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Saturday 17 March 2018

चाची को चाचा के सामने चोदा-1


Chachi Ko Choda Chacha Ke Samne- Part 1

दोस्तो, मेरा नाम रुद्र ठाकुर है, और मैं भोपाल में रहता हूँ। मैं अपने आप को बहुत बड़ा इनसेस्ट आदमी समझता हूँ। इनसेस्ट वो इंसान होता है जो अपने ही घर की औरतों के साथ सेक्स करता है। मैंने भी अपने ही घर की बहुत सी औरतों से सेक्स किया है, मगर मैं शुरू से ऐसा नहीं था, पहले तो मैं बहुत ही शर्मिला सा लड़का था, मगर जो किस्मत में लिखा होता है, वो तो होता ही है, और ऐसे ही एक बार एक ऐसी घटना घटी जिसने मेरे जीवन की दिशा ही बदल दी। मगर ये सब कैसे हुआ, कब हुआ, आज मैं आपको उसकी ही बात बताने जा रहा हूँ।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं अपने परिवार के साथ में भोपाल में रहता हूँ, घर माँ पिताजी, बड़ी बहन और मैं हम चार ही लोग है। कुछ ही दूरी पर हमारा चाचा जी का घर है, चाचा फौज में हैं। घर में चाची और उनके बच्चे ही रहते हैं। उनका घर पास होने की वजह से हमारा हर वक़्त का उनके घर आना जाना है। हमें कभी यह पता नहीं चला कि हमारे और चाचा के घर में क्या फर्क है, बस यही लगता था कि हमारे दो घर हैं।
जब तक मैं छोटा था, बच्चा था, मैंने न तो कभी इन बातों पे ध्यान दिया, और न कभी मुझे ऐसा कुछ नज़र आया, क्योंकि चाची को भी मैं अपनी माँ ही समझता था, बस कहता चाची था।
मगर ज्यों ज्यों मैं बड़ा होता गया, मुझे कुछ कुछ समझ आने लगा कि मेरी चाची जो है वो कोई ठीक औरत नहीं है, तब मैं 12वीं क्लास में था, जब मुझे पहली बार यह पता चला।

माँ पिताजी को बता रही थी कि अंजलि का बाहर कहीं चक्कर चल रहा था। अंजलि मेरी चाची का नाम है। मुझे बड़ा अजीब लगा कि यार चाचा इतने हैंडसम आदमी है, इतनी अच्छी सेहत है, शक्ल से ही हट्टे कट्टे मर्द लगते हैं तो चाची को बाहर किसी और की तरफ देखने की क्या ज़रूरत है। मुझे ये बात तब समझ नहीं आई थी।
मगर ये जो नाजायज रिश्ते होते हैं न, कभी छुपते नहीं हैं।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
एक बार चाची छुट्टी पर घर आए हुये थे, एक मिलिट्री ऑपरेशन में उनकी टांग ज़ख्मी हो गई थी, तो इलाज के बाद उनको आराम करने के लिए 2 महीने की छुट्टी पर भेज दिया गया। इसी दौरान एक दिन चाची के चक्कर का चाचा को भी पता चल गया, दोनों में बहुत झगड़ा हुआ, चाचा उठ नहीं सकते थे, वरना उस दिन चाची की खूब पिटाई हो जाती।
मैं कुदरती उस वक़्त उनके घर गया, तो अंदर से शोर सुन कर मैं बाहर ही रुक गया। अंदर चाचा के चीखने की और चाची के रोने की आवाज़ आ रही थी।
मैं रुक गया और सुनने लगा कि आखिर झगड़ा किस बात पर हो रहा है।
चाचा बोले- तो अब तुम्हें इतनी आग लग रही है कि अगर मैं घर में नहीं हूँ, तो तू किसी और के नीचे लेट जाएगी, मादरचोद, मेरे से पेट नहीं भरता तेरा?
चाची भी रोते रोते बोली- आप चार दिन के लिए आते हो, और फिर सारा साल मुझे अकेली को मरना पड़ता है, आप क्या जानो, अकेले रहने की तकलीफ क्या होती है।
चाचा गरजे- क्यों, मैं वहाँ अकेला नहीं रहता क्या?
चाची फिर बोली- आपके साथ तो बहुत से आपके साथी होंगे, मेरे पास कौन है जिस से मैं अपने दिल की बात करूँ, मेरा भी दिल है, मेरे भी अरमान हैं।
चाचा फिर बोले- तो इसका मतलब ये कि अगर पति घर में नहीं है तो किसी और से यारी कर लो, किस और से अपनी माँ चुदवा लो। हैं? हरामजादी, कितने समय से उसका लंड खा रही है, कुतिया, बता मुझे।

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मैंने देखा चाची भी पूरी बेशर्मी पर उतरी हुई थी, बोली- एक साल हो गया।
चाचा कुछ चुप से हो गए, बोले- शादी करेगा तुझसे?
चाची बोली- नहीं, वो शादीशुदा है, बाल बच्चेदार है।
चाचा फिर भड़के- तो हवस का नंगा नाच खेलने के लिए वो तुम्हारा इस्तेमाल कर रहा है, समझ में नहीं आता, क्या करूँ, दिल तो कर रहा है कि तुम्हें गोली मार दूँ।
चाची डर गई और जा कर चाचा के पाँव में पड़ गई- नहीं, मुझे माफ कर दो, मैं बहक गई थी, अपनी मजबूरी के हाथों विवश हो कर मैंने ऐसा काम किया.
और चाची रोने लगी।
चाची अब चाचा के पास थी तो चाचा ने उसके बाल पकड़ लिए और उसके मुँह पर तड़ातड़ कई चांटे मारे और बालों से पकड़ कर उसकी चोटी खींच दी, मुझे भी बाहर से ये सब देखते हुये डर सा लगा कहीं चाचा चाची को मार ही न दें, तो मैं भी आगे को बढ़ कर उनके सामने हो गया।
चाचा ने मुझे देखा और रोआब से पूछा- तू यहाँ कब आया?
मैंने चाचा से डरते डरते कहा- जी थोड़ी देर हुई।
तो चाचा ने चाची से कहा- ले देख ले, अब तेरी काली करतूत का बच्चों को भी पता चल गया, छिनाल, अब बोल क्या कहती है?
और चाचा की जो टांग ठीक थी, वही उन्होंने चाची को दे मारी और चाची दर्द से बिलबिला उठी, मैंने जा कर चाची को संभाला। चाची को शायद मैं ही उनके दर्द का सहारा मिला तो वो मुझसे ही लिपट कर रोने लगी। बेशक चाची मुझसे लिपटी थी, मगर उनके नर्म और बड़े बड़े मम्में जो मेरे कंधे से सटे थे मुझे बड़ा आनन्द दे रहे थे। बेशक वो मेरी चाची थी, और मैंने कभी उन्हें पहले गंदी नज़र से न कभी देखा, न छुआ था, मगर आज तो वो मुझसे लिपटी पड़ी थी।
मैं भी 18 साल का जवान हो गया था और अब मेरी सेक्स के प्रति चाहत बढ़ रही थी। मगर चाची का मुझसे यूं लिपट कर रोना तो मुझे इतना अच्छा लगा कि उसने तो मेरी चाची के प्रति सारी सोच ही बदल दी।
चाचा ने गुस्से से कहा- जानता है रुद्र, ये तेरी चाची, किसी और से अपनी माँ चुदवा रही है।
चाची भी एकदम से पलटी- चुप रहो, बच्चों को इन सब बातों में मत लाओ।
चाचा चीखे- क्यों न लाऊं, अब बच्चे बड़े हो गए हैं, उन्हें भी तो सब पता चले कि उनके घर वाले क्या कर रहे हैं। कुत्ती, छिनाल, अपने यार से भी ऐसे ही लिपटी होगी।
चाची ने एकदम से मुझे छोड़ा, और चाचा पर गरजी- हाँ लिपटी हूँ, और इससे भी ज़्यादा लिपटी हूँ, और आगे भी लिपटूँगी, कर ले जो तुझसे होता है, जा मर जा कहीं जा कर, अब मैंने भी सोच लिया, जो करना है, खुल कर करूंगी, तेरे सामने करूंगी, तेरे से जो उखाड़ होता है, उखाड़ ले।
चाची का ये रूप देख कर मैं और चाचा दोनों सहम गए।
अब चाचा को भी समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करें, मेरी तो क्या समझ में आना था। फिर चाचा जो पहले गरज रहे थे, थोड़ा धीमे स्वर में बोले- सुन अंजलि, ऐसा नहीं हो सकता कि तू घर के बाहर मेरी इज्ज़त को मिट्टी में मत मिला।
उनका नर्म सा स्वर सुन कर चाची भी नर्म पड़ गई और जाकर उनका घुटना पकड़ कर बैठ गई- मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ, आपको कभी धोखा नहीं देना चाहती थी, पता नहीं क्यों मेरे भाग फूटे कि मैं उसकी चिकनी चुपड़ी बातों में आ गई।
चाची रोने लगी तो चाचा उसका सर सहलाने लगे, फिर बोले- तू ऐसा कुछ क्यों नहीं करती के जिस से घर से बाहर न जाना पड़े तुम्हें।
चाची बोली- ऐसा क्या है, जिस से मैं घर से बाहर न जाऊँ?
चाचा बोले तो कुछ नहीं पर उन्होंने मेरी तरफ देखा, उनके देखने का अर्थ तो मैं नहीं समझा, मगर मेरे दिमाग में जैसे एक खतरे की घंटी बजी हो।

