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Friday 19 January 2018

दीदी के जिस्म की प्यास - Didi Ke jism ki pyaas

दोस्तों आज, में आज आप सभी के लिए एक ऐसी कहानी को लिखने जा रहा हूँ जिसको पढ़ने के बाद आप सभी को पता चलेगा कि किस तरह से एक जवान कुंवारी लड़की अपनी चूत की आग से इतना मजबूर हो जाती है कि वो अपने शरीर की भूख को शांत करने के लिए किसी भी दूसरे मर्द के साथ सोकर उसके साथ अपनी चुदाई करने के लिए तैयार हो जाती है। दोस्तों इससे पहले कि में अपनी इस कहानी को सुनाना शुरू करूं में सबसे पहले आप सभी का परिचय अपने परिवार के लोगो से करा देता हूँ। मेरे परिवार में हम चार लोग है, मेरे पापा मम्मी में और मेरी दीदी। मेरे पापा बाहर दूसरे देश में रहते है क्योंकि उनकी वहां पर नौकरी है इसलिए उनको हम सभी से दूर रहना पढ़ता है और वो एक साल में एक या दो बार ही हम लोगों से मिलने हमारे घर आते है। मेरी दीदी मुंबई में रहती है और में भी उनके साथ ही मुंबई में रहता हूँ और अपनी पढ़ाई को पूरा कर रहा हूँ जब कभी मेरी छुट्टियाँ होती है तब हम दोनों भाई बहन अपने घर चले आते है। अब में आप सभी पढ़ने वालों को उस दिन की घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसको देखकर मुझे बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ और मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरक गई।
दोस्तों में आज जो कहानी आप सभी को सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरी दीदी की और मेरे एक दूर के अंकल के साथ किए गये सेक्स की है। दोस्तों उस चुदाई को मैंने खुद अपनी आँखों से अपने सामने होता हुआ देखा था और उसके बाद मुझे पता चला कि में अपनी जिस बड़ी बहन को इतना सीधा समझता था वो बहुत बड़ी रंडी निकली। उसके उस काम को देखकर कुछ देर तक मेरी सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी। दोस्तों यह कहानी आज से चार साल पहले की है। दोस्तों उन दिनों में अपनी दीदी के साथ एक छोटे से शहर में चार कमरों का एक मकान लेकर उसमे रहता था, वैसे तो मेरे वो अंकल हमारे यहाँ तभी आते थे जब मेरे पापा हमारे घर आते थे, लेकिन उस दिन शाम को मेरे वो अंकल हमारे यहाँ शाम को आए। फिर मुझे उनको देखकर कुछ अजीब सा लगा, लेकिन उनके यहाँ आने का मतलब मुझे उस रात को पूरी तरह से पता चला। दोस्तों रात को खाना खाने के बाद जब में अपने कमरे में चला गया और फिर में अपने कमरे का दरवाजा बंद करके पढ़ने के लिए बैठा हुआ था और में अपनी पढ़ाई में बहुत व्यस्त था।
फिर करीब आधे घंटे के बाद मैंने अपने सामने वाले कमरे से जिसमे मेरे वो अंकल थे, किसी के बाहर निकलने की आवाज़ सुनी और मैंने उस एक परछाई को मेरी दीदी के कमरे की तरफ जाते हुए देखा। तभी में तुरंत समझ गया कि अब जो कुछ भी होने जा रहा था वो सब कुछ अलग था और फिर में भी बिना देर किए तुरंत अपनी टेबल पर खड़ा हो गया और अपने कमरे के रोशनदान में लगे हुए कांच की खिड़की से जब मैंने मेरी दीदी के कमरे के अंदर झांककर देखा तब मैंने पाया कि जैसे ही मेरे वो अंकल मेरी दीदी के कमरे के अंदर गये, उसी समय उनको देखकर दीदी अपने बेड से उठकर सर पर अपने पल्लू को रखते हुए उनकी तरफ अपनी पीठ को करते हुए खड़ी हो गयी। अब अंकल दीदी के बिल्कुल पास आ गये और वो दीदी से एकदम सटकर खड़े हो गये और फिर दीदी एक कदम आगे बढ़ गयी और तभी अंकल ने दीदी की कमर के ऊपर अपने एक हाथ को रखते हुए, उन्होंने दीदी को अपनी तरफ खींच लिया। अब अंकल ने दीदी के सर से उस आँचल को हटाकर, उनको ज़मीन पर गिरा दिया और अब वो दीदी के एक बूब्स को अपने एक हाथ से बहुत धीरे धीरे आराम से दबाने लगे थे और करीब पांच छ: बार दबाने के बाद अंकल ने अब दीदी के ब्लाउज के हुक को खोलना शुरू कर दिया।
फिर कुछ देर में दीदी के ब्लाउज के सारे बटन को खोलने के बाद अंकल ने ब्लाउज को उतारकर ज़मीन पर नीचे पटक दिया और इसके बाद अंकल ने दीदी की साड़ी को भी धीरे धीरे उतार दिया। अब दीदी के दोनों हाथों को अंकल ने अपने दोनों हाथों से कसकर दबा रखा था और इसके बाद अंकल ने दीदी के पेटीकोट के नाड़े को एक ही झटके में खोल दिया। फिर ऐसा होते ही दीदी का वो पेटीकोट सरककर ज़मीन पर जा पड़ा, जिसकी वजह से अब दीदी बिल्कुल नंगी खड़ी थी, क्योंकि उन्होंने अपने कपड़ो के अंदर ब्रा पेटी नहीं पहनी थी और इसके बाद मैंने देखा कि अंकल ने दीदी के कंधे के पास से बाल को हटाते हुए अपने होंठो को दीदी के दोनों कंधो और गर्दन के बीच धीरे धीरे रगड़ना शुरू किया। फिर उसके बाद वो दीदी के बूब्स को भी धीरे धीरे दबाने के साथ ही दूसरे हाथ से दीदी की चूत को सहलाने लगे और जैसे ही अंकल ने दीदी की चूत को अपने एक हाथ से सहलाना शुरू किया। दोस्तों उसके बाद दीदी तो अपने आपको रोक नहीं सकी और वो तुरंत घूमकर अंकल से लिपट गयी। अब अंकल ने दीदी को अपनी बाहों में उठा लिया और अपनी गोद में उठाकर साथ ले जाकर दीदी को बेड पर लेटा दिया और इसके बाद अंकल ने रूम के दरवाजे को धीरे से बंद कर दिया।
फिर दरवाजा बंद करने के बाद जब अंकल दीदी के पास आए तो साथ में उन्होंने तेल का एक डब्बा भी ले लिया और उसको लेकर टेबल पर रख दिया। अब अंकल ने दीदी की जाँघ को थोड़ा सा फैला दिया क्योंकि उस समय तक दीदी की दोनों जांघे बिल्कुल सटी हुई थी और अब दीदी की चूत पूरी तरह से साफ साफ नजर आ रही थी। फिर अंकल ने उस डब्बे से सरसो के तेल को निकाला और दीदी की नंगी कामुक चूत पर लगाते हुए जब वो दीदी की चूत को अपने एक हाथ से सहलाने लगे थे, उसी समय दीदी ने जोश में आकर अंकल के लंड को उनकी लूँगी से बाहर निकाल दिया, जिसको देखने के बाद मुझे पता चला कि वो करीब आठ इंच लंबा था और एकदम तनकर खड़ा हुआ था। अब उसको अपने हाथ में लेकर दीदी ने भी सहलाना शुरू कर दिया था। फिर मैंने देखा कि मेरी वो चुदक्कड़ कामुक दीदी और चुदाई के लिए पागल अंकल करीब दो मिनट तक ऐसे ही अपने अपने काम को बड़े खुश होकर अंजाम देते रहे। फिर इसके बाद अंकल अब दीदी की जाँघ पर बैठ गये और अंकल ने दीदी की चूत पर अपने लंड को जैसे ही सटाया उसी समय तुरंत दीदी ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को पूरा फैला दिया।

