Tuesday 7 November 2017

जिंदगी का सबसे यादगार दिन -Hindi Sex Stories

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम कुसुम है। में कॉलेज में Ist ईयर में पढ़ती हूँ। मेरा फिगर 34-28-34 है और मेरे घर में मेरे मम्मी पापा और भैया है। मेरी उम्र 19 साल की है, रंग गोरा, चूची गोल है। मैंने पहले लिखा था कि कैसे कॉलेज टूर पर मेरी और हेमा की राजेश, संदीप और जितेन्द्र ने खूब चुदाई की। अब हम दोनों उन तीनों की बिना शादिशुदा वाईफ की तरह रह रही थी। अब हम दोनों उनसे पूरी तरह से खुल गयी थी और अब हम पूरी तरह से गंदी भाषा का उपयोग करते थे। उन तीनों ने पूरे टूर पर हम दोनों को नाम लेकर नहीं बुलाया था और वो गाली से ही बुलाते थे। अब हमें भी मज़ा आता था, अब हम टूर से वापस आ गये थे और अब हमारी कॉलेज में ही मुलाक़ते होती थी। अब जब भी उन तीनों में से किसी को मौका मिलता था, तो वो हमारी चुदाई कर लेते थे। अब जितेन्द्र भी हमारे ग्रूप में शामिल हो गया था, मुझे जितेन्द्र के साथ ही ज्यादा मज़ा आता था। अब एक बार हम पाँचो कैंटीन में बैठे थे, जब सर्दी बहुत थी।
राजेश : हरामजादियों तुम्हारी चूत मारे बहुत दिन हो गये है।
हेमा : कॉलेज में तो नाम लेकर बोला करो।
संदीप : रंडियों के नाम नहीं होते है।
में : हम तो तुम्हारी रंडिया है।
जितेन्द्र : कुसुम, जब तुम्हारी चूत में लंड होता है तो तब तो बड़ी बोलती है कि में रंडी हूँ, हरामजादी हूँ।
में : हाँ यार तब पता नहीं मुझे क्या हो जाता है? मेरा मन करता है कोई मुझे गालियां दे, मुझे मारे, मुझे सच में ही कुतिया बना दे।
जितेन्द्र : चलो आज तुम अपनी सेक्स की इच्छा बताओं।
हेमा : कोई खास नहीं, बस मेरी चूत चूसे और कुछ खास नहीं।
जितेन्द्र : तुम्हारी कुसुम?
में : यार वैसे तो कोई खास नहीं, लेकिन कभी–कभी में जब बहुत गर्म होती हूँ तो मेरी बड़ी इच्छा होती है कि 3-4 लंड मेरी खूब चुदाई करे, मुझको गालियाँ दे, जो में कहूँ उसका उल्टा करे, मुझे सेक्स में रुला दे।
हेमा : चाहे वो अंजान हो?
में : यार मुझे करना थोड़े ही है, में तो इच्छा बता रही हूँ।
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फिर हम बस ऐसे ही बातें करते रहे और वो तीनों हमें छेड़ते रहे और हम भी मज़े लेते रहे। फिर जितेन्द्र चला गया और हम भी क्लास में चले गये। फिर 3-4 दिन बीत गये और फिर जितेन्द्र की कॉल आई और बोला कि आज घर कोई नहीं है, तुम आ जाओ, तो मैंने कहा कि ठीक है में हेमा को लेकर आ जाऊंगी, तुम राजेश और संदीप को फोन कर दो। तो वो बोला कि नहीं आज तुम अकेली आओ और हाँ 2-3 घंटे के लिए घर पर बोलकर आना। फिर मैंने कहा कि क्या बात है? इरादा तो ठीक है ना। तो वो बोला कि 1 बजे में घर पर इंतजार करूँगा। तो तभी में ठीक 1 बजे अपनी स्कूटी से उसकी कोठी पर पहुँच गयी। फिर में अंदर चली गयी, उसकी कोठी बहुत बड़ी थी। फिर वो मुझे अपने बेडरूम में ले गया, उसका बेडरूम क्या था? इतना शानदार मैंने कभी सपने में भी नहीं देखा था, बहुत बड़ा बेड और चारो तरफ शीशे और बेड के बिल्कुल ऊपर गोल शीशा था।
