Thursday 15 February 2018

शादीशुदा बहन मेरे लंड पर फिदा | Shadishuda behan mere Lund par Fida - Hindi Sex Stories

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आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट  कॉम पर पढ़ रहे हैं।
प्रेषक : विजय …
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम विजय है और मेरी उम्र 24 साल, लम्बाई 5.8 है। में दिखने में ठीक लगता हूँ और में एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ। दोस्तों में भी आप सभी की तरह बहुत समय से एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट कॉम पर सेक्सी कहानियों को पढ़कर मज़े लेता आ रहा हूँ और मुझे सभी सेक्सी कहानियाँ बहुत पसंद आती है। फिर एक बार मैंने मन में विचार बनाया कि में भी अपनी उस सच्ची घटना जो मेरे साथ घटित हुई उसको आप सभी के लिए लिखकर पेश करूं और आज मैंने उसको लिख लिया है और भेज रहा हूँ उम्मीद करता हूँ कि सभी पढ़ने वालों को यह जरुर पसंद आएगी। दोस्तों यह कहानी तब की है जब में अपनी स्कूल की पढ़ाई कर रहा था और मेरे उन दिनों 10th के पेपर पूरे होने के बाद में अपनी मौसी के घर अपनी छुट्टियाँ बिताने के लिए गया था। दोस्तों मेरी मौसी एक गाँव में रहती है और उस गाँव में उनका एक बड़ा सा घर है और जब में वहां पर पहुंचा, तब घर में मेरी मौसी और मौसा जी थे। दोस्तों वैसे मेरी मौसी को दो बेटियाँ है और वो दोनों शादीशुदा है, जिसमे से एक का नाम वर्षा है और दूसरी बेटी का नाम नंदनी है दोनों बेटियों की शादी हो जाने की वजह से अब मेरी मौसी-मौसाजी उसके कोई भी लड़का ना होने की वजह से उस इतने बड़े घर में अलेके ही रहते है।

दोस्तों मेरी वर्षा दीदी की उम्र करीब 27 साल है और नंदनी दीदी की उम्र 24 साल है और मेरे साथ जो घटना घटी वो मेरी वर्षा दीदी के साथ घटी। दोस्तों जब में अपनी मौसी के घर गया था, उस समय मेरी वर्षा दीदी भी वहीं अपनी माँ के घर आई हुई थी। फिर मेरे वहां पर पहुंचते ही वो सभी लोग मुझे देखकर बहुत खुश हुए, क्योंकि पिछले तीन साल से में अपनी स्कूल की छुट्टियों में वहीं पर जाता था। फिर में भी मेरी वर्षा दीदी को वहां पर देखकर बहुत खुश था, क्योंकि वो मुझे उनके घर पहली बार मिली थी और उनके शादी हो जाने के बाद हम दोनों एक दूसरे को बहुत कमी से मिले थे। फिर में अपनी मौसी के घर पहुंचकर मुहं हाथ धोकर उस लंबे सफर की थकान को दूर करके हल्का हो गया और उसके बाद में टीवी देखने लगा था। फिर थोड़ी ही देर के बाद वर्षा दीदी ने मुझे आवाज देकर अपने पास बुला लिया और में हाँ में अभी आ रहा हूँ कहकर तुरंत ही उनके कमरे में चला गया, क्योंकि उनका वो कमरा ऊपर था और फिर उस कमरे में जाते समय मैंने देखा कि मेरी मौसी अपना कुछ सामान एक बेग में जमा रही थी।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट  कॉम पर पढ़ रहे हैं।