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अब अंकल ने दीदी की प्यासी चुदाई के लिए तड़पती हुई चूत में अपने लंड को डालने के लिए अपनी कमर को धीरे धीरे से धक्का देकर सरकाना शुरू किया। अब दीदी ने अपनी सांसो को तेज खींचनी शुरू कर दिया और मैंने देखा कि अंकल दीदी की चूत में अपने लंड का टोपा डाल दिया। अब अंकल दीदी के ऊपर लेट गये और उन्होंने अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया और फिर दीदी के मुहं से आअहहहह ऊऊओह्ह्ह आह्ह्हहह उूम्मम्म की आवाज़ निकलने लगी। फिर कभी कभी अंकल ज़ोर ज़ोर के झटके लगाते जिसकी वजह से दीदी पूरी तरह से हिल जाती और दीदी ने अब अपने हाथों को अंकल की पीठ पर रख लिया था और वो अंकल की पीठ को सहला रही थी। अब अंकल दीदी के गालो को चूमने लगे और अपने दोनों हाथों से दीदी के दोनों बूब्स को दबाने लगे थे, जिसकी वजह से दीदी भी मस्ती में आकर आअहह ऊऊओहहह ऊफ्फ्फ बड़ी अजीब ही आवाज़ निकाल रही थी। फिर कुछ देर में बाद अंकल ने अपने आधे लंड को दीदी की चूत में डाल दिया था। अब अंकल ने दीदी के दोनों पैरों को घुमाकर मोड़ लिया और दीदी की दोनों जाँघो को पूरा फैलाते हुए उन्होंने अपने आपको दीदी के दोनों पैरो के बीच में फंसाकर सेट किया और दीदी ने ऐसा करने में उनकी पूरी पूरी मदद की।
अब अंकल ने अपने लंड को एक बार फिर से झटका देना शुरू किया तो दीदी ने अपनी गर्दन को ऊपर उठा उठाकर आहे भरना शुरू कर दिया था। अब अंकल ने दीदी से पूछा क्या तुम्हे ज्यादा तेज दर्द हो रहा है? तभी दीदी से एक अजीब सी आवाज़ में करहाते हुए जबाब दिया उफ्फ्फ नहीं ऊऊईईईईई आहह ओह्ह्ह। अब अंकल ने अपनी कमर को आगे पीछे करके अपने धक्को की स्पीड को पहले से ज्यादा बढ़ा दिया जिसकी वजह से और कुछ ही देर में अंकल का पूरा लंड अब मेरी दीदी की चूत के अंदर जा चुका था। अब दीदी ने भी अंकल का पूरा पूरा साथ देना शुरू कर दिया और वो भी उसके साथ हल्के हल्के धक्के देने लगी थी। मुझे लगातार उनके ऊपर नीचे उठते हुए कूल्हों को देखकर साफ पता चल रहा था कि वो उस समय बहुत जोश में थी और उनको अंकल का लंड अपनी चूत के अंदर बाहर करने में बड़ा मज़ा आ रहा था। फिर कुछ देर के बाद अंकल ने दीदी के नरम गुलाबी होंठो को अपने होंठो में दबा लिया और वो अब अपने लंड को दीदी की चूत में पहले से भी ज्यादा ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर अंदर बाहर अंदर बाहर करने लगे थे।
दोस्तों अब उन दोनों की तरफ से बराबर लगते हुए धक्को को देखकर मुझे साफ पता चलने लगा था कि वो दोनों अपने उस खेल में अब उसकी चरम सीमा पर पहुंच चुके थे और मैंने यह ऐसा ही धक्के देने का चुदाई का सिलसिला पूरे आधे घंटे तक लगातार देखा, एक रुक जाता तो उसके बाद दूसरा धक्के देने लगता और कभी कभी तो वो दोनों ही बराबरी से धक्के दे रहे थे। फिर तब जाकर दोनों वो दोनों बारी बारी से झड़ जाने के बाद शांत हो गए। फिर अंकल झड़ जाने के बाद भी कुछ देर तक ऐसे ही दीदी के ऊपर लेटे रहे और इसके बाद उठकर जब अंकल ने दीदी कि चूत से अपने लंड को बाहर निकाला, तब जाकर दीदी ने अपनी दोनों आँखों को खोला और उन्होंने शरम से मुस्कुराते हुए अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों से ढक लिया। अब अंकल ने भी हंसते हुए उनको कहा कि अब इस तरह से चेहरा क्या ढकना है? देखने दो मुझे यह सुंदर मुखड़ा जिसके लिए में पागल हो चुका हूँ ऐसा सुंदर गोरा बदन गोल चेहरा और इतना कामुक बदन मैंने पहले कभी नहीं देखा इसके लिए में कुछ भी करने को तैयार हूँ और फिर अंकल ने दीदी के दोनों हाथों को उनके चेहरे से हटाते हुए उनसे पूछा क्या तुम्हे मेरे साथ यह खेल खेलने में मज़ा नहीं आया?
अब तुरंत ही दीदी ने अपना सर हिलाते हुए जबाब दिया कि हाँ मुझे बहुत मज़ा आया। अब अंकल ने उनके गोल बड़े आकार के बूब्स को अपने दोनों हाथों को गोल गोल घुमाकर सहलाना और कुछ देर बाद उसकी निप्पल को पकड़कर दबाने के बाद अपने मुहं में एक बूब्स को भरकर चूसना शुरू किया। फिर दीदी ने भी जोश में आकर उनके सर को अपनी छाती से दबा लिया, कुछ देर यह सब करने के बाद वो दीदी के ऊपर से हट गये। अब अंकल ने अपनी लूँगी को वापस पहन लिया और बेड से नीचे उतरते हुए कमरे का दरवाजा खोलकर वो वापस अपने कमरे में चले गये। फिर अपने कमरे में जाकर उन्होंने अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। अब मैंने देखा कि दीदी कुछ देर तक ऐसे ही लेटी रही और उसके बाद फिर उठकर अपने सारे कपड़े पहन लिए और दोबारा बेड पर जाकर वो सो गयी। दोस्तों में पूरी रात को यह बात जानने के लिए जागता रहा कि क्या अंकल दोबारा से आकर मेरी दीदी के रूम में जाते है या नहीं, हो सकता है कि वो दोनों दोबारा वैसी ही चुदाई के मज़े लेने लगे और इसलिए में थोड़ी थोड़ी देर में उठकर बार बार खिड़की से अपनी दीदी के कमरे में झांककर देखता रहा। दोस्तों जैसा मैंने सोचा था ऐसा, लेकिन अंकल ने नहीं किया।
फिर दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर जब मैंने तुरंत ही अपने कमरे के दरवाजा खोला और में अपने कमरे से बाहर आया, तभी मैंने देखा कि अंकल अब वापस अपने घर जाने के लिए तैयार हो चुके थे। फिर दीदी भी अपने कमरे से बाहर निकलकर मेरे ही सामने रसोई में गयी और वो चाय बनाकर ले आई अंकल ने चाय को उनके हाथ से लेकर पीना शुरू किया और फिर मेरे वो अंकल दीदी को बाय कहकर हमारे घर से चले गये। दोस्तों मेरी दीदी यह बात मन ही मन सोचकर बहुत खुश थी कि मैंने पिछली रात को हुई उनके साथ उस चुदाई की घटना उस खेल को नहीं देखा। दोस्तों सच कहूँ तो में भी यही चाहता था कि उनको यह सब पता ना चले हो सकता है कि दोबारा कभी मुझे उनकी वैसी ही चुदाई को देखने का मौका मिले। दोस्तों वैसे यह पहला मौका था जब मैंने अपनी दीदी को किसी बढ़े आदमी से उनकी इस तरह पागलों जैसी पूरी जोश भरी चुदाई को देखा था और वैसे यह सब मुझे बहुत ही अच्छा लगा था, इसलिए मैंने इसको बड़ी मेहनत से लिखकर आप सभी  के चाहने वालों की सेवा में हाजिर किया है, शायद यह आपको भी अच्छी लगे। अब में जाने की अनुमति चाहता हूँ, लेकिन दोबारा अगर मेरे साथ कुछ हुआ या मैंने कुछ ऐसा देखा जिसको में आपकी सेवा में दोबारा हाजिर कर दूँ तो यह मेरी अच्छी किस्मत होगी ।।
धन्यवाद …
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Sunday 7 January 2018

