मेरा जाना-आना होने लगा और एक बार जब मेरी स्कूल की छुट्टियाँ हुईं तो मेरे जीजाजी ने मुझे उधर ही रोक लिया और मैंने पूरे दो महीने की गर्मी की छुट्टियाँ वहीं बिताईं।
मेरे जीजा जी की चार बहनें थीं.. वहाँ उनकी चार बहनों के साथ खेलने के दौरान कृति से.. मेरी सबसे ज्यादा पटती थी..
वो चारों बहनों में सबसे छोटी थी पर मुझसे 8 माह बड़ी थी.. उससे मेरी अच्छी दोस्ती हो गई।
अब मैं हर साल गर्मी की छुट्टियाँ वहीं बिताता।
धीरे-धीरे उसके साथ मेरी दोस्ती.. प्यार में बदलने लगी।
अब वो 19 की हो गई थी। हम एक-दूसरे से मजाक करते थे।
अकेले में एक-दूसरे के अंगों से छेड़-छाड़ भी करते.. पर चुदाई का मौका नहीं मिला।
समय यूँ ही गुजरता गया.. उसने बीए करने के बाद बीटीसी करने के लिए फार्म भरा और मेरे शहर में परीक्षा देने के लिए सेंटर चुना।
अब वो मेरे घर पर रह कर पढ़ाई करने लगी।
मैं भी आरआरबी और एसएससी की तैयारी करने लगा।
मेरा पढ़ाई का कमरा ऊपर था.. वो भी वहाँ दिन में पढ़ने आती थी। कमरे में एक पट्टे से बुनी हुई खटिया थी।
उस जमाने में मस्तराम की किताबें ही हम लोगों की कामेच्छा की पूर्ति करती थीं.. आजकल की तरह मोबाइल का जमाना नहीं था।
मैं अक्सर चुदाई की किताब पढ़ते समय खटिया के पट्टे को सरका कर छेद में अपना लंड डाल कर खटिया-चोदन करता।
यह हस्तमैथुन से ज्यादा मजा देता था।
एक दिन मैं मस्तराम की नई किताब ले आया और हमेशा की तरह पढ़ते समय खटिया के छेद में लिंग डाल कर आगे-पीछे करने लगा..
कुछ समय बाद वीर्यपात हुआ।
तभी खटिया के नीचे से किसी की कसमसाहट की आवाज हुई।
मैंने देखा वो कृति थी।
वो नीचे लेटी थी और सोने का नाटक कर रही थी।
मैंने उसे खटिया के नीचे लेटा देख कर उससे शर्मिंदगी से देखा।
मेरा वीर्य गिरने से वो गीली हो कर उठ गई।
वो बोली- वाशिंग मशीन घर में है.. और तुम पत्थर पर कपड़े धो रहे हो।
उसकी बात सुन कर मैं हतप्रभ रह गया.. मेरी सोयी ही वासना जाग उठी।
वो भी मस्त होकर मेरी तरफ देख रही थी।
मैंने उसकी ओर प्यार से देख कर उसकी तरफ अपनी बाँहें फैला दीं और कृति आगे बढ़ कर मेरे बाहुपाश में बंध गई।
फिर हमारे होंठ एक हो गए.. धीरे-धीरे हम दोनों के जिस्म एक-दूसरे में समा गए।
उसने फुसफुसा कर कहा- दरवाजे बन्द कर लो।
मैंने दरवाजे बन्द किए और उस पर टूट पड़ा.. कब उसके वस्त्रों को मैंने उतार दिया पता ही नहीं चला।
उसके नग्न सौन्दर्य को मैं अपलक देखता ही रह गया। जबरदस्त कटीली छमिया लग रही थी.. उसके 32 नाप की रस भरी मुसम्मियाँ बिल्कुल उठी हुई थीं.. एकदम गोल.. हय.. मुझे तो नशा सा हो गया था।
नीचे सफाचट मैदान.. काम-छिद्र को मानो आज पूर्णरूप से छिदवाने की तैयारी थी..
तभी उसने आगे बढ़ कर मेरी लुँगी खींच दी.. और मेरा 17 नम्बर का औजार अपने हाथों में ले लिया।
मैं चौंक गया।
पूर्णरूप से उत्तेजित लण्ड अपने फौलादी रूप में आ चुका था।
मैंने उसको अपनी बाँहों में ले लिया और खटिया पर धकेल दिया।
कृति चित्त होकर मेरे लिए बिल्कुल खुली पड़ी थी।
हम दोनों का ही पहली बार था.. बहुत देर तक प्रणय लीला करने के बाद मैंने अपना लिंग उसकी योनि में पेवस्त कर दिया.. हाँ.. यह सत्य है कि उसको बहुत दर्द हुआ.. पर उसकी बहुत जोर से चीखें निकली हों.. ऐसा नहीं हुआ।
करीब दस मिनट तक हम दोनों का मिलन हुआ मैंने उसको बहुत दम से चोदा.. और चरम पर पहुँच कर मैंने उसको शिथिल होते हुए महसूस किया.. तभी मेरे लवड़े ने भी अपना लावा उगल दिया।
हम दोनों एक हो चुके थे.. कुछ पलों के बाद जब हम अलग हुए तो मुझे उससे निकले हुए रक्त के बारे में जानकारी हुई।
एक प्रसन्नता हुई कि वो कुँवारी थी और मैंने ही उसका कौमार्य भंग किया था।
फिर जब मौका मिलता हम चुदाई करते.. पर मैं इस बात का ध्यान रखता कि कहीं उसको बच्चा न ठहर जाए।
फिर उसका चयन टीचर हेतु हो गया।
मैंने दीदी और जीजाजी से बात की- मैं और आपकी बहन कृति शादी करना चाहते हैं।
वो तैयार नहीं हुए।
मैंने कृति को कोर्ट मैरिज करने के लिए कहा।
वो बोली- मैं भइया के खिलाफ नहीं जा सकती।
मैंने एक ट्रिक चली।
अब मैं बिना कंडोम के संबंध बनाता था।
