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Wednesday 6 December 2017

Sali ne Khud Choot Chudvane ki Pahal Ki - Hindi Sex Story

दोस्तो, पूर्व में प्रकाशित ‘चपरासिन की फुद्दी चोदकर माँ बनाया‘ और ‘ऑफिसर की बीवी की फुद्दी चोदी‘ बहुत सारे पाठकों को पसंद आई और ढेर सारे इमेल्स भी मिले, उसके लिए धन्यवाद।
दोस्तो, आज मैं अपनी साली की चुदाई का किस्सा लेकर आया हूँ कि किस तरह मैंने अपनी साली को कुतिया बना के चोदा जो अभी महीने भर पहले की बात है।
दोस्तो, यूँ तो सब कहते हैं कि साली आधी घरवाली होती है और यह भी कहते हैं कि जिस तरह पेट की भूख मिटाना जरूरी है, उसी तरह तन की भूख मिटाना भी जरूरी होता है।
यह किस्सा भी कुछ इसी तरह का है दोस्तो…
मैं शादीशुदा हूँ तो मेरी बीवी ने मुझे उसके बारे में बताया था।
वो मेरे दूर के रिश्ते में मामा ससुर की लड़की है, नाम है रिंकी, उसकी शादी को अभी पूरा एक साल भी नहीं हुआ कि उसका रिश्ता बिगड़ गया और कोर्ट में केस चल रहा है और वो पिछले 6 महीने से अपने मायके में है।
मैंने मेरी बीवी को कहा- यार जो हुआ वो बहुत बुरा हुआ। रिंकी के ऊपर क्या बीती होगी वो ही जानती है।
हालाँकि मैंने कभी मैंने उसको देखा नहीं था।
फिर मैं और मेरी बीवी महीने भर पहले अपनी बुआ सास के बच्चों की शादी में गये थे।
वहाँ रिंकी भी आई हुई थी, जिसका हम दोनों को पता नहीं था कि शादी में वो भी आएगी।
मेरे फूफा ससुरजी ने मेहमानों के रुकने के लिए अच्छी व्यवस्था की हुई थी, उन्होंने एक पूरी धर्मशाला किराये पर की हुई थी, जिसमें करीब बीस कमरे थे, हम दोनों को भी एक अलग कमरा दिया।
मैं सफ़र से थका हुआ था तो फ्रेश होकर मैं वहाँ शामियाने के नीचे कुर्सी लगाकर बैठ गया और अपना मोबाइल निकाल कर गेम खेलने लग गया।
करीब आधे घंटे बाद एक लड़की मेरे पास आई और मुझसे बोली, जीजाजी…
मैंने उसे देखा तो तो मैं तो उसे देखता ही रह गया।
क्या तारीफ करूँ दोस्तों उसकी… वो तो अपने आप में खूबसूरती की मिसाल थी।
बड़ी बड़ी काली आँखें, भरा भरा गदराया बदन, 36-32-36 के भरे भरे उसके मम्मे थे जिन्हें देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया कि अभी इन्हें मसल कर इनका दूध पी जाऊँ, और होंठ तो गुलाब की पंखुड़ियों के जैसे पतले थे जिन्हें एक बार चूसो तो छोड़ने का मन न करे।
खैर, फिर मैंने अपने आप को कण्ट्रोल करते हुए उससे उसका परिचय पूछा तो मुझे देखते हुए मुस्कुरा रही थी।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोली कुछ नहीं और वो हंसने लगी।
शायद वो मेरे मन की स्थिति जान चुकी थी, वो बोली- मेरा नाम रिंकी है और मैं आपके मामा ससुर की लड़की हूँ।
फिर मैं बोला- ओह तो आप है रिंकी, हाँ आपकी दीदी ने बताया था आपके बारे में।
मैंने उससे पूछा- मैंने तो आपको पहले कभी देखा नहीं तो अपने मुझे कैसे पहचाना?
वो बोली- इससे पहले जब आप दिनेश (छोटे मामा ससुर का लड़का) की शादी में आये थे तो मैंने आपको वहाँ देखा था लेकिन हम मिल नहीं पाए थे।
मैं बोला- कोई बात नहीं, अब मिल लिए न।
वो बोली- जीजाजी बहुत तारीफ सुनी आपकी।
मैं बोला- वो क्या?