मुसलमान लड़के के साथ मेरी बहन की चुदाई कहानी


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मेरी दीदी राधिका उसे जीजाजी कहा करती थी. गर्मी के दिन मेरी दीदी राधिका और मेरी माँ घर के आँगन मे रात को चारपाई पर साथ मे सोये हुये थे. रात को करीब 1 या 2 बजे सरदार जी रात को मेरी दीदी की चारपाई के पास बेठ गया. सरदार जी मेरी दीदी को धीरे धीरे सहलाने लगा. मेरी दीदी राधिका चुपचाप पड़ी रही. थोड़ी देर के बाद सरदार जी ने मेरी दीदी का फ्रॉक ऊँचा करके उसके स्तन (बूब्स) को दोनो हाथो मे पकड़ कर मसलने लगा और दबाने लगा. मेरी दीदी राधिका भी उतेज़ित होकर मजा लेने लगी.
थोड़ी देर बाद मे सरदार जी मेरी बहन को खींच कर बाथरूम की तरफ ले जाकर चुदाई करने ही वाला था की मेरी माँ जाग गयी. सरदार जी डर कर भाग गया. मेरी दीदी राधिका शरीफजादी बनकर अपनी सफाई देने लगी की मुझे खबर नही थी की सरदार जी मेरी चारपाई पर आकर उसे कब से दबोच कर उसके स्तन को मसल कर सहला रहा है. मेरी दीदी राधिका का हमारे पड़ोस मे रहने वाला मुसलमान के लड़के के साथ नाजायज़ सेक्स सम्बन्ध थे. उस समय उसकी उम्र 18 साल थी. एक रात को जब मेरी माँ ने देखा की मेरी दीदी राधिका घर मे पलंग पर सोई हुई नही है. उसने मुझे जगाया. मैने आस पास जाकर देखा और उसको ढूँढने लगे. रात के 2 बजे मेरी दीदी मियाँ के पास जाकर चुदवा रही थी. मियाँ का नाम कल्लू था. कल्लू ने मेरी दीदी को पूरा नंगा करके उसकी कुँवारी चूत मे अपना मोटा 9 इंच का लंड डाल दिया.मेरी दीदी राधिका की चूत की झिल्ली फट गयी थी और चूत भी फट गयी थी. दीदी की चूत में से खून निकल रहा था. मेरी दीदी राधिका ठीक तरह से चल भी नही पा रही थी और लंगड़ी लंगड़ी चल रही थी. मेरी दीदी ने अंदर चड्डी भी नही पहनी थी सिर्फ़ फ्रॉक पहना था. मेरी दीदी की चूत चुदाई की वजह से सूजकर (फूलकर) लाल टमाटर की तरह हो गयी थी. उसकी योनि (चूत ) भी फट गयी थी. दीदी की चूत में से कल्लू मियाँ का वीर्य और पहली चुदाई का खून निकल कर मेरी दीदी की चूत से धीरे धीरे निकल कर जाँघ पर से टपक टपक कर बह रहा था और पैर में भी खून के दाग दिखाई दे रहे थे. मेरी दीदी की चूत पर बाल भी नही थे क्योकी दीदी ने अपनी चूत के बाल ब्लेड से काटे थे. इसलिये दीदी की चूत बिल्कुल साफ दिख रही थी.

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दीदी की चूत एकदम लाल लाल टमाटर की तरह दिख रही थी और चूत का अन्दर भाग एकदम लाल कलर का था. मेरी माँ ने घर ले जाकर उसे पलंग पर सुला कर उसका फ्रॉक उतार कर दीदी को नंगी करके दीदी की चूत देखी. दीदी की चूत फटी हुई थी और चुदाई की वजह से लाल हो गयी थी. दीदी की चूत में से वीर्य और पहली चुदाई का खून निकल कर उसकी जाघो और फ्रॉक पर गिरा था. फ्रॉक पर भी कही जगह खून के लाल दाग की वजह से खराब हो गये थे. दीदी रो रही थी और सिसकारिया मार रही थी. मेरी दीदी की चुदाई की वजह से बुरा हाल हो गया था. मेरी माँ ने उसे खूब पिटा और कहने लगी रंडी चुदाई के मज़े लेकर आ गयी.मियाँ ने तो तेरी चूत की बराबर की चुदाई की है, तेरी चूत तो फट गयी है और खून के साथ मियाँ का पानी भी तेरी चूत से निकल कर जाँघो पर बह रहा है. रंडी मियाँ से काला मुँह करवा लिया. उसने तुझे चोदते समय निरोध लगाये थे की नही? मेरी दीदी ने रोते हुये कहा उसने निरोध लगाये बिना ही मुझे चोदा है. मियाँ ने मुझे कहा था की निरोध लगाकर चोदने से चुदाई का मज़ा नही आता है, ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। इसलिये उसने मुझे निरोध लगाये बिना ही चोदा है. मेरी माँ ने पूछा रंडी जब तुझे लंड डाला तब चिल्लाई नही और अब रो रही है, मियाँ ने दिल खोल कर चूत की चुदाई करके मज़े लिये है. रांड़ चड्डी कहाँ पर डाल कर आई है? मेरी दीदी कुछ भी नही बोली.मेरी माँ ने उसे बाथरूम में ले जाकर दीदी को नहलाया और दीदी की चूत में अपनी उंगली डाल डाल कर रग़ड रग़ड कर दीदी की चूत पानी से साफ की. माँ को डर था की कही मियाँ का वीर्य राधिका के गर्भाशय में चला गया हो तो शायद उसकी बेटी गर्भवती (प्रेग्नेंट) हो सकती है मियाँ के नज़ायज़ बच्चे की माँ बन कर. मेरी दीदी खूब ही चिल्लाती थी और झटपटाती रहती थी. वो कराह रही थी और सिसकारिया मार मार कर रो रही थी. मेरी दीदी अपनी पहली चुदाई की वजह से दूसरे दिन बिस्तर पर से उठ भी नही पा रही थी. मेरी दीदी को पलंग पर पूरा नंगी देखकर और उसकी गोरी गोरी लाल लाल टमाटर की तरह सूजी हुई चूत देखकर मुझे भी इच्छा हुई और मेरी भी कामुकता भड़काने लगी की अपनी रंडी दीदी को चोद दूँ. लेकिन उतनी हिम्मत नही की उसकी चुदाई करूँ.

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मेरी माँ ने उसे लेडी डॉक्टर के पास ले जाकर गर्भ निरोधक गोलिया खिलाई, वरना वह भी अपने कुंवारेपन में ही गर्भवती (प्रेग्नेंट) हो जाती, और मियाँ के नज़ायज़ बच्चे की माँ बन जाती. उसके बाद जब भी मेरी दीदी को मोका मिलता चुपचाप घर से निकल कर मियाँ के पास जाकर अपनी मस्त चुदाई करवा के आती. जब भी वह चुदवा के आती, दीदी ठीक तरह से चल नही पाती थी, अपनी गांड और कूल्हे फेला फेला कर चलती थी. क्योकी मियाँ अपना 9 इंच के कड़क लंड से मेरी दीदी की चूत की बहुत बुरी तरह से चुदाई करता था. मुझे यह इसलिये मालूम है की मियाँ मेरे पड़ोस में रहता था और मुझसे बड़ा था लेकिन हम सब से उसकी दोस्ती थी.वह अपना लंड निकाल कर सब को दिखाता था. उसका लंड मोटा काले रंग का था. और झाट के बाल भी उसके बहुत सारे थे. मियाँ मुझसे कहता था की तेरी दीदी की तो में मस्त चुदाई करता हूँ, ज़रा अपनी दीदी की चूत तो देख कर आ. में क्रोध से तिलमिला उठता था लेकिन में कुछ नही कर सकता था क्योकी जब दीदी ही अपनी मर्जी से उसके पास जाकर चुदवाती है. एक दिन सुबह मैं अंदर के रूम में अचानक गया. ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। हमारे अंदर के रूम मे ही नहाने धोने के लिये बाथरुम है. अंदर जाते ही मैने देखा की मेरी दीदी पूरी नंगी खड़ी है. उसके बदन पर एक भी कपड़ा नही था. उसकी चूत पर खूब सारे झांट के बाल थे.उसके स्तन भी बड़े बडे गोलाई लिये हुये सुडोल और भरावदार थे, अभी भी दीदी के स्तन पहले से ज़्यादा बड़े बड़े साइज़ के और मस्त है. मैं अपनी दीदी को पूरा नंगी देख कर बोखला गया. मेरी दीदी राधिका भी शर्मा गयी, और शर्म से लाल लाल होकर अपना मुँह नीचे करके अपनी आँखे नीचे की तरफ झुका ली. मेरे दिलो-दिमाग मे कामुकता का भूत सवार हो गया. मैं अपनी दीदी से ही संभोग करने के लिये मानो उतावला होकर पागल सा गया और अपनी ही दीदी की चुदाई करने के लिये तड़पने लगा. लेकिन मजबूर था, क्योकी बाहर के किचन मे से मेरी माँ चिल्लाने लगी की तेरी दीदी नहा रही हे. मुझे मजबुर होकर वापस लोटना पड़ा. उसका मुझे आज भी बहुत ही खेद और दुख है

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Thursday 4 January 2018

पड़ोस वाला आदमी ने दीदी को कुतिया बना के चोदा - Pados wale admin ne didi ko kutiya bana ke choda