इससे वो गर्भवती हो गई.. उसे पता चलने पर उसने मुझसे गर्भपात की दवा लाने को कहा।
मैं मेडिकल स्टोर से विटामिन की गोलियां रैपर से फाड़ कर उसको
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Friday 1 December 2017

चॉकलेटी चूत वाली आंटी की चुदाई - Chocolate Chut Wali Aunty Ki Chudai | hindi sex Story

यह कहानी आज से कुछ महीने पहले की है.. बात कुछ ऐसी है कि मैं रोज़ जब भी घर से निकल कर अपने जॉब पर जाता हूँ.. तो मेरे घर के थोड़ा फासले पर एक स्कूल है.. वहीं से होकर मेरा रोज़ आना-जाना रहता है।
जैसे ही में स्कूल के पास पहुँचता हूँ.. तो एक आंटी अपने बच्चे को स्कूल छोड़ने आती हैं और तकरीबन रोज़ ही मेरा और उनका आमना-सामना हो जाता था और हम दोनों एक दूसरे के चेहरे को देखते थे।
वो अक्सर मुझे देख कर मुस्कान भी देती थीं। वो स्कूटी से आती थीं और जब वो गाड़ी खड़ी करके अपने बच्चे को स्कूल में अन्दर ले जाती थीं.. तो मैं वहीं पर खड़े होकर उनका इन्तजार करता रहता।
इस तरह कई दिन ऐसे ही गुज़र गए.. मुझे आंटी की गाण्ड देखने में बहुत मज़ा आता था। आंटी की उठी हुई बड़ी सी गाण्ड बड़ी मस्त लगती थी.. और उनके मम्मे भी बड़े-बड़े थे।
मैं उनको कई बार प्यासी नजरों से देखता था.. मुझे वो एक बहुत ही मस्त चोदने लायक माल नजर आती थीं।
जब मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता तो मैं उनको चोदने का प्लान बनाने लगता.. और अब तो मैं रोज़ ही उनके आने से पहले ही स्कूल के पास पहुँच कर उनका इन्तजार करने लगा था।कई बार मैंने उनसे बात करनी चाही.. लेकिन मेरी फटती थी.. हिम्मत नहीं होती थी।
फिर एक दिन मैंने हिम्मत की कि आज उनसे कुछ बात जरूर करूँगा.. सो मैं अच्छी तरह तैयार होकर स्कूल के पास जाकर खड़ा हो गया और उनका इन्तजार करने लगा।
ठीक समय पर जैसे ही आंटी आईं.. तो मैं उनको घूर-घूर कर देखने लगा.. वो मुझे कातिल नजरों से देखती हुई अन्दर चली गईं.. कुछ ही पलों में वो अपने बच्चे को स्कूल में छोड़ कर वापस आईं और अपनी स्कूटी स्टार्ट करने लगीं.. लेकिन कई बार किक मारने के बाद भी उनकी स्कूटी स्टार्ट नहीं हो रही थी। फिर आंटी थक कर इधर-उधर देखने लगीं और फिर उन्होंने मुझे आने का इशारा किया।
मैं- क्या हुआ आंटी?
आंटी: पता नहीं.. क्यों गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही है ज़रा तुम देखो..
मैं- ओके..
मैंने अच्छी तरह गाड़ी के प्लग को साफ़ किया और फिर किक मारी.. चोक भी दिया.. मगर गाड़ी स्टार्ट नहीं हुई।
फिर मैंने पूछा- आप कहाँ रहती हो?
वो बोली- मैं कैम्प में रहती हूँ..
मुझे मालूम था कि कैम्प इधर से काफी दूर है.. तो मैंने उनसे कहा- आप आओ.. मेरा घर पास में ही है.. आप वहीं रुक जाओ.. मैं आपकी गाड़ी गैरेज से ठीक करवा कर ला देता हूँ।
तो वो बोलीं- ठीक है।
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फिर गाड़ी को साइड में खड़ी करके मैं आंटी को ले कर अपने घर ले आया और उन्हें अपनी मम्मी से मिलवाया।
‘मम्मी.. ये मेरे फ्रेंड की मम्मी हैं।’
मैंने झूठ बोल दिया और आंटी ने मुझे देख कर बस एक कंटीली मुस्कान दे कर रह गईं।
फिर मैं उनकी गाड़ी गैरेज में ले गया और उधर मिस्त्री ने चैक किया और बताया- इंजिन में कोई प्रॉब्लम है इसमें समय लगेगा.. आज नहीं हो पाएगा..मैंने घर जाकर आंटी को बताया, वो बोलीं- ठीक है..
मम्मी ने कहा- जा.. आंटी को उनके घर ड्राप कर दे।
मैंने अपनी बाइक पर आंटी को बिठाया और उनके घर की तरफ चल दिया। रास्ते में आंटी बार-बार अपने मम्मों को मेरी पीठ पर टच कर रही थीं।
मुझे उनके दूधों के टकराव से बहुत मज़ा आ रहा था। घर पहुँच कर आंटी ने मुझे चाय ऑफर की.. तो मैं जानबूझ कर नाटक करने लगा।
आंटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और अन्दर चलने को कहने लगीं, मुझे अन्दर जाना पड़ा.. वैसे मेरा मन तो था ही।
आंटी का घर बहुत बड़ा और बहुत खुबसूरत था.. मैंने उनके घर की तारीफ की.. तो उन्होंने ‘थैंक्स’ कहा और रसोई में चाय लेने चली गईं।
मैं एक सोफे पर बैठ गया और जब आंटी चाय लेकर आईं.. तो मैंने पूछा- आंटी घर में आप अकेली रहती हो क्या?
