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Saturday 6 April 2013

Friday 5 April 2013

मेरी सालिया 2



मैं जब आशा को देखनेपोहचा तो मैंनेगार्डन में आरती को देखा| शायद उसे ये अंदाजानहीं था की हम आशा को देखने रहे है| जब मैंनेउसे देखा तो वो पौदोंको पानी दे रही थी|उस वक़्त मुझे उसका सिर्फपिछवाडा दिख रहा था| जिसे देख मैं तो हैरानरह गया| क्या दिख रही थी आरती| उसके वो बड़े बड़े कुल्हेजिसे मटकाते हुए वो पौदोंको पानी दे रही थी| जिसे देखतेही मैं उसपे फ़िदा हो गया| मेरा ध्यानतब टूटा जब मेरे दोस्तने मुझे टोका|

हम घर के अन्दरदाखिल हुए लेकिनमेरा ध्यान तो उस मटकतेहुए कुल्हे पर ही था| मैं उसे भुला ही नहीं सकता था| अन्दरआने के बाद जब हम बैठे तब घर मैं सिवाईआशा की माँ के उसका भाई और ये तीन बहने ही थी| उसके भाई ने हमें बैठनेके लिए कहा और कुछ मिनट बाद एक बहोत ख़ूबसूरतलड़की हमें पानी देने के लिए उस कमरे में गयी| वो और कोई नहीं आरती ही थी| जब वो पानी देते हुए रही थी मैं सिर्फउसका पिछवाडा ही देख रहा था| जैसे ही वो मुझे पानी देने के लिए मेरे पास आयी मेरी तो धड़कनेबड़ी तेज हो रही थी| पर जैसे ही वो मुझे पानी देने के लिए झुकी मानो मुझपेतो बिजली गिर पड़ी| जैसे वो झुकी, पानी लेते वक़्त मेरी नजर सीधा उसके ड्रेसके गले से होते हुए उसके अन्दरतक चली गयी| और जो मैंनेदेखा वो तो मैं बयां नहीं कर सकता| उस वक़्त शायद उसने उस टॉप के अन्दरपुश अप ब्रा पहनी हुयी थी और उसकी वजह से उसके उरोज उस टॉप से बाहर आने को बेक़रारथे| ये नजारा देख मेरे हाथ से पानी का ग्लासगिर गया जो सीधा मेरी पेंट पे ही गिरा| जिससेमेरी पूरी पेंट गीली हो गयी| इस अचानकहुए हादसे से आरती को हसी तो बहोत रही थी लेकिनमेरी हालत देख उसे तरस भी रहा था| इस हादसेकी वजह से मुझे इतनी शर्म रही थी की मेरी नजर ऊपर उठ नहीं रही थी| इतने में आरती मुझे बोली "आप अन्दरचलिए"| इस अचानकहुए हादसे से मैं पहले ही शर्म से लाल हो गया था http://srv.exbii.com/images/smilies/red_smile.gif http://srv.exbii.com/images/smilies/red_smile.gif और उसके इस बात से तो मुझे क्या बोलू वो सूझ भी नहीं रहा था
मेरी इस समस्याको जान मेरा दोस्तमुझे बोला "सुमीत! अरे यार बिना कुछ सोचे जल्दीसे अन्दर जा नहीं तो तेरी हालत और भी खराब हो जाएगी"| उसकी बात मान मैं आरती के पीछे चला गया| मैं अन्दरगया तो आरती ने मुझे तौलियादिया और बोली "आप की पेंट निकल के दीजिये| मैं उसे सुखा देती हूँ"| मैं उसे बोला "इतने जल्द पेंट नहीं सूखेगी"| तो आरती बोली "अरे सुमीतजीआप पेंट निकलीये तो मैं सिर्फ मिनट मैं कुसे सूखा देती हूँ "| मैंने बिना कुछ बोले उसे मेरी पेंट निकालके दे दी| आरती मुझे बोली "आप थोड़ी देर बैठिये"| और इतना कह के वो मेरी पेंट आयरन करने लगी| इस बार भी वो मेरी तरफ पिछवाडाहिला हिला कर के आयरन कर रही थी| इस वक़्त वो मेरे इतने करीब थी मुझे लगा की मै उसे छु लूं| लेकिनहालात देख मैं सिर्फउसे देख रहा| उसने मुझे पेंट दे दी और वो चली गयी| में भी पेंट पहन के बाहर गया|

कुछ देर बाद लड़की देखनाका प्रोग्राम ख़तम कर हम वापिस गए|

घर आते ही मैं मेरे घरवालोंसे आशा के लिए हाँ कर दी|

क्रमशः
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