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चाची ने पहले चाचा की ओर देखा और फिर मेरी ओर, फिर बड़ी हैरानी से बोली- रुद्र?!? आप पागल तो नहीं हो गए हो?
चाचा बोले- नहीं, मैं पागल नहीं हूँ, अब अपना रुद्र भी जवान हो गया है, ये तुम्हारा अच्छे से ख्याल रखेगा।
फिर मुझसे बोले- क्यों रुद्र, अपनी चाची का ख्याल रखेगा न?
मैं क्या कहता बस हल्के से सर हिला दिया।
चाचा बोले- चल जा घर जा, कल मैं जब बुलाऊँ तब आना।
मैं चुपचाप अपने घर आ गया.
उस दिन मैंने पहली बार चाची को सोच कर अपना लंड हिलाया, मैं बार उस नर्म एहसास को महसूस कर रहा था, जब चाची का मोटा मम्मा मेरे कंधे को छू रहा था। मैं सोच रहा था कि अगर मुझे चाची की चुत चुदाई करनी पड़ी तो मैं कैसे चोदूँगा, बाथरूम में खड़ा मैं कई तरह से अपनी कमर हिला हिला कर प्रेक्टिस करता रहा।
अभी तक मैंने चूत चोदनी तो क्या, देखी तक नहीं थी कि होती कैसी है।
अगले दिन दोपहर बाद चाचा का फोन आया कि रुद्र इधर आ।
मैं अपने बाल मन में सैकड़ों अरमान लिए चाचा के घर जा पहुंचा। चाचा ने मुझे अपने पास बैठाया, इतने में चाची चाय लेकर आ गई, उसने बहुत सुंदर साड़ी पहनी थी, पूरा मेक अप किया था। खूबसूरत लग रही थी। गहरे हरे रंग की साड़ी, सफ़ेद ब्लाउज़, ब्रा में कसे हुए उसके मम्मे, और थोड़ा सा बाहर झाँकता उसका क्लीवेज, जिसमें उसके गले की चेन का पेंडेंट फंसा हुआ था।
चाय पीते पीते चाचा बोले- रुद्र, कल जो हमारा झगड़ा हुआ, वो तुमने सुना, तुम्हें पता लग ही गया होगा के तुम्हारी चाची का किसी और मर्द से चक्कर है। मगर मैं चाहता हूँ कि हमारे घर की कोई भी औरत बाहर ना जाए, अगर उसको ज़रूरत है, तो अपने घर में ही ढूँढे, बाहर किसी का क्या पता, कौन है कौन नहीं, अपने का ये है कि घर की बात घर में ही रह जाएगी, काम भी बन जाएगा, और किसी को पता भी नहीं चलेगा, और बदनामी भी नहीं होगी।
मैंने चुपचाप चाचा की बातें सुनता रहा।
वो आगे बोले- कल तुम्हारे जाने के बाद हमने इस विषय पर बहुत सोचा, और फिर ये तय किया कि इस काम के लिए तुम सबसे सही बंदे हो। बोलो, अपनी चाची को संतुष्ट कर पाओगे?
अब मेरे पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं थी, तो मैं हकलाते हुये चाचा से कहा- चाचाजी मैं… मैं… चाची से कैसे…?
वो बोले- कल मैंने देखा था, जब वो तुमसे लिपटी हूई थी तो तब तो बड़े मज़े से उसके साथ तू भी चिपका पड़ा था, भोंसड़ी के अब मेरे सामने ड्रामें करता है।

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मैंने समझ लिया के चाचा ने मेरी चोरी पकड़ ली थी, अब किसी भी ड्रामे की कोई गुंजाइश नहीं थी, मगर शर्म अभी भी बाकी थी।
चाचा बोले- अंजलि से मैंने बात कर ली है, और वो तुमसे संबंध बनाने को मान गई है, अब तुम्हारी भी मंजूरी चाहिए, बोलो, करोगे अपनी चाची के साथ?
मैंने सोचा, अब अगर चुप रहा तो कहीं ये मौका मेरे हाथ से न चला जाए, सो मैंने हल्के से सर हिला कर हाँ कर दी।
मगर मुझे शरमाता देख चाची ने मेरे सर को सहला दिया और बोली- ये तो बहुत शरमाता है।
चाचा बोले- रुद्र सुन, पहले कभी किया है?
मैंने ना में सर हिलाया।
तो चाचा बोले- अबे चूतिये, अब तक क्या हाथ से हिला हिला कर ही जी रहा है।
चाची ने चाचा को मीठी झिड़की थी- चलिये न आप भी, एक तो वो पहले से नर्वस है, दूसरा आप उसे और डरा रहे हो।
फिर चाची मुझसे बोली- देखो रुद्र, एक न एक दिन तुमको ये सब करना ही है, इस लिए डरो मत, शर्माओ मत, मैं और तुम्हारे चाचा है, हम तुम सब सिखाएँगे, ठीक है.
मैंने हाँ में सर हिला दिया मगर अंदर से मेरी फटी पड़ी थी कि पता नहीं कुछ हो भी पाएगा मुझसे या नहीं।
फिर चाचा बोले- तो चलो फिर शुरू करो, मैं भी देखूंगा.
मैं तो वैसे ही बैठा रहा, मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूँ।
पर चाची उठ कर आई, और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बिस्तर पर ले गई, चाचा भी सामने ही सोफ़े पर अधलेटे से बैठे थे, एक टांग पर प्लास्टर और वो टांग उन्होंने सामने मेज़ पर रख रखी थी। मैं और चाची बेड पर थे, हम दोनों ने अपनी टाँगें नीचे लटका रखी थी।
चाची ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी जांघ पर रख लिया, साड़ी के अंदर से भी मुझे उनकी गुदाज़ जांघ का एहसास हुआ, मेरे चेहरे पर अपना हाथ फिरा कर बोली- इतना डर क्यों रहे हो?
बड़ी मुश्किल से मैं बोल पाया- नहीं चाची।
वो बोली- अब मैं तुम्हारी चाची नहीं हूँ, मुझे मेरे नाम से पुकारो, अंजलि कहो।
मैंने थोड़ा सा हिचकिचाते हुये कहा- अंजलि।
सच में बड़ा अच्छा लगा मन को।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
चाची उठ खड़ी हुई और बिल्कुल मेरे सामने उन्होंने अपने कंधे से अपनी साड़ी का आँचल उतारा और नीचे फर्श पर गिरा दिया।
आज पहली बार चाची को ब्लाउज़ में देखा था, सफ़ेद ब्लाउज़ में उनके उठे हुये चूचे बहुत मस्त लग रहे थे।
देखते देखते चाची ने अपनी साड़ी खोल दी, सिर्फ एक सफ़ेद ब्लाउज़ और हरे रंग के पेटीकोट में वो मेरे सामने खड़ी थी। पेटीकोट का नाड़ा अपने पेट पर सामने बांध रखा था।
चाची ब्लाउज़ पेटीकोट में चल कर मेरे पास आई, उनके मम्में बिल्कुल मेरे चेहरे के सामने थे, दो बड़े ही उन्नत, भरपूर, मोटे, गोरे और नर्म मम्मे, जो मेरे मन में हलचल मचा रहे थे।
मैं मन ही मन सोच रहा था, क्या आज मुझे इन मम्मों से खेलने का मौका मिलेगा।
चाची ने मेरा चेहरा ऊपर उठाया और अपने सीने से लगा लिया। चाची के दोनों मम्में अब मेरी गाल और मेरे चेहरे पर दबा कर लगे हुये थे, मुझे तो जन्नत का नज़ारा आ रहा था। मैंने भी चाची की कमर पर अपनी बाहें कस दी।
चाची ने मेरा मुँह सीधा किया तो मैंने ब्लाउज़ के ऊपर से ही चाची के मम्मे पर किस किया, चाची मुस्कुरा उठी और बोली- पिएगा लल्ला?
मैंने भी हां में सर हिलाया।
चाची थोड़ा सा पीछे को हटी और अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी, अपने ब्लाउज़ के हुक खोल कर उसने अपना ब्लाउज़ सारा ही उतार दिया।
वाह… क्या मस्त लग रही थी चाची सफ़ेद ब्रा और पेटीकोट में… मेरी तो आँखें चौंधिया गई, उसकी सेक्सी फिगर देख कर।
चाची ने अपनी भवें उचका कर पूछा- कैसा लगा?
मैंने भी बड़ी सारी स्माइल दे कर कहा- मस्त, चाची आप तो कोई अप्सरा हो।
उधर से चाचाजी बोले- और आज से ये तेरे ही दरबार में नाचेगी, अगर तूने इसकी तसल्ली करवा दी तो।
मैं चुपचाप बैठा आगे होने वाली घटना का इंतज़ार कर रहा था। इतना तो तय था कि कि चाची की चुत मेरे लिए चाचा का उपहार थी.
writermastram@gmail.com
कहानी का अगला भाग : चाची को चाचा के सामने चोदा-2