उसने कहा- आप किस तरह दीदी का पूरा पूरा ख्याल रखते हो, उनकी हर विश पूरी करते हो, उन्हें किसी तरह की कोई कमी महसूस होने देते। वो बहुत खुश है आपके साथ। परिवार में सब आपकी तारीफ करते नहीं थकते। मेरी बहुत इच्छा थी आपसे मिलने की।
मैं बोला- साली जी, वो तो हर पति का कर्तव्य है और वैसे भी बीवी की सेवा नहीं करेंगे तो मेवा कैसे मिलेगा।
मेरे इस जवाब से वो थोड़ी शरमा गई।
मैं बोला- चलो आपको शरमाना भी आता है।
वो बोली- जीजाजी, सचमुच दीदी बड़ी लकी है जो आप उसे मिले।
इतने में मेरी बीवी वहाँ आ गई और बोली- मिल लिए रिंकी से?
मैंने कहा- मैं तो इसे जानता तक नहीं था, इसी ने पहचाना मुझे।
फिर हम काफी देर तक वहाँ बैठकर बातें करते रहे लेकिन मेरा पूरा ध्यान रिंकी पर था।
मैं बार बार उसे और उसके वक्ष उभारों को देख रहा था।
वो भी समझ चुकी थी कि जीजाजी की नज़र कहाँ है और वो मुझे हल्की हल्की मुस्कान दे रही थी।
मैं भी मन ही मन बड़ा खुश हो रहा था।
फिर हम शाम को निकासी में मिलने को कह कर अपने अपने कमरे में चले गये।
शाम को निकासी में जाने के लिए सब तैयार होकर नीचे धर्मशाला के चौक में इकट्ठे हो रहे थे लेकिन मेरी नज़र तो सिर्फ रिंकी को खोज रही थी।
काफी देर के बाद वो भी आई, क्या क़यामत लग रही थी दोस्तो, वो नील रंग की साड़ी में और ब्लाउज तो काफी खुला था जिस कारण उसके मम्मों की गहराई बिल्कुल साफ दिखाई दे रही थी।
रिंकी के मम्मों को देख कर तो मुझे पता नहीं क्या हुआ जो मैं उन्हें ही ललचाई नजरों से देख रहा था।
रिंकी मुस्कुराते हुए बोली- जीजाजी, क्या हुआ?
एकदम से मैं बोला- कुछ नहीं कुछ नहीं।
वो हंसते हुए भाग गई और मैं उसे देखता रह गया।
थोड़ी देर के बाद निकासी धर्मशाला से लड़की वाले के घधर्मशाला से लड़की वाले के घर के लिए रवाना हुई, चूँकि लड़की भी वहीं की थी।
सब नाच रहे थे, मैं भी नाच रहा था लेकिन मेरा पूरा ध्यान रिंकी पर था।
मैं नाचते हुए उसे देख रहा था और वो मेरी पत्नी के साथ नाचने में मगन थी।
फिर तो मैं अपनी मस्ती में नाचने में मशगूल हो गया।
आधे घंटे के बाद मेरी बीवी मेरे पास आई और साइड में ले गई जहाँ रिंकी उल्टियाँ कर रही थी।
मैंने भी पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- घबराहट के कारण ऐसा हुआ।
रिंकी ने कहा- जीजाजी मुझे तो आप धर्मशाला में छोड़ आओ, मेरी तबियत बिगड़ रही है।
मेरी पत्नी ने कहा- आप इसे हॉस्पिटल दिखा कर इसे इसके कमरे पर छोड़ आओ।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर वो वहाँ से चली गई।
उसके जाने के बाद रिंकी ने कहा- जीजा जी, मुझे हॉस्पिटल नहीं जाना, आप मुझे सीधा रूम पर छोड़ दो।
मैंने कहा- ठीक है, चलो।
फिर भी नजदीक के मेडिकल से एक दवा ली और पैदल ही धर्मशाला पहुँच गये।
वहाँ वेटर को चाय की बोलकर रिंकी को लेकर उसके रूम में पहुँचा।
उसको टेबलेट खिलाई और थोड़ी देर के बाद वेटर आया और चाय देकर चला गया।
मैं उठा और दरवाजा बंद करके वापस उसके पास आकर बैठा और बोला- अब कैसा फील हो रहा है?