आंटी- हाँ.. ऐसा ही समझो.. मेरे पति हर दूसरे दिन आउट ऑफ़ सिटी जाते हैं वो एक कम्पनी चलाते हैं और इसी वजह से वो अक्सर सिटी से बाहर ही रहते हैं।
जब आंटी ये सब बोल रही थीं.. तब मेरी नजर उनके मम्मों पर टिकी थी.. क्योंकि पहली बार मैं उनके रसीले मम्मों को बहुत पास से देख रहा था। उनके मम्मे बिल्कुल गोल और सख्त थे।
यह बात आंटी ने नोटिस कर ली थी.. फिर वो अपनी चिर-परिचित कटीली मुस्कान देते हुए बोलीं- क्या देख रहे हो?मैं शर्मिन्दा होकर मुस्कराने लगा.. पर आंटी ने फिर पूछा- बताओ न.. क्या देख रहे थे?
मैं बोला- जो देखने की चीज थी उसे देख रहा था..
आंटी बोलीं- छूना चाहोगे?
मैंने खुश होकर उनकी जाँघ पर हाथ रख दिया।
आंटी ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और हम चूमा-चाटी करने लगे.. साथ ही मैं अपना हाथ उनके मम्मों पर रख कर.. उनके मम्मों को जोर-जोर से मसलने लगा।
आंटी अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर तक घुसेड़ कर चुसवाने लगीं.. और एक हाथ से मेरे लण्ड को मसलने लगीं।
मेरा लण्ड जो कि साढ़े सात इंच का है.. वो अकड़ गया और पूरे जोश में आ गया। अब तक मैंने आंटी के सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए थे।
वो बोलीं- चलो.. बेडरूम में चलते हैं..
बेडरूम में जाकर आंटी ने मुझसे बोला- एक मिनट इन्तजार करो.. मैं अभी आई..
वो अपनी गाण्ड मटकाती हुई रसोई में चली गईं.. और उधर से चॉकलेट ले आईं।
अब उन्होंने अपनी अनुभवी ठरक दिखाई और मुझे पूरा नंगा करके मेरे लण्ड पर आधी चॉकलेट गिराकर चूसने लगीं..याआआ येस्स्स्स..’
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. और फिर मैं उनके मुँह में ही झड़ गया और वो मेरे माल की साथ सब चॉकलेट भी चाट गईं.. और फिर वो मुझे उठाकर एक लम्बी चुम्मी करते हुए बेड पर अपनी चूत खोल कर लेट गईं और टाँगें फैला कर अपनी चूत पर चॉकलेट लगाकर मुझे चूत चाटने का कहा..
मैंने उनकी चूत को चाटने के लिए अपना मुँह उधर को बढ़ाया तो उन्होंने मेरा सर अपनी चूत पर रख दिया और मैं खूब जोर-जोर से चूत को चाटने लगा। मैं उनकी ‘जी-स्पॉट’ को जुबान से मसलने लगा।

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वो भी मस्त होकर अपनी गाण्ड उठा-उठा कर चूत चुसवाने लगीं और फिर ‘आह्ह्ह…’ करती हुई झड़ गईं.. तो मैंने भी उनका पूरा पानी चाट लिया।
फिर आंटी ने बोला- प्लीज.. अब अपने लण्ड को मेरी चूत में डाल दो..
मैंने अपने लण्ड को उनकी चूत पर रख कर घिसने लगा.. तो वो नागिन की तरह मचलने लगीं और बोलीं- अब डाल भी दो..मैंने लण्ड को चूत से सटा कर एक झोरदार झटका मारा.. आंटी की चीख निकल गई।
‘आह्हह्ह.. आआअह ह्ह मर गई.. भोसड़ी के.. जरा धीरे से.. तेरा लण्ड है या हथौड़ा.. बहुत तेज धक्का दे दिया.. रे तूने.. हरामी..’
फिर मैं लौड़े को चूत में सैट करके धक्के लगाने लगा और कुछ ही देर में मैं पूरी स्पीड में धक्के मारने लगा।
अब वो भी अब मजे ले कर अपनी गाण्ड उठा-उठा कर चुदवाने लगीं।
वे चुदाई की मस्ती में बोल भी रही थीं- और तेज़.. और तेज़ य्य्य्यीआ.. य्य्य्यीस.. कम ऑन.. फ़क मी हार्ड यययइस..
वे ऐसी कामुक आवाजें निकाल रही थीं.. फिर उन्होंने मुझे नीचे गिरा कर अपनी चूत मेरे लण्ड पर रख कर उछलने लगीं और मैं उनके मम्मों को जो कि बहुत मजे से झूल रहे थे.. पकड़ कर मसलने लगा।
फिर कुछ देर बाद उन्हें मैं डॉगी स्टाइल में चोदने लगा।
अब तक आंटी का दो बार पानी निकल चुका था और अब मैं भी झड़ने वाला था।मैंने आंटी से बोला.. तो वो हाँफते हुए उठ कर मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगीं और बोलती जा रही थीं- आह्ह.. ये लण्ड नहीं हथौड़ा है.. अन्दर सब दीवारें तोड़ दीं इसने..