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अब में मन ही मन में सोचने लगा कि यह क्यों अपना सामान जमा रही है? फिर मैंने अपनी दीदी के पास जाकर उनसे पूछा कि मौसी बेग में सामान क्यों जमा रही है? तब वर्षा दीदी ने मुझे बताया कि वो दोनों एक सप्ताह के लिए यात्रा पर बाहर जा रहे है। दोस्तों माफ करना में अपनी दीदी के बारे में आप सभी को बताना तो भूल ही गया और अब बता देता हूँ। मेरी दीदी थोड़ी लंबी और गोरी है, उसके बूब्स आकार में इतने बड़े नहीं थे, लेकिन उनकी वो गांड बहुत मस्त उभरी हुई थी और उनको एक बेटी भी है और वो शादीशुदा और एक बच्चे की माँ होने के बाद भी किसी कुंवारी लड़की जैसी नजर आती थी। अब में अपनी दीदी के कमरे में जाकर उनकी बेटी के साथ खेलने लगा और वो कुछ देर बाद नीचे चली गयी, फिर वर्षा दीदी ने हम सभी के लिए खाना बनाया और खाना खाने के बाद हम सभी बैठे हुए बातें कर रहे थे। फिर उन सभी ने मेरे घर का हालचल मुझसे पूछा और फिर मौसी ने मुझसे कहा कि में अपनी दीदी के साथ यहीं पर ही रहूँ, क्योंकि जल्दी सुबह ही वो लोग ट्रेन से बाहर जाने वाले है तुम्हे यहाँ आया देखकर हमारी आधी चिंता खत्म हो गई और अब हम आराम से जा सकते है, क्योंकि घर की हमे पीछे से कोई भी चिंता अब नहीं होगी।

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फिर हम सभी लोग बातें खत्म करके सोने के लिए चले गये और उसी समय जब में जा रहा था, तभी दीदी ने मुझसे कहा कि में उनके साथ ही कमरे में सो जाऊं। अब मैंने उनको तुरंत हाँ कर दिया और में साथ ऊपर वाले उनके कमरे में सोने चला गया, रात को बहुत देर तक हम दोनों बैठकर इधर उधर की बातें कर रहे थे। फिर मैंने कुछ देर बाद दीदी से उनके पति के बारे पूछा, लेकिन वो मेरे मुहं से अपने पति के बारे में सुनते ही तुरंत ही उदास हो गयी और वो अब बिल्कुल चुप हो गयी जैसे उनको कोई सांप सूंघ गया हो, उनके चेहरे से वो मुझे थोड़ी सी नाराज़ भी लगी। फिर मैंने कहा कि मुझे माफ करे मेरा आपका दिल दुखाने का इरादा बिल्कुल भी नहीं था और अब में पलंग पर लेट गया, लेकिन वो तो अब रोने लगी थी और वो कहने लगी कि उन दोनों पति-पत्नी का झगड़ा हो गया है। अब वो मुझसे कहने लगी कि हमारे बीच यह झगड़ा उनको बेटी होने की वजह से हुआ है, क्योंकि उनके पति और सास को मुझसे एक बेटा चाहिए था, लेकिन पहली बार ही बेटी होने की वजह से हमारे बीच झगड़ा हुआ था और इस वजह से वो अपनी माँ के घर वापस चली आई। अब वो अपनी बात को खत्म करके दोबारा रोने लगी थी, उनको रोता देख मुझे उनके ऊपर दया आ गई।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट  कॉम पर पढ़ रहे हैं।

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फिर मैंने उनको पानी लाकर दे दिया और में उनको चुप करवाने लगा था, कुछ देर के बाद हम दोनों सो गये। फिर दूसरे दिन सुबह जब में उठा तब मैंने देखा कि मेरी मौसी और मौसाजी अब तक जा चुके थे और मेरी दीदी उस समय रसोई में काम कर रही थी। फिर कुछ देर बाद हम दोनों ने साथ में बैठकर नाश्ता किया और उसके बाद हम दोनों वापस ऊपर वाले कमरे में चले गये और तभी मुन्नी रोने लगी। अब में उसको चुप करवाने के लिए उसको अपनी गोद में उठाकर उसके साथ खेलने लगा, लेकिन वो चुप ना होकर अब और भी ज़ोर से रोने लगी थी। फिर दीदी ने उसको मेरे पास से अपनी गोद में ले लिया और उन्होंने मुझसे कहा कि मुन्नी को भूख लगी है इसलिए वो इतना रो रही है, उसका दूध पीने का समय हो चुका है, इसलिए उसको अब दूध पिलाना पड़ेगा और तब जाकर ही वो चुप होगी। दोस्तों उस समय मेरी दीदी ने गाउन पहना हुआ था और फिर दीदी ने तुरंत नीचे बैठकर मेरे ही सामने अपने गाउन के ऊपर के दो तीन बटन को खोलकर अपना एक बूब्स उस खुले हिस्से से बाहर निकालकर मुन्नी के मुहं में अपने एक निप्पल को दे दिया।