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चाची को चाचा के सामने चोदा-2

Chachi Ko Choda Chacha Ke Samne- Part 2

मेरी नोन वेज स्टोरी के पिछले भाग
चाची को चाचा के सामने चोदा-1
में आपने पढ़ा कि कैसे चाची की बदचलनी के बारे में जान कर चाचा ने चाची को डांटा और फिर मुझे मेरी चाची की कामुकता का इलाज करने को यानि चाची की चुदाई करने को कहा.
अब आगे:

फिर चाची ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और पेटीकोट नीचे गिर गया, नीचे चाची ने हल्के गुलाबी से रंग की चड्डी पहनी थी। मगर चड्डी से बाहर चाची की लंबी गुदाज़, मांसल जांघें, तो बस जैसे कहर ही बरपा कर रही थी। मुझे नहीं पता था कि चाची की टाँगे इतनी सेक्सी भी हो सकती हैं।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

तब चाची मेरे पास आई और मेरे कमीज़ के बटन खोलने लगी, मेरी कमीज़ उतारी, फिर बनियान, उसके बाद मेरे जूते उतारने के लिए नीचे बैठी। ब्रा में कैद चाची के मोटे मम्में और गांड की चौड़ाई देख कर मेरा तो जैसे लंड मेरी पैन्ट के अंदर ही हिलने लगा।
बूट जुराब उतार कर चाची खड़ी हुई और फिर मेरी बेल्ट और पैन्ट खोल दी। मैं भी बड़े आराम से चाची के हाथों से नंगा हो रहा था।

चड्डी में मेरा तना हुआ लंड देख कर चाची मुस्कुरा उठी और उस पर अपने हाथ की नर्म उँगलियाँ फिरा कर बोली- अरे ये तो तैयार हो गया, तो शुरू करें?
चाची ने मुझे बेड पे लेटा दिया और खुद भी मेरे साथ ही लेट गई। बगल के बल लेटे होने के कारण उसका बहुत बड़ा सारा क्लीवेज, उसकी ब्रा से बन कर बाहर आ रहा था। मैं उस क्लीवेज को ही घूर रहा था।
चाची ने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपने सीने पर रख लिया और धीरे से बोली- अब दबाओ।

अब तो मुझे खुली छूट मिल गई थी, मैंने न सिर्फ चाची का मम्मा दबाया, बल्कि उसके बड़े सारे क्लीवेज पर चूम भी लिया। चाची खुश हो गई और उसने अपने मम्में मेरे चेहरे से सटा दिये और चड्डी के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी।
अब तो मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी, मैंने अपना हाथ अंजलि चाची की कमर पर रखा और उसकी कमर को सहलाया, फिर ऊपर की तरफ आते हुये, उसके क्लीवेज को छू कर देखा। दोनों मम्मों की बीच में बन रही बड़ी सी वक्ष रेखा यानि क्लीवेज में अपनी उंगलियाँ घुसा कर देखी।

चाची ने अपनी ब्रा की हुक खोल दी। मैंने चाची के कंधे से उसके ब्रा का स्ट्रैप निकाला और चाची का ब्रा उतारने लगा। सबसे पहले चाची का एक मम्मा बाहर आया, बेहद गोरा, गोल, भूरे रंग का निप्पल। मैंने उसका निप्पल पकड़ा और मसला, चाची ने हल्की सी सिसकी भरी।

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अब ये न जाने क्या चक्कर है कि जब भी कोई मर्द एक शानदार मम्मा देखता है, उसकी पहली इच्छा उसे पकड़ कर दबाने की और दूसरी इच्छा उसको चूसने की होती है। मैंने भी वही किया, पहले उसके बड़े सारे मम्मे को अपने हाथ से पकड़ कर दबाया, और फिर उसका मम्मा अपनी तरफ खींचा तो चाची भी खुद को आगे हुई, शायद वो जान गई थी कि मैं उसका मम्मा चूसना चाहता हूँ। उसने खुद आगे हो कर अपना निप्पल मेरे मुँह में दे दिया।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने अपने होंटों में उसका निप्पल पकड़ा और चूसा।

मजा आ गया यार… कितना टेस्टी होता है औरत का मम्मा!
मैंने बहुत चूसा, खूब दबाया।

चाची अब सीधी हो कर लेट गई और उसने अपनी ब्रा उतार कर रख ड़ी और दोनों मम्में निकाल कर मेरे हवाले कर दिये। कभी मैं ये मम्मा चूसता और दूसरा दबाता, और कभी वो मम्मा चूसता और ये दबाता।
मैं चाची के मम्मों से खेल रहा था और चाची मेरे लंड से, जो उसके नर्म हाथों की छूने से पत्थर की तरह सख्त हो गया था।

अब मेरे दिल में विचार आया, अगर चाची मेरे लंड को छू सकती है, तो मैं इसकी चूत को क्यों नहीं छू सकता… मैंने भी पैन्टी के ऊपर से ही चाची की चूत को छू कर देखा, तो चाची बोली- अरे ऊपर से क्या हाथ लगाता है, अंदर हाथ डाल!
मैंने चाची के पैन्टी के अंदर हाथ डाला, अंदर पहले चाची की चूत के आस आस के झांट जो शायद चाची ने दो चार दिन पहले शेव किए होंगे, वो हल्के से चुभे, और उसके बाद मेरी उंगलियों को जैसे कोई मांस का उभरा हुआ टुकड़ा सा लगा। ये चाची की भगनासा थी।
मैंने उसको भी अपनी उँगलियों में पकड़ कर मसला, तो चाची ने बड़े ज़ोर से सिसकी भरी- आह सी… क्या करता है ज़ालिम, अभी से तड़पाने लगा है।

मैंने फिर से उसकी भागनासा को मसला तो चाची ने अपनी चड्डी भी उतार दी और अपनी टाँगें हिला हिला कर चड्डी बिल्कुल ही उतार कर फेंक दी। मेरे दिल में चाची की चूत देखने की इच्छा हुई, और मैं उठ कर बैठ गया, बिल्कुल छोटे छोटे बालों वाली झांट के बीच लंबी सी गहरी लकीर और उसी लकीर में से थोड़ा सा काला सा मांस बाहर को निकला हुआ।
मुझे देख कर चाची ने अपनी टाँगें मेरी तरफ घुमा दी और पूरी खोल दी तो चाची की चूत भी खुल गई।
ऊपर से थोड़ी काली सी थी मगर अंदर से बिल्कुल गुलाबी!

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चाची ने अपने हाथ की उंगलियों से अपनी चूत के होंठ और खोल दिये और अंदर से पूरी गुलाबी चूत को खोल कर दिखाया।

मैं अभी चाची की गुलाबी चूत देख ही रहा था कि चाची ने अपने पाँव की एड़ी मेरे सर के पीछे लगाई, मेरे चेहरे को खींच कर अपनी चूत तक लाई और मेरे मुँह को अपनी चूत से लगा दिया। मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था तो मैंने चाची की चूत को अपने मुँह में ले लिया।
चाची बोली- अरे, ये खाने की चीज़ नहीं है जो मुँह में लेकर बैठा है, चाटने की चीज़ है, चाट इसे!