वो बोली- अब ठीक है।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ था जो तुम उलटियाँ कर रही थी?
मैं फिर बोला- कहीं पेट में कुछ गड़बड़ तो नहीं है?
रिंकी बोली- मैं कुछ समझी नहीं जीजाजी।
मैं बोला- मतलब यह सालीजी कि यह गर्भ का मामला तो नहीं है न?
वो हंसते हुए बोली- नहीं जीजाजी, ऐसी कोई बात नहीं है, और मेरे नसीब में औलाद का सुख ही नहीं है।
मैंने उससे उसके पति के बारे में पूछा तो वो रोने लगी और कहने लगी- वो पति तो सिर्फ नाम के हैं, वो तो ज्यादा टाइम अपनी भाभी के साथ बिताते हैं। मेरे पास तो सिर्फ सोने के लिए आते हैं और हर दिन गर्भनिरोधक गोली खिला देते हैं ताकि मैं माँ नहीं बन सकूँ।
फिर एक दिन रात में मैंने उन दोनों को सेक्स करते हुए देख लिया और मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने अपने मम्मी पापा को सब कुछ बता दिया। तब से मैं अपने मायके में रह रही हूँ और पापा ने मेरी ससुराल वालों पे केस दायर कर दिया।
ऐसा कह कर वो रोने लगी।
मैंने खेद जताते हुए उसे चुप कराया और उसके करीब जाकर बैठ गया।
हिम्मत करके मैंने उसके हाथ को अपने हाथों में लिया और उसे सहलाते हुए उसे समझाने लगा कि जो हुआ उसे वो भूल जाये और एक नए सिरे से अपनी जिन्दगी की शुरुआत करे और इसमें मैं तुम्हारी हर प्रकार से हेल्प करूँगा।
ऐसा कहते हुए मैं सिर्फ उसे ही निहार रहा था, तभी वो रोते हुए मेरे गले से लग गई और धन्यवाद देते हुए बोली- जीजाजी भगवान करे कि अबकी बार भगवान् मुझे आप जैसा साथी दे।
मैंने उससे कहा कि वो चिंता न करे, अबकी बार उसके लिए लड़का मैं देखूँगा।
वो थैंक्स कहते हुए मुझसे लिपट गई।
उसके ऐसा करने से मेरा लंड खड़ा हो गया जब उसके उरोज़ मेरे सीने से चिपक के दब गए।
मैंने भी उसे दबाते हुए अपनी बाँहों में भर लिया।
अलग होते हुए वो मुझसे बोली- जीजा जी, आपसे कुछ मांगूं तो आप मुझे देंगे?
मैंने उसे वादा देते हुए हामी भरी तो रिंकी बोली- जीजाजी क्या आप मुझे दीदी के हिस्से में से थोड़ा प्यार मुझे देंगे…?