अब मुन्नी उस निप्पल को अपने मुहं में लेकर चूसने लगी थी और में बस वही सब बड़े ध्यान से देख रहा था, क्योंकि मैंने पहली बार किसी को इतना पास से बच्चे को दूध पिलाते हुए और किसी के गोरे गोल बूब्स को अपनी आँखों से देखा था, इसलिए में बड़ा चकित था। फिर कुछ देर बाद दीदी ने मेरी तरफ अपनी नजर को उठाकर देखा और दीदी ने मुझसे पूछा कि तुम ऐसे क्या घूरकर देख रहे हो? अब में उनके मुहं से यह सवाल सुनकर शरमा गया। फिर तुरंत ही मैंने अपनी नजर को नीचे झुका लिया था और में उनको कहने लगा कि कुछ नहीं और फिर में उस कमरे से बाहर जाने लगा था। फिर दीदी ने उसी समय मुझसे कहा कि तुम यहीं रहो, तुम्हे कहीं नहीं जाना और में उनकी यह बात सुनकर वापस बैठ गया और उस समय मैंने अपनी झुकी नजर से चोरी छिपे देखा कि दीदी ने आज अपने उस गाउन के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। अब मेरी दीदी के बूब्स को मुन्नी बड़े मज़े से चूस रही थी और कुछ देर दूध पीने के बाद मुन्नी बिल्कुल शांत हो गयी और शायद वो पेट भरने की वजह से चुप थी। फिर दीदी ने मुझसे कहा कि तुम बैठकर कुछ देर इसके साथ खेलो, तब तक में नहा लेती हूँ और फिर वो मुझे अपनी बेटी के पास छोड़कर नहाने चली गयी और में मुन्नी के साथ खेलने मस्ती करने लगा था।

फिर दीदी थोड़ी देर के बाद नहाकर बाथरूम से बाहर आ गई और फिर में बस उन्हे देखता ही रहा गया, क्योंकि दीदी ने उस समय अपने गोरे चिकने बदन पर सिर्फ़ टावल ही लपेटा हुआ था और उनके वो खुले हुए लंबे काले बाल बहुत सुंदर थे वो उस गोरे बदन की सुंदरता को कुछ ज्यादा ही बढ़ा रहे थे, इसलिए मेरी दीदी उस समय क्या मस्त लग रही थी। अब पहली बार अपनी दीदी का वो कामुक द्रश्य उनका आधा नंगा बदन देखकर मेरे अंदर एक झनझनाहट होने लगी थी और में बस उनके गोरे चिकने पैर और जांघो को ही देख रहा था, जिसके वजह से मेरे अंदर की जवानी अंगड़ाई लेने लगी थी।आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट  कॉम पर पढ़ रहे हैं। दोस्तों उस द्रश्य को देखकर मेरा मुहं पूरा खुला ही रह गया और वो कब मुझे देखने लगी थी मुझे यह भी पता नहीं रहा, मेरी नजरे अपनी दीदी के बदन को अपनी खा जाने वाली नजरों से देख रही थी, क्योंकि मेरे साथ ऐसा सब पहली बार हो रहा था। फिर दीदी ने मुझे अपने पास बुलाया, तब जाकर मैंने उनकी आँखों में झांककर देखा और में शरमा सा गया और वो मेरी तरफ देखकर हंस रही थी। दोस्तों उसी समय मेरा लंड पूरा तनकर खड़ा हो चुका था और मेरी इच्छा हो रही थी कि में अभी अपनी दीदी की चुदाई कर दूँ और मेरे झटके देते हुए लंड ने मुझे बड़ा मजबूर किया, लेकिन मुझे बड़ा डर भी लग रहा था और इसलिए में चुप ही रहा।