मैंने अपनी जीभ से चाची की भग्नासा को चाट कर देखा, नमकीन सा स्वाद आया जो मुझे अच्छा लगा, थोड़ा थोड़ा करके मैं उसकी भगनासा पर अपनी जीभ फेरता रहा, और जितनी जीभ फेरता रहा, उतना मुझे अच्छा लगता गया, पहले तो सिर्फ उसकी चूत को बाहर बाहर से चाट रहा था, मगर फिर मेरा स्वाद बढ़ता गया और मैं उसकी चूत के और अंदर तक जीभ फेरने लगा।

जब मैंने चाची की चूत के अंदर तक अपनी जीभ घुमाई तो चाची ने मेरे सर के बाल पकड़ कर मेरा सर और अपनी चूत से चिपका लिया। मैं अपने दोनों हाथों से कभी चाची मोटी मोटी जांघें सहलाता तो कभी उसके गोल गोल मम्में दबाता, चाची खुद भी अपने पाँव से मेरी पीठ और टाँगों को रगड़ रही थी, सिसकारियाँ और चीत्कार बार बार उसके मुँह से फूट रहे थे। अपनी कमर वो वो हल्का हल्का हिला रही थी, जैसे मेरे मुँह पर रगड़ रही हो।

अब तो मुझे चाची की चूत इतनी टेस्टी लग रही थी कि मैं उसे बिना रुके बहुत लंबे समय तक चाट सकता था। मगर मेरी चटाई से चाची की तड़प बढ़ती जा रही थी। वो अपने दोनों हाथों से अपने मम्में दबा रही थी, दोनों एड़ियों से उसने मेरे चूतड़ और जांघें जैसे छील कर रख दिये। मेरे चेहरे को अपनी जांघों में बड़ी मजबूती से जकड़ लिया ताकि मैं उसकी चूत को चाटना छोड़ न दूँ।
मगर मैं क्यों छोड़ता… मुझे तो खुद मजा आ रहा था। मैं चाटता रहा और चाची तड़पती रही।

फिर चाची बोली- खा इसे मेरे राजा, अपने दाँतों से काट ले, बहुत तंग करती है, ये मुझे! चबा जा इसे ताकि मैं झड़ जाऊँ, खा इस मेरी जान, आह… काट इसे…
और फिर चाची ने बहुत ज़ोर से अपनी कमर चलानी शुरू कर दी। वो कभी उठ कर मुझे देखती, कभी तड़पती हुई, फिर लेट जाती, मगर उसकी बेचैनी, उसकी तड़प देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं उसकी भगनासा अपनी मुँह में खींच खींच कर चूस रहा था, बहुत बार मैंने उसकी भगनासा को अपने दाँतों से काटा भी, जो उसे बहुत तड़पा देता था।

फिर चाची ने मेरे सर के बाल अपने दोनों हाथों से पकड़ लिए- मर गई मैं, मेरे राजा… आ…ह मर गई आई… आह… ऊई… काट… खा… इसे कुत्ते… आह… खा जा, खा जा, खा जा, आह…
और चाची ने अपनी कमर ऊपर को उठा ली, जितना ऊपर वो उठा सकती थी, मैं फिर भी चाटता रहा!
और फिर चाची धाड़ से नीचे गिरी बेड पर… उसकी टाँगें खुल गई, मेरा चेहरा आज़ाद हो गया, मैंने देखा कि उसकी चूत का सुराख अंदर बाहर को हो रहा था, जैसे मछली पानी पीती हो।
वो बड़े प्यार से मुझे देख रही थी।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

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कुछ देर वैसे ही देखते रहने के बाद वो बोली- बता मेरे राजा, अब मैं तेरी क्या सेवा करूँ?
मैं उठ कर खड़ा हो गया, बिल्कुल नंगा, तना हुआ लंड… मैंने कहा- अब मेरा लंड चूसो।

चाची उठ कर बैठ गई और मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा, उसका टोपा बाहर निकाला और अपने मुँह में लेकर ऐसे चूसने लगी, जैसे कोई मिठाई हो।

पहले जब मैं पॉर्न वीडियोज़ देखता था तो सोचता था, लोग कैसे एक दूसरे की पेशाब करने की गंदी सी जगह को मुँह लगा कर चूस चाट लेते हैं। मगर आज मुझे समझ आया कि जब काम दिमाग में चढ़ता है, तो यही सबसे लज़ीज़ शै (चीज) लगती है।

चाची ने खूब अच्छे से मेरे लंड को चूसा, जितना हो सकता था, अपने मुँह के अंदर लिया। मैं भी अपनी कमर हिला कर उसके मुँह को चोद रहा था.

उधर मेरे चाचा सोफ़े पर अपना लंड निकाल कर अपने हाथ में पकड़े बैठे थे और उसको सहला रहे थे, मगर उनका लंड पूरा तना हुआ नहीं था, थोड़ा सा ढीला था, शायद इसी वजह से चाची को बाहर किसी और से चुदवाना पड़ा हो।
मैंने भी चाची के सर के बाल पकड़ कर उसके मुँह की चुदाई की क्योंकि अब मेरी बारी थी।
मैंने भी जोश में आकर चाची को कहा- चूस मेरी जान, अपने यार का लंड चूस, खा इसे साली, मादरचोद चूस इसे!
मैंने चाची को गाली दी, उसके सर के बाल खींचे, उसके मुँह को बेदर्द तरीके से चोदा, मगर चाची खुश थी।

फिर मैंने चाची के मुँह से अपना लंड निकाल लिया, मैंने उसके कंधे को पीछे को धकेला तो चाची बेड पे लेट गई और उसने अपनी दोनों टाँगें खोल कर अपने पाँव के पंजे अपने हाथों में पकड़ लिए। पूरी तरह से अपने बदन को खोल कर मेरे सामने रख दिया कि आओ पिया अपनी प्रिय की काम पिपासा को शांत करो, इसके सुंदर बदन का भोग लगाओ।

मैं चाची के ऊपर लेट गया और मेरा लंड बिना कोई सेटिंग किए खुद ब खुद ही चाची की चूत में घुस गया। बिल्कुल वैसे ही एहसास जैसा चाची के मुँह में अपना लंड डाल कर आया था, नर्म, गर्म, गीला गीला।
बस इसमें कोई दाँत नहीं था चुभने को…
बहुत ही कोमल और प्यारा एहसास।

मैंने अपनी कमर चलाई तो चाची ने अपने पाँव छोड़ दिये और मेरी कमर के दोनों और अपने हाथ रखे, फिर बोली- अरे ऐसे नहीं, आराम से ऐसे कमर हिलाओ!
और चाची ने अपने हाथों से मुझे कमर चलाने का तरीका बताया।
मैंने वैसे ही कमर चलाई तो फिर चाची ने मेरी कमर छोड़ दी और अपने हाथों से मेरी पीठ, मेरा सीना, कंधे, और मेरे निप्पल सहलाने लगी।

जब वो मेरे निप्पल को छूती तो मुझे बड़ी सनसनी होती।
वो बोली- इस से मजा आता है तुझे?
मैंने कहा- हाँ, बहुत सनसनी सी होती है।
वो बोली- तो ये देख फिर!
और चाची ने अपना सर थोड़ा सा ऊपर उठाया, और मेरे निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूस लिया, अरे यार, जैसे सारे बदन में करंट सा लग गया हो, मेरे मुँह से बड़े ज़ोर से ‘आह…’ निकली।
चाची बोली- मजा आया?
मैंने कहा- बहुत ज़्यादा!

उसके बाद चाची ने कई बार मेरे निप्पल चूसे और मुझे बहुत मजा दिया। आज मुझे पता चला अगर मर्द को औरत की छाती चूस कर मजा आता है, तो औरत को उस से भी ज़्यादा मजा अपनी छाती चुसवा कर आता है।
कुछ देर की चुदाई के बाद चाचा बोले- अबे अब ऐसे ही चोदे जाएगा, इसको घोड़ी बना कर चोद हरामजादी को।
मैंने चाची की आँखों में देखा तो चाची ने मुझे पीछे को किया, मैं पीछे हटा, मेरा लंड चाची की चूत से बाहर निकल आया, जो गीला था और उसकी चूत से निकलने वाली झाग से कहीं कहीं से सना हुआ था।

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चाची खुद उठी कर मेरे सामने घोड़ी बन गई, इस बार मैंने अपना लंड पकड़ कर उसकी चूत पे रखा और चाची जैसे ही थोड़ा सा पीछे को हुई, मेरा लंड फिर से उसकी चूत में घुस गया। यह अंदाज़ मुझे भी बहुत पसंद आया, चाची की गोरी चिकनी मांसल पीठ, जिसके बीच में से रीढ़ के ऊपर लंबी सी नाली बनी थी, और नीचे दो खुले हुये चूतड़। बहुत ही सुंदर आकार की सुराही जैसे आकार का सेक्सी बदन, मोटी गांड… चाची को पीछे से चोदने में भी मजा आ गया।

अगर मैं आगे को धक्के मार रहा था, तो चाची भी पीछे को अपनी मस्त गांड से धक्के मार रही थी। सारे कमरे में हम दोनों के बदन के टकराने से होने वाली आवाज़ गूंज रही थी। सच में चाची बहुत चुदक्कड़ थी, मुझसे ज़्यादा वो इस चुदाई का मजा ले रही थी। मैंने चाची की कमर का गोल नर्म मांस अपने दोनों हाथों में बड़ी मजबूती से पकड़ रखा था और उन्हीं मांस के लोथड़ों को पकड़ कर मैं चाची की कमर आगे पीछे कर रहा था और मेरे हाथों की उंगलियाँ उसकी कमर में गड़ी पड़ी थी।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उधर चाचा अपना लंड फेंट रहे थे, तभी उनका लंड पिचकारी मार गया। मैंने देखा चाचा के लंड से लेस के फव्वारे छूट पड़े, ऊपर को।
चाची ने भी देख लिया, बोली- बस क्या मेजर साब, इतनी जल्दी हार मान गए, इस लौंडे को देखो, कैसे ज़बरदस्त लड़ रहा है।
चाचा बोले- अरे मेरा ही बच्चा है, शाबाश नौजवान, दुश्मन की हार तक रुकना नहीं, आज माँ चोद देना दुश्मनों की।

