मैं जब आशा को देखनेपोहचा तो मैंनेगार्डन में आरती को देखा| शायद उसे ये अंदाजानहीं था की हम आशा को देखनेआ रहे है| जब मैंनेउसे देखा तो वो पौदोंको पानी दे रही थी|उस वक़्त मुझे उसका सिर्फपिछवाडा दिख रहा था| जिसे देख मैं तो हैरानरह गया| क्या दिख रही थी आरती| उसके वो बड़े बड़े कुल्हेजिसे मटकाते हुए वो पौदोंको पानी दे रही थी| जिसे देखतेही मैं उसपे फ़िदा हो गया| मेरा ध्यानतब टूटा जब मेरे दोस्तने मुझे टोका|
हम घर के अन्दरदाखिल हुए लेकिनमेरा ध्यान तो उस मटकतेहुए कुल्हे पर ही था| मैं उसे भुला ही नहीं सकता था| अन्दरआने के बाद जब हम बैठे तब घर मैं सिवाईआशा की माँ के उसका भाई और ये तीन बहने ही थी| उसके भाई ने हमें बैठनेके लिए कहा और कुछ ५ मिनट बाद एक बहोत ख़ूबसूरतलड़की हमें पानी देने के लिए उस कमरे में आ गयी| वो और कोई नहीं आरती ही थी| जब वो पानी देते हुए आ रही थी मैं सिर्फउसका पिछवाडा ही देख रहा था| जैसे ही वो मुझे पानी देने के लिए मेरे पास आयी मेरी तो धड़कनेबड़ी तेज हो रही थी| पर जैसे ही वो मुझे पानी देने के लिए झुकी मानो मुझपेतो बिजली गिर पड़ी| जैसे वो झुकी, पानी लेते वक़्त मेरी नजर सीधा उसके ड्रेसके गले से होते हुए उसके अन्दरतक चली गयी| और जो मैंनेदेखा वो तो मैं बयां नहीं कर सकता| उस वक़्त शायद उसने उस टॉप के अन्दरपुश अप ब्रा पहनी हुयी थी और उसकी वजह से उसके उरोज उस टॉप से बाहर आने को बेक़रारथे| ये नजारा देख मेरे हाथ से पानी का ग्लासगिर गया जो सीधा मेरी पेंट पे ही गिरा| जिससेमेरी पूरी पेंट गीली हो गयी| इस अचानकहुए हादसे से आरती को हसी तो बहोत आ रही थी लेकिनमेरी हालत देख उसे तरस भी आ रहा था| इस हादसेकी वजह से मुझे इतनी शर्म आ रही थी की मेरी नजर ऊपर उठ नहीं रही थी| इतने में आरती मुझे बोली "आप अन्दरचलिए"| इस अचानकहुए हादसे से मैं पहले ही शर्म से लाल हो गया था और उसके इस बात से तो मुझे क्या बोलू वो सूझ भी नहीं रहा था|
मेरी इस समस्याको जान मेरा दोस्तमुझे बोला "सुमीत! अरे यार बिना कुछ सोचे जल्दीसे अन्दर जा नहीं तो तेरी हालत और भी खराब हो जाएगी"| उसकी बात मान मैं आरती के पीछे चला गया| मैं अन्दरगया तो आरती ने मुझे तौलियादिया और बोली "आप की पेंट निकल के दीजिये| मैं उसे सुखा देती हूँ"| मैं उसे बोला "इतने जल्द पेंट नहीं सूखेगी"| तो आरती बोली "अरे सुमीतजीआप पेंट निकलीये तो मैं सिर्फ५ मिनट मैं कुसे सूखा देती हूँ "| मैंने बिना कुछ बोले उसे मेरी पेंट निकालके दे दी| आरती मुझे बोली "आप थोड़ी देर बैठिये"| और इतना कह के वो मेरी पेंट आयरन करने लगी| इस बार भी वो मेरी तरफ पिछवाडाहिला हिला कर के आयरन कर रही थी| इस वक़्त वो मेरे इतने करीब थी मुझे लगा की मै उसे छु लूं| लेकिनहालात देख मैं सिर्फउसे देख रहा| उसने मुझे पेंट दे दी और वो चली गयी| में भी पेंट पहन के बाहर आ गया|
कुछ देर बाद लड़की देखनाका प्रोग्राम ख़तम कर हम वापिसआ गए|
घर आते ही मैं मेरे घरवालोंसे आशा के लिए हाँ कर दी|
क्रमशः
कुछ देर बाद लड़की देखनाका प्रोग्राम ख़तम कर हम वापिसआ गए|
घर आते ही मैं मेरे घरवालोंसे आशा के लिए हाँ कर दी|
क्रमशः
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