और बड़ी मासूमियत के साथ मुझे देखने लगी।
मैंने भी थोड़ा सोचा और फिर उसे गले से लगा लिया।
उसकी आँखों में देखते हुए मैंने अपने होंठों को उसके लरजते हुए होंठों से मिला दिया और उसके होंठों का रसपान करने लगा।
हम दोनों बड़ी तल्लीनता के साथ एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे।
उसके लबों को चूसते हुए मेरा एक हाथ रेंगते हुए उसके एक स्तन को मसलने लगा।
करीब 8-10 मिनट के बाद हम अलग हुए और एक दूसरे को देखने लगे।
मैंने उसके शरीर से साड़ी को उतारा और ब्लाउज के ऊपर से ही उसके मम्मों को बड़ी बेरहमी के साथ मसलने लगा तो वो कसमसाने लगी और कहने लगी- सी..सी… ओह… जीजाजी मसलो इन्हें, खूब दबाव इन्हें…
फिर मैंने उसके ब्लाउज को भी उतार दिया, उसने काली रंग की ब्रा पहन रखी थी।
उसके गोरे तन पर काली ब्रा उसके चूचों को ढके हुए थी।
मैंने उसके शरीर से उसे भी उतार दिया।
रिंकी के नंगे बोबों को देखते ही मैं पागल हो गया और पागलों की तरह उन्हें जोर जोर से मसलने लगा।
फिर मैं उसकी एक निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को बड़े प्यार से दबाने लगा।
रिंकी भी मस्ती में आते हुए अपने मुँह से ‘सी..सी.. आह..आह्ह… उह्ह…उह्ह..’ की आवाज़ें करने लगी और अपने होंठों को दांतों से दबाते हुए मचलने लगी।
इसी दौरान मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोलकर उसके पेटीकोट को भी उतार दिया।
अब उसके शरीर पर सिर्फ अंडरवियर थी जो उसकी गुलाबी चूत को ढके हुए थी।
मैं बारी बारी से उसके चूचों को चूस रहा था और दबा दबा के मसल रहा था।
रिंकी अपनी मस्ती में पागल होते हुए ‘ओह जीजाजी… ओह जीरिंकी मज़े में चुदते हुए ‘उह्ह.. उह्ह.. उह्ह… हाय… हाय… आह.. आह… और चोदो… और.. और… और… आह… आह… आह…’ और पता नहीं जाने क्या क्या बक रही थी।
अब मैं लास्ट स्टेज पर पहुँच गया था, मैं बोला- रिंकी मेरा पानी छुटने वाला है अन्दर छोड़ूँ या फिर बाहर?
वो बोली- जीजा जी मुझे आपके लंड का पानी और पीना है।
फिर मैं जोर जोर से शॉट मारने लगा।
लगभग 2 मिनट के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया तो रिंकी गप्प से मुँह में लेकर लंड को चूसने लगी और आखरी बूंद तक चूसती रही।
थोड़ी देर के बाद जब हम नार्मल हुए तो हमने हमारे कपड़े पहने।
तभी रिंकी मेरे पास आई और मुझे किस करते हुए मुझे थैंक्स बोला और कहा- यह मेरी लाइफ का सबसे यादगार लम्हा रहेगा जीजाजी। मैं इसे कभी नहीं भूलूँगी।
और इतना कहते हुए मुझे गले से लगा लिया।
दोस्तो, यह हकीकत है, बस आप पाठकों के मनोरंजन के उद्देश्य से आपसे शेयर कर रहा हूँ।
आपको मेरा नया अनुभव कैसा लगा, मेल जरूर करें!
sharmamannu542@gmail.com
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Sunday 12 November 2017

साली की चुदाई करके बीवी को पड़ोसी से चुदवाया-2 - Gandi Khaniya - Hindi Sex Story

अब उसके बाद मनस्वी और माधुरी की फोन पर रोज ही बातें होने लगी। पंखुड़ी को कुछ अंदाज नहीं था। मनस्वी आगरा रहता था और माधुरी दिल्ली, दोनों ही तड़फ रहे थे।
अगले महीने माधुरी ने मनस्वी को बताया कि मोहित दो दिन के लिए चेन्नई जा रहा है। वो चाहती थी कि मनस्वी दिल्ली आ जाये पर मनस्वी अपना ऑफिस छोड़ कर जा नहीं सकता था, तो क्या करे!