मुझमें और जोश आ गया, मैंने और ज़ोर से चाची की चोदा।
एक बार फिर चाची तड़पी- हाये रे ज़ालिम, मार दिया!
और चाची एकदम से ढीली सी पड़ गई, मगर अब मैं भी अपने चरमोत्कर्ष पर था, मैं भी किसी भी पल झड़ सकता था, तो मैंने चाची को ढलने नहीं दिया, बल्कि उसकी कमर और ज़ोर से पकड़ कर कुत्ते की तरह उस से चिपक कर उसे चोदने लगा।

और फिर मैं भी खुद को रोक नहीं पाया और चाची की चूत में झड़ गया।
जब मैं झड़ा तो चाची बोली- हाये रे कमीने ने अंदर ही भर दिया मेरे!
मगर मुझे क्या खबर थी, मैं तो अपने जीवन की पहली चुदाई के आनन्द में इतना डूब गया कि मुझे तो कोई सुध ही न रही। झड़ कर मैं भी चाची के पास ही लेट गया, चाची उल्टी लेटी थी, मगर मैं सीधा लेटा था।
मेरे लंड में अब भी ताव था और उसके मुँह से अभी भी कोई कोई बूंद वीर्य की बाहर को टपक रही थी।

चाची मुझे और मैं चाची को देख रहा था, आज मुझे सच में चाची से प्रेम हो गया था।

तभी चाचा बड़ी मुश्किल से उठ कर आए और चाची के नंगे चूतड़ पर मार कर बोले- सुन, आज के बाद बाहर मत चुदवाना, जब भी चुदवाना, इस से ही चुदवाना, क्योंकि ये मेरा खून है, मैं नहीं चाहता कि तू बाहर किसी से अपनी माँ चुदवाए, जब भी चाहे इस का लंड ले, मगर बाहर मत जाना किसी भी मादरचोद के पास।
चाची कुछ नहीं बोली, सिर्फ मुस्कुरा दी। मगर उनकी आँखों में चाची की बात का जवाब ज़रूर था कि जी बिल्कुल, आज के बाद अगर किसी से चुदवाऊँगी, तो सिर्फ इस से।

हम दोनों को वैसे ही नंगा छोड़ कर चाचा बाहर को चले गए और हम दोनों अपने प्रेम के रस में भीगे वैसे ही लेटे एक दूसरे को देखते रहे।

writermastram@gmail.com

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Friday 26 January 2018

चाची के बूब्स का स्वादिष्ट दूध || Chachi ke boobs ka swadisht doodh || XXX Kahaniya

चाची के बूब्स का स्वादिष्ट दूध
प्रेषक : रवि

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रवि है और आज में आप सभी कामुकता डॉट कॉम के चाहने वालों के लिए अपनी उस घटना को लेकर आया हूँ जो मेरा सबसे पहला सेक्स अनुभव होने के साथ ही सबसे अच्छा अनुभव भी था। दोस्तों वैसे तो मुझे सेक्स की तरफ रूचि बचपन से ही बहुत है और अब में सेक्सी कहानियों को पिछले कुछ सालों से लगातार पढ़कर उनके मज़े लेने लगा हूँ। दोस्तों आज में जिस कहानी को आप सभी की सेवा में लेकर आया हूँ यह मेरी सच्ची घटना है कोई फेक कहानी नहीं है, जिसमें मैंने अपने पड़ोस में रहने वाली बड़े बूब्स की चाची के साथ पहली बार वो सब किया, जिसके बारे में मैंने कभी सोचा नहीं था और उसके बाद मेरी हिम्मत बहुत ज्यादा बढ़ गई। अब आप सभी को ज्यादा बोर ना करते हुए सीधे में अपनी आज की कहानी को सुनाना शुरू करता हूँ। दोस्तों में जब छोटा था, तब में अपने पड़ोस वाले एक घर में हमेशा जाता था और वहीं पर एक शादीशुदा औरत थी जिसको में हमेशा चाची कहता था। दोस्तों उसके बूब्स आकार में बहुत बड़े थे और वो अपने ब्लाउज के ऊपर वाले दो बटन हमेशा खुले रखती थी और अपने उस ब्लाउज के अंदर वो ब्रा भी नहीं पहनती थी और वो हर समय मुझे अपने बूब्स को दिखाती रहती थी।

दोस्तों उसके दो छोटे छोटे बच्चे थे, एक तीन साल का था और दूसरा लड़का एक साल का था और वो अपने दोनों लड़को को अपना दूध पिलाती थी और वो जब भी अपने बच्चो को अपना दूध पिलाती तो वो मेरे पास आ जाती और अपने दोनों बूब्स को खोलकर अपने दोनों बच्चो के मुहं में अपनी बड़ी आकार की उठी हुई निप्पल को डाल देती थी। दोस्तों उसके बूब्स बिल्कुल सफेद रंग के बूब्स थे और निप्पल गुलाबी रंग के थे और में अक्सर उसके घर जाया करता था और जब भी में उसके घर जाता था, तब मेरी वो चाची अपने किसी भी काम में कितना भी व्यस्त क्यों ना रहती हो वो तुरंत मुझे देखकर अपना वो काम वहीं छोड़ देती। फिर वो मेरे पास आकर बैठ जाती और उसके बाद अपने दोनों बच्चो को अपने पास बुलाती और फिर अपने ब्लाउज को झट से खोलकर अपने दोनों बूब्स को पकड़कर बाहर निकालती और अपने दोनों बच्चो के मुँह में दे देती और में पास बैठकर उसके बूब्स को चकित होकर देखता रहता। फिर वो भी मुझसे बातें करते रहती और अपने बच्चो को अपना दूध पिलाती रहती और वो यह भी देखती कि में उसके बूब्स को देखा रहा हूँ और इस तरह से में उसके गोरे बड़े आकार के बूब्स को देखते हुए बड़ा हो गया।

एक बार में उसके घर गया, तब मैंने देखा कि वो उस समय चारपाई पर सो रही थी, वो एकदम चित होकर लेटी हुई थी, उस समय उसने सिर्फ़ पेटिकोट पहना हुआ था और वो ऊपर से बिल्कुल नंगी थी उस के दोनों बड़े आकार के बूब्स बाहर बिल्कुल नंगे मेरी आँखों के सामने थे और उसका एक बच्चा दूध भी पी रहा था और दूसरा बच्चा सो चुका था। फिर में उनके पास पहुँचा और मैंने पास से बूब्स को देखा तो वो बहुत आकर्षक थे और उसके बिल्कुल गुलाबी निप्पल खड़े हुए थे और मैंने थोड़ा सा नीचे झुककर देखा तो वो उस समय गहरी नींद में सो रही थी। अब में उसके बूब्स देखकर अपने आपे से बाहर हो गया और अब में उसका एक बूब्स अपने हाथ में लेकर उसको दबाने लगा था और उसके निप्पल को खींचने भी लगा था, जिसकी वजह से अब उस निप्पल से दूध भी निकलकर बहने लगा। अब मैंने तुरंत ही अपने मुँह को नीचे झुकाकर मैंने उसका वो पूरा निप्पल और बूब्स अपने मुँह में भर लिया और में धीरे धीरे उसको चूसने लगा। फिर कुछ देर बाद मैंने अपनी आँखों को ऊपर उठाकर देखा तो वो अब भी सो रही थी, में ज़ोर ज़ोर से उसके ज़ूर को चूसने लगा था, जिसकी वजह से उसका गरम गरम दूध मेरे मुहं में भरने लगा में उसको पीने लगा था।

अब में उसके पूरे बड़े आकार के बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और उनका दूध पीने लगा था, मैंने अब करीब बहुत सारा दूध पी लिया और डरते हुए कि कहीं वो उठ ना जाए, मैंने उसके बूब्स को अब छोड़ दिया और में वहां से चला आया। दोस्तों अपने घर आकर मैंने देखा कि मेरा लंड जो अब एकदम तनकर खड़ा हो चुका था। फिर मैंने बाथरूम में जाकर मुठ मारना शुरू किया और फिर कुछ देर हिलाने के बाद मेरे लंड का पानी तेज गति के साथ दूर जाकर गिरा। फिर उस दिन के बाद मुझे चस्का लग चुका था, इसलिए में अब सुबह शाम अपनी चाची के घर जाने लगा था। एक बार शाम में उनके घर गया, तब मैंने देखा कि वो उस समय सिर्फ़ साड़ी पहनी हुई है और उसके दोनों बड़े आकार के बूब्स दोनों तरफ से लटक रहे है। फिर में गया तो मुझे देखकर तुरंत ही वो भी मेरे पास आकर बैठ गई और तुरंत ही उसके दोनों बच्चे भी उसके पास आ गये और उसकी साड़ी का पल्लू उन्होंने खींच खींचकर अलग कर दिया और वो दोनों बच्चे दोनों बूब्स को अपने मुहं में भरकर खींचकर उसका दूध पीने लगे और वो मुझसे इधर उधर की बातें कर रही थी। दोस्तों वो मुझसे इतना करीब थी कि उसके बूब्स और निप्पल को में साफ देख रहा था और फिर कुछ देर बाद बच्चे दूध पीते पीते सो गए।