मैं उनके मुँह में झड़ गया और आंटी ने चाट-चाट कर मेरा लवड़ा चमका दिया।
इसके बाद तो आंटी मेरी पक्की चूत की जुगाड़ बन गई थीं.. कुछ समय बाद वे शहर छोड़ कर चली गईं।
तो यह थी मेरी सबसे यादगार चुदाई।
आप सभी के कमेन्टस का स्वागत है।
babusharma525@gmail.com

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Tuesday 28 November 2017

चोर से चूत चुदवाई - chor se chut chudai | Hindi Sex Story | Gandi khaniya

दोस्तो, आज आपके लिए एक नई कहानी पेश है।
यह एक ऐसी कथा है जो बताती है कि जब काम दिमाग में चढ़ जाता है तो फिर और कुछ नहीं सूझता।
यह कहानी है इलाहाबाद के रहने वाली एक बहुत ही संभ्रांत घर की महिला जिसका नाम है सरोजिनी।
अब इलाहबाद में सरोजिनी को ढूंढने मत निकाल पड़ना क्योंकि सरोजिनी की पहचान छुपाने के लिए शहर का नाम बदल दिया गया है। बाकी कहानी में आने वाले सभी पात्रों के नाम असली हैं और सभी घटनाएँ बिल्कुल सच्ची हैं।
मैं, सरोजिनी, उम्र करीब 53 वर्ष, इलाहाबाद के एक अमीर और रसूखदार घर की मालकिन हूँ। पति के बहुत से कारोबार हैं, दोनों बेटे और मेरे पति मिल कर कारोबार संभालते हैं।
मगर जितना बड़ा कारोबार होता है, उतनी ही परेशानियाँ भी होती हैं।
इन्हीं परेशानियों की वजह से मेरे पति को हाई शूगर हो गई, शूगर का सबसे ज़्यादा असर उनकी आँखों, स्किन और सेक्स पावर पर हुआ। जो आदमी मुझे आधा पौना घंटा रगड़ता था वो इंसान अब इस हालत में था कि मैं जो मर्ज़ी कर लूँ मगर उसके अंग में कोई करार नहीं आता था, ज़िंदा मुर्दा एक समान था।
अब आप सोचेंगे के एक औरत होकर मेरी भाषा ऐसे कैसी हो गई?
तो सुनो, आज की बात नहीं है, करीब 3 साल पहले मैं अपनी किट्टी पार्टी में गई थी, वहाँ पर मेरी एक सहेली जो अपने पति की शुगर की प्रॉबलम के वजह से मेरी तरह ही काम अगन में जल रही थी, उसने मुझे बताया कि अगर ज़्यादा आग लगे तो अन्तर्वासना डॉट कॉम पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ लिया कर और अपने हाथ से ही अपनी वासना को शांत कर लिया कर!अब पिछले तीन साल से मैं यही कर रही हूँ। जब घर पे कोई नहीं होता तो अपने लैपटाप पे अन्तर्वासना डॉट कॉम खोली, कोई अच्छी सी कहानी पढ़ी और कोई भी चीज़ जो मुझे ठीक ठाक लगी, अपने अंदर डाली और अपनी आग बुझा ली। किसी को पता भी नहीं चला, काम क्षुधा भी शांत हो गई, और बाहर मुँह मारने की भी ज़रूरत नहीं!
और जब पति को बताया तो उन्होंने भी बुरा नहीं माना, बल्कि मुझे एक प्लास्टिक का लंड ला कर दे दिया।
अब तो हालत यह हो गई कि पति देव मेरी चाटते, मैं उनका मरा हुआ लिंग चूसती, वो खुद उस नकली लंड को मेरी योनि में पेलते, और जब दोनों शांत हो जाते तो सो जाते।
कभी कभी मैं अकेली भी कर लेती, कभी कभी जब मेरा दिल करता तो पति के सामने ही कर लेती… वो भी हंस देते, उन्हें पता था कि मैं जो भी कर रही हूँ उनके सामने ही कर रही हूँ।
बेशक मेरी सेक्स की ज़रूरत पूरी हो रही थी, मगर फिर दिल में एक बात बार बार आती कि अगर कोई सच में ऐसा मर्द हो जिसका लंड सच में इस डिल्डो (नकली लंड) जितना तगड़ा हो तो उससे चुद कर क्या मज़ा आए!
मगर इसके लिए मुझे बाहर किसी और मर्द से चुदवाना पड़ता और वो मेरी बदनामी का कारण हो सकता था।
चलो खैर…
शाम को हम कभी कभार क्लब चले जाते थे, अब जब घर में बेइंतेहा पैसा हो तो पैसा अपने साथ बहुत सी बुरी आदतें भी लाता है। हमारे घर में सभी को शराब, सिगरेट की आदत थी। सभी मर्दों को और औरतों को भी।

घर की बहुएँ भी पीती थी, मैं तो सास थी, मैं कैसे पीछे रह जाती।
पति को जुआ खेलने की भी लत थी। सिर्फ यही नहीं और सब तरह की बुरी बातें भी हमारे घर में हो रही थी।
मुझे पता था के मेरे दोनों बेटों की बाहर भी सेटिंग थी और तो और मेरी दोनों बहुओं के भी बाहर यार रखे हुये थे, मगर हाई सोसाइटी में इन बातों को कोई महत्व नहीं दिया जाता।
दिवाली की रात थी, हम सब क्लब में थे, सबने उस दिन खूब दारू पी।
करीब ढाई बजे जब मुझे लगा कि मुझे ज़्यादा हो गई है तो मैंने अपने पति से घर चलने को कहा।
मगर उनके तो पत्ते फंसे थे, वो बोले- तुम जाओ घर, मैं तो अभी और खेलूँगा।
मैं क्या करती, बाहर आई, नशे में मैं लड़खड़ा रही थी, कार में बैठी और ड्राइवर घर तक ले आया।
कार से उतर कर जाने लगी तो लड़खड़ा के गिर पड़ी। ड्राइवर भागा भागा आया और आकार उसने मुझे उठाया- अरे मैम संभाल कर!
बेशक उसने मुझे सहारा देकर उठाया, मगर उसके हाथों के छूने से मैं पहचान गई कि साला मौके का फायदा उठा रहा है। वर्ना संभालने में कोई किसी औरत की छाती पकड़ता है।
मैंने उसका हाथ आराम से हटा दिया।
फिर एक बार सोचा, आज घर में कोई नहीं है, अगर मैं इसे ही अपने बेडरूम में ले जाऊँ तो?