मनस्वी ने एक ड्रामा बनाया, उसने पंखुड़ी को कहा कि उसे दिल्ली एक पार्टी से मिलना है इसलिए वो शाम को ऑफिस जल्दी बंद कर के 5 बजे दिल्ली जायेगा और रात को ही वापस आ जायेगा, अगर लेट हो गया तो होटल में रुक कर सुबह जल्दी आ जायेगा।
पंखुड़ी ने यह बात माधुरी को फोन पर बताई कि परसों तेरे जीजू दिल्ली आयेंगे पर शाम को ही आयेंगे और रात को ही वापस आ जायेंगे।
इस पर दिखावा करते हुए माधुरी नाराज हुई कि जीजू से कहना रात को मेरे पास रुकेंगे और सुबह चले जायेंगे।
माधुरी ने पंखुड़ी को यह नहीं बताया कि उस दिन मोहित भी नहीं होगा।
अब अपने प्लान से मनस्वी रात को 8 बजे दिल्ली पहुँच गया, माधुरी उसे बाहर ही मिली। क्या ग़ज़ब ढा रही थी माधुरी आज… उसने स्कर्ट और टाइट टॉप पहना था जिसमें उसके मम्मे बाहर आने को बेताब थे। हाई हील और ऑरेंज नेल पेंट में सजी वो कॉलेज गर्ल का लुक दे रही थी।
दोनों ने एक रेस्तराँ में खाना खाया और घूम फिर कर 10 बजे तक घर पहुंचे।
बीच में एक बार माधुरी ने पंखुड़ी को फोन करके पूछा कि मनस्वी कब तक आएगा और वो जरूर उसके घर ही ठहरे।
पंखुड़ी ने जब मनस्वी से पूछा कि वो कहाँ है तब मनस्वी ने कह दिया कि होटल में क्लाइंट के साथ हूँ, देखता हूँ कहाँ ठहरूंगा क्योंकि अब रात को तो आना संभव नहीं है।
इस पर पंखुड़ी ने मनस्वी से कहा- माधुरी के घर ही चले जाना, वर्ना वो बुरा मानेगी!
खैर दोनों लैला मजनूं घर पहुंचे और दरवाजा बंद होते ही चिपट गए। माधुरी तो मानों मनस्वी को खा जाना चाहती थी, दोनों के जिस्म से कपड़े उतरते चले गए और बेताबी इतनी कि बेडरूम तक जाने की भी जरूरत नहीं समझी और लॉबी में ही कपड़ों को अलविदा कह दिया गया, वहीं पड़ी सेट्टी पर दोनों गुत्थम गुत्था हो गए।
मनस्वी मजबूत कद काठी का था और माधुरी पतली… मनस्वी ने माधुरी को जांघों से उठा लिया और नीचे से अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया।
माधुरी को यह स्टाइल बहुत पसंद आया, उसने भी अपनी बाहें मनस्वी के गले में डाल दी और चुदाई का मजा लेने लगी। उसने मनस्वी के कान में फुसफुसा कर कहा- जीजू, चलो बेडरूम में..
मनस्वी ने उसे नीचे उतार दिया और बेड रूम की ओर चल दिए।
माधुरी ने मनस्वी को बेड पर धक्का दिया और उसका मोटा लंड अपने मुँह में ले लिया, वो पागलों की तरह लंड को ऐसे चूस रही थी कि मानो लोलीपॉप हो।
मनस्वी छटपटा रहा था, उसने माधुरी को नीचे किया और उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी। माधुरी की चूत तो बहुत गीली हो रही थी। अब मनस्वी को भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उसने माधुरी की टांगों को ऊपर करके चौड़ा किया और अपने कंधे पर रख कर अपना लंड एक ही झटके नें अंदर पेल दिया।
अब तो माधुरी चीखने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मजा आ गया जीजू.. तुम कहाँ थे अब तक.. आज मेरी चूत तो फाड़ ही डालोगे.. और जोर से करो ना जीजू…
यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मनस्वी की स्पीड राजधानी मेल से कम नहीं थी.. उसने एक जोर का धक्का लगते ही सारा माल माधुरी की चूत में ही भर दिया और अपना लंड माधुरी के मुँह में कर दिया।
माधुरी को एकबारगी तो ख़राब सा लगा पर उसने फटाफट मनस्वी का लंड चाट कर साफ़ कर दिया।
मनस्वी निढाल होकर बेड पर पड गया.. दोनों नंगे ही चिपट कर सो गए।
रात को 3 बजे मनस्वी की आँख खुली, माधुरी उसका लंड चूस रही थी.. मनस्वी को जगा देखकर माधुरी उसके ऊपर चढ़ गई और उसका लंड अपनी चूत में कर लिया और फुदक फुदक कर मनस्वी को चोदने लगी।