अब उसने मुझसे कहा कि प्लीज रवि तुम एक बच्चे को ज़रा उठा लो और इसके मुँह से मेरा यह बूब्स बाहर निकाल दो। फिर मैंने उसके कहते ही तुरंत अपने हाथ से उसके एक बूब्स को पकड़कर उस निप्पल को खींचकर बच्चे के मुहं से बाहर निकाल दिया। दोस्तों उस काम को करने की वजह से मेरा लंड एकदम तनकर खड़ा हो गया और उसने भी मेरे खड़े लंड को देख लिया, तभी वो मुझसे कहने लगी कि यह दूसरा वाला बूब्स भी इसके मुहं से बाहर खींच लो प्लीज। अब मैंने उसके निप्पल को अपने दोनों हाथों से पकड़कर खींच लिया और अलग कर दिया और अपने दोनों बच्चो को सुला देने के बाद वो मुझसे कहने लगी कि मेरी छाती में बहुत सारा दूध भरा हुआ है, क्या इसको तुम पीना चाहते हो? अब मुझे उनके मुहं से यह बात सुनकर शरम आने लगी थी, इसलिए मैंने अपनी गर्दन को नीचे झुका लिया। अब वो मुझसे कहने लगी इसमे इतना शरमाने की क्या बात है? तुम आज भी पी लो जैसे उस दिन पी रहे थे। दोस्तों में तो अब उसके मुहं से यह बात सुनकर एकदम से घबरा गया और मन ही मन में सोचने लगा कि इसका मतलब यह था कि उस दिन भी यह जाग रही थी, जब में अपनी चाची के उस दिन बड़े आकार के बूब्स को अपने मुहं में भरकर बड़े मज़े से उनका सर चूस रहा था। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

अब उसने अपने सारे कपड़े खोल दिए और वो सिर्फ़ पेटीकोट पहने हुए थी। मैंने देखा कि उसके बड़े आकार के रस भरे बूब्स एकदम नीचे लटक रहे थे और वो द्रश्य देखकर मेरा लंड एकदम तनकर खड़ा हो गया था। अब उसने भी मेरे लंड को देख लिया था, वो तुरंत नीचे बैठ गई और मुझे उसने अपनी गोद में लेटने के लिए कहा और में तुरंत लेट गया और अब उसके 44 इंच के बड़े आकार के बूब्स मेरे मुँह से टकरा रहे थे। फिर मैंने तुरंत ही उसके बूब्स के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और में उसको ज़ोर ज़ोर से चूसते हुए उसका रस पीने लगा और में ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स को खींचकर दूध पीने लगा था। फिर उसी समय उसने अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर मेरा लंड पकड़ लिया। अब में और भी जोश में आ गया और में ज़ोर ज़ोर से खींचकर उसका दूध पीने लगा। अब उसने मुझसे कहा कि में भी तुम्हारा दूध पीना चाहती हूँ। फिर मैंने वो बात उसके मुहं से सुनकर एकदम चकित होकर उसको पूछा कि मेरा दूध कहाँ है, आप कौन से दूध की बात कर रही है, में समझा नहीं? अब उसने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़कर उसकी तरफ इशारा करके कहा कि यह है तुम्हारा वो दूध जिसको में अब पीना चाहती हूँ।

फिर मैंने कहा कि नहीं अभी में तुम्हारे बूब्स को नहीं छोड़ सकता, मुझे इसको चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा है और में कुछ इसको ऐसे ही पीता रहूँगा। अब उसने कहा कि हाँ ठीक है बाबा, तुम मेरे बूब्स को मत छोड़ना और पीते रहना, बस तुम ज़रा और ऊपर की तरफ सरक जाओ। फिर में ऊपर सरककर दूध पीने लगा और वो मेरे खड़े लंड को पकड़कर अपने दूसरे बूब्स की निप्पल से लगाकर दबाने लगी और उसके निप्पल का दूध मेरे लंड के टोपे पर गिरने लगा। फिर मैंने कुछ देर बाद अपने सर को उठाकर देखा तब वो अपने दूसरे बड़े आकार के बूब्स की निप्पल को जो दूध से भरी थी मेरे लंड के टोपे पर लाकर दबा रही थी और एक हाथ से मेरे दोनों आंड को दबा भी रही थी। दोस्तों कुछ भी कहो, लेकिन मुझे बहुत मस्त मज़ा आने लगा था और में अब पहले से भी ज्यादा ज़ोर ज़ोर से खींचकर उसका दूध पीने लगा था। अब वो मेरे आंड को दबा रही थी और अपने बड़े बूब्स से मेरे लंड को भी दबा रही थी। उसने अपने निप्पल से मेरे लंड पर और भी दूध गिराया और फिर तुरंत ही लपककर धीरे से मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थी। दोस्तों उसके यह सब करने की वजह से में तो जोश मस्ती की वजह से एकदम पागल हो चुका था और अब उसके बड़े आकार के दूध से भरे बूब्स मेरे मुँह में थे।

अब वो मेरे लंड की तरफ झुककर मेरा पूरा लंड अपने मुहं में लेकर उसको मज़े से चूसने लगी थी और अपने दोनों हाथों से मेरे आंड को दबाने भी लगी थी। दोस्तों इस तरह से हम दोनों अपने अपने काम में बहुत व्यस्त थे और जब से वो मेरा लंड अपने मुहं से भरकर चूस रही थी तो मेरे मुहं में उसके बूब्स और गरम गरम दूध देने लगा था और में गटागट उसके मस्त स्वादिष्ट दूध को पीने लगा था। अब वो भी ज़ोर से चीखकर मेरा लंड चूसने लगी थी और कुछ देर बाद उठकर उसने मुझसे कहा कि वाह क्या बात है? जितना मेरे यह बूब्स तुम्हे दूध पिला रहे है उतना ही तुम्हारा लंड मुझे अपना दूध पिला रहा है। मुझे ऐसा लगता है कि जैसे मेरे निप्पल का दूध तुम्हारे मुँह से होते हुए तुम्हारे लंड में आ रहा है, जो में धीरे धीरे पी रही हूँ। फिर यह सब कहकर वो एक बार फिर से मेरे लंड को अपने मुहं में लेकर चूसने लगी और मेरे आंड को भी हल्के हल्के दबाती जा रही थी, जिसकी वजह से मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था और अब मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई चीज़ मेरे आंड से निकलकर उसके मुहं में जा रही है। दोस्तों मुझे अब बिल्कुल ऐसा लग रहा था कि जैसे में भी एक गाय हूँ और में उसको अपना दूध पिला रहा हूँ।

अब वो धीरे धीरे खीच खींचकर मेरे दूध को पीने लगी और अपने बड़े आकार के रसभरे बूब्स से इतना ज्यादा दूध मेरे मुहं में निकालने लगी थी, जिसको में बड़े ही मज़े लेकर पीने लगा था। फिर कुछ देर बाद ही अचानक से वो अपने बूब्स को मेरे मुँह से बाहर खींचकर चिल्लाने लगी। अब मैंने उसको कहा कि अरे नहीं, तुम मुझे अपने रसभरे बूब्स दो, मुझे इनको चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा है। फिर उसने कहा कि बस एक मिनट ठहर जाओ और अपना मुँह मेरे मुँह से लगाकर मेरा मुहं खोलकर अपने मुहं में भरा पूरा गरम गरम दूध मेरे मुहं में डाल दिया और फिर मुझसे कहा कि तुम इसको गटक जाओ, यह वही दूध है जो में तुम्हारे लंड से पी रही हूँ। दोस्तों मुझे वो बहुत मज़ेदार लगा, गरम गरम नमकीन सा में तुरंत उसको पूरा पी गया। फिर उसके बाद उसने अपने बड़े बूब्स को दोबारा मेरे मुँह में घुसा दिया और दोबारा में उसका दूध पीने लगा जो कि इस बार और भी ज्यादा गरम मज़ेदार दूध था, जिसको वो मेरे मुहं में देने लगी और कुछ देर बाद उसने दोबारा नीचे झुककर एक बार फिर से मेरे लंड को अपने मुहं में भरकर उसका दूध पीना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से हम दोनों को बहुत मस्त मज़ा आ रहा था। अब में उसके बड़े ही मुलायम रसभरे बूब्स से दूध पी रहा था और वो मेरे लंड से एक ही वक़्त में दूध पी रही थी। हम दोनों के मुहं से चुप चुप चुप चुप की आवाज़ें आ रही थी और हम दोनों ही एक दूसरे के दूध को पीने में एकदम गुम थे। फिर कुछ देर उनके साथ मज़े लेकर वापस में हंसी खुशी अपने घर वापस चला आया, लेकिन उसके बाद भी हम दोनों ने कई बार बहुत कुछ किया ।।