फिर सोचा, नहीं नहीं, यह तो पता नहीं किस किस को बताएगा कि मैंने मेम साब की ली है।
छोड़ो इसे, मैं खुद को संभालती अपने बेडरूम में आ गई ए सी ऑन किया, बाथरूम में गई, अपने सारे कपड़े उतारे, पहले तो शावर के नीचे बैठे के खूब नहाई, फिर वापिस अपने कमरे में बिना कोई कपड़ा पहने ही आ गई!
मगर यह क्या, कमरे की बत्ती क्यों बंद है, मैं तो जला कर गई थी।
जैसे ही मैं बत्ती जलाने लगी, किसी ने मुझे पीछे से धर दबोचा और मुझे पटखनी देकर नीचे कालीन पे ही गिरा दिया।
उसने एक हाथ से मेरा मुँह बंद किया और बोला- देखो आंटी अगर चुप रहोगी तो जान बच जाएगी।
मैंने उसे इशारे में हाँ कही।उसने मेरे मुँह से धीरे से अपना हाथ हटा लिया।
‘क्या चाहते हो?’ मैंने थोड़ा कड़क कर पूछा।
‘मैं एक चोर हूँ और तेरे घर में चोरी करने आया हूँ।’ वो बोला।
मैंने पलट कर उसकी तरफ देखा, उसके मुँह पे कपड़ा बंधा था। मगर मैंने यह भी महसूस किया था कि जैसे उसने मुझे नीचे गिराने में और मुझे दबा के रखने में अपनी ताक़त दिखाई थी, वाकई वो एक तगड़ा मर्द था।
मेरे दिमाग में तभी एक खुराफात ने जन्म ले लिया, मैं बोली- कितने की चोरी करोगे हमारे घर में?
वो बोला- जितने की हो सके!
मैंने कहा- अगर मैं तुम्हें कुछ पैसे दूँ तो क्या तू मेरे लिए एक काम करेगा?
‘क्या काम’ उसने पूछा।
मैंने कहा- पहले छोड़ तो!
वो बोला- अगर तुमने शोर मचा दिया तो… मैं ये चक्कू तुम्हारे आर पार कर दूँगा।
मैंने कहा- अबे चूतिये, जो ये तू हाथ में लिए फिरता है न, इससे बड़े बड़े से खेली हूँ, मैं, ठाकुरों की लड़की हूँ, इन छोटी मोटी चीजों से नहीं डरती।
उसकी पकड़ मुझ पर ढीली पड़ गई।
मैंने उसे धक्का दे के नीचे गिरा दिया और उठ कर कमरे की बत्ती जलाई।
‘ओ तेरे दी, आप तो नंगी हैं?’ कह कर उसने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया।मैंने कहा- न जब पिछले पाँच मिनट से मुझे नीचे दबा कर लेटा था, तब नहीं पता था कि मैं नंगी हूँ?
‘जी, मैंने ख्याल नहीं किया!’ वो बोला।
‘अच्छा, और ये जो तेरी पेंट में उठा हुआ दिख रहा है, वो क्या?’ कह कर मैं ड्रॉअर के पास गई, उसमें से एक सिगरेट का पैकेट और लाइटर निकाला, एक सिगरेट खुद लगाई एक उस को दी और जाकर बेड पे बैठ गई।
मैंने उसे पास बुलाया और बेड पर बैठने का इशारा किया।
वो आकर बेड के एक किनारे पे बैठ गया और मेरे गुप्तांगों को चोरी चोरी देखने लगा।
‘क्यों, कभी कोई औरत नहीं देखी?’ मैंने एक कश लगा कर उससे पूछा।
वो बोला- जी बहुत देखी हैं, मगर आपकी उम्र की पहली बार देखी है।
‘क्यों, क्या खराबी है मेरी उम्र में?’ मैंने कहा।
वो कुछ न बोल पाया- आप कुछ काम को कह रही थी।
मैं आलथी पालथी मार कर बैठ गई- देख बात सुन मेरी, ये काम तुम पैसे के लिए करते हो, अगर मैं तुम्हें कुछ पैसे दूँ, तो क्या मेरा कहा काम करोगे?
उसने मेरी शेव की हुई चूत की तरफ देखा- काम क्या है?
मैंने अपनी पीठ बेड से टिकाई और अपनी दोनों टाँगें चौड़ी करके अपनी उंगली से अपनी चूत की तरफ इशारा करके बोली- इसे चोदना है।
‘इसे…?’ कह कर वो हैरानी से उठ खड़ा हुआ।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
‘क्यों, मैं क्या तुम्हें औरत नहीं दिखती, जो इतना हैरान हो रहे हो?’ मुझे भी थोड़ा सा बुरा लगा।
‘मगर आंटी, मैंने आज तक कभी इतनी उम्र की औरत के साथ नहीं किया।’ वो बोला।
‘देख सबसे पहले तो मुझे आंटी मत बोल, दूसरी बात, अगर तुम्हें मज़ा और पैसे दोनों मिले तो दिक्कत क्या है यार?’ मैंने कहा।
उसने फिर से मेरे नंगे बदन को देखा और बोला- पैसा कितना दोगी?
मैंने कहा- तुझे कितना चाहिए?