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फिर में वापस कमरे से बाहर जाने लगा, लेकिन दीदी ने मुझे रोक दिया और वो मेरे लंड का उभार बहुत ध्यान से देखने लगी थी और वो मेरी हालत को एकदम ठीक तरह से समझकर अब हंसने लगी थी। अब वो बिल्कुल अंजान बनकर मुझसे पूछने लगी कि यह क्या है? मैंने कुछ भी नहीं बोला में चुप ही रहा और अब दीदी ने मुझे वहीं पर बैठने के लिए कहा। अब दीदी मेरे साथ मजाक करने लगी थी और वो मुझसे कहने लगी कि अब तो तुम बड़े हो गये हो और साथ ही तुम्हारा बहुत कुछ भी मुझे बड़ा नजर आ रहा है। अब में उनकी बात का मतलब समझकर शरमा रहा था और में वहीं पर बैठा था, तभी दीदी अब मेरे सामने ही अपने कपड़े पहनने लगी थी, दीदी ने वापस ही सिर्फ़ वहीं गाउन पहन लिया था और वो भी बिना ब्रा और पेंटी के, उसके बाद तैयार होकर मुन्नी को अपनी गोद में लेकर वो दोबारा उसको अपना दूध पिलाने लगी थी। अब में लगातार वो द्रश्य देख रहा था, जिसकी वजह से मेरा लंड तनकर खड़ा हो चुका था और पेंट के अंदर ही हल्के हल्के झटके भी देने लगा था। फिर दीदी ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझसे पूछा कि क्या हुआ? में इस बार भी कुछ बोल नहीं पा रहा था, लेकिन वो मेरे चेहरे की तरफ देखकर हंसने लगी थी।

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अब दीदी ने मुझसे कहा कि तुम तो मुझे बहुत देर से अपनी इन गंदी नज़रो से देख रहे हो। अब में डरते हुए उनको कहने लगा कि नहीं दीदी ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा आप समझ रही हो आप प्लीज मुझे माफ कर दे अगर आपको लगता है कि मैंने कोई भी गलती की है तो मेरी उस गलती को प्लीज नजरंदाज कर दो। फिर वो मुझसे कहने लगी कि अब तुम उसको बाहर निकालो जिसको तुम अपनी पेंट के अंदर छुपाए बैठे हो, में एक बार उसको देखना चाहती हूँ, उसी समय मैंने डरते हुए उनको ना बोल दिया। आप इस कहानी को एक हिंदी सेक्स स्टोरीस डॉट  कॉम पर पढ़ रहे हैं। अब वो मेरे ना कहने की वजह से गुस्सा हो गयी और वो मुझसे कहने लगी कि में तुम्हारी मम्मी को यह सब बोल दूँगी कि तुमने मुझे कैसे देखा और हो सकता है कि उनको कुछ ज्यादा झूठ भी बोलकर तुम्हे फंसा सकती हूँ। फिर में उनके मुहं से यह बात सुनकर बहुत डर गया और जल्दी से मैंने अपना खड़ा लंड पेंट बाहर निकाल लिया और में उनके सामने अपना मुहं नीचे करके खड़ा हो गया और अब तक मुन्नी सो चुकी थी। अब दीदी उसी हालत में मुन्नी को बिस्तर पर लेटाकर उनका एक बूब्स बाहर ही लटके मेरे पास आकर मेरा लंड अपने एक हाथ में लेकर उसको सहलाने लगी थी और वो मुझसे कहने लगी कि वैभव वाह तेरा तो बहुत ही बड़ा लंड है। दूर से इसका आकार बहुत छोटा नजर आ रहा था। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

अब भी में चुप ही रहा और वो मुझसे बोली कि भोड़सी के इतने दिनों तक तूने इसको कहाँ छुपा रखा था? वो उनकी बातों से बहुत खुश लग रही थी। अब मेरा भी थोड़ा सा डर कम हो गया और में भी शांत हो गया। वो मुझे पलंग पर बैठाकर मेरे लंड से खेलने लगी थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मेरे देखते ही देखते दीदी ने मेरा लंड अपने मुहं में ले लिया और वो उसको चूसने लगी थी और लगातार मेरे लंड को कभी अंदर और कभी पूरा बाहर निकालकर टोपे पर अपनी जीभ को घुमाकर चाटने लगी थी वो यह सब किसी अनुभवी रंडी की तरह कर रही थी। दोस्तों में उनके ऐसा करने की वजह से बहुत गरम हो रहा था और जब वो मेरा लंड अपने मुहं के अंदर बाहर करने लगी। में मज़े मस्ती की दूसरी दुनियां में जा चुका था। फिर में भी उनका सर पकड़कर मज़े लेने लगा था और बस तीन चार मिनट में ही में उनके मुहं में झड़ गया, क्योंकि वो मेरा पहला अनुभव था और फिर झड़ने के बाद में पलंग पर वैसे ही लेट गया। अब दीदी चाटकर चूसकर मेरा सारा वीर्य पी गयी और मेरे लंड को दीदी ने लोलीपोप की तरह चूसकर एकदम साफ कर दिया, वो पूरी मेहनत से उस काम को कर रही थी।
फिर थोड़ी देर के बाद हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह प्यार कर रहे थे और फिर दीदी ने मुझे बताया कि पिछले पांच महीने से उन्होंने चुदाई के यह सब मज़े नहीं लिए है, इसलिए आज दीदी के सर पर अपनी चुदाई का भूत सवार हो गया था और अब उनको अपनी प्यासी चूत में मेरा लंड चाहिए था।