धन्यवाद

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Friday 29 December 2017

बिना कंडोम बाँझ चाची की चुदाई का मजा xxx कहानी


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चाची और चाचा के बच्चे नहीं है और वो इसको लेकर हमेशा ही चिंतित रहते थे. चाची की मेरिज की ४ साल बीत चुके थे, पर अभी तक उनको कोई बच्चा नहीं था. मेरी चाची का नाम अलका है और वो बहुत ही हॉट फिगर वाली औरत है. वो भी एक पारंपरिक रिवाज वाले परिवार से है और बहुत ही ट्रेडिशनल लुक वाली है. चाची हमेशा से ही पारंपरिक श्रृंगार, जिसमे लाल बिंदी, लिपस्टिक, शाइनिंग फेस और रंगीन साड़ी पहने हुए रहती थी. वो पैरो में पायल पहनती थी और उनकी पायल की छन – छन से मेरा दिल धड़कने लगता था. वो घर पर भी श्रृंगार में रहती थी. उनकी अदाए और चाल मदमस्त कर देने वाली थी. उनका फिगर भी बहुत हॉट था और मेंगो जैसे बूब्स को देख कर कोई भी अपना लंड पकड़ ले. मैं १२थ के बाद, इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया है.
अब मैं आपको अपनी रियल बात बता रहा हु. दोस्तों, बात उन दिनों की है, जब मैं १२थ में था और विंटर हॉलीडेज चल रहे थे. एकदिन मैं अपने स्टडी रूम में पढ़ रहा था. मेरा स्टडी रूम किचन के बाजु में है. उस दिन घर में चाची और उनकी फ्रेंड सोनाली थी. सोनाली बहुत ही सेक्सी एंड हॉट बम थी. वो अक्सर चाची से मिलने हमारे घर आया करती थी. वो दोनों किचन में बैठे हुए थे. चाची का मूड ऑफ देख कर उसने पूछा, कि अलका रानी तुम इस तरह उदास क्यों हो? इस पर अलका चाची ने कहा – कैसे उदास ना रहू, हमारी शादी को ३ साल हो गये. हमारे एक भी बच्चा नहीं है. हमे लोग क्या – क्या नहीं कहते. मैं ये बात चुपचाप सुन रहा था. सोनाली ने कहा – मेरी बस्ती में एक बाबा है, तो उसकी पूजा से सब प्रॉब्लम ठीक कर देता है. मैं तुझे उसके पास ले चलती हु. चाची ने कहा – ठीक है. कल शाम को ही चलते है. मैं भी घुमने के लिए बाहर निकल गया.फिर वापस आकर मैं फ्रेश हो गया और चाची बहुत अच्छी सी स्माइल लिए मेरे कमरे में आई और हम खाना खा कर सो गये और अगले दिन मैं फ्रेश हुआ और चाची को मैंने उठ कर गुड मोर्निंग बोला. ऊन्होने मुझे बहुत अच्छी स्माइल दी और बाथरूम में घुस गयी. वो तैयार हो कर मेरे पास आई और बोली – मैं अपनी फ्रेंड सोनाली के यहाँ जहाँ रही हु और शाम को मैं लेट हो जाउंगी. मैं भी तैयार होकर कोचिंग क्लास निकल गया. चाचा भी उसी दिन बाहर से आये थे. ५ बजे मैं क्लास से वापस आया और देखा, कि चाची एक वंडर स्माइल लेकर चाचा के कमरे में शरबत लेकर जा रही है. मैं भी चुपचाप से उनके पीछे चला गया. वो चाचा के पास एक मीठी सी मुस्कान के साथ किस कर आलिंगन कर एक्साइट हो गयी और चाचा से कहा – मैं आज एक बाबा से मिल कर आई हु मुझे देख कर चाची चुप हो गयी और दुसरे टॉपिक पर बात करने लगी. फिर चाचा मेरी पढाई के बारे में पूछने लगे और मैं समझ गया, कि चाची चाचा को कोई राज की बात बताने वाली थी.

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फिर मैं खेलने का बहाना लेकर नीचे जाने लगा और चाची ने झट से डोर बंद कर लिया और चाचा से कुछ कहने लगी. मैं डोर के पास जाकर कान लगाकर सुनने लगा. चाची कह रही थी, एक पूजा करने पर; हम जल्द ही संतान पैदा कर सकते है. चाचा ने पूछा, वो कैसे? चाची ने कहा – उन्होंने कहा है, कि आने वाली अमावस्या की रात को, तुझे लिंग योनी पूजा करनी होगी और मैं डिटेल में सब बताउंगी. मैंने नीचे खाना बनाने जा रही हु. मैं डोर से हटकर नीचे की तरफ चले गया. मैं लिंग योनी पूजा के बारे में सुनकर बहुत एक्साइट हो गया. २ दिनों बाद, अमावस्या आने वाली थी और कल मम्मी – पापा भी बाहर जाने की तैयारी कर रहे थे. मेरी कोचिंग क्लास के कारण, मैं नहीं जा पा रहा था. दुसरे ही दिन, शाम को उन्हें हम (चाचा, चाची और मैं) उनको स्टेशन पर छोड़कर आ गये. अब घर में, मैं चाचा और चाची ही थे. ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। घर आकर थक चुके थे, इसलिए खाना खा कर सो गये. फिर अगले ही दिन अमावस्या का दिन था.मैं सुबह ही फ्रेश होकर दोस्त के घर चले गया और दोपहर को आकर हमने एक साथ खाना खाया और फिर मैं अपनी कोचिंग क्लास के लिए निकल गया. जब मैं शाम को वापस आया, तो चाचा मार्किट गये थे और देखा, कि चाची अपने कमरे में श्रृंगार कर रही थी. अपने हाथो में मेहंदी लगा रखी थी. पेरो में सुंदर सा अलता है, मैंने पूछा, कि ये श्रृंगार आज किस लिए? तो वो बोली – ऐसे ही. मुझे तो श्रृंगार में रहना अच्छा लगता है और कह कर टाल दिया. फिर मैंने दिखा, कि चाचा मार्किट से आकर फ्रेश होने चले गये. बाहर कमरे में थाली में कुछ पूजन सामग्री लाये थे. उसमे रसमलाई का एक बड़ा डिब्बा था. मैंने उन्हें देख कर बाहर खेलने चले गया. फिर आकर देखा, कि चाची सोलह श्रृंगार पूरी दुल्हन की तरह सजी थी. जो देवी से कम नहीं लग रही थी. चाची ने कहा – तुम खाना खा लेना. हम काली मंदिर जा रहे है, देवी के दर्शन के लिए. मैंने समझ गया, कि चाची आज कुछ विशेष करने वाली है.

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मैं खाना खाकर जल्दी से ८ बजे ही सो गया और वो लोग थोड़ी देर बाद ही आ गये. मैंने डोर खोला और मैंने जब उन्हें दुल्हन रूप में देखा, तो मेरा फन से खड़ा हो गया. वो बहुत ही हॉट सेक्सी बम दिख रही थी. उन्होंने पूछा – ऐश्वर्या, तुमने खाना खा लिया. मैंने कहा – हाँ. चाची मुझे नीद लग रही है. मैं सोने जा रहा हु. वो एक अमस्वाया की रात थी. मुझे हलकी सी नीद भी लगी थी. चाचा – चाची ने प्यार से मिल कर खाना खाया और टेरेस पर टहलने चल दिए. बाद में, जब मेरी नीद कुछ १२ – १२:३० बीच खुली और मैं टॉयलेट करने जा रहा था. मेरी नज़र चाचा के कमरे पर पड़ी. उनके कमरे की लाइट जल रही थी. डोर और विंडो सब कुछ बंद किये हुआ था. ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। वहां कुछ धुआ हो रहा था. मैंने चुपचाप वहां जाकर खड़ा हुआ. अन्दर से सुंगधित खुशबु आ रही थी. मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. मुझे याद आया, कि चाची के कमरे में जो वेंटिलेटर है. वो टेरेस पर है और वहां से पूरा रूम दिखाई देता है. मैं वहां पहुच गया. मैंने वहां का जो नज़ारा देखा, तो मैं अमजेड रह गया.मैंने देखा, कि चाची पुरे श्रृंगार रूप में पूरी निवस्त्र बालो में कजरा, मांग में सिंदूर, हाथो में मेहंदी लग थी. पेरो में अलता लगा हुआ था और उनके बूब्स और अस में भी मेहंदी लगी थी. उनकी कमर पर वेस्ट चेन बंदी हुई थी. इस रूप में देख कर मैं तो एकदम से वंडर हो गया. पहले कभी ऐसे किसी को श्रृगार रूप में न्यूड नहीं देखा था. चाचा भी पुरे नंगे खड़े थे और टेबल में पूजा की थाली रखी थी. जिसमे पूजा का सामान रखा हुआ था. उस समय करीब १ बजा हुआ था. चाची ने पहले चाचा को तिलक लगाया. फिर उनके हांथो में एक मोली बाँधी और अक्षत – चावल से पूजा. चाचा का लंड खड़ा ही था. चाची ने लंड को दूध – दही आदि से पूजा और फिर एक साफ़ कपड़े से पोछने लगी. इसके बाद लंड पर कुमकुम लगाया.