फिर मैंने पूछा कि ये तुम्हारा बेडरूम है। तो वो बोला कि नहीं जान ये रंडीखाना है, इस बेड पर मेरे पापा से मेरी मम्मी चुदती है या मेरी गर्लफ्रेंड मुझसे और आज तुम्हारी बारी है। तो में मुस्कराने लगी और बोली कि ओके, आई एम रेडी जानू, आओं चले। तो तभी वो बोला कि अभी नहीं, अभी तुम्हारे लिए सर्प्राइज है। तो में चौक पड़ी क्या? तो उसने फोन मिलाया और बोला कि आ जाओ। तो में बोली कि कौन आ रहा है? तो वो बोला कि जान आज तुम्हारी इच्छा पूरी करनी है। फिर मैंने पूछा कि कौनसी इच्छा? तो वो बोला कि गाली वाली, तुम्हें रुलाने वाली। दोस्तों में डर गयी और बोली कि नहीं यार वो तो मैंने ऐसे ही कहा था। तभी वो बोला कि नहीं आज तो तुझे रंडी बना दूँगा। तभी इतने में डोरबेल बजी, तो उसने गेट खोला। अब 2 लड़के 32-33 साल के उसके साथ अंदर आ गये थे, उसने पहले ही उनको मेरी इच्छा के बारे में बता दिया था।
फिर वो बोला कि इनसे मिलो ये राज और दूसरा समीर है, वो दोनों लंबे और साँवले थे। फिर वो आते ही बोले कि तो ये है वो हरामजादी, ये तो बड़ी नाज़ुक सी है। तभी जितेन्द्र बोला कि ये बहुत दमदार है, ये हम तीनों दोस्तों की बीवी है, आज ये पांचाली बन जाएगी। तभी में बोली कि जितेन्द्र नहीं, में ऐसी लड़की नहीं हूँ, प्लीज मुझे जाने दो, में फिर आ जाऊंगी। तो तभी जितेन्द्र बोला कि इस कमरे से कोई भी लड़की चुदे बिना बाहर नहीं जा सकती है।
फिर में बोली कि लेकिन में इन्हें नहीं जानती यार नो-नो। फिर समीर ने चैन खोलकर अपना लंड बाहर निकाला और बोला कि रंडी इससे जान पहचान रखती है, उसका लंड 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा होगा। फिर जितेन्द्र बोला कि साली कुत्तियाँ नखरे करती है, टूर पर तो बड़े मज़े ले रही थी। फिर राज ने मुझे पकड़ा और किस करने लगा और मेरा मुँह खोलकर मेरी जीभ चूसने लगा। अब जितेन्द्र भी पीछे से मुझसे चिपक गया था और पीछे से मेरी चूची दबाने लगा था। अब समीर मेरी जांघे सहला रहा था। फिर राज ने मुझे छोड़ा और मेरी टी-शर्ट उतारने लगा। अब समीर मेरी जींस उतार रहा था। अब में पिंक ब्रा और रेड पेंटी में थी। अब जितेन्द्र ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया था। अब मेरी गोल मटोल चूचीयां नंगी हो गयी थी। तभी राज के मुँह से वाऊ निकला और उसने अपने लिप्स मेरी चूची पर रख दिए और जितेन्द्र ने मेरा दूसरा निप्पल अपने लिप्स में दबा लिया। मेरे मुँह से सिसकी निकली आआअ क्या कर रहे हो? अब समीर ने मेरी पेंटी उतार दी थी और मेरी चूत को अपने हाथों से मसलने लगा था। अब में एयाया, उूउउ कर रही थी।
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फिर जितेन्द्र ने मुझे गोदी में उठाया और बेड पर पटक दिया। अब वो तीनों बेड पर चढ़ गये थे। फिर समीर ने मेरे बाल पकड़कर मुझे घुटनों के बल बैठा दिया। अब जितेन्द्र और समीर के लंड मेरी आँखों के सामने थे। अब में चुपचाप देख रही थी। फिर समीर अपना लंड हिलाते हुए बोला कि हरामजादी, साली, कुतिया इनको क्या तेरी माँ आकर चूसेगी? तो मैंने कहा कि माँ की गाली मत दो। तो तभी जितेन्द्र बोला कि इसकी चूत में जब लंड जाता है तो तब इसकी चाहे माँ चोद लेना, ये खुद ही बोलेगी, ये पहले ऐसे ही बोलती है। अब में उनके लंड पर किस करने लग गयी थी। फिर मैंने अपना मुँह खोला और समीर का लंड अपने मुँह में ले लिया और जितेन्द्र का लंड अपने एक हाथ में पकड़कर हिला रही थी। तभी इतने में मेरी गांड पर एक ज़ोर का थप्पड़ पड़ा, तो तभी मेरे मुँह से उउई माँ निकला। तभी राज बोला कि बहनचोद अपनी टांगे खोल। फिर मैंने अपनी दोनों टांगे खोल दी, तो राज ने अपने होंठ मेरी चूत पर रख दिए और चूसने लगा। दोस्तों ये कहानी आप GandiKhaniya डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