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हिंदी चुदाई की कहानियाँ,मेरी दीदी है और दूसरा मेरे पड़ोस मे रहने वाला एक ठेकेदार है. उसका नाम नदीम है मेरी दीदी एक सुंदर और जवान लड़की है. दीदी को देख कर सबके लंड खड़े हो जाते है।अब में अपनी कहानी की तरफ चलता हूँ. मैने दीदी से कहा कि में शहर जाने वाला हूँ. दीदी ने कहा आज नदीम पैसे मांगने आएगा तो में पैसे कहाँ से दूँगी… मैने दीदी को बोला की नदीम को परसो आने के लिए बोलना… में उस दिन अपने किसी काम से शहर मे जाने वाला था. मुझे किसी के साथ अपने काम से जाना था. जब में उसके घर गया तो वो उस वक्त घर मे नही था. तो में वापस अपने घर आ गया। में जब वापस रूम पर आने लगा. जैसे ही में रूम पर पहुचा तो मैने अपने रूम के अंदर से कुछ आवाज़ सुनी. मुझे कुछ अजीब सा लगा।
मैने धीरे से जब रूम मे देखा तो पाया की दीदी किचन की तरफ जा रही थी. और नदीम मेरे रूम मे बैठा हुआ था. नदीम एक काला 40साल का मुस्लिम है. उसे देखकर लगता था की वो अभी अभी आया था. वो अपने पैसे की बात कर रहा था. दीदी से पूछा की बताओ कैसे अपने पैसे वसूल करू… तो दीदी ने बोला की अब आप बताइए की कैसे होगा… अब उसने बताया की मेरे पास तो एक उपाय है जिसके द्वारा इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है… दीदी बोली क्या है… तो वो वहा से उठा और दीदी के पास चला गया और दीदी की गांड पर अपने हाथ को फेरते हुए बोला की इसके द्वारा… तो दीदी बोली किसी ने देख लिया तो प्रोब्लम हो जाएगी… उसने बोला तुम्हारा भाई तो शहर गया है कोई प्रोब्लम नही होगी… ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। अब उसने दीदी के सलवार के नाडे को खोल दिया और उसे नीचे उतार दिया। अब वो अपने आप को दीदी के पीछे खड़ा कर लिया. दीदी ने अपनी गोरी गांड का रास्ता दिखाया उसका काला लंड लगबग 10इंच लंबा और 3 इंच मोटा था. मुझे डर लग रहा था क्योंकि दीदी की गांड फटने वाली थी. फिर उसने दीदी के कमर को पकड़ के अपने लंड को निकाल के दीदी के गांड मे सटा के एक ज़ोर से झटका मारा तो दीदी पूरी तरह से कांप गयी. में समझ गया की दीदी के गांड मे उसका टोपा चला गया था. अब दीदी उसके लिए चाय बनाने लगी और वो अपने कमर को हिलाने लगा. दीदी के मुहं से उफफफफ्फ़ की आज निकल रही थी. दीदी के मुहं से कभी कभी ज़ोर ज़ोर से सिसकी निकल रही थी. अब मैने देखा की दीदी जब चीनी लेने के लिए थोड़ा सा घूमी तो मैने देखा की उसका मोटा लंड दीदी के गांड मे अंदर बाहर अंदर बाहर हो रहा था

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कुछ देर के बाद उसने दीदी के अंदर अपने लंड को पूरी तरह से डालने के लिए जब ज़ोर का झटका मारा तो दीदी ज़ोर से चिल्ला उठी और पूछा कि और है क्या तो बोला की नही… और दीदी के गांड को इस तरह से तब तक मारता रहा जब तक की दीदी ने चाय नही बना ली. थोड़ी देर बाद हाफने लगा में समझ गया की उसका बीज दीदी की गांड मे गिरने वाला है. जैसे ही दीदी ने चाय बनाने के बाद गेस को बंद किया तो वो अपने सर को दीदी के कंधे पर रख के चुप चाप खड़ा हो गया।ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। में समझ गया की दीदी के गांड मे उसका वीर्य गिर गया था. अब दीदी ने अपने कमर को खींच के उसके लंड को निकाला और उसे चाय पीने के लिए देते हुए बाथरूम के लिए चली गयी. वो चाय पीते हुए मेरे रूम मे चला गया. जब दीदी पेशाब करके बाथरूम से बाहर आई. अब वो बाथरूम मे गया और जब वापस बाहर आया तो उसने अपने लंड को दीदी के मुहं मे दे दिया. दीदी उसका लंड चूसने लगी. उसके लंड को चूस कर दीदी ने और बड़ा कर दिया।फिर उसने दीदी के हाथ को पकड़ के दीदी को वापस उसी कमरे मे ले जाने लगा दीदी ने पूछा अब क्या है… तो वो बोला की अभी तो वो सूत था. अभी ब्याज तो बाकी है… अब वो दीदी को लेकर कमरे मे जाने के बाद दीदी को बेड पर लेटने के लिए कहा तो दीदी बेड पर लेट गयी. अब उसने दीदी के सारे कपड़े एक एक करके उतार दिया. दीदी के सारे कपड़े उतारने के बाद उसने दीदी को कुछ देर तक देखता रहा. अब उसने अपने कपड़े उतारने लगा तो दीदी उसके 10 इंच लंबे काले लंड को देखने लगी।
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जब उसने अपने कपड़े उतार दिये तो अब वो दीदी के जांग पर बैठ गया और दीदी की चूत को फैलाकर देखने लगा. फिर उसने दीदी की चूत की पप्पी ली दीदी ने अपने आखे बंद कर ली. में यह देख कर जोश मे आ गया क्योंकि मेरे दीदी की गोरी चूत एक काले लंड से फटने वाली थी. अब वो दीदी के चूत मे तेल लगाने के लिए पास पड़े डिब्बे से तेल निकाला और दीदी के चूत मे लगाने लगा तो दीदी के मुहं से आवाज़ निकली और सिसकी निकलने लगी।  दीदी के चूत मे तेल लगाने के बाद उसने अपने लंड मे जो की 10 इंच लंबा और काफ़ी मोटा था उसको तेल को डिब्बे मे डाल दिया और अब जब उसने दीदी के चूत के उपर अपना लंड रखा तो दीदी ने अपने दोनो हाथो से अपने चूत को फैला दिया और अपने चूत मे उसके लंड को डालने का इंतजार करने लगी. उसने अपने लंड को दीदी के चूत मे डालने के लिए एक ज़ोर का झटका मारा तो दीदी की ज़ोर से सिसकी निकल उठी. दीदी पूरी तरह से कांप उठी।फिर उसने दीदी से पूछा अंदर गया क्या… दीदी ने हाँ कहा. दीदी की चूत मे उसका टोपा जा चुका था. अब वो दीदी के चूत के अंदर अपने लंड को ले जाने के लिए ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा ,ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। कुछ देर के बाद मैने देखा की दीदी की चूत मे उसका आधा लंड चला गया था. दीदी ने उससे पूछा की कितना बाहर है तो वो मुस्कुराया और बोला की बस दो इंच बाहर है. फिर उसने एक जोर से झटका मारा. दीदी की मुहं से आवाज़ निकली हा…उफफफ्फ़… दीदी की चूत मे उसका पूरा लंड जा चुका था दीदी अपने पैसे का ब्याज अपनी चूत से दे रही थी।दीदी की चुदाई को देख के मेरे मन भी अजीब सा होने लगा. अब वो दीदी की दोनो चुचियो को मसलने लगा. दीदी मस्ती मे आ गई और उस से धीरे धीरे से झटके लगाने के लिए बोली. वो दीदी को बुरी तरह से चोद रहा था. दीदी दो तीन बार झड़ चुकी थी लेकिन वो 30 मिनिट के बाद भी झड़ने का नाम नही ले रहा था. दीदी सोच रही होगी की किस जानवर से पाला पड़ा है. दीदी ने नदीम से बोला अब बर्दास्त नही होता… अब जल्दी से गिरा दीजिए कुछ देर तक दीदी की चूत मे इसी तरह से झटके मारने के बाद वो दीदी के होंठो को चूसने लगा तो में समझ गया की अब उसका पानी दीदी के चूत मे गिरने वाला था. दीदी ने उससे बोला की अपना पानी चूत के अंदर मत गिराना में प्रेग्नेंट हो जाउंगी… उसने कहा कुछ नही होगा… कुछ देर के बाद मैने देखा की दीदी भी उसका साथ देने लगी।
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कुछ देर के बाद उसने अपना पानी दीदी की चूत मे गिरा दिया कुछ देर तक वो दीदी के उपर लेटा रहा. कुछ देर के बाद उसने अपने लंड को दीदी के चूत से निकाल दिया और दीदी के उपर से हट गया. उसने दीदी से पूछा मजा आया क्या… दीदी शरमा गयी और दीदी ने दोनो हाथो से शर्म के मारे अपने मुहं को ढक लिया. अब उसने अपने कपड़े को ठीक किया।मैने जब दीदी के चूत को देखा तो लगा की दीदी के चूत को किसी ने मूसल से रौंदा है. अब दीदी भी कुछ देर के बाद उठ कर अपने कपड़े को पहना. दीदी ठीक से चल नही पा रही थी.. अब जब वो जाने के लिए तैयार हुआ तो में वहा से हट गया. और में कर भी क्या सकता था।मेरी कहानी कैसी है कृपया इसे साझा करें