वो बोला- 5 हज़ार।
मैंने दराज़ से पैसे निकले और बिना गिने उसकी तरफ फेंक दिये।
उसने पैसे उठाए और गिने- ये तो 9 हज़ार हैं।
‘गो टू बाथरूम और नहा कर आओ!’ मैंने उसको हुकुम सुनाया।
वो बाथरूम में चला गया।
मैंने एक पेग और बना लिया और धीरे धीरे पीने लगी।
पेग ले कर मैं बाथरूम के दरवाजे पे गई, दरवाजा खोला, वो अंदर बिल्कुल नंगा नहा रहा था मेरी तरफ उसकी पीठ थी।
मैंने उसका काला बदन, चौड़ा सीना, मजबूत जांघें निहारी और वहीं से खड़ी खड़ी मैंने कहा- जब नहा लो तो कपड़े मत पहनना, ऐसे ही बाहर आ जाना।जब वो नहा लिया तो मेरे कहे अनुसार नहा के नंगा ही बाहर आ गया, जब वो बाहर आया तो मैंने उसका लंड भी देखा।
मैंने उसे इशारे से अपने पास बुलाया।
वो मेरे पास आया, तो मैंने उसका लंड पकड़ के उसे अपने पास खींच लिया और उसका लंड सीधे अपने मुँह में ले लिया।
एक मिनट से भी कम समय में उसका लंड तन कर लोहा हो गया।
मैं चाहती थी के उसका लंड मैं चबा कर खा जाऊँ।
‘मेरी चूत चाटेगा?’ मैंने उससे पूछा।
वो बोला- हाँ चाट लूँगा, पैसे जो मिले हैं।
उसने मेरी कमर के दोनों तरफ अपनी बाहें कसी और खुद बेड पर लेट गया और मुझे अपनी ताकत से घूमा कर मुझे अपने ऊपर लेटा लिया।
वाह क्या ताकत थी, उसकी इसी अदा पर मैं निहाल हो गई।
वो मेरी चूत चाटने लगा, मुझे बहुत मज़ा आया तो मैंने भी उसका लंड जितना हो सकता था अपने मुँह के अंदर तक लेकर चूसा।
दो मिनट की चूसा चासी के बाद उसने मुझे नीचे लेटा दियाऔर खुद ऊपर आ गया, उसने अपना लंड मेरी योनि पे रखा और एक ही धक्के से आधे से भी ज़्यादा लंड मेरे जिस्म में उतार दिया।

मैं दर्द से बिलबिला उठी, मगर उस पर अब काम सवार हो गया था, उसने मेरी दोनों छातियाँ अपने सख्त हाथों में पकड़ ली और मसल के रख दी।
ऊपर वो मेरी छातियाँ मसल रहा था और नीचे लोहे जैसे अपने लंड से मेरे जिस्म के दो टुकड़े करने में लगा था।
हर बार उसका लंड मेरी योनि के आखरी सिरे पे जाकर ज़ोर से लगता और मेरी हल्की से चीख निकल जाती।
वो अपना पूरी लंड बाहर निकाल कर फिर से अंदर डालता और मेरी योनि के होंठों से लेकर मेरी बच्चेदानी तक उसके सख्त लंड की मार झेल रही थी। मैं तो सिर्फ एक चुदाई चाहती थी, मगर ये तो एक चुदाई से कहीं ज़्यादा थी।
मेरी तो जान निकली जा रही थी, वो कभी मेरे होंठ चूसता, कभी मेरे गालों को अपने दाँतो से काटता, मेरे स्तनों पर सभी जगह उसके दाँतों के निशान पड़ चुके थे।
मैं इस ताकतवर संभोग के लिए तैयार नहीं थी, आज मुझे एहसास हो रहा था कि मैं सच में बूढ़ी हो गई हूँ।
एक नौजवान औरत ही इस तरह के ताकतवर संभोग को झेल सकती है, मैं नहीं।
शायद इसी लिए, मैं 3-4 मिनट की जोरदार चुदाई में ही झड़ गई।
मगर मेरे झड़ने से उसको कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, वो उसी जोश और जुनून से मुझे चोद रहा था।
मैं तो बेहाल हो कर नीचे पड़ी थी।
करीब सात मिनट उसने मुझे और चोदा और फिर अपनी पूरी ताकत झोंक कर वो मेरी बूढ़ी चूत में स्खलित हुआ।
उसके वीर्य की धारें मुझे मेरी चूत के अंदर मेरी बच्चेदानी पर पड़ती ऐसे लगी जैसे कोई पिचकारी से पानी की धार मार रहा है।
उस नौजवान मर्द की एक चुदाई ने ही मेरे बदन को तोड़ कर रख दिया।
वो मेरी बगल में लेट गया।
मैं उठी और मैंने उसके लंड को हाथ में पकड़ा, उसमें अब भी बहुत करार था।
मैंने उसे अपनी जीभ से चाटा और मुँह में लेकर चूसा, उसके वीर्य को उसके लंड से चाट चाट कर खा गई।
‘क्यों आंटी, मज़ा आया?’ वो बोला।
‘सच कहूँ, तूने तो मेरी माँ चोद के रख दी, बहुत ताकत है रे तुझमें।’ मैंने उसके सीने पे हाथ फिरते हुये कहा।
‘और चुदेगी?’ उसने मेरे निप्पल को अपनी उँगलियों से मसलते हुये पूछा।
‘नहीं, मेरी तो एक बार में ही तसल्ली करवा दी तूने, नाम क्या है तेरा?’ मैंने पूछा।
‘उमेश, यह मेरा फोन नंबर है, फिर कभी ज़रूरत पड़ी तो फोन करना, पर एक बात कहूँ, मुझे भी तेरी लेकर बड़ा मज़ा आया, इस उम्र में भी तू बड़ी हॉट है।’ कह कर वो उठा और कपड़े पहनने लगा।
‘अब क्या करेगा’ मैंने उससे पूछा।