अब मेरी चूत में चीटियाँ रेंगने लगी थी, अब वो कभी मेरी चूत की फाँको को अपने दातों से काटने लगता, तो मेरे मुँह से आआआअ और खा जाओ, बहुत तंग करती है ये निकलता। अब समीर मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह में धक्के दे रहा था। अब जितेन्द्र ने अपना लंड मेरे हाथों में दे रखा था और अपने हाथों से मेरी चूचीयाँ मसल रहा था। अब मेरा हाल बुरा था, अब मेरे अंदर आग लगी हुई थी। फिर जितेन्द्र बोला कि हरामजादी अपने आपको शीशे में देख, कितनी मस्त लग रही है? तो मैंने देखा तो में सही में सेक्स की भूखी लड़की लग रही थी। तभी राज बोला कि रंडी के सामने लंड होता है तो वो मस्त हो जाती है, इस कुत्तिया के सामने तो 3 लंड है। अब वो तीनों मुझे चूस रहे थे और गालियाँ दे रहे थे। अब मेरी चूत झड़ चुकी थी, अब में बेकाबू हो गयी थी।
फिर में उनसे बोली कि यार अब कर भी लो। तभी जितेन्द्र बोला कि साली को लंड चाहिए, बोल साली क्या चाहिए? अब में बहुत गर्म हो गयी थी। फिर में बोली कि लंड चाहिए। फिर जितेन्द्र बेड पर लेट गया, अब उसका 10 इंच का काला मोटा लंड छत की तरफ तना हुआ था। फिर समीर और राज ने मुझे उठाया और उसके लंड पर बैठा दिया, मेरी चूत गीली थी। फिर समीर बोला कि राज ये रंडी एक बार में पूरा लंड अपनी चूत में ले लेगी, बोल हरामजादी। अब में जोश में थी तो में बोली कि हाँ। तभी उन्होंने मेरे कंधे सख्ती से पकड़े और बोले कि रेडी। तभी में बोली कि हाँ, तो उन दोनों ने मेरी कमर ज़ोर से नीचे दबाई और नीचे से जितेन्द्र ने अपने चूतड़ ऊपर उछाले तो उसका पूरा लंड मेरी चूत में फंस गया। तभी मेरे मुँह से ज़ोर की चीख निकली आईईईईइ माँ, आआआआआआआ बचाओ, उउईईई में मर गइईईईई माँ, आआआ। अब वो दोनों ताली बजाने लगे थे और बोले कि वाह ये तो पूरा ले गयी, ये तो पूरी रंडी है। अब मेरी आँखों में आँसू आ गये थे।
फिर जितेन्द्र बोला कि देख तेरी इच्छा पूरी हुई ना, सेक्स में रुला दिया ना। अब राज मेरी चूची पर काट रहा था और समीर मेरे गालों पर अपना लंड घुमा रहा था। अब मुझे थोड़ा आराम आने लगा था। अब में धीरे-धीरे ऊपर नीचे होने लगी थी। अब मेरे मुँह से आअ, आह, उहहहहह निकल रहा था। अब समीर ने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया था और जितेन्द्र ने मुझे अपने ऊपर गिरा लिया था। अब मेरी चूची उसकी छाती से चिपक गयी थी। अब में समझ गयी थी कि ये मेरी गांड में अपना लंड डालेंगे। तभी में बोली कि नहीं गांड में नहीं और अब में उठने लगी थी। तो तभी जितेन्द्र ने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया। फिर राज ने मेरे चूतड़ अलग किए और मेरी गांड के छेद पर अपना लंड लगाया, तो में ना-ना करती रही।