अब तक मनस्वी की भी नींद उड़ चुकी थी, उसने नीचे से धक्के देने शुरू कर दिए। सुबह के सेक्स का मजा कुछ और ही होता है। अब मनस्वी ने माधुरी को नीचे पलटा और घोड़ी बना कर उसकी गांड में लंड पेलना चाहा तो माधुरी दर्द से कराह गई, तो मनस्वी ने उसकी चूत में ही पेल दिया और आगे झुक कर उसके मम्मे मसलने लगा।
उसका लंड छूटने का नाम ही नहीं ले रहा था।
अब उसने माधुरी को नीचे लिटाया और उसकी टांगें ऊपर कर के पिलाई जोर से करनी शुरू की। अब दोनों हांफ रहे थे, एक झटके में ही मनस्वी ने अपना माल माधुरी की चूत और उसके मम्मों पर छोड़ दिया। माधुरी ने अपने मम्मे उसके वीर्य से मालिश की और अपनी उंगलियाँ चाट ली।
मनस्वी ने वाशरूम से टॉवल लाकर माधुरी का पेट और अपना लंड पौंछा और एक नींद लेने के लिए लेट गया।
सुबह दोनों साथ नहाये और नाश्ता करके मनस्वी 8 बजे तक निकल लिया।
जीजा साली की चूत चुदाई की कहानी अगले भाग में क्या र
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साली की चुदाई करके बीवी को पड़ोसी से चुदवाया-1 - Gandi Khaniya - Hindi Sex Story

दोस्तो… कैसी लग रही हैं आपको मेरी कहानियां…
आज की कहानी एकदम अलग परिस्थितियों की कहानी है… माधुरी और पंखुड़ी दोनों बहनें हैं, पंखुड़ी बड़ी और माधुरी उससे एक साल छोटी… दोनों की शादी हो चुकी है।
पंखुड़ी के पति मनस्वी का व्यापार है और अच्छा पैसा कमाता है… इसके साथ ही वो बहुत रंगीला भी है। पंखुड़ी के कपड़ों और अन्य चीजों के लिए उसकी ओर से कोई मनाही नहीं है।
पर पंखुड़ी का स्वभाव उसके उलट बिल्कुल शांत और गम्भीर है, वो बेड पर मनस्वी को मना तो नहीं करती, मजा भी पूरा देती है पर पहल नहीं करती, उसे उकसाना पड़ता है।
उधर माधुरी बहुत नटखट और शौक़ीन है, वो हर नई चीज़ का आनन्द लेना चाहती है, चाहे वो सही हो या गलत!
उसका पति मोहित एम्बेसी में है और अक्सर एक एक महीने के लिए विदेश चला जाता है। पैसे की उन्हें भी कमी नहीं है पर माधुरी बहुत खर्चीली है अतः मोहित ने उसका पॉकेट मनी बाँध रखा है कि उसे उतने में ही अपनी निजी शौक पूरे करने हैं।
अब माधुरी के शौक तो असीमित हैं, वो फिक्स रकम से कैसे पूरे हों… तो माधुरी को मदद पंखुड़ी करती रहती है।
दोनों बहनों में बहुत गाढ़ा प्यार और अंडरस्टैंडिंग है।
माधुरी को नाइट सूट का बहुत शौक है, मोहित उसके लिए विदेश से बहुत सेक्सी सूट लाता है और वो उनमें से आधे पंखुड़ी के बहुत मना करने पर भी उसे दे देती है। हालाँकि पंखुड़ी बहुत मन से उन्हें नहीं पहनती पर मनस्वी जबरदस्ती उसे पहनवा देता है।
मनस्वी और माधुरी की भी बहुत छनती है और दोनों के बीच अश्लील मजाक होते रहते हैं जिसका बुरा पंखुड़ी नहीं मानती। मनस्वी को माधुरी के बड़े बड़े मम्मे बहुत भाते हैं और बेड पर उसने पंखुड़ी को कई बार यह कह भी दिया है।
एक दो बार तो हंसी में पंखुड़ी ने भी उससे कह दिया कि तुम माधुरी को रख लो मैं मोहित के साथ रह लेती हूँ.. बात हंसी में खत्म हो जाती।
एक बार पंखुड़ी और माधुरी एक हफ्ते के लिए मायके गईं थीं, मोहित तो विदेश गया हुआ था, पंखुड़ी को वापिस लाने मनस्वी पहुंचा। रात में वो वहीं रुका। कमरे में वो पंखुड़ी का इन्तजार कर रहा था, पर पंखुड़ी और माधुरी अपनी माँ के साथ ही सोने के मूड में थीं…
अब इधर मनस्वी बोर हो रहा था तो पंखुड़ी ने माधुरी से कहा कि मैं तो मम्मी पापा के पास ही सोऊँगी, तू आज जीजू के पास चली जा, गप्पें मार, थोड़ी देर में वो सो जायेंगे तो तू भी यहीं आ जाना या वहीं सो जाना!