‘तुझे तो लूट लिया, अब देखता हूँ किसी और घर में कुछ और मिलता है क्या रोटी भी तो खानी है, केवल चुदाई से ही तो पेट नहीं भरता !’ कह कर वो चला गया और मैं बेड लेटी सोच रही थी, क्या वो मुझे लूट के गया या मैंने अपने ज़िंदगी का मज़ा लूट लिया।
उसने मेरे घर में चोरी की या मैंने अपनी बोरिंग ज़िंदगी से अपनी खुशी की अपनी संतुष्टि की कुछ घड़ियाँ चुरा ली, जो भी हुआ, बहुत ही बढ़िया हुआ।
अभी नींद नहीं आ रही थी, मैंने अपना लैपटाप उठाया और फिर से अन्तर्वासना डॉट कॉम खोल ली और कहानी पढ़ने लगी, तभी मुझे ख्याल आया क्यों न अपनी कहानी भी मैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पे छपवाऊँ।
तोमैंने जो कहानी सबसे पहले खोली वो थी मेरा चोदू यार।
बस उसके लेखक को ई मेल करके पूछा कि क्या वो मेरी कहानी छपवा देगा और लो देखो मेरी आप बीती आपके सामने है।
alberto62lopez@yahoo.in
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Saturday 25 November 2017

client ki chudai - Hindi Sex Story | gandi khaniya

हैलो दोस्तो.. आपका मित्र अभिराज.. फिर हाजिर हूँ आपके सामने एक नए मसाले को लेकर.. पहले तो आप सभी का शुक्रगुज़ार हूँ कि आप सभी ने बहुत सारे ईमेल भेजे और लगभग हर एक का मैंने उत्तर भी दिया।
अगर किसी का ईमेल मिस किया हो तो माफी माँगना चाहूँगा। मैं और अधिक कोशिश करूँगा कि सारे के सारे ईमेल का रिप्लाई करूँ।
तो अब मैं कहानी पर आता हूँ।
हुआ यूँ कि मेरे कहानी पढ़ने के बाद एक लड़की का मुझे ईमेल आया और उसने मुझे चैट पर एड किया.. उसका नाम था रोज़ी। वो दिल्ली के रहने वाली थी, उसका नाम मैंने बदल दिया है.. मेरे और रोज़ी की लगभग एक हफ्ते तक रोज बातें होती रहीं। धीरे-धीरे वो सेक्स चैट करने लगी।
मैंने उससे पूछा- कभी तुमने सेक्स किया है?
उसने कहा- हाँ किया है.. मेरा एक ब्वॉयफ्रेंड था.. जिसके साथ लगभग मैंने 10-15 बार सेक्स किया.. पर तीन महीने पहले उससे मेरा ब्रेकअप हो गया है और लगभग तीन महीनों से सेक्स नहीं हुआ है।
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ऐसे ही सेक्स चैट करते-करते उसने बताया कि उसे सेक्स करना बहुत पसंद है.. लेकिन वो सावधान रहना चाहती है।
मैंने उससे कहा- तुम अपना फोटो भेजो और कोई एक्सपीरियेन्स शेयर करना चाहती हो.. तो बताओ।
लगभग एक हफ्ते बाद उसका ईमेल आया और उसने कहा- वो डेट के लिए तैयार है..
पर अब समस्या जगह की थी कुछ भी तय नहीं हो पा रहा था.. जैसे कि वो दिल्ली की थी और अपनी फैमिली के साथ वहाँ रहती थी। अतः होटल ही एक जगह बचती थी.. जहाँ मैं और वो.. दोनों ही नहीं जाना चाहते थे। होटल में सेक्यूरिटी कम होती है.. इसलिए हम दोनों सही मौके और जगह की तलाश में थे।
शुक्रवार को उसका फोन आया और कहा- कल शाम 5 बजे बाद मेरे घर पर कोई नहीं है.. क्या हम दोनों मिल सकते हैं?
मैंने उससे कहा- ठीक है.. मैं दिल्ली तो आ जाऊँगा.. पर तुम्हें मुझे वहाँ से पिक करना पड़ेगा।
उसने ओके कह दिया।
मैं दूसरे दिन ऑफिस से लगभग 12 बजे निकल गया। ऑफिस से एक बस में बैठा और सीधे दिल्ली पहुँचा। लगभग 5 घंटे में में चंडीगढ़ से दिल्ली पहुँच गया.. जहाँ रोज़ी पहले से ही मेरा इन्तजार कर रही थी। जैसे ही मैं बस स्टैंड पहुँचा.. मैंने उसे कॉल किया.. और वो मुझे आसानी से मिल गई।
एक बार तो मैं उसे देखते ही रह गया.. क्या खूब ढाल रखा था उसने अपने आपको.. कुदरत ने भी उसे बड़े फ़ुर्सत में बनाया होगा। तीखे नैन.. गुलाबी होंठ.. मुस्कुराता चेहरा.. पतली बल खाती हुई कमर.. और उठे हुए पिछवाड़े का तो कहना ही क्या..
बड़ी ही दिलफरेब आइटम थी।
जैसे उसने हाथ आगे बढ़ाया तो एहसास हुआ कि आज तो किसी स्वर्ग की अप्सरा से मिलने का अवसर मिला है।
थोड़ी देर यूँ ही बातों के बाद हम दोनों उसके घर पहुँचे और उसने मुझे फ्रेश होने को कहा। जैसे ही फ्रेश मैं होकर आया.. तो उसने मुझसे पूछा- ठंडा लोगे या गर्म?
मैंने कहा- मैडम ठंडे की इच्छा तो बहुत हो रही है.. और आप जैसे गरमागरम सुन्दर लड़की साथ हो.. तो बस ठंडा करने का ही दिल करता है।
वो मुस्कुरा उठी और कोल्ड ड्रिंक दो गिलास में डालने लगी।
मैंने उससे पूछा- कभी बियर पी है तुमने?