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Monday 1 January 2018

दीदी की जेठानी की चुदाई desi xxx hindi kahani


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उनका नाम अंजू है  बड़ी सेक्सी फिगर है उनका. ३४-३०-३२, जोकि मुझे बाद में पता चला. हलाकि की वो हमेशा साड़ी पहनी रहती थी, पर यारो बड़ी कट्टो पीस थी. जो भी देख ले, उसका लंड खड़ा हो जाये.मैं उन्हें दीदी कहके ही पुकारता था. सो अब स्टोरी पर आता हु. मेरी उनके साथ बहुत पटती थी और हम दोनों हमेशा ही आपस में मजाक करते थे. जब भी मैं गाँव जाता था. तो वो मुझसे मेरी गर्ल फ्रेंड के बारे में पूछती थी और मैं उनको मनगडथ कहानी सुना देता था. मेरी कोई गर्ल फ्रेंड तो थी नहीं. फिर भी उनको मेरी कहानी सुनने में मज़ा आता था. एक दिन तो उन्होंने मेरे गाल पर किस कर दिया. मैं शॉक रह गया था. फिर उन्होंने हंसी में बात को टाल दिया. तब से मुझे उनपर शक होने लगा, कि साली रंडी के दिमाग में कुछ चल रहा है.
पर मैं उस वक्त कुछ नहीं कर सकता था. बस समय की प्रतीक्षा में था, जोकी मुझे अब मिलने वाला था. जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी. तो मुझे घर आये ११ दिन के ऊपर हो चुके थे. इस बीच मैंने खूब छेड़ा उन्हें. इधर-उधर हाथ मारता, वो कुछ भी नहीं बोलती थी, उल्टा मुझे चिड़ा देती थी. १२ दिन के बाद, दादी जी का सब क्रियाकर्म ख़तम हुआ और फिर आई वाज अलाउड तो स्लीप ओं बेड, अब तक मैं नीचे जमीन पर ही सो रहा था.हमारे घर में दो बेडरूम और एक गेस्टरूम है. मैं अपने रूम में सोता था और उसी रात को माँ ने अंजू से कहा की वो मेरे कमरे में सो जाए. बारिश का मौसम था, थोड़ी ठण्ड भी थी. तो माँ ने एक बड़ा मोटा चादर हमको दे दिया और बोला – रात को अगर ठण्ड लगे. मैं तो बहुत ही एक्साइट था. जिस कारण मेरे लंड महाराज ख़ुशी से फुला और खड़ा था. ऐसी फीलिंग मुझे पहले कभी नहीं हुई थी. सभी दरवाजे बंद करके वो कमरे में आई और मेरे साइड लेट गये.वो मेरे साइड में लेटी थी और सोने की कोशिश कर रही थी. ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। लेकिन मेरे आँखों में नीद नहीं थी. मैं तो बस उनको पेलने की फ़िराक में था. मैं उन्हें जकड़ लिया और मेरी ओर खीच लिया, मानो कामदेव ने कृपा की हो. वो मना करने लगी, कि माँ जाग जायेगी. ये सब ठीक नहीं है, पर ज्यादा फोरस नहीं कर रही थी. मैंने थोड़ा जोर दिया, कि कुछ नहीं होगा, कोई नहीं जानेगा. मैं तो बस तुम्हे पकड़कर सोना चाहता हु. वो मना कर रही थी और मैं उसको पकड़कर सोने की जिद कर रहा था. थोड़ी सी जिद के बाद उसने भी प्रोटेस्ट करना बंद कर दिया.हाथ के ऊपर हाथ को रखने सोने की एक्टिंग करने लगा. मैंने सोचा, अच्छा मौका है हाथ साफ़ करने का और मैंने अपना हाथ खीच के उसके साड़ी के अन्दर उसके पेट पर रख दिया और कसके जकड़ लिया. वो थोड़ी सी मेरे बदन से चिपक गयी और कहने लगी, कोई जाग जाएगा. माँ उठ जायेगी. तो मैंने थोडा कन्वेंस किया, तो वो मान गयी और मैं अपना हाथ थोडा-थोडा ऊपर लेता गया और फाइनली उसके रसीले आम को मैंने पकड़ लिया. एक अजीब सी करंट मेरे शरीर में दौड़ गयी.

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मेरे बदन का रोम-रोम सिहर उठा. शायद फर्स्ट टाइम ऐसा ही होता होगा, ये मैंने मन ही सोच लिया. वो मन करने लगी, पर मैं कहाँ मानने वाला था. मैंने वैसे ही उसके चूची को पकड़ा और थोड़ी देर के बाद एक-एक करके उसकी ब्लाउज के ऊपर के दो हुक खोल दिए. अब मैंने अपना हाथ ब्लाउज के अन्दर घुसा दिया. वह मानो जन्नत की कोई हसीन चीज़ मेरे हाथ लग गयी हो. इसके पहले मैंने बहुत साड़ी ब्लू फिल्म देखी और मुझे पता था, कि इसके आगे क्या करना है. सो मैंने अंजू के दूध को मसलना शुरू कर दिया.वो अपनी आँखे बंद किये हुए कुछ बडबडा रही थी. शायद वो मोअनिंग कर रही थी. मैं उस तरफ ध्यान ना देते हुए, बाकि के बचे हुक को भी खोलने लगा. मैंने उसके ब्लाउज को उतार फेंका. वो यार क्या नज़ारा था. ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। आज तक मैंने जो चीज़ ब्लू फिल्म में ही देखी थी वो आज मेरे सामने थी. मैं खुद पर कण्ट्रोल नहीं कर सका और टूट पड़ा उन प्यारे कप साइज़ दूध के ब्राउन निप्पल पर. वो एकदम इरेक्ट हो चुके थे. अंजू ने मुझे हटाया और मेरे लिप्स पर अपने लिप्स रख दिए.मैं मान ही मान खुश हुआ, कि चलो आखिर में साली माँ की लौड़ी जो इतने दिनों से मुझे परेशान किये हुई थी, आज मेरे सामने अर्ध नंगी हो के लेटी है. खूब जोर से हमारी किस चल रही थी. मैं उसकी जीभ चूस रहा था और वो मेरी. मैंने उसे नीचे बेड पर गिरा दिया और उसको सर से लेकर पेट तक चूमने लगा. अंजू बस मोअन किये जा रही थी. आहाहाहः हहहहः आआआआआआ ऊऊऊ बस करो विराज आहाहाह….मर जाउंगी …. बस करो … और मैं भी कहाँ रुकने वाला था. एक हाथ से उसके दूध को दबाता रहा. मैंने अपनी जीभ से उसकी नाभि चाटे जा रहा था. मुझे उसकी नाभि चाटने में बड़ा मज़ा आ रहा था, वो मानो मछली की तरह उछल रही थी. फिर मैंने उसके निप्पल को मुह में भरा और जोर से चूसने लगा.अंजू – खा जा इसे. चबा डाल. बहुत हैरान किये हुए है और तेरे लिए ही बचाकर रखे है. सक इट हार्डर. मोर हार्डर हहहहः ऊऊऊऊऊ म्मम्मम्मम एस बेबी. सक इट.. अहहः हहहः एस मोर मोर एस एस डार्लिंग … एस ..ऊऊऊ … ऊऊऊओ उसकी आवाज़े तेज होने लगी थी. अब मुझे डर लगने लगा था, कि ये आवाज़े माँ ना सुन ले. इसलिए, मैंने उसके मुह में एक कपड़ा ठूस दिया और उसके मुह को बंद कर दिया. लेकिन मैंने अपने काम को जारी रखा और उसके चूचो को चूस-चूसकर लाल कर दिया और अपने दांत भी गडा दिए. उसके चूचो पर मेरे दांत के निशान आ गये.