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अब दीदी ने बिल्कुल साफ शब्दों में मुझसे अपनी चुदाई करने के लिए कहा और में अपनी कामुक दीदी के मुहं से यह चुदाई के शब्द सुनकर बहुत खुश हो गया। अब में तुरंत उनके ऊपर चढ़कर उनके रसभरे गुलाबी होंठो को चूमने लगा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। उनको मेरे साथ यह सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मैंने कुछ देर मज़े लेने के बाद उनको बैठाकर उनका गाउन उतार दिया और आज पहली बार मैंने किसी लड़की की नंगी चूत को देखा था, जिसकी वजह से में बहुत चकित था और मेरा पूरा ध्यान उस समय बस दीदी की चूत पर ही था। दोस्तों मैंने देखा कि मेरी दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था, मानो बस अभी ही वो अपनी चूत को मेरे लिए साफ करके आई थी।

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फिर दीदी ने मेरा हाथ अपनी तरफ खींचा तब जाकर में होश में आकर उनके पास गया और अब में दीदी को चूमने प्यार करने लगा था। अब में उनके बूब्स को मसलने और एक बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा था और उस समय दीदी के बूब्स से दूध भी आ रहा था, इसलिए में उस दूध को बड़े मज़े से चूस चूसकर पी रहा था और दीदी बहुत गरम हो रही थी। अब मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो चुका था, कुछ देर बाद हम दोनों 69 आसन में हो गये और में अपना मुँह उनकी चूत पर ले गया और उनकी चूत की भीनी भीनी खुशबू से में मदहोश हो रहा था। अब अपनी जीभ को उनकी चूत के होंठो पर रगड़कर में चूत के दाने को चाटने लगा था, जिसकी वजह से दीदी की चूत गीली होने साथ ही चिपचिपी भी हो चुकी थी। अब वो जोश में आकर मेरा लंड अपने मुहं में लेकर चूस रही थी और मेरा लंड तनकर पूरा खड़ा हो चुका था। अब में आगे बढ़कर उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा था और वो मेरे सर के बाल पकड़कर मेरी जीभ को और भी अंदर डालने लगी थी। फिर मैंने कुछ देर बाद खड़ा होकर अपनी एक उंगली को उनकी चूत में डाल दिया। उस दर्द मस्त की वजह से वो आहह उह्ह्ह्ह करने लगी थी।

अब में अपनी उंगली को अपनी दीदी की गरम चूत में लगातार अंदर बाहर करने लगा था, जिसकी वजह से वो बहुत जोश में आ रही थी और अब वो मुझे गंदी गंदी गालियाँ देने लगी थी ऊफ्फ्फ्फ़ बहनचोद साले कुत्ते तू अब मुझे ज्यादा मत तड़पा, प्लीज मेरे अच्छे भाई अब तू डाल भी दे अपना लंड मेरी इस प्यासी चूत में आह्ह्ह्ह अब तू मुझे मत तड़पा। फिर में अपनी दूसरी उंगली को भी चूत के अंदर डालकर ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा था, ऐसा करने में मुझे बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था। अब वो और भी ज़ोर से चिल्लाने लगी थी, जिसकी वजह से मुझे बहुत जोश आ रहा था और फिर मैंने उनकी चूत से अपनी उंगली को बाहर निकला और अपने मुहं में लेकर उसको चूसकर साफ किया। अब मैंने दीदी के होंठो पर एक चुम्मा किया और उसी समय दीदी ने मुझसे कहा कि वैभव प्लीज अब तू मेरी चूत को ठंडी कर दे, नहीं तो में मर ही जाउंगी। फिर मैंने जाकर तेल लिया और अपने लंड पर और उनकी चूत पर थोड़ा सा तेल लगाकर एकदम चिकना कर दिया। अब में उनके ऊपर चढ़ गया और में उनकी चूत के मुहं के पास अपने लंड को रखकर धीरे धीरे रगड़ने लगा था, जिसकी वजह से उनकी चूत बहुत गरम हो चुकी थी।