उसने मुस्कुरा कर कहा- उसका भी इंतज़ाम है.. कहो तो बियर ले आऊँ।
मैंने कहा- हाँ यार, बियर से ही शुरूआत करते हैं। फिर हम दोनों ने एक-एक गिलास बियर पी और फिर मैंने उसके कमर में हाथ डाला.. उसने मेरे कंधों पर हाथ रख लिया।
क्या पर्फेक्ट हाइट थी.. उसकी हाईट लगभग 5.8 इंच थी।
मैंने धीरे से उसके होंठों को चूसना शुरू किया। वॉव.. क्या मज़ा रहा था.. उसके नर्म होंठों को चूस कर.. एक गरमागरम शुरुआत थी.. और सबसे मजेदार बात.. वो पूरा सहयोग दे रही थी, लगता था कि काफ़ी दिनों से बहुत ही तड़प रही थी।
किस करते-करते मेरे हाथ उसकी कमर पर जाने लगे.. फिर उसकी ब्रा को खोलने लगा। तभी मुझे एहसास हुआ कि उसके ऊपर टी-शर्ट भी पहन रखी है। फिर मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी.. तो उसके मम्मों को देख कर मेरा 7″ का लंड फुंफकार मारने लगा।
मैंने भी देर ना करते हुए उसकी ब्रा को निकाल फेंका और सीधा उसके मम्मों पर अटैक किया और उसके एक चूचे को मुँह में लेकर ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। वो भी एकदम से ज़ोर-ज़ोर से सीत्कारें लेने लगी और उसके हाथ ढीले पड़ गए। मैंने उसे वहीं सोफे पर लिटाया और उसके घुटने मोड़ कर उसके मम्मों को चूसने लगा।
फिर धीरे-धीरे उसके हाथ भी मेरे लंड पर पहुँच गए और वो ज़ोर-ज़ोर से लौड़े को दबाने लगी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने भी झट से अपने लोवर को उतार फेंका.. मेरा लंड तो मेरी जॉकी में ही नहीं समा पा रहा था और लगभग आधा बाहर निकल आया था। मौके का फायदा उठा कर रोज़ी ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और धीरे-धीरे अपनी जीभ लण्ड पर घुमाने लगी।
मैं भी बिल्कुल पागल सा होने लगा। आग दोनों तरफ लगी हुई थी और लगता था कि वो काफ़ी दिनों के चुदासी है।
मैंने भी उसके लोवर और पैन्टी को उतार फेंका.. सच में बहुत ही मस्त माल थी रोज़ी.. और उसके चूतड़ तो लाजबाव थे। मन कर रहा था कि पहले गाण्ड मारी जाए.. पर नज़ाकत को देखते हुए मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।

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कुछ ही पलों में मैं उसके नमकीन से पानी को पीने लगा, वो बहुत ही गरम हो चुकी थी और ज़ोर-ज़ोर से ‘आहें..’ भर रही थी।
मैंने उसकी टाँगों को अपने कंधों पर टिका कर देर ना करते हुए उसकी चूत के मुहाने पर अपने लंड को लगाने लगा.. और धीरे-धीरे चूत की फांक पर सुपारे को रगड़ने लगा। इससे उसकी चुदास और बढ़ गई और वो ज़ोर-ज़ोर से बोलने लगी- प्लीज़ जल्दी करो.. प्लीज़ जल्दी.. अब वेट नहीं होता.. अगले राउंड में पूरा टाइम ले लेना.. पर अभी तो डाल दो..
मैंने ज़्यादा देर ना करते हुए एक धीरे से झटके से अपने लण्ड को उसकी चूत में सरका दिया। वो इतनी टाइट भी नहीं थी इसलिए आधा लण्ड आराम से चूत में चला गया। अब मैं लौड़े को आगे-पीछे करने लगा.. तो वो बोली- तुम्हारा बहुत लंबा है.. मेरे एक्स-ब्वॉयफ्रेंड का इतना लंबा नहीं था.. प्लीज़ इससे ज़्यादा अन्दर ना डालो।
फिर मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया, धीरे-धीरे उसे और मुझे दोनों को मज़ा आने लगा, धक्कों के साथ-साथ मैं अपने लंड को अन्दर तक डालने लग़ा और ज़ोर के झटकों के साथ ही मेरा पूरा का पूरा लंड अन्दर चला गया।
उसकी ज़ोर से चीख निकली… पर वो अड्जस्ट हो गई।
लगभग तीन मिनट के बाद ही वो झड़ गई और मैं लगा रहा। लगभग 10-12 मिनट तक धक्के लगाने के बाद वो दोबारा अपनी चरम सीमा पर पहुँचने वाली थी।
वो ज़ोर-ज़ोर से बोलने लगी- फक मी हार्ड… प्लीज़.. मैंने अपने धक्कों की स्पीड और बढ़ा दी। ज़ोर-ज़ोर से धक्कों के बाद एक गरम लावा सा फूट पड़ा और वो फिर से झड़ गई।
मैंने स्पीड को लगातार तेज बनाए रखा और अब मैं भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया था।
मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ?
तो उसने कहा- अन्दर ही छोड़ दो.. नो प्राब्लम।
बस लगभग 7-8 धक्कों के बाद मैं भी झड़ गया।
उसके चेहरे पर एक मस्त सी मुस्कान थी और संतुष्टि के भाव थे।
थोड़े देर बाद हमने एक-दूसरे को किस किया और बाथरूम में जाकर एक-दूसरे के अंगों को धोया। फिर हमने साथ बैठ कर खाना खाया.. बियर पी और पूरी रात चुदाई की..
और हाँ मैंने इसी रात उसकी गाण्ड भी मारी, वो पहले से ही गाण्ड मरवाने की शौकीन थी।
मैंने उसकी गाण्ड कैसे मारी.. और पूरी रात हमारी चुदाई कैसे चली.. जल्द ही अगले भाग में आप सभी को लिखूँगा।
दोस्तो, मैं यह कहानी जब आगे लिखूंगा.. जब आप लोगों के ईमेल मुझे मिलेंगे। अपने ईमेल भेज कर मेरा उत्साह बढ़ाइएगा.. आप सभी के ईमेल का मुझे इंतज़ार रहेगा।
आपका दोस्त अभिराज
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======================================================================= माँ की ममता | Maa Ki Mamta ka fayeda uthaya || 
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Monday 13 November 2017