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उसने मेरे पेंट के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ लिया और दबाने लगी. मैंने उसे पेंट उतारने को कहा और उसने झट से मेरी पेंट को नीचे कर दिया. उसने मेरे लंड को मेरे अंडरवियर से बाहर निकाल लिया और उसको देखने लगी. मेरा लंड एवरेज ६” का है और अच्छा मोटा भी है. कोई भी चूत को संतुष्ट करने के लिए ठीक है. तो उसे देखते ही उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कान थी. उसे पता था, कि ये मेरा पहली बार है. इसलिए उसने जल्दी ना करते हुए, धीरे – धीरे लंड को ऊपर नीचे करना शुरू किया. काफू सीखी हुई खिलाडी थी. मैं अपने पर कण्ट्रोल नहीं रख पा रहा था और मैंने उसे जड़ से तेज हिलाने को कहा. तो उसने तेजी से हिलाना शुरू कर दिया और ४-५ मिनट में ही मैं झड़ गया. ये जो लम्हा था, क्या बताऊ स्वर्ग था, ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। बड़ा सुख मिला मुझे. मुझे पता था, कि ये तो शुरुवात थी. फिर उसने सारा माल अपने हाथो से साफ़ किया. इतना सारा कम आज पहले कभी नहीं निकली थी. उसके बाद उसने मुझे फिर से किस करना शुरू किया.मैं भी धीरे-धीरे मूड में आने लगा था और लंड फिर खड़ा होने लगा. इस बार लंड कुछ ज्यादा बड़ा और फुला हुआ था. अंजू की आँखों में चमक आने लगी थी और वो अपने होठो पर अपनी जीभ फेर रही थी. मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी और मुझे समझ आ गया था, कि मुझे क्या करना है? मैंने उसे झट से सुलाया और उसके सुंदर ब्राउन चुचियो को मसलने लगा. वो मोअन कर रही थी अहहहः हहहः विराज ..कुछ करो ना …अब सहन नहीं हो रहा .. जल्दी करो ना … और नहीं सहा नहीं जा रहा. अब मैं उसे चुमते हुए, धीरे-धीरे उसके पैरो तक पहुच गया और वहां उसको किस करने लगा. फिर धीरे-धीरे उसकी साड़ी को उठाने लगा और किस करता रहा.देर ना करते हुए, मैंने साड़ी को उसकी कमर तक उठा दिया और पेटीकोट साड़ी को निकाल फेंका. क्या गजब लग रही थी वो. आँखों पर यकीं नहीं हो रहा था. उसकी पेंटी भीगी हुई थी. शायद उसने पानी छोड़ दिया था. वो शर्मा रही थी और अपने हाथो से उसकी पेंटी को छुपा रही थी. मैंने उसके हाथो को चूमा और हटा दिया और फिर साइड से थाई को खूब चाटा और चूमा. फिर उसकी पेंटी को भी निकाल फेंका.

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चूत पर हलके ब्राउन बाल थे, शायद १-२ दिन पहले ही काटे होंगे. मैंने उसके ऊपर लगे हुए जूस को साफ़ किया. मैं उसकी चूत के ऊपर किस कर रहा था. उसने मुझे कहा, कि ये गन्दा है. पर मैंने कहा – कि मैं इसे टेस्ट करना चाहता हु. वो मना कर रही थी और मेरी बड़ी जिद करने पर मुश्किल से मानी. फिर क्या था, मैं तो टूट ही पड़ा उसकी चूत पर. मैंने उसकी चूत पर किस कर रहा था और धीरे से मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत में डाल दी. क्या गरम थी उसकी चूत ….अहहहः … म्मम्मम्मम … हहहहहः ….. आआआआ …भट्टी जैसी …. चूत को मैं चूमता गया और फिंगर से फक करता रहा. मर गयी …ओगोगोगो …मर गयी.अंजू – धीरे करो अहहहः हहहहः हहहहः … प्लीज धीरे करो ना …ऊऊऊओ .. म्मम्मम और मेरे सिर को उसकी चूत पर दबा रही थी. शायद उसे मज़ा आने लगा था. मुझे भी उसके जूस का टेस्ट एकदम मलाई के जैसा लग रहा था, ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। लकिन थोडा नमकीन था. उसके बाद मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर डाल दिया. तो वो सिस्कार उठी और अपना अपनी मेरे मुह पर छोड़ दिया. फिर मुझे खीच के मेरे मुह पर लगा जूस चाटने लगी और देर ना करते हुए, उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपने चूत के पास ले आई.और धक्का लगाने को कहा. मैंने एक ही बार में आधे से ज्यादा लंड घुसा दिया. तो वो चिल्ला उठी .. ऊऊऊऊउईईईईईइ माँआआआआआअ … मार डाला. आहाहहहः आहाहहहः ऊऊऊओ. मार डाला कमीने, बहनचोद …. बहुत टाइट पुसी थी उसकी. बहुत दिनों से चूत में शायद कोई लंड नहीं डलवाया था उसने, इसलिए उसकी चूत बहुत टाइट थी. फिर, मैंने एक और जोर का धक्का मारा और मेरा पूरा लंड का पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया.

अंजू – चोद साले … चोद … जान. चोदो ना अहहः हहहः हहहहः म्मम्मम

मैं – हाँ जान ये लो मेरा लंड .. और मैं और भी जोर से धक्के लगाने लगा.

अंजू – फाड़ डाल, इसे फाड़ डाल. हहहः म्मम्मम अहहहहः. … बहुत दिनों से परेशान किया हुआ था इसने. इऐऐऐअ इसिसिसिसिस म्मम्मम्मम आज इसे फाड़ डाल.

मैं – अपनी जितनी ताकत थी. सभी को मिला के उसे चोदने पर तुला हुआ था. दोनों का शरीर पसीने में मानो डूबा हुआ था. उसके बाद मैंने उसको पैरो को अपने कंधे पर लेके चोदना शुरू किया. अंजू भी अच्छा कोआपरेट कर रही थी. करीबन आधे घंटे की चुदाई के बाद, मेरा निकलने वाला था. इस बीच उसने जाने कितनी बार अपना पानी मुझपर छोड़ दिया होगा. मैंने उसे पूछा, कि कहाँ छोडू? ये चुदाई कहानियाँ,रियल हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। तो उसने अन्दर ही छोड़ने को कहा. तो १ मं के बाद, मैंने अपना सारा माल उसकी चूत के अन्दर डाल दिया.अंजू – अहहहहः म्मम्मम्म मरे राजा. मुझे बना ले अपनी रंडी. मुझे आज से अपनी बना ले. अब से तू जब भी चाहे, तब मुझे चोदना. ये कहकर उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया. १ घंटे बाद हम उठे और बाथरूम में साफ़ होने के लिए चले गये. बाथरूम से आकर हम दोनों नंगे ही एकदूसरे से चिपक कर सो गये. उसने मेरा लंड पकड़ा हुआ था और मैंने उसकी चुचियो को पकड़ा हुआ था. अगले तीन-चार दिन तक मैंने उसे काफी चोदा. दिन और रात में, जब भी मौका मिला और हर पोज में

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Tuesday 7 November 2017

आखिर मैंने दीदी की चुदाई की इच्छा जगा ही दी -Hindi Sex Stories

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मेरी दीदी की चुदाई स्टोरी उस समय की है, जब मैं अपने चाचा के यहाँ ग्रेजुएशन करने दिल्ली गया था. उस घर में चाचा-चाची और मेरी चचेरी बहन मतलब उनकी बेटी रहते थे. वैसे उनका एक भाई भी है, लेकिन वो मुम्बई में जॉब करते हैं. मैं जहाँ से हूँ वहाँ पर केवल 12वीं तक पढ़ाई होती है

सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था, पढ़ाई भी ठीक-ठाक चल रही थी. करीब एक साल के बाद एक घटना हुई, जिसने सब कुछ बदल दिया.

शाम का वक़्त था.. मैं कॉलेज से घर आया था. चाचा हॉल में टीवी देख रहे थे. मैं कपड़े चेंज करने के लिए अन्दर जा ही रहा था कि चाची ने मुझे रोका और कहा- अन्दर दीदी चेंज कर रही है.
मैं बाहर रुक गया और टीवी देखने लगा.

कुछ देर बाद मैं भूल गया और चेंज करने के लिए अन्दर की ओर बढ़ गया. मैं जैसे ही अन्दर गया, वहाँ पर दीदी नए कपड़ों का ट्रायल ले रही थीं. तभी दीदी ने मुझे देखा और मुझ पर बहुत चिल्लाई.

मैं घबरा कर वापस आने लगा तो मैंने देखा कि वो केवल पेटीकोट और ब्लाउज़ में थीं और उनका क्लीवेज साफ मुझे दिख रहा था. उनका गोरा चमकता हुआ पेट बहुत ही आकर्षक दिख रहा था.. लेकिन मैं उनकी डांट सुनकर वहाँ से जल्दी से निकल गया.

इसके बाद 2-3 दिन तक मेरे दिमाग में वही सीन चलता रहा. फिर मैं उसे भूल गया. इस तरह से 6-7 महीने निकल गए और गर्मी का मौसम आ गया.

दीदी की छुट्टियाँ शुरू हो गई थीं क्योंकि वो एक स्कूल में टीचर थीं. रोज़ की तरह मैं जब एक दिन कॉलेज से आया तब देखा कि दीदी केवल कुर्ती में घूम रही हैं.. उन्होंने सलवार नहीं पहनी है.

बाद में मुझे पता चला कि गर्मी की वजह से वो ऐसे ही रहती हैं. मैं तो वैसे ही घर में चड्डी और बनियान में घूमता रहता था.

अभी तक दीदी के बारे में बताया ही नहीं.. मैं क्या बताऊं.. रंग गोरा, हाइट 5 फिट 4 इंच, फिगर एवरेज था.