फिर उसने कसकर एक धक्का मारा तो उसका आधा लंड मेरी गांड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। तो तभी में चीखी ओह माँ, आआअ तेरी बेटी मररर गईईईईई, हाईई प्लीज निकाल लो, लेकिन अब मेरी कौन सुनता? अब उसने एक और धक्के में अपना लंड अंदर जड़ तक पहुँचा दिया था। तभी में बोली कि आज बच्ची को मारोगे क्या? तो तभी समीर बोला कि बहन की लोड़ी 2-2 लंड खा गयी, तू कहाँ से बच्ची है? और अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया। अब मेरे तीनों छेदों में लंड था, अब मेरे चूतड़ों पर बीच- बीच में जितेन्द्र और राज थप्पड़ मारते और समीर मेरे बाल पकड़कर मेरे गले तक अपना लंड डाल देता था। फिर समीर ने अपने दोनों हाथों से मेरा सिर पकड़ा और मेरे मुँह में झड़ने लगा तो मैंने बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरे गाल पर थप्पड़ मारा और बोला कि रंडी पी इसे, तो में उसका पूरा रस पी गयी। अब मेरा गाल लाल हो गया था। अब वो मेरी गांड में और चूत में कस-कसकर चोद रहे थे। अब में 2 बार झड़ चुकी थी, लेकिन वो दोनों पता नहीं क्या खाकर आए थे? अभी तक लगे हुए थे।
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अब में फिर से झड़ने के करीब थी तो तभी में बोली कि ज़ोर-ज़ोर से करो ना और अब में सामने शीशे में खुद को देख रही थी। अब मेरे मुँह से एम्म, आआआअ, ज़ोर से, ज़ोर से चोदो निकल रहा था। तो तभी जितेन्द्र बोला कि एक बार वैसे ही बोल जैसे जयपुर में बोली थी बोल कुतिया। फिर में मस्ती में चीखने लगी कि इस रंडी की चूत फाड़ दो, अपनी हरामजादी को इतना चोदो कि बार-बार तुम्हारे लंड की हरामजादी बने, अपनी कुत्तिया की चूत पर कोई तरस मत खाओ, ये मुझे बहुत तंग करती है, इस मादरचोद रंडी को अपने बच्चे की कुँवारी माँ बना दो, जोर-जोर से चोदो, ज़ोर-ज़ोर से चोदो। अब वो अपनी पूरी स्पीड से लगे हुए थे और में अपने आपको गालियाँ दे रही थी, हाँ में हरामजादी हूँ। अब वो दोनों मेरे चूतडों पर थप्पड़ मार थे। अब में झड़ चुकी थी, तो तभी समीर ने अपना लंड बाहर निकाला और मुझे जितेन्द्र के ऊपर से खड़ा कर दिया और फिर मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरे ऊपर अपना वीर्य मेरे मुँह पर, बालों पर गिरा दिया।
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फिर समीर बोला कि मुझको इतना मज़ा पहली बार आया है, मज़ा आ गया। तभी जितेन्द्र बोला कि अभी और भी मजा आएगा। फिर में उठी और बोली कि में नहाकर आती हूँ। तभी जितेन्द्र ने मुझे गोदी में लिया और बाथरूम में बाथ टब में बैठा दिया और बोला कि दोस्तों इस रंडी को अपने पेशाब से नहलाओ। तो में चौक गयी और बोली कि ये क्या है? जितेन्द्र में सचमुच की रंडी नहीं हूँ, लेकिन अब वो तीनों मेरे आस पास खड़े हो गये थे और मुझ पर पेशाब करने लगे थे, उनका पेशाब नमकीन सा था। फिर उन तीनों ने पेशाब करके अपने लंड मुझे चुसाए और साफ करवाए और नहलाकर वापस लाए और फिर शाम के 6 बजे तक मुझे बदल-बदलकर चोदते रहे। फिर में अनगिनत बार झड़ी और फिर वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे यादगार दिन बन गया ।।

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