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अब में अपने लंड का टोपा दीदी की गरम चूत में डालने के लिए तैयार करने लगा था और दीदी ने मेरे लंड को अपने एक हाथ से पकड़कर चूत के छेद के पास रख दिया और मैंने उनका वो इशारा समझकर तुरंत ही धीरे से धक्का लगा दिया। अब वो इतने महीनों के बाद अपनी कसी चूत में मेरे मोटे सख्त लंड को महसूस करके दर्द की वजह से आह्ह्ह ऊह्ह्ह्हह करके मुझे गाली देने लगी। वो कहने लगी साले कुत्ते कमीने धीरे से कर बहनचोद मुझे दर्द होता है, इतने दिनों बाद मेरी चूत को किसी का लंड नसीब हुआ है, लेकिन मैंने और भी ज़ोर से अपना अगला झटका लगा दिया। अब मेरे उस तेज धक्के की वजह से मेरा आधा लंड मेरी दीदी की गीली चूत के अंदर चला गया, जिसकी वजह से वो सकपका गई और काँपने भी लगी थी, लेकिन में अब धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा था और वो आहे भर रही थी, क्योंकि बड़ा तेज दर्द हुआ था। फिर कुछ देर बाद मैंने एक और ज़ोर का धक्का लगा दिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा लंड उनकी चूत के अंदर चला गया और में ऐसे ही अपने लंड को रखकर उनके ऊपर लेटकर उनके होंठो को चूसकर मैंने उनकी चीखने की आवाज को बंद किया, लेकिन उस दर्द की वजह से उनकी आँखों से आंसू निकलने लगे थे।

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फिर में धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा था और वो आहह्ह्ह ऊह्ह्ह की आवाज़ कर रही थी और कुछ देर बाद जब उनका दर्द कम हुआ, तब वो भी मज़ा लेकर मेरे हर एक धक्के के साथ उछल उछलकर अपनी चुदाई के मज़े लेने लगी थी। अब मैंने भी उनका वो जोश देखकर अपने धक्को की रफ्तार को बढ़ा दिया और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेते हुए चिल्लाने लगी आहहहह ऊह्ह्ह्ह हाँ और ज़ोर से धक्के मारो ऊह्ह्ह वाह मुझे अब बहुत मज़ा आ रहा है कहने लगी थी और थोड़ी ही देर के बाद वो झड़ गयी। अब मैंने भी अपनी रफ्तार को पहले से भी ज्यादा बढ़ा दिया और बस थोड़ी ही देर धक्के देने के बाद में भी उनकी चूत के अंदर ही झड़ गया और अब हम दोनों वैसे ही एक दूसरे से लिपटकर पड़े रहे और फिर एक दूसरे को चूमने चाटने लगे थे। फिर कुछ देर बाद दीदी ने मुझे अपने ऊपर से हटा दिया और वो उठकर खड़ी होकर वापस पलंग पर बैठ गयी और अब वो नीचे झुककर मेरे लंड को अपने मुहं में लेकर उसको चूसते हुए चाटकर साफ करने लगी थी। दोस्तों में पूरी तरह से थक चुका था और मेरा लंड अपनी जीभ से अच्छी तरह साफ करने के बाद दीदी ने अपनी चूत को मेरे मुहं के पास लाकर रख दिया और वो मुझसे उनकी चूत को चाटकर साफ करने के लिए कहने लगी।

फिर मैंने भी बिना देर किए दीदी की चूत का रस अपनी जीभ से चाटकर चूसकर साफ कर दिया और एकदम चमका दिया और अब हम दोनों थककर वहीं पर वैसे ही नंगे लेट गये। दोस्तों यह थी मेरी अपनी दीदी के साथ उनकी पहली बार चुदाई की सच्ची कहानी मुझे उम्मीद है कि सभी को यह जरुर पसंद आई होगी ।।
धन्यवाद …
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