जैसा कि मैंने बताया कि गर्मी के दिन चल रहे थे और दीदी ने सलवार नहीं पहनी हुई थी. नीचे के हिस्से में दीदी केवल पैंटी पहनती थीं. इसलिए दिन में कई बार उनकी जांघें और पैंटी की झलक मिल जाया करती थी.

उनकी पेंटी की झलक दिखते ही मेरा पूरा बदन सिहर उठता था.
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एक दिन संडे का दिन था, सुबह के 7 बजे होंगे, मैं उठा और सीधे बाथरूम में सूसू करने चला गया लेकिन जल्दबाजी में दरवाजा लॉक करना भूल गया. मैं लंड बाहर निकाल कर सूसू कर ही रहा था कि अचानक गेट खुला और दीदी अन्दर आ गईं. मैं लंड हिलाता हुआ एक ओर हुआ और वो मेरे खड़े लंड को देखते हुए वापस चली गईं. मैं फिर से डर गया कि उनको लगा होगा कि मैंने यह जानबूझ किया है.. और वो फिर से चिल्लाएंगी.

मैं डरते हुए जाकर सो गया.. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी और डर भी लग रहा था. यही सब सोचते हुए 10 बज गए और मैं उठ गया.

अब तक सब कुछ नार्मल था. इस घटना को 4-5 दिन ही हुए होंगे कि फिर से एक घटना हो गई.

सुबह का वक़्त था, करीब 6 बजे थे. दीदी अपने कमरे में सोई थीं.. मैं सुसू करने उठा था. इस वक्त घर में बाकी सब भी सोये हुए थे. मैं बाथरूम से निकला, तो देखा कि दीदी के रूम की नाईट लैंप जल रहा था. मैंने ध्यान से देखा कि दीदी के स्तन दिख रहे थे और उनकी पैंटी भी कुछ दिख रही थी. मैं वहीं गेट पर खड़े होकर निहार रहा था कि तभी दीदी ने करवट ली और मुझे देख लिया.

उन्होंने एकटक मुझे देखा, मैं घबराकर जाने लगा तो वो बोलीं- अरे स्माइली, प्यास लगी है पानी तो पिला दे यार..
फिर मैं कुछ शांत हुआ.. उनको जग से पानी लेकर पिलाया और उनको तिरछी निगाहों से देखता रहा. इस बार देखने के बाद से मेरे दिल में कुछ होने लगा.

एक दिन खबर आई कि चाची की माँ की तबियत ख़राब है, तो चाची अगले दिन वहाँ चली गईं और चाचा अगले दिन उनको छोड़ कर वापस आ गए. फिर एक हफ्ते बाद चाचा चाची को लेने गए और चाची की तबियत ख़राब होने की वजह से 5 दिनों के बाद चाची के साथ वापस आए.

लेकिन इन पाँच दिनों के दौरान जो हुआ वो मेरे साथ पहली बार हुआ.

जब चाचा चाची को छोड़ने गए, उस दिन दीदी और मैं बिल्कुल अकेले थे, उस दिन मैं कॉलेज से आया तो दीदी बाजार जाने के लिए तैयार होकर बैठी थीं. मैं उनको लेकर बाजार गया. उन्होंने कुछ सब्जी फल आदि लिए और हम दोनों वापस आ गए.

शाम के 8 बजे थे तो दीदी ने खाना लगाया और खाना खाकर हम दोनों टीवी देखने लगे. टीवी देखते हुए दीदी को कब नींद आ गई, पता ही न चला.


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मेरी नजर गई तो वो सोफे पर लेटी थीं. मैंने आवाज लगाई, पर कोई जवाब नहीं मिला. मेरी नजर उन पर से हट ही नहीं रही थी. उन्होंने ग्रीन सलवार सूट पहना हुआ था. थोड़ी देर बाद मैंने उनको आवाज देकर कहा- दीदी, अपने बिस्तर पर सो जाओ.

लेकिन वो सोफे से उठकर मेरे बेड पर सो गईं.

थोड़ी देर बाद मैं अन्दर वाले बेड, जहाँ पर चाचा चाची सोते हैं.. वहाँ जाके सो गया.

मुझे सोये हुए कुछ देर हुई थी कि किसी के गिरने की आवाज आई.. जिससे मेरी नींद खुल गई. मैंने जाकर देखा तो दीदी बाथरूम में गिर गई थीं. मैं जब तक गया तब तक वो लड़खड़ाते हुए बाथरूम से निकल रही थीं.

मैंने पूछा- अरे आप कैसे गिर गईं?
तो वो बोली- वहां साबुन पड़ा था.
मैंने उनको सहारा दिया, वो कहने लगीं- मैं ठीक हूँ तुम सो जाओ.

लेकिन थोड़ी देर बाद दीदी ने मुझे आवाज लगाई. मैं आया तो देखा कि वो बेड पर बैठी थीं.
वो बोलीं- मेरे कंधे पर चोट लगी है और मैं दवाई लगा नहीं पा रही हूँ.
तब मैंने पूछा- कहाँ?

दीदी ने अपने कंधे से सूट सरकाया. मैंने देखा तो उनकी स्किन छिल गई थी. फिर मैंने उनको थोड़ा डांटा भी. वो चुपचाप सुनती रहीं. फिर मैंने थोड़ी मलहम लगाई और हम दोनों वहीं सो गए.

अगले दिन चाचा आ गए.. लेकिन चाची के कारण चाचा 5 वें दिन फिर चले गए. अब फिर से हम दोनों अकेले हो गए.

एक दिन फिर ऐसे ही निकल गया. अगले दिन सुबह जब मैं 8 बजे उठा और सुसू करने गया, तब पहले जैसा दीदी आ गईं. लेकिन इस बार बोलीं- तू अभी भी बच्चा है क्या? गेट तो बंद कर लिया कर..!
मैंने मजाक में बोल दिया- दिल तो बच्चा है जी.
तो वो हंस दीं.

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फिर फ्रेश होने के बाद मैं आया तो देखा कि दीदी कपड़े धो रही थीं. मैं बोला- क्या रोज कपड़े धोती रहती हो.
दीदी बोलीं- इतना बुरा लगता है तो तू साथ में धुलवा दे ना.
फिर मैं भी बैठ गया.. और दीदी के साथ कपड़े धोने लगा.

तभी मैंने देखा कि दीदी ने जो सलवार सूट पहना हुआ था वो काफी गीला हो गया है और उनके कपड़े बिल्कुल चिपक गए हैं.. जिससे अन्दर की ब्रा साफ दिख रही है. इस कारण कपड़े धोते वक़्त हिलने की वजह से उनके स्तन भी हिल रहे थे. मैं बस उनके हिलते चूचों को देखे जा रहा था. मेरा मन मचल रहा था कि दीदी के मम्मों में हाथ लगा लूँ. लेकिन क्या करता.. कपड़े धोकर जैसे ही मैं उठा तो दीदी ने मस्ती में मेरे ऊपर पानी डाल दिया.

मैंने भी दीदी पर थोड़ा पानी डाल दिया लेकिन वो मुझे ऐसा करने से मना ही नहीं कर रही थीं. बल्कि दीदी ने अब मेरे ऊपर फिर से पानी डाल दिया. अबकी बार दीदी ने मेरे ओवर पर पानी डाला तो मैंने उन पर पूरी बाल्टी ही डाल दी.

इस बार दीदी पूरी गीली हो गईं और मुझे वहीं मारने लगीं.

मैंने सॉरी बोल दिया.. लेकिन जैसे ही वो पीछे मुड़ीं, तो देखा उनके कपड़े पूरे चिपक गए थे और पूरा फिगर साफ दिख रहा था. उनकी ब्रा और पैंटी भी दिख रहे थे. अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था, मेरे लंड से पानी निकलने लगा था.

फिर मैंने दीदी पर और पानी डाल दिया वो जल्दी से बाथरूम के अन्दर भाग गईं. मेरा लंड हिचकोले खाने में लगा था. फिर वो नहा कर बाहर आईं तो मैं अन्दर चला गया और आज पहली बार मैंने दीदी के नाम से मुठ मारी, तब जाकर लंड को कुछ शांति मिली.
नहा कर जब मैं बाहर आया तो खाना बन रहा था, तो मैं भी दीदी की कुछ हेल्प करने लगा. कुछ देर बाद खाना खाया फिर मैं कॉलेज चला गया.

शाम दीदी बोलीं- आज बाहर चलें? कुछ बाहर ही खाएंगे.
मैंने हामी भर दी.

शाम 7 बजे हम दोनों निकले, लेकिन मैंने देखा कि आज दीदी ने साड़ी पहनी हुई थी, वो गजब का माल लग रही थीं. करीब दस हम लोग घर वापस आए. फिर वो चेंज करने चली गईं. मैं भी बनियान और बरमूडा में आ गया.