माधुरी मनस्वी के रूम में पहुंची तो मनस्वी मुँह फुलाए बैठा था, माधुरी ने जब उसे बताया कि वो उसे कंपनी देगी तो मनस्वी का मूड बढ़िया हो गया। माधुरी मनस्वी के बगल में बैठ गई और रूम का दरवाजा ढुका लिया।
मनस्वी का मोबाइल चालू था, माधुरी ने उठाया तो मनस्वी ने वापिस लेने की कोशिश की, माधुरी समझ गई कि कुछ बदमाशी हो रही थी तो उसने मोबाइल नहीं दिया और देखा तो मनस्वी उसमें ब्लू फिल्म देख रहा था।
माधुरी हंस पड़ी और मनस्वी से चिपट कर बैठ गई और मूवी देखने लगी। दोनों हॉट फील कर रहे थे, इससे पहले कभी ऐसी सिचुएशन बनी भी नहीं थी।
माधुरी ने नाइट सूट पहना था पर ब्रा नहीं थी, उसके निप्पल कड़े हो गए थे और साफ़ नजर आ रहे थे।
मनस्वी का तम्बू भी झंडा ऊंचा किये ही था, उसकी ओर इशारा करके माधुरी हंस पड़ी। मनस्वी झेंप गया, बोला- मुझे नींद आ रही है, मैं सो रहा हूँ।
उसे नहीं मालूम था कि माधुरी भी यहीं लेटेगी।

माधुरी ने लाइट बंद की और बेड में घुस गई मनस्वी के साथ!
दोनों बहुत संभल कर अलग अलग लेटे थे। माधुरी ने करवट बदली और एक हाथ मनस्वी के सीने पर रख दिया। दोनों सोने की कोशिश कर रहे थे।
मनस्वी थका हुआ था तो जल्दी ही सो गया।
रात को लगभग एक बजे मनस्वी की आँख खुली तो माधुरी का हाथ उसकी शॉर्ट्स पर लंड के ऊपर था। वो समझ नहीं पाया कि यह कैसे हो गया, उसने बिना हिले डुले आँख खोली तो देखा माधुरी सोई पड़ी है और उसकी शर्ट का ऊपर के दोनों बटन खुले हैं।
मनस्वी ने हल्के से करवट ली और सोने का नाटक करते हुए अपना हाथ माधुरी के मम्मों पर रख दिया। मनस्वी को 440 वोल्ट का करेंट लगा।जिन मम्मों को वो हमेश छूना चाहता था, आज उसका हाथ उनके इतने पास था। मनस्वी ने महसूस किया कि माधुरी ने उसका लंड ऊपर से पकड़ा हुआ है। अब यह या तो उसका भ्रम था या हकीकत… क्योंकि करवट लेने से माधुरी का हाथ नीचे हो गया था और उसके लंड से दबा हुआ था।
मनस्वी ने अब हिम्मत की और अपने एक हाथ को माधुरी के टॉप के अंदर डालने की कोशश की पर वो कामयाब नहीं हुआ उसके मम्मों तक पहुँचने में!