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फिर एक और मोली उनके लंड पर बाँधी और अक्षत चावल डाले. फिर थाल में दिया जलाकर उसकी आरती उतारी और उसके सामने कुछ मिठाई रखी. ये सब देख कर मैं बहुत एक्साइट हो गया और ऐसी लिंग पूजा मै पहली बार देख रहा था. कुछ देर बाद, चाचा ने थाल पकड़ा और चाची के बूब्स और योनी से को स्नान करवाया और उनके गुप्तांगो को पूजन किया. फिर चाचा ने उनकी चूत की आरती की उतारी. उसके बाद चाची ने चाचा के पेरो को छु कर आशीर्वाद लिया और चाचा ने उन्हें अपनी बाहों में ले लिया और उन्हें अपने आलिंगन में लेकर चूमना शुरू कर दिया. पूरा कमरा सुगंध से महक रहा था. एक सेक्स पूजा देख कर. चाची ने रसमलाई के डिब्बे में से, एक लेकर चाचा के मुह में डाल दिया.दोनों पान की तरह रसमलाई खाकर, एक दुसरे के होठो को चूमने लगे और चाचा ने मलाई रस अपने लंड पर डाल दिया. ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। फिर चाची लंड को चूसने लगी. ये देख कर मैं तो और एक्साइट हो रहा था. फिर दोनों एक कामसूत्र कपल की तरह उन्होंने चाची के दोनों बूब्स दबाने लगे. फिर चाची को बिस्तर पर लेटा दिया और अपना लंड चाची की योनी पर डाल दिया और दोनों सम्भोग का आनंद ले रहे थे. दोनों बहुत ही एक्साइट होकर चोद रहे थे. उन्होंने ६९ की पोजीशन भी लिया था. जब वो दोनों ६९ की पोजीशन में थे, तो मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया था और पेंट के अन्दर ही फनफना रहा था. चाचा ने चाची की चूत को रसमलाई के रस में लपेट कर मीठा कर लिया था और उसको चटकारे लेकर चाट रहे थे. चाची भी रस में लिपटे हुए चाचा के लंड को मस्ती में और जोर – जोर से चूस रही थी. चाचा अपनी गांड को मस्ती हिलाते हुए, चाची के मुह को चोद रहे थे. फिर पता नहीं क्या हुआ, चाचा ने उठकर रूम की लाइट बंद दी और उसके बाद मैं कुछ नहीं देख पा रहा था. मैं रूम में नीचे आकर सो गया और मेरे सोने के १ घंटे बाद ही मेरा नाईट फाल हो गया. मुझे नीद ही नहीं आ रही थी. मेरे दिमाग में वहीँ सेक्स पूजा का दृश्य चल रहा था.

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फिर सुबह उठ कर, मैंने देखा कि चाची फ्रेश होकर देवी पूजन की तैयारी कर रही थी और चाचा काम से निकल गये थे. मैंने चाची को पूछा, कल रात मुझे नीद नहीं आई और मैं छत पर घूम रहा था. चाची सन्न हो गयी और उनको अहसास हो गया, कि मैंने उनके गुप्तांगो की पूजा देख ली है. मैं मुस्कुरा रहा था और वो भी मुस्कुरायी और कहने लगी, तुमने क्या देखा? मैं मुस्कुरा रहा था और वो समझ गयी थी और मेरे फ़ोर्स करने पर, उसने कहा – ये गुप्त पूजा एक बाबा ने बताई थी. इसे लिंग योनी पूजा कहते है. जिससे संतान प्राप्ति जल्दी होती है. धीरे – धीरे, ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। हम अच्छे दोस्त बन गये और सेक्स की बातें करने लगे. उन्होंने बताया, कि ये पूजा करवाचौथ की रात को भी किया जाता है. और मैं भी करुँगी. उनकी उस पूजा को एक साल हो गया था, तो भी कुछ नहीं हो रहा था और वो दोनों इस बात से परेशान थे.फिर मैंने एक दिन चाची को बोला. अब एक पूजा मुझे करने दो और आप बहुत जल्दी प्रेग्नेंट हो जाओगी. वो बोली – मैं कुछ समझी नहीं. मैंने कहा – जब चाचा नहीं होंगे, तब समझाऊंगा. फिर एकदिन जब चाचा काम से बाहर गये हुए थे. उस रात मैं चाची के कमरे में गया और सुबह तक चाची को मस्त चोदा. चाची की काम वासना की तृप्ति पहली बार हुई थी. मैंने उनके मुह, उनकी चूत और उनके गांड के छेद की अच्छी ठुकाई की. फिर मैंने चाची को चाचा के वापस आने तक रोज़ चोदा और एक ही हफ्ते बाद, चाची ने घर में सबको खुशखबरी सुना दी. चाचा भी खुश थे, कि उन दोनों की पूजा सफल हो गयी. लेकिन ये तो सिर्फ मुझे और चाची को मालूम था, कि किसकी पूजा सफल हुई है

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Thursday 9 November 2017

Pyari Chachi

Hello all auntis and girls my name is vikas and im from mumbai 25 yr old 5'10? height and with 8? dick size. This is my 1st story so please give me a reply here jab mai 22 sal ka that tab mai vacation mai pune gaya that vah pay meray chacha aur chachi rehetay hai. Chachi ka nam suman hai unki age 32 sal ki hao aur unka figure 38 30 35 hai.unkey boobs bahut mujhey achey lagtey they aur mai unko kapdey dhotey
vakt aur koi kam kartey vakt dekhta reheta tha.aur mera land khada ho jata tab mai khet mai jakar nanga hokar muth marta tha.mai unko chodney ka moka dhund raha tha aur ek din moka aa gaya.hum rat ko sab hall mai sote they aur merey chacha akelay bahar aangan mai sotey thai.us rat ko mai so raha that merey baju mai merey chcha ka ladka so raha tha uski age 8 sal ki thi.aur uskey baju mai meri chachi soti thi.us rat 12 baje meri neend khuli aur mai uth kar baith gaya to mainey dekha ki chachi ki sari jhango tak aa gayi hai aur uske jhang mujhey dikh rahi thi mera 8? ka land khada ho gaya aur merey andar ab shotan ghus gaya tha mai uthkar unki baju mai jakar so gaya unki gand meri taraf thi mainey hulkey sai unku sari upar kar di to mainey dekha unhoney panty nahi peheni thi.phir dhire say mainey unki jhang par hath ghumaney laga merey hath dar
ke marey kap rehey thai. Mera poora badan kap raha tha phir mainey dhirey say unki gand ki ched par ungli ghumayi to vo thoda heel gayi mai dar gaya. Lekin phir vo so gayi to mainey phir apna barmuda nikala aur mera land bahar aa gaya vo pura chodney ko tyar tha.phir mai thoda aagey gaya aur unki gand par mera land ghumaney laga.merey purey badan mai aag jaisi lag gayi phir mainey dhirey say unki

chut par hath rakha vo puri gili ho gayi thi mai samajh gaya ki ab chut marney ko tyar hai to mainey mera land pakad kar unki chut ke upar rakha aur ek jhatka diya aur mera land unki chut mai jakar phasa aur chachi bhi thoda heel gayi phir mainey meri ek tang unkey upar rakh di aur ek dhaka diya ab mera aadha land unki chut mai gaya. Aur phir mai dhire dhire aagey phiche karte hua unko chodne laga phir achank unhoney mujhey pakd liya aur apne upar khich liya aur mujhey pagalo ki tarah chumney lagi mai bhi ab josh mai aa gaya aur unkey boobs ko
dabaney laga aur vo merey land ko apne hath say unki chut mai dalne lagi phir mainey unke boobs ko nanga karke choosney laga mai ab pagal ho gaya tha. Phir mai unko upar chadke chodney laga vo ummmmmaaa..aaaa jaisi aawaj karne lagi mai bhi ab unki chut ko jam kar chodh raha tha aur vo bhi niche say gand utha kar kar support de rahi thi aur jab mai fast speed mai chodney laga to vo aur aawaje karne lagi aaaaaaaaaahhhhhhhhhha.. Aaaaaaaaa aur phir 20 minute ke bad mainey apna pani unki chut mai chod diya aur unkey upar hi thodi der so gaya.lekin unhone ek shabd bhi mu say nahi nikala aur mainey bhi nahi nikala aur mai phir unki baju mai jakar so gayaphir us rat mainey unko 3 bar choda . Is tarah mainey apna pur vacation enjoy kiya.kaisi lagi meri story plz reply me . if any female from mumbai wanna do secret sex with my 8? land mail privacy 100%



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