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मैंने देखा कि दीदी ने चेंज तो किया, लेकिन दूसरी साड़ी पहन ली थी. मैंने पूछा- आज क्या बात है.. क्या आज साड़ी का दिन है?
तो वो बोलीं- आजकल बहुत ध्यान दे रहे हो?
मैंने कहा- देना तो पड़ेगा न!
फिर दीदी बोलीं- वो आज सारे कपड़े धो दिए हैं न इसलिए साड़ी ही पहन ली है.
मैंने पूछा- आपकी चोट कैसी है.. दिखाओ तो सही?
फिर उन्होंने हल्का सा ब्लाउज सरका कर दिखाया.
मैंने कहा- अब तो ठीक लग रहा है.
वो बोलीं- मलहम तो तुमने ही लगाई थी.. ठीक कैसे न होता.

इसके बाद हम लोग टीवी देखने एक ही सोफे पर बैठ गए. साथ में हम दोनों बातें भी करते रहे, कब रात के 12 बज गए पता ही नहीं चला.

मैं सोने जाने लगा तो वो बोलीं- चलो अन्दर वाले बेड पर वहीं सो जाना, कुछ देर बातें करते हुए सो जाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
यूं ही बातें करते-करते कब दोनों को नींद आ गई, पता ही नहीं चला. सुबह जब 6 बजे मेरी नींद खुली तब देखा कि दीदी मेरे साइड में ही सोई हैं और बड़ी ही सेक्सी लग रही थीं. मैंने चैक किया तो दीदी बड़ी गहरी नींद में थीं.

अब मैंने चांस मारा, दीदी की साड़ी को उनके सीने से हल्का सा हटाया तो उनके मम्मों की लाइन दिखने लगी. लेकिन मेरी गांड फट रही थी इसलिए मम्मों को टच नहीं कर पाया. फिर मैंने धीरे से अपने पैरों से पेटीकोट ऊपर को किया और हल्के से बार-बार टच करने लगा.. कुछ देर यूं ही मजा लेने के बाद मैं सो गया.

जब नींद खुली तो देखा दीदी मुझे उठा रही थीं- उठ जा.. नाश्ता बन गया है, खा ले.
मैंने फ्रेश होकर नाश्ता किया. दीदी नहाने चली गईं.. जब आईं तो देखा कि वही अपने पुराने गेटअप में थीं. उन्होंने नीचे सिर्फ पेंटी पहनी थी और ऊपर कुर्ती पहनी थी.

उन्हें यू देख कर मेरा मन फिर से मचलने लगा. आज मैं कॉलेज नहीं गया.. मेरा मन नहीं किया. आज दिन भर दीदी के साथ ही रहा. कभी वो मुझे छेड़ती रहीं तो कभी मैं उन्हें छेड़ता रहा.

एक बार तो दीदी ने हद ही कर दी, जब मैं नहा कर निकला तो उन्होंने मेरा टॉवल खींच लिया, लेकिन मैंने दुर्भाग्य से अंडरवियर पहना था.
मैंने कह दिया- आज आपका लक नहीं था.
तो वो बोलीं- मैंने तुझे अंडरवियर उठाते हुए देख लिया था.
मैंने कहा- ठीक है तो मेरा बैड लक रहा.

लेकिन जब वो दोपहर को सो रही थीं तो मैंने उनकी पैरों में गुदगुदी की, लेकिन जब कुछ हलचल नहीं हुई तो कुछ आगे बढ़ा और दीदी की जाँघों तक पहुँच गया, पर वहीं रुक गया.

फिर मैंने शाम को चाय बनाई और उनको उठाया तो करवट लेने में मुझे उनकी पूरी पैंटी दिखी. बहुत देर तक मैं दीदी की पेंटी को देखता रहा.

शाम का खाना खाने के बाद हम सोये.. लेकिन इस बार हॉल में टीवी के सामने ही लेट गए. वहां पर आलरेडी एक बेड है. तो टीवी देखने के लिए नीचे फर्श पर ही बिस्तर लगा लिया. अभी 10 ही बजे थे. इस बार हम पहले से ज्यादा पास चिपके थे.

लगभग 11 बजे दीदी बोलीं- मैं सो रही हूँ.
मैं टीवी का वॉल्यूम कम करके देखने लगा.

फिर अचानक से व्हाट्सएप्प पर एक मैसेज आया.. जो कि एडल्ट था. मैंने वो देखा फिर इंटरनेट पर में पोर्न पिक्चर्स देखने लगा. मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था. मैंने दीदी की तरफ देखा तो वो दूसरी तरफ करवट लिए सोई थीं.
मैं फिर से पोर्न देखने लगा. फिर नजर गई कि दीदी ने आज भी सलवार नहीं पहनी है.

मैंने मोबाइल एक तरफ रखा और दीदी की कुर्ती को ऊपर किया. अब दीदी की जांघ पूरी तरह साफ दिख रही थी. टीवी चालू ही था तो दीदी की बॉडी पर रोशनी आ रही थी. मैं दीदी की नंगी जांघ देख कर मदहोश हुए जा रहा था. मेरी हिम्मत बढ़ती जा रही थी. फिर मैंने टीवी का वॉल्यूम एकदम से फुल किया और फिर म्यूट कर दिया, इस कारण से वो हल्का सा जग गईं. शायद वो भी कुछ चाहती हों तो मैंने रिस्क लिया.

मैंने पैरों से पैरों को मिलाया, सहलाया. फिर हाथों से दीदी की कमर को सहलाया, उनकी गर्दन पर हाथ फिराया, होंठों को टच किया. अब शायद मेरा रुक पाना मुश्किल था, मंजिल भी दूर नहीं थी. मैंने हिम्मत करके दीदी की जाँघों पर हाथ रखा और मसला लेकिन कोई हरकत नहीं थी. मैंने कुर्ती के पीछे की ज़िप खोलना चालू की, लेकिन टाइट थी तो थोड़े झटके लगे लेकिन ज़िप खुल गई.

मैंने दीदी की पीठ सहलाई और फिर ब्रा का स्ट्रैप खोल दिया. अब उनको बेक साइड अप करके थोड़ा धक्का दिया और आसानी से वो सो गई. अब तो वो भी तैयार लग रही थीं. उनकी कुर्ती को मैंने ऊपर किया जिसमें दीदी ने भी पूरा साथ दिया.

अब केवल ब्रा और पैंटी बची थी. मैंने अपने भी कपड़े उतार दिए और बस अंडरवियर में आ गया. मैं दीदी को सर से लेकर पैर तक चूमता चला गया. फिर मैंने बेख़ौफ़ होकर उनकी पैंटी भी निकाल दी. अब बस चूतड़ों को मसल कर मजा ले रहा था.. इसके बाद अब बारी थी दीदी के मम्मों को मसलने की.

जैसे ही मैंने दीदी के एक चूचे को पकड़ा, दीदी की एक आवाज आई- सब कुछ तू ही करेगा या मुझे भी कुछ करने देगा?
वो दीदी की मादक आवाज थी.
मैंने कहा- मैं तो पूरा ही आपका हूँ, जो भी करना है कर डालो.

बस दीदी ने पलट कर अपनी ब्रा भी निकाल दी. फिर उन्होंने मुझे लिप किस किया. ये मैंने पहले बार किया था. वो किस करते हुए नीचे को आ गईं और मेरी चड्डी निकाल कर मेरे लंड के ऊपर लेट गईं. अब वो मेरी पूरी बॉडी को किस करने लगीं. इस सबमें बहुत देर हो गई थी. मुझसे अब और रुका ही नहीं जा रहा था. मैंने उनको एक धक्का दिया और उनको पटक कर उनकी चूत चाटने लगा.

फिर मैंने कुछ देर बाद अपना लौड़ा दीदी की चूत पर रखा और धक्का मार दिया, बुर चिकनी और टाईट थी इसलिए लंड फिसल गया. फिर मैंने चुत के छेद का निशाना मिलाया और धक्का दे मारा. अबकी बार लंड घुस गया और 2-3 धक्कों में पूरा लंड चुत को चीरता हुआ अन्दर तक चला गया.

हम दोनों को थोड़ा दर्द हुआ, कुछ देर बाद मेरा पानी निकल गया. फिर हम लेटे रहे.. एक-दूसरे को चूमते रहे.

इसके बाद एक बार ये खेल और किया.. इस बार मैंने काफी देर तक दीदी को चोदा.

अगले 3 दिन तक मैं कॉलेज नहीं गया और इस दिनों में हम दोनों ने शायद ही कोई कपड़ा पहना हो.

फिर चाचा चाची आ गए.. लेकिन रात को कभी मैं उनके कमरे में तो कभी वो मेरे कमरे में आ जाती थीं. बस यूं ही बहन के साथ चूत चुदाई का खेल चलता रहता था और अब तक न जाने कितनी बार इस खेल को खेला होगा.. गिनती ही याद नहीं है.

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