वो सोच रहा था कि क्या करे, तभी माधुरी ने कसमसा कर करवट बदली और सीध लेटी थी और उसके मम्मे तने हुए थे। Download Our App
साली की चुदाई करके बीवी को पड़ोसी से चुदवाया-1
(Sali Ki Chudai Karke Bivi Ki Padosi Se Chudwaya- Part 1)
सनी वर्मा 2017-03-09 Comments 1665 25155
यह कहानी निम्न शृंखला का एक भाग है:
सनी वर्मा की सभी कहानियाँ
मनस्वी दो मिनट तो शांत पड़ा रहा, फिर उसने एक हाथ धीरे से उसके मम्मों पर रख दिया। जब माधुरी ने कोई हरकत नहीं की तो मनस्वी ने उसके टॉप के अंदर नीचे से हाथ डालना शुरू किया और धीरे धीरे टॉप को ऊपर करके आखिर में उसके हाथों में माधुरी के मम्मे आ ही गए।
यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मनस्वी की तो सांस चलने लग गई थी, आज उसका एक सपना साकार हो गया था, पर वो डर भी रहा था, उसने अपना हाथ निकाल लिया और करवट बदल कर आँख बंद कर के लेट गया।
तभी माधुरी का हाथ उसकी कमर से हटा हुआ उसके बरमूडा तक पहुंचा और सीधे अंदर चला गया।
माधुरी ने उसका लंड पकड़ लिया था और वो उसे दबा रही थी।
मनस्वी पलटा.. माधुरी आँख खोल कर उसे देख मुस्कुरा रही थी।
अब माधुरी ने अपना हाथ उसके बरमूडा से निकाल लिया और अपने होंठ मनस्वी के होंठों से चिपका लिए। मनस्वी भी सारी मर्यादा तोड़ अब माधुरी से चिपट गया।
यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
तभी बाहर कुछ आहट हुई, दोनों अलग होकर चुपचाप लेटे रहे, कमरे का दरवाजा खुला और पंखुड़ी ने आकर लाइट खोली, देखा दोनों सो रहे हैं तो वो लाइट बंद करके मनस्वी के पास आकर लेट गई और अब मनस्वी और माधुरी के सामने की सोने की मजबूरी थी पर माधुरी की चूत ज्यादा ही खुजला रही थी, उसने फिर मनस्वी का लंड पकड़ लिया और फिर धीरे से नीचे खिसक गई और 69 पोजीशन में आकर उसने मनस्वी का लंड मुंह में ले लिया।
मनस्वी ने भी धीरे से अपनी उंगली उसकी चूत में कर दी… वहां तो पहले से ही नदियाँ बह रह रही थी। मनस्वी अब हर हालत में माधुरी को चोदना चाहता था, पर पंखुड़ी का डर था, अगर वो जग जाती तो बहुत कुछ ख़राब हो जाता।
माधुरी फिर सीधे होकर लेट गई और एक बार फिर उसने मनस्वी को चूमा। मनस्वी ने पंखुड़ी को दूसरी तरफ धकेला तो पंखुड़ी नींद में ही करवट दूसरी ओर करके लेट गई।
इधर माधुरी ने अपना लोअर उतार दिया था और टॉप भी ऊंचा कर लिया था। मनस्वी ने उसके मम्मे अपने मुँह में लिए और अपना बरमूडा नीचे करके लंड बाहर निकाल लिया।
माधुरी ने सीधे धावा उसके लंड पर बोला और उसे पकड़ कर अपनी चूत में कर लिया। अब मनस्वी ने सारी शर्म छोड़ दी, सोचा जो होगा देखा जायेगा और वो पूरे जोर से माधुरी की चूत में घुस गया।
दोनों की सांसें तेज होने लगी, मनस्वी माधुरी के ऊपर चढ़ गया और बिना शोर किये धक्के लगाने लगा। माधुरी के मुँह से आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उह निकालनी शुरू हो गई जिसे मनस्वी ने उसके होठों से अपने होंठ मिला कर दबाया।
मनस्वी ने जल्दी ही माधुरी की चूत अपने वीर्य से भर दी और धीरे से नीचे उतर आया, माधुरी वाशरूम में भागी, मनस्वी ने अपने बरमूडा से ही अपना लंड पौंछा और चुपचाप पहन कर सो गया।
माधुरी वाशरूम से अपनी मम्मी के कमरे में चली गई और सो गई। सुबह पंखुड़ी उठकर नहाने चली गई, तभी रूम में माधुरी आई और मनस्वी को चूमकर थैंक्स बोल कर हंस कर चली गई।
मनस्वी और पंखुड़ी भी 9 बजे तक वापस चले गए।
जीजा साली की चूत चुदाई की कहानी जारी रहेगी।
enjoysunny6969@